धर्मेंद्र का निधन: देओल परिवार ने क्यों चुना राजकीय सम्मान से दूर रहना?

बॉलीवुड ने हाल ही में अपने एक महानायक को खो दिया है। धर्मेंद्र, जो भारतीय सिनेमा के सबसे चमकदार सितारों में से एक थे, का निधन 24 नवंबर 2023 को मुंबई में हुआ। उनके निधन ने न केवल उनके परिवार को, बल्कि पूरे फिल्म उद्योग और उनके प्रशंसकों को गहरे शोक में डाल दिया। धर्मेंद्र का यह अचानक जाना, जब वे अपने 90वें जन्मदिन की तैयारियों में थे, सभी के लिए एक बड़ा सदमा था।

धर्मेंद्र की स्वास्थ्य स्थिति

धर्मेंद्र की स्वास्थ्य स्थिति पिछले कुछ समय से नाजुक थी। उन्हें कुछ हफ्ते पहले अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन बाद में उन्हें घर पर इलाज जारी रखने के लिए डिस्चार्ज कर दिया गया। उनके परिवार को उम्मीद थी कि वह जल्द ही ठीक हो जाएंगे, लेकिन नियति ने कुछ और ही तय किया था।

उनके निधन के बाद, देओल परिवार ने एक सरल और निजी विदाई देने का निर्णय लिया। सनी और बॉबी देओल ने अपने पिता को अंतिम विदाई देने के लिए केवल करीबी परिवार के सदस्यों और कुछ चुनिंदा दोस्तों को आमंत्रित किया। यह एक भावनात्मक और शांतिपूर्ण अंतिम विदाई थी, जिसमें किसी भी प्रकार की भव्यता या औपचारिकता से परहेज किया गया।

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राजकीय सम्मान का सवाल

धर्मेंद्र केवल एक सुपरस्टार नहीं थे, बल्कि उन्होंने भारतीय राजनीति में भी सक्रिय भूमिका निभाई थी। वह 15वीं लोकसभा के सदस्य रहे और भारतीय जनता पार्टी से जुड़े थे। उन्हें उनके योगदान के लिए पद्म भूषण जैसे उच्च नागरिक सम्मान से भी नवाजा गया था। ऐसे में उनके अंतिम संस्कार में राजकीय सम्मान की उम्मीदें काफी थीं।

राजकीय सम्मान एक विशेष सम्मान होता है, जो उन व्यक्तियों को दिया जाता है जिन्होंने समाज में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस तरह के अंतिम संस्कार में आमतौर पर भव्य समारोह, राष्ट्रीय ध्वज, और गन सैल्यूट शामिल होते हैं। लेकिन देओल परिवार ने इस बार एक अलग रास्ता चुना।

क्यों नहीं किया गया राजकीय सम्मान?

देओल परिवार ने राजकीय सम्मान से दूर रहने का निर्णय क्यों लिया? इस सवाल के कई संभावित उत्तर हो सकते हैं। परिवार ने यह तय किया कि वे अपने प्रियजन को एक सरल और अंतरंग विदाई देना चाहते हैं, जो उनके जीवन के मूल्यों और उनके व्यक्तित्व के अनुरूप हो।

इस निर्णय के पीछे एक और महत्वपूर्ण कारण हो सकता है। राजकीय सम्मान के साथ आने वाली औपचारिकताएँ और नियम काफी सख्त होते हैं। इसमें विभिन्न सरकारी अधिकारियों की भागीदारी और मीडिया कवरेज शामिल होती है, जो परिवार की व्यक्तिगत और भावनात्मक क्षणों को प्रभावित कर सकती है।

परिवार ने अपनी भावनाओं को प्राथमिकता दी और एक ऐसा माहौल बनाने का प्रयास किया जहां वे अपने पिता को भावनात्मक रूप से अलविदा कह सकें।

धर्मेंद्र की विरासत

धर्मेंद्र ने अपने जीवन में न केवल फिल्मों में बल्कि समाज में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने कई यादगार फिल्में कीं और अपने अभिनय से लाखों लोगों के दिलों में जगह बनाई। उनकी विनम्रता, गर्मजोशी और सरलता ने उन्हें एक अद्वितीय व्यक्तित्व बनाया।

उनकी फिल्मों ने कई पीढ़ियों को प्रभावित किया है और उनके प्रशंसक हमेशा उन्हें याद करेंगे। धर्मेंद्र की विरासत उनके कार्यों और उनके द्वारा छोड़ी गई यादों में जीवित रहेगी।

परिवार की भावनाएँ

धर्मेंद्र के निधन के बाद, देओल परिवार ने एकजुटता दिखाई। सनी और बॉबी ने अपने पिता के प्रति गहरी श्रद्धांजलि अर्पित की और इस कठिन समय में एक-दूसरे का सहारा बने। परिवार ने अपने निजी क्षणों को साझा किया और यह सुनिश्चित किया कि धर्मेंद्र की यादें हमेशा उनके साथ रहेंगी।

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अंतिम विदाई

धर्मेंद्र की अंतिम विदाई एक साधारण लेकिन भावनात्मक क्षण था। परिवार ने उन्हें एक शांतिपूर्ण और गरिमामय विदाई देने का निर्णय लिया। यह विदाई उनके जीवन के मूल्यों और उनकी व्यक्तिगत पसंदों के अनुरूप थी।

धर्मेंद्र का निधन भारतीय सिनेमा के एक युग का अंत है। लेकिन उनके योगदान और उनकी यादें हमेशा जीवित रहेंगी। उनके प्रशंसक, परिवार और फिल्म उद्योग उन्हें हमेशा याद करेंगे।

निष्कर्ष

धर्मेंद्र का निधन एक गहरा शोक है, लेकिन उनके द्वारा छोड़ी गई विरासत और यादें हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेंगी। देओल परिवार ने राजकीय सम्मान से दूर रहकर एक सरल और अंतरंग विदाई का चुनाव किया, जो उनके जीवन के मूल्यों को दर्शाता है।

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि प्रेम और सम्मान का कोई आकार या औपचारिकता नहीं होती। कभी-कभी, सबसे सरल विदाई भी सबसे गहरी भावनाओं को व्यक्त कर सकती है। धर्मेंद्र हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेंगे, और उनकी यादें हमारे साथ रहेंगी।