पति को मजदूरी करते देख पत्नी ने घर आकर अलमारी खोली, सामने था रुला देने वाला सच!
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सीमा और राजीव की कहानी: विश्वास, त्याग और प्रेम की अनसुनी दास्तान
दिल्ली की तपती दोपहर थी। शहर की चौड़ी सड़कों पर गर्मी का कहर था, लेकिन सीमा मल्होत्रा अपनी एयर कंडीशन लग्जरी कार में बैठी थी, बाहर की दुनिया से बेखबर। उसके जीवन में सब कुछ था—धन, आराम, प्रतिष्ठा और एक प्यारा सा परिवार। वह शहर के सबसे महंगे शोरूम से खरीदारी करके लौट रही थी, मन में संतुष्टि और चेहरे पर मुस्कान थी। लेकिन उस दिन उसकी जिंदगी में एक ऐसा मोड़ आया, जिसने उसके रिश्ते, विश्वास और प्रेम की परिभाषा ही बदल दी।
पहला दृश्य: सड़क किनारे एक मजदूर
सीमा की कार एक कंस्ट्रक्शन साइट के पास से गुजर रही थी। उसने देखा कि कई मजदूर धूल और पसीने से लथपथ सीमेंट की बोरियां उठा रहे थे। उनकी थकी हुई आंखें और झुकी कमर सीमा की आरामदायक दुनिया से बहुत दूर थीं। अचानक उसकी नजर एक मजदूर पर टिक गई। उसका चेहरा धूल और पसीने से सना था, लेकिन उसमें कुछ जाना-पहचाना था। सीमा का दिल जोर से धड़कने लगा। उसने ड्राइवर से गाड़ी रोकने को कहा।
गाड़ी रुकते ही सीमा ने देखा—वह मजदूर कोई और नहीं, बल्कि उसका पति राजीव था। वही राजीव, जो एक मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर था, साफ-सुथरे कपड़े, चमकते जूते और लेदर के ब्रीफकेस के साथ ऑफिस जाता था। सीमा को यकीन नहीं हुआ कि उसका राजीव मजदूरी कर रहा है। उसकी आंखों में एक गहरी थकान थी, जो सीमा ने पहले कभी नहीं देखी थी।
पिछली यादें और सवालों का तूफान
सीमा की आंखों के सामने कॉलेज के दिनों की यादें घूमने लगीं। वह राजीव से पहली बार मिली थी, तब राजीव एक साधारण परिवार से था, लेकिन उसकी आंखों में बड़े सपने थे। सीमा एक उद्योगपति की इकलौती बेटी थी। दोनों की दुनिया अलग थी, लेकिन प्यार ने फासलों को मिटा दिया था। सीमा ने अपने पिता के विरोध के बावजूद राजीव से शादी कर ली थी। राजीव ने मेहनत की, तरक्की की, और सीमा को कभी किसी चीज की कमी नहीं होने दी।

लेकिन आज, सड़क के उस पार का नजारा उसके पिता के शब्दों को सच साबित कर रहा था। सीमा के मन में हजारों सवाल उठने लगे—क्या राजीव की नौकरी चली गई है? क्या वह उससे कुछ छुपा रहा है? क्या उसका प्यार और विश्वास इतना कमजोर था कि मुश्किल वक्त में राजीव उससे बात नहीं कर सकता?
राजीव की दोहरी ज़िंदगी का रहस्य
सीमा का दिल बेचैन था। वह घर लौटी, लेकिन मन में सवालों का बवंडर था। शाम को राजीव घर आया, हमेशा की तरह मुस्कुराता हुआ। सीमा ने उसके चेहरे को गौर से देखा, लेकिन वहां कोई थकान या दुख का निशान नहीं था। राजीव ने सीमा को गजरा दिया, प्यार से बात की, लेकिन सीमा रातभर सो नहीं पाई। उसे लग रहा था कि कुछ तो छुपा हुआ है।
अगली सुबह, सीमा ने राजीव की जासूसी करने का फैसला किया। उसने साधारण कपड़े पहने, ड्राइवर से राजीव की कार का पीछा करने को कहा। राजीव अपने ऑफिस गया, कॉर्पोरेट टावर्स में दाखिल हुआ। सीमा को थोड़ी राहत मिली, लेकिन उसका मन फिर भी शांत नहीं था।
सच्चाई की खोज: मजदूरों के बीच
घर लौटते वक्त सीमा फिर उसी कंस्ट्रक्शन साइट पर गई। उसने वहां के सुपरवाइजर से बात की। उसने राजीव का हुलिया बताया, तो सुपरवाइजर ने बताया कि राजीव पिछले कुछ हफ्तों से दोपहर में मजदूरी करता है, बहुत मेहनती है, किसी से ज्यादा बात नहीं करता। सीमा के पैरों तले जमीन खिसक गई—राजीव सचमुच मजदूरी कर रहा था।
अब सवाल था—एक मैनेजर मजदूरी क्यों करेगा? सीमा डर और चिंता से भर गई। वह घर लौटी, राजीव की अलमारी में एक पुराना लोहे का बक्सा देखा। उसमें मेडिकल फाइलें थीं—बच्चे के लिए डॉक्टरों की रिपोर्ट्स। नीचे एक डायरी का पन्ना था, जिसमें राजीव ने देवी मां से मन्नत मांगी थी कि वह 41 दिन तक अपनी मेहनत की कमाई से जागरण करवाएगा, ताकि उनका घर खुशियों से भर जाए।
त्याग और प्रेम की गहराई
सीमा को सच्चाई पता चली—राजीव मजदूरी इसलिए कर रहा था ताकि उसकी मेहनत की कमाई से देवी मां को जागरण करवाए और उनकी गोद भर जाए। उसने यह सब सीमा से छुपाया क्योंकि वह नहीं चाहता था कि सीमा उसके लिए दुख या दया महसूस करे। सीमा के आंसू बह निकले, लेकिन ये आंसू सम्मान और प्रेम के थे।
अब सीमा ने तय किया कि वह राजीव की मन्नत में उसका साथ देगी, बिना उसका त्याग तोड़े। उसने घर में पौष्टिक खाना बनाना शुरू किया, राजीव के लिए खास लड्डू, गर्म पानी, तेल की मालिश—सब कुछ ताकि राजीव की मेहनत में कोई कमी ना रहे। वह उसकी खामोश शक्ति बन गई।
मन्नत का पूरा होना और जागरण की रात
41 दिन बाद, राजीव ने अपनी मेहनत की कमाई की पोटली लेकर घर आया। लेकिन घर में पहले से ही जागरण की तैयारी थी—गेंदे के फूल, आम के पत्ते, भजन, आरती। सीमा ने राजीव की कमाई देवी मां के चरणों में रखी। राजीव को समझ आ गया कि सीमा सब जानती है, लेकिन उसने उसका त्याग और आस्था का सम्मान किया।
दोनों की आंखों में आंसू थे, लेकिन यह आंसू खुशी, गर्व और प्रेम के थे। उनके रिश्ते में अब सिर्फ प्यार नहीं, बल्कि आस्था और विश्वास भी जुड़ गया था।
एक नई शुरुआत
उस रात, जागरण के भजनों और घंटियों के बीच उनका घर उम्मीद, विश्वास और प्रेम से भर गया। सीमा और राजीव ने समझा कि रिश्ते में राज हमेशा धोखा नहीं होते—कभी-कभी वे त्याग और सम्मान का सबसे बड़ा रूप भी हो सकते हैं। उनका प्यार अब और भी गहरा हो गया था।
निष्कर्ष: रिश्तों की असली ताकत
सीमा और राजीव की कहानी बताती है कि प्यार सिर्फ सुख-दुख में साथ होना नहीं, बल्कि एक-दूसरे की आस्था, सपनों और संघर्ष का सम्मान करना भी है। कभी-कभी रिश्तों में छुपे हुए राज त्याग और प्रेम की गहराई को दर्शाते हैं। विश्वास, समझ और साथ—यही हर रिश्ते की असली ताकत है।
अगर इस कहानी ने आपके दिल को छुआ हो, तो सोचिए—क्या कभी आपके रिश्तों में भी ऐसा कोई राज रहा है, जो त्याग और प्रेम की मिसाल बना हो? अपनी राय जरूर बताएं।
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