पत्नी से परेशान होकर फौजी पति ने पत्नी के साथ कर दिया कारनामा/पुलिस के होश उड़ गए/

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राजस्थान के जोधपुर से एक झकझोर देने वाली सच्ची घटना: फौजी पति, पत्नी और धोखे की कहानी

प्रस्तावना

भारत के गांवों में रिश्तों की नींव जितनी मजबूत मानी जाती है, उतनी ही आसानी से वे दरक भी जाती हैं। खासकर जब बात विश्वास, अकेलापन और सामाजिक दबावों की हो। आज हम आपको राजस्थान के जोधपुर जिले के प्लासनी गांव की एक ऐसी सच्ची घटना सुनाने जा रहे हैं, जिसने न सिर्फ पुलिस बल्कि पूरे इलाके को हिला कर रख दिया। यह कहानी है एक फौजी गुलाब सिंह, उसकी खूबसूरत पत्नी शिवानी, एक मासूम बेटा गुलशन, एक नौजवान किराएदार राहुल, और एक खेतिहर नौकर नीरज की। यह कहानी है प्यार, धोखे, वासना, गुस्से, अपराध और इंसान के भीतर छुपे राक्षस की।

कहानी की शुरुआत: फौजी गुलाब सिंह का संघर्ष

प्लासनी गांव में जन्मा गुलाब सिंह एक मेहनती और ईमानदार फौजी था। उसके पिता ने वर्षों पहले उसे घर से अलग कर दिया था और अपनी हिस्से की जमीन भी दे दी थी। अपनी फौजी नौकरी के साथ-साथ गुलाब ने चार एकड़ जमीन को सींचा, दो एकड़ और खरीद ली, और कुल छह एकड़ की खेती का मालिक बन गया। उसने अपने खून-पसीने से एक सुंदर घर बनाया, दो दुकानें बनवाईं, और अपने बेटे गुलशन तथा पत्नी शिवानी के लिए एक अच्छा जीवन देने की कोशिश की।

गुलाब सिंह की पत्नी शिवानी बेहद खूबसूरत थी, लेकिन वह गुलाब के रंग-रूप और उसकी लंबे समय तक घर से बाहर रहने की आदत से खुश नहीं थी। फौज में होने के कारण गुलाब साल में कुछ ही बार घर आता था, जिससे शिवानी का अकेलापन बढ़ता गया। उनका इकलौता बेटा गुलशन दस साल का था, जो स्कूल जाता था और ज्यादातर वक्त घर से बाहर रहता था।

पत्नी से परेशान होकर फौजी पति ने पत्नी के साथ कर दिया कारनामा/पुलिस के होश उड़ गए/

दिवाली की छुट्टी और परिवार का मिलन

अक्टूबर 2025 की दिवाली पर गुलाब सिंह को छुट्टी मिली। वह घर आया, पत्नी-बेटे के लिए शॉपिंग की, उनके साथ त्यौहार मनाया, लेकिन शिवानी का दिल फिर भी खाली-खाली रहा। गुलाब ने अपनी दुकानों पर ताले लगाने का फैसला किया, लेकिन तभी गांव के एक हैंडसम नौजवान राहुल ने एक दुकान किराए पर लेने की इच्छा जताई। गुलाब ने राहुल को दुकान दे दी, और यहीं से कहानी ने एक नया मोड़ लिया।

राहुल की दुकान घर के पास थी। शिवानी की नजरें राहुल पर टिकने लगीं। वह अकेलेपन, आकर्षण और नीरस जीवन से परेशान थी। धीरे-धीरे राहुल और शिवानी के बीच नज़दीकियां बढ़ने लगीं। गुलाब सिंह को फौज में लौटना था, उसने अपना सामान पैक करवाया और चला गया। शिवानी अब पूरी तरह आज़ाद थी।

राहुल और शिवानी का अवैध संबंध

राहुल रोज़ दुकान के बहाने शिवानी के घर आने लगा। कभी पानी, कभी कोई सामान, कभी बिजली ठीक करने के नाम पर। शिवानी भी उसके प्रति आकर्षित होने लगी थी। एक दिन दोनों अकेले थे, बेटा स्कूल में था, पति दूर। राहुल ने सब्जियां घर पर देने का बहाना बनाया और घर में घुस गया। वहां दोनों ने अपनी सीमाएं पार कर दीं और शारीरिक संबंध बना लिए।

यह सिलसिला रुकने वाला नहीं था। रात को भी शिवानी दुकान पर जाती, इशारा करती और राहुल घर आ जाता। बेटा गुलशन को कुछ दिनों तक कुछ समझ नहीं आया, लेकिन एक रात उसने अपनी मां को दूसरे कमरे में राहुल के साथ देख लिया। गुलशन ने किसी से कुछ नहीं कहा, लेकिन अगले दिन अपने पिता को फोन कर सब कुछ बता दिया।

फौजी का शक, किराएदार का निकाला जाना

गुलाब सिंह छुट्टी लेकर घर आया। उसने पत्नी से पूछा, तो शिवानी ने राहुल को भाई जैसा बताया और सब बातों को झुठला दिया। गुलाब ने राहुल को दुकान खाली करने को कहा। राहुल चला गया, लेकिन शिवानी का मन अब भी भटका हुआ था। जल्द ही गुलाब ने खेत के काम के लिए एक नया नौकर नीरज रखा—जो जवान, मेहनती और आकर्षक था।

नौकर नीरज के साथ अवैध संबंध

गुलाब सिंह और नीरज मिलकर खेत में गेहूं बोने लगे। नीरज गुलाब का विश्वासपात्र बन गया। एक दिन जब गुलाब खेत में था, नीरज घर आया। शिवानी ने उसे अंदर बुलाया, अपने कमरे में ले गई और पैसे का लालच देकर उसके साथ संबंध बना लिए। अब शिवानी और नीरज के बीच भी अवैध संबंध शुरू हो गए। शिवानी ने नीरज को बार-बार पैसे दिए और दोनों का रिश्ता गहरा होता गया।

फौजी की वापसी और हत्या की साजिश

कुछ दिनों बाद, फौजी के चाचा सुंदर सिंह ने पैसे मांगे। गुलाब सिंह घर लौटा, लेकिन मुख्य दरवाजा अंदर से बंद था। कई बार दस्तक देने के बाद जब दरवाजा खुला, तो गुलाब ने देखा कि नीरज घर में था। गुलाब को शक हुआ, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा। उसने पैसे दिए और चाचा को विदा किया। गुलाब अब समझ चुका था कि उसकी पत्नी उसे धोखा दे रही है।

गुलाब ने नीरज को रात में खेत में पानी देने के लिए बुलाया। नीरज खुश था, उसे विश्वास था कि मालिक उस पर भरोसा करता है। लेकिन गुलाब के दिल में अब आग थी।

रात का कांड: हत्या और क्रूरता

रात के 9:30 बजे, नीरज घर आया। गुलाब ने दरवाजा बंद किया, पहले से रखी कुल्हाड़ी निकाली और नीरज की गर्दन काट दी। इसके बाद गुलाब अपनी पत्नी के कमरे में गया, उसे घसीटते हुए बाहर लाया और सुई-धागे से उसके संवेदनशील अंगों की सिलाई कर दी। शिवानी चीखती रही, पड़ोसी इकट्ठा हो गए, लेकिन गुलाब का गुस्सा यहीं नहीं रुका। उसने कुल्हाड़ी से पत्नी के टुकड़े-टुकड़े कर दिए। उसका बेटा गुलशन यह सब देख रहा था।

पुलिस के होश उड़ गए

गुलाब सिंह ने खुद को पुलिस के हवाले कर दिया। उसने पूरी कहानी बताई। पुलिस भी सुनकर सन्न रह गई। गांव में हड़कंप मच गया। मीडिया, पड़ोसी, रिश्तेदार—सब हैरान थे कि एक फौजी, जो देश के लिए जान देने को तैयार था, अपनी पत्नी और नौकर के साथ इतना भयानक कांड कर सकता है।

सामाजिक और मनोवैज्ञानिक विश्लेषण

यह कहानी सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि भारतीय ग्रामीण समाज की कई सच्चाइयों को उजागर करती है। फौजियों की पत्नियां अक्सर अकेली रह जाती हैं, पति की गैरमौजूदगी में उनका अकेलापन और असुरक्षा बढ़ जाती है। समाज में सुंदरता, रंग-रूप, आर्थिक स्थिति और वासना के बीच झूलती औरतें और मर्द, दोनों अपने-अपने तरीके से गलतियां करते हैं। लेकिन जब धोखा, गुस्सा और अपमान हद से गुजर जाता है, तो इंसान हैवान बन जाता है।

गुलाब सिंह की पत्नी ने धोखा दिया, लेकिन गुलाब ने कानून अपने हाथ में लेकर जो किया, वह भी अपराध था। बेटे गुलशन पर इसका क्या असर पड़ा, इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है।

कानूनी सवाल और समाज का नजरिया

पुलिस ने गुलाब सिंह को गिरफ्तार कर लिया, उसके खिलाफ हत्या, साजिश और क्रूरता की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया। अदालत में यह सवाल उठा कि गुलाब सिंह का गुनाह बड़ा है या उसकी पत्नी और नौकर का? क्या धोखा देने पर इतनी भयानक सजा दी जा सकती है? क्या कानून हाथ में लेना सही है? क्या समाज और परिवार में संवाद की कमी, अकेलापन, औरत की इच्छाओं की अनदेखी, पुरुष का अहंकार—ये सब मिलकर ऐसे अपराधों को जन्म नहीं देते?

समाप्ति: एक सबक

यह कहानी हमें कई सवालों के जवाब देती है, लेकिन साथ ही कई नए सवाल भी खड़े कर देती है। क्या पति-पत्नी के रिश्ते में संवाद और विश्वास की कमी इतनी खतरनाक हो सकती है? क्या अकेलापन और असंतोष इंसान को अपराधी बना देता है? क्या कानून हाथ में लेना कभी जायज हो सकता है?

गुलाब सिंह की कहानी एक चेतावनी है—रिश्तों को समय दें, संवाद करें, अकेलेपन और असंतोष को पहचानें, और किसी भी हाल में कानून अपने हाथ में न लें। वरना एक छोटी सी चिंगारी पूरा घर, पूरा जीवन और पूरे समाज को जला सकती है।

अगर आपको यह कहानी सोचने पर मजबूर करती है, तो अपने विचार जरूर साझा करें। क्या गुलाब सिंह का कृत्य सही था या गलत? क्या शिवानी की गलती बड़ी थी या गुलाब की? क्या समाज में ऐसे मामलों को रोकने के लिए हमें कुछ बदलना चाहिए?

जय हिंद!