पार्टी में पति से सैंडल साफ़ करवाई फिर..| स्वाभिमानी पति का बदला..

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पार्टी में पति से सैंडल साफ करवाई फिर.. स्वाभिमानी पति का बदला

सुबह के 8:00 बजे थे, रॉय मेंशन के डाइनिंग हॉल में सन्नाटा था। यह सन्नाटा तब टूटा जब ईशा की तेज आवाज गूंजी। ईशा रॉय, जो शहर की सबसे बड़ी बिजनेस वूमन थी, गुस्से में सीढ़ियों से उतर रही थी। “कबीर, तुम्हें 10 बार आवाज लगानी पड़ेगी क्या? मेरी ब्लैक कॉफी कहां है?” ईशा ने चिल्लाते हुए कहा।

किचन से कबीर हाथ में कॉफी का मग लेकर जल्दी से बाहर आया। “सॉरी ईशा, वो कॉफी मशीन में कुछ प्रॉब्लम थी।” कबीर ने सफाई देने की कोशिश की। लेकिन ईशा ने उसकी बात को अनसुना करते हुए गर्म कॉफी का मग कबीर के हाथ से झटका और जानबूझकर उसे जमीन पर गिरा दिया। गर्म कॉफी के छींटे कबीर के जूतों पर गिरे, लेकिन ईशा को कोई फर्क नहीं पड़ा।

“बहाने मत बनाओ। तुम जैसे घर जमाई को और काम ही क्या है? मेरे पिता ने तुम्हें सड़क से उठाकर मेरा पति बना दिया तो इसका मतलब यह नहीं कि तुम मेरे बराबरी के हो गए। तुम्हारी औकात आज भी मेरे घर के नौकरों जैसी है जो मेरे टुकड़ों पर पलते हैं।” कबीर ने सिर झुका लिया। “ईशा, मैं तुम्हारा पति हूं। कम से कम थोड़ी इज्जत तो करो।”

“शट अप!” ईशा ने उसकी बात काट दी। “पति तुम मेरे लिए सिर्फ कागजों पर हो। हकीकत में तुम मेरे लिए एक गलती हो। एक बोझ हो। जिस दिन मुझे एंपायर ग्रुप के साथ वह बड़ी डील मिल गई, उस दिन मैं डैड की नहीं सुनूंगी। और तुम्हें धक्के मारकर इस घर से निकाल दूंगी। मुझे तलाक चाहिए तुमसे।”

मिस्टर रॉय, जो व्हीलचेयर पर वहां आए थे, यह सब सुनकर दुखी हो गए। “ईशा, यह कैसा व्यवहार है? कबीर तुम्हारा पति है। उसने इस घर के लिए मेरे लिए क्या नहीं किया?”

“डैड, प्लीज!” ईशा ने नफरत से कबीर को देखा। “आप इस भिखारी की तरफदारी मत कीजिए। आज मेरी लाइफ का सबसे बड़ा दिन है। मेरा मूड खराब मत कीजिए।” कबीर ने मिस्टर रॉय को इशारों में शांत रहने को कहा और ईशा के लिए नाश्ता परोसने लगा, जैसे कोई वेटर हो।

पार्टी का माहौल

शाम को रॉय मेंशन में एक ग्रैंड पार्टी थी। शहर के सभी बड़े अमीर लोग वहां मौजूद थे। ईशा आज बेहद खूबसूरत लग रही थी। उसके साथ विक्रम खड़ा था, जो हमेशा कबीर को नीचा दिखाने का मौका ढूंढता था। कबीर ने एक साधारण सा पुराना सूट पहना था, जो शायद शादी के समय मिस्टर रॉय ने उसे दिया था। वह मेहमानों के बीच जूस के गिलास लेकर घूम रहा था क्योंकि ईशा ने उसे यही काम दिया था।

विक्रम ने जोर से हंसते हुए सबका ध्यान खींचा। “लेडीज एंड जेंटलमैन, मिलिए मिस्टर कबीर से। ईशा के भाग्यशाली पति। वैसे काम तो यह वेटर का कर रहे हैं लेकिन किस्मत राजाओं वाली है। मुफ्त की रोटियां तोड़ना कोई इनसे सीखे।” पूरी पार्टी में लोग हंसने लगे। ईशा को शर्म महसूस हुई कि कबीर उसका पति है। उसने अपना गुस्सा कबीर पर निकालने की सोची।

अपमान का पल

ईशा ने अपनी सैंडल की तरफ इशारा किया। “देखो, मेरे सैंडल पर किसी ने ड्रिंक गिरा दी है। इसे साफ करो।” कबीर ने गहरी सांस ली। “ईशा, मैं तुम्हारा पति हूं। कम से कम थोड़ी इज्जत तो करो।”

“क्या हुआ, डैड?” ईशा ने अपने पिता को देखा। “आप इस भिखारी की तरफदारी मत कीजिए।” कबीर ने एक गहरी सांस ली। “मैंने यह शादी एक मजबूरी में और तुम्हारे पिता की इज्जत रखने के लिए निभाई थी। मैंने सोचा था कि वक्त के साथ तुम मुझे पति मान लोगी लेकिन आज तुमने साबित कर दिया कि तुम्हारे पास पैसा तो बहुत है लेकिन एक औरत की गरिमा नहीं है।”

ईशा ने कबीर के चेहरे पर गुस्से का इजहार देखा। “तुम्हारी औकात कपड़ों से नहीं होती।” कबीर ने कहा। “तुमने कहा था ना कि तुम्हें तलाक चाहिए। मुबारक हो ईशा रॉय। आज से तुम आजाद हो।”

कबीर का बदला

कबीर ने पुराना कोट उतारकर फेंक दिया। “तुमने कहा था ना कि तुम मुझे घर से निकाल दोगी। अब तुम आजाद हो।” कबीर ने तेज कदमों से पार्टी से बाहर निकल गया। ईशा पीछे से चिल्लाती रही। “दफा हो जाओ। दोबारा अपनी मनहूस शक्ल मत दिखाना।”

कबीर मैनशन के गेट से बाहर आया। बाहर मूसलधार बारिश हो रही थी। जैसे ही वह सड़क पर आया, एक चमकती हुई ब्लैक रोल्स रॉयस और तीन काली एसयूवी उसके सामने आकर रुकी। चार बॉडीगार्ड्स छाता लेकर दौड़े और कबीर के सिर पर तान दिया। ड्राइवर ने झुककर पीछे का दरवाजा खोला। “गुड इवनिंग सर। क्या हम हेड ऑफिस चलें?”

कबीर ने गाड़ी में बैठते हुए अपना फोन निकाला और एक नंबर डायल किया। उसकी आंखों में अब वो नमी नहीं थी बल्कि एक आग थी। “हैलो, मैं कबीर सिंघानिया बोल रहा हूं। सीईओ ऑफ एंपायर ग्रुप। रॉ इंडस्ट्रीज के साथ कल होने वाली डील कैंसिल कर दो। और हां, मार्केट में खबर फैला दो कि रॉय इंडस्ट्रीज डूबने वाली है।”

ईशा का पछतावा

फोन रखकर कबीर ने पीछे मुड़कर रॉय मेंशन को देखा। “खेल अब शुरू हुआ है मिसेज वाइफ।” रॉय मेंशन में कबीर के जाने के बाद भी पार्टी चल रही थी। लेकिन अब वहां का माहौल पहले जैसा नहीं था। ईशा अभी भी गुस्से में अपनी वाइन पी रही थी। “उस दो कौड़ी के नौकर की इतनी हिम्मत? उसने मेरा मूड खराब कर दिया।”

ईशा बड़बड़ाई। विक्रम हंसते हुए उसके पास आया। “छोड़ो ना ईशा, कचरा घर से बाहर गया। अच्छा ही हुआ। अब हम सेलिब्रेट करते हैं। एंपायर ग्रुप के साथ डील पक्की होते ही हमारी कंपनी की वैल्यू 10 गुना बढ़ जाएगी।”

संकट का सामना

ईशा और विक्रम की बातें चल ही रही थीं कि अचानक खन्ना, ईशा का पर्सनल सेक्रेटरी, बदहवास होकर दौड़ते हुए वहां आया। “मैम, बहुत बड़ी गड़बड़ हो गई है।” “क्या हुआ?” ईशा ने घबरा कर पूछा। “एंपायर ग्रुप ने हमारी डील कैंसिल कर दी है।” खन्ना ने बताया।

ईशा के हाथ से वाइन का ग्लास छूट कर गिर गया। “क्या तुम पागल हो गए हो? अभी सुबह ही तो सब फाइनल हुआ था।” “सिर्फ डील कैंसिल नहीं हुई मैम। उन्होंने हमारी कंपनी के खिलाफ फ्रॉड का केस भी फाइल कर दिया है। मार्केट में खबर फैल गई है और हमारे इन्वेस्टर्स अपने पैसे वापस मांग रहे हैं।”

कबीर का प्रतिशोध

ईशा को लगा जैसे उसके पैरों तले जमीन खिसक गई हो। वह समझ नहीं पा रही थी कि यह सब अचानक कैसे हो रहा है। तभी विक्रम का फोन भी बजने लगा। उसने फोन उठाया और उसका चेहरा सफेद पड़ गया। “क्या मेरी फैक्ट्री पर रेड? लेकिन क्यों? कौन करवा रहा है यह सब?”

विक्रम चिल्लाता रहा लेकिन अब ईशा को समझ आ गया था कि कबीर ने अपने तरीके से बदला लिया था। कबीर ने उसे उसकी औकात याद दिला दी थी।

नई शुरुआत

अगली सुबह ठीक 6:00 बजे ईशा कबीर के आलीशान बंगले के गेट पर खड़ी थी। उसने बिना झिझक के दरवाजा खटखटाया। कबीर ने दरवाजा खोला और ईशा को देखकर मुस्कुराया। “तुमने समय पर आकर अच्छा किया। अब तुम्हें अपनी जगह खुद बनानी होगी।”

ईशा ने दृढ़ता से कहा, “मैं तैयार हूं। मैं अपने घमंड को छोड़कर मेहनत करूंगी।” कबीर ने उसे प्रोत्साहित किया। “तब चलो, आज से तुम्हारी नई शुरुआत होती है।”

अंत में

इस कहानी ने हमें यह सिखाया कि घमंड और अहंकार कभी भी इंसान को सही रास्ते पर नहीं ले जाते। असली ताकत उसी में है जब हम दूसरों की इज्जत करें और मेहनत करें। कबीर ने ईशा को उसकी औकात याद दिलाकर उसे एक नई राह दिखाई।

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