पुलिस ने माँ को मारा फिर आया फौजी बेटा आर्मी से छुट्टी लेकर पूरा थाना हिला दिया
गाजियाबाद के छोटे से मोहल्ले में एक साधारण सी महिला, सुशीला देवी, अपने बेटे अवान के साथ रहती थीं। सुशीला देवी एक रिटायर्ड टीचर थीं और अपने बेटे से बेइंतहा प्यार करती थीं। अवान, जो आर्मी ऑफिसर था, अपनी मां को बहुत मानता था और हर महीने उनसे मिलने जरूर जाता था। लेकिन अवान की मां को इस बात का पता नहीं था कि उनका बेटा असल में किस काम में लगा हुआ है। अवान ने अपनी मां को कभी अपनी असली ताकत और जिम्मेदारियों के बारे में नहीं बताया था। वह नहीं चाहते थे कि उनकी मां को किसी भी प्रकार की चिंता हो।
एक दिन, अवान अपने ऑफिस में बैठा था, जब उसे अचानक एक वीडियो मिला। वीडियो में उसकी मां गाजियाबाद के एक थाने में दिखाई दे रही थीं। वह परेशान और रोती हुई लग रही थीं। अवान का दिल धड़कने लगा। उसने वीडियो को ध्यान से देखा और पाया कि एक मोटा थानेदार, राघव सिंह, उसकी मां को परेशान कर रहा था। राघव सिंह उसकी मां से बुरी तरह बात कर रहा था और उसे अपमानित कर रहा था। अवान का खून खौल उठा। उसने तुरंत अपनी मां को फोन किया, लेकिन फोन बंद आया।
गुस्से में, अवान ने अपनी सबसे भरोसेमंद साथी मेजर तान्या शर्मा को फोन किया। उसने तान्या को गाजियाबाद के सराय इंद्र थाने की पूरी जानकारी जुटाने का आदेश दिया। तान्या ने कहा, “सर, 15 मिनट में सब कुछ पता कर दूंगी।” अवान ने अपनी वर्दी पहन ली और गाजियाबाद की ओर रवाना हो गया। वह जानता था कि अब जो होने वाला था, वह इस थाने की हिस्ट्री में हमेशा के लिए दर्ज हो जाएगा।
गाजियाबाद पहुंचने के बाद, अवान ने अपनी खुफिया टीम से थाने की पूरी जानकारी और सुरक्षा की डिटेल्स मांगी। तान्या ने बताया, “सर, थाने में अभी आठ लोग हैं। राघव सिंह और मुखिया राजेश यादव दोनों मौजूद हैं। आपकी मां को एक कोठरी में बंद किया गया है, जो बिल्कुल गैरकानूनी है।” अवान ने मन में ठान लिया कि वह अपनी मां की सुरक्षा पहले सुनिश्चित करेगा और फिर उन लोगों को सबक सिखाएगा।

तब उन्होंने अपनी पूरी टीम को निर्देश दिया कि ऑपरेशन के दौरान किसी को भी शारीरिक नुकसान नहीं पहुंचाना है, लेकिन मानसिक असर इतना गहरा होना चाहिए कि यह लोग जिंदगी भर याद रखें। शाम को, अवान ने अपना प्लान पूरा तैयार किया। उन्होंने चुपके से कुछ पत्रकारों को भी संपर्क किया और उन्हें बताया कि आज सराय इंद्र थाने पर कुछ बड़ा होने वाला है।
रात के 11:00 बजे, अवान साधारण कपड़े पहनकर थाने के अंदर गए। उनके साथ दो और ऑफिसर्स भी थे। थाने के अंदर का माहौल बहुत गंदा था। कई सिपाही शराब पी रहे थे और कुछ जुआ भी खेल रहे थे। अवान ने ड्यूटी ऑफिसर से मिलने की बात कही। “मैं अपनी मां सुशीला देवी से मिलना चाहता हूं। सुना है उन्हें यहां रखा गया है,” उन्होंने कहा।
ड्यूटी सिपाही ने उन्हें ऊपर नीचे देखा और हंसते हुए कहा, “अरे, तू वह बुढ़िया का बेटा है क्या?” अवान ने अपना गुस्सा काबू में रखा और कहा, “हां भाई, मैं उनसे मिलना चाहता हूं।” सिपाही ने राघव सिंह को बताया और उसे बुलाया। अवान ने अपने छुपे हुए कैमरा और रिकॉर्डिंग डिवाइस को चालू कर दिया था।
जब राघव सिंह बाहर आया, तो उसके चेहरे पर घमंड और मुंह पर गंदी मुस्कुराहट थी। “अरे तो तू है वो कमीना जिसकी वजह से तेरी मां को यहां बैठाना पड़ा है,” राघव ने कहा। अवान ने अपना कंट्रोल बनाए रखा और पूछा, “सर, आपने मेरी मां को यहां क्यों रखा है? उन्होंने कोई गुनाह तो नहीं किया।” राघव सिंह हंसते हुए बोला, “गुना? तेरी मां ने कंप्लेंट की है कि पड़ोसी उसे तंग करते हैं। लेकिन जब मैंने पूछताछ की, तो पता चला कि असली दिक्कत तो तू है।”
अवान ने समझ लिया कि यह सब कुछ झूठ है और राघव सिंह सिर्फ पैसा मांगना चाहता है। “तो फिर इसका हल क्या है, सर?” अवान ने पूछा। राघव सिंह की आंखों में लालच चमकी। “बहुत आसान है। ₹500 दे दें और अपनी मां को लेकर निकल जा।” अवान ने राघव को पैसे देने की हामी भरी। “सर, पैसे तो अभी मेरे पास नहीं हैं। कल बैंक से निकाल कर ले आऊंगा,” अवान ने कहा।
राघव को लगा कि उसका फंदा काम कर गया है। “ठीक है, लेकिन कल शाम तक पैसे लेकर आना, नहीं तो तेरी मां को जेल भिजवा दूंगा,” राघव ने धमकी दी। अवान ने अपनी मां से मिलने की परमिशन मांगी। राघव ने उन्हें कोठरी में ले जाकर दिखाया, जहां उनकी मां बैठी थी। अवान का दिल देखकर फट गया। उनकी मां के कपड़े गंदे हो गए थे और वह बहुत डरी हुई दिख रही थीं।
“मां, आप ठीक हैं?” अवान ने धीमी आवाज में कहा। सुशीला देवी ने अपने बेटे को देखकर राहत की सांस ली। “बेटा, मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है। पता नहीं यह लोग मुझे यहां क्यों ले आए हैं,” उन्होंने रोते हुए कहा। अवान ने अपनी मां को तसल्ली दी। “मां, आप चिंता मत कीजिए। कल तक सब ठीक हो जाएगा।” थाने से बाहर निकलने के बाद, अवान ने अपनी पूरी टीम को सिग्नल दे दिया।
“ऑपरेशन के दूसरे हिस्से को शुरू करो। पहले मेरी मां की सुरक्षा फिर असली कार्यवाही,” अवान ने निर्देश दिए। उन्होंने अपने संपर्कों का इस्तेमाल करके राघव सिंह और उसकी पूरी टीम की पूरी पड़ताल करवाई। जैसा कि उन्हें लगा था, इन सभी के ऊपर कई शिकायतें दर्ज थीं। अवान ने अपने बड़े ऑफिसर्स को भी सूचना दी। “सर, यह पुलिस की गुंडागर्दी और रिश्वतखोरी का साफ मामला है। मैं अपने संवैधानिक अधिकार का इस्तेमाल करना चाहता हूं,” अवान ने कहा।
उनके सीनियर्स ने पूरा साथ दिया। अवान ने रात भर प्लानिंग की। उन्होंने तय किया कि अगली सुबह राघव सिंह और उसकी पूरी टीम को एक ऐसा सबक मिलेगा जिसे वे जिंदगी भर नहीं भूलेंगे। अगली सुबह, अवान ने अपना मास्टर प्लान चालू किया। सबसे पहले उन्होंने यूपी के मुख्य सचिव को कॉल किया। “सर, मैं कर्नल अवान बोल रहा हूं। मुझे गाजियाबाद पुलिस की एक गंभीर गलत हरकत की शिकायत करनी है।”
मुख्य सचिव को पता था कि अवान कोई साधारण ऑफिसर नहीं है। “अवान जी, आप विस्तार से बताएं। तुरंत कार्यवाही करेंगे,” मुख्य सचिव ने यकीन दिलाया। अवान ने पूरी घटना समझाई और अपने पास मौजूद सबूतों के बारे में भी बताया। उन्होंने एक और काम किया। दिल्ली के अपने संपर्कों को भी बताया। अवान जानता था कि अब यह मामला सिर्फ स्थानीय स्तर पर नहीं रहेगा।
उन्होंने मीडिया को भी संकेत दिया था कि आज सराय इंद्र थाने पर कुछ बड़ा होने वाला है। अवान का प्लान बिल्कुल परफेक्ट था। वह चाहते थे कि यह सब कुछ जनता के सामने हो ताकि भविष्य में कोई भी भ्रष्ट ऑफिसर इस तरह का व्यवहार ना करें। दोपहर के समय, अवान अपनी पूरी फौजी वर्दी पहनकर थाने पहुंचे। उनके साथ दो और सीनियर ऑफिसर्स भी थे।
थाने के बाहर मीडिया की गाड़ियां भी पहुंच गई थीं। जैसे ही अवान थाने के अंदर गए, पूरा माहौल बदल गया। राघव सिंह को देखते ही समझ आ गया कि कुछ गड़बड़ है। “यह कौन है और यह यहां क्यों आए हैं?” राघव ने घबराकर पूछा। अवान ने अपना पहचान पत्र दिखाया, “मैं कर्नल अवान हूं और यहां आपके द्वारा की गई गैरकानूनी गिरफ्तारी और रिश्वत की शिकायत करने आया हूं।”
अवान की कड़क आवाज में गुस्सा साफ दिखाई दे रहा था। राघव सिंह का चेहरा पीला पड़ गया। उसे अब समझ आया कि उसने कितनी बड़ी गलती की है। अवान ने अपनी रिकॉर्डिंग बजाई जिसमें राघव सिंह की पूरी बातचीत थी। “यह है आपका प्रोफेशनल व्यवहार। एक बेगुनाह औरत को गैरकानूनी तरीके से बंद करना और उससे रिश्वत मांगना,” अवान ने कहा।
डीजीपी की टीम ने तुरंत राघव सिंह को गिरफ्तार कर लिया। मुखिया राजेश यादव भी समझ गया था कि अब उसका भी बुरा हाल होने वाला है। अवान ने अपनी मां को कोठरी से बाहर निकलवाया और उनसे माफी मांगी। “मां, मुझे पता नहीं था कि आपको इतनी परेशानी हो रही है। अगली बार कोई भी दिक्कत हो तो फौरन मुझे बताना,” अवान ने कहा।
सुशीला देवी अब भी शॉक में थीं। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि उनका बेटा इतना प्रभावशाली कैसे है। “बेटा, तुमने मुझे कभी नहीं बताया कि तुम इतने बड़े ऑफिसर हो,” उन्होंने कहा। अवान ने मुस्कुराते हुए कहा, “मां, मैं नहीं चाहता था कि आपको कोई परेशानी हो, लेकिन अब से आपको कोई भी तंग करे तो सीधे मुझे फोन करना।”
मीडिया ने पूरा दृश्य कवर किया था। अवान ने मीडिया को भी समझाया, “यह सिर्फ मेरी व्यक्तिगत समस्या नहीं है। यह एक व्यवस्थागत मुद्दा है जिसे हल करना जरूरी है।” अवान की इस कार्रवाई ने न केवल उसकी मां की इज्जत को बचाया, बल्कि पूरे सिस्टम को भी हिला दिया।
इस घटना के बाद, अवान आर्मी ऑफिसर की कहानी पूरे देश में फैल गई। लोग उनकी बहादुरी और अपने मां की इज्जत के लिए उठाए गए कदम की तारीफ करने लगे। अवान ने साबित कर दिया कि एक बेटा अपनी मां की इज्जत के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। उसकी कहानी ने लोगों को यह सिखाया कि कभी भी किसी को कमजोर नहीं समझना चाहिए।
इस घटना ने गाजियाबाद में पुलिस के भ्रष्टाचार के खिलाफ एक नई लहर पैदा की। लोग अब अपने अधिकारों के लिए खड़े होने लगे थे। अवान की मां, सुशीला देवी, अपने बेटे पर गर्व महसूस कर रही थीं। उन्होंने अपने बेटे से कहा, “तुमने मुझे हमेशा गर्वित किया है। तुमने यह साबित कर दिया कि सच्ची ताकत अपने परिवार की रक्षा करने में होती है।”

अवान ने अपनी मां को आश्वस्त किया कि वह हमेशा उनके साथ रहेगा। “मां, आप चिंता मत कीजिए। मैं हमेशा आपकी रक्षा करूंगा।” इस घटना के बाद, अवान ने अपने काम में और भी मेहनत करने का फैसला किया। उन्होंने अपने अनुभवों से सीखा कि एक सच्चा बेटा न केवल अपनी मां की रक्षा करता है, बल्कि समाज में भी बदलाव लाने का प्रयास करता है।
उनकी कहानी ने न केवल गाजियाबाद, बल्कि पूरे देश में एक संदेश फैलाया कि अगर कोई भी व्यक्ति अन्याय का सामना कर रहा है, तो उसे अपने अधिकारों के लिए लड़ना चाहिए। अवान आर्मी ऑफिसर की कहानी एक प्रेरणा बन गई, और लोग उनकी बहादुरी के बारे में बातें करने लगे।
इस प्रकार, एक बेटे ने अपनी मां की इज्जत के लिए उठाया कदम न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक मिसाल बन गया। अवान आर्मी ऑफिसर ने साबित कर दिया कि सच्ची ताकत अपने परिवार की रक्षा करने में होती है और एक सच्चा बेटा कभी भी अपनी मां की इज्जत को ठेस नहीं पहुंचने देगा।
अवान की कहानी हमें यह सिखाती है कि परिवार और समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारियां कभी खत्म नहीं होतीं। हमें हमेशा दूसरों की मदद करने और अन्याय के खिलाफ खड़े होने की कोशिश करनी चाहिए। यह कहानी हर भारतीय को एक बार जरूर सुननी चाहिए, क्योंकि यह हमें अपने अधिकारों के लिए लड़ने और अपने परिवार की रक्षा करने का प्रेरणा देती है।
इस तरह, अवान आर्मी ऑफिसर ने न केवल अपनी मां की इज्जत को बचाया, बल्कि समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाने का भी प्रयास किया। उनका नाम हमेशा याद रखा जाएगा, और उनकी कहानी हर किसी के दिल में एक खास जगह बनाएगी।
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