फौजी भाई ने पुलिस दरोगा का हिसाब तुरंत चूकता कर दिया/बहन के साथ हुआ था गलत/

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कहानी की शुरुआत: गाजियाबाद के बुढ़िया गाँव में

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले का एक छोटा सा गाँव—बुढ़िया। यहाँ रहता है जगदेव सिंह, एक साधारण किसान, जिसके पास बस दो एकड़ जमीन और चार पशु हैं। उसकी जिंदगी सादगी से भरी है, लेकिन चुनौतियाँ कम नहीं। जगदेव की पत्नी की सात साल पहले मृत्यु हो गई थी, तब से घर की सारी जिम्मेदारी उसकी बेटी सपना के कंधों पर आ गई। सपना ने 12वीं पास कर ली थी, सिलाई-कढ़ाई सीख रही थी, और घर तथा खेत के काम में पिता की मदद करती थी। बड़ा बेटा लखन सिंह तीन साल पहले फौज में भर्ती हो चुका था, देश सेवा में लगा था।

गाँव की सुबहें, खेत की हरियाली और परिवार की छोटी-छोटी खुशियाँ—इन सबके बीच सपना अपनी माँ की कमी महसूस करती थी, मगर अपने पिता और भाई के लिए हिम्मत दिखाती थी।

20 अगस्त 2025: एक आम दिन, एक अनहोनी की शुरुआत

उस दिन जगदेव सिंह सुबह सपना से कहता है, “बेटी, आज खेत में काम ज्यादा है। मैं देर से लौटूँगा, दोपहर का खाना खेत में ही ले आना।” सपना पिता के लिए खाना तैयार करती है, टिफिन पैक करती है और पैदल खेत की ओर चल पड़ती है। रास्ते में एक मोटरसाइकिल रुकती है, जिस पर बैठा है पुलिस दरोगा चंद्र सिंह—गाँव में बदनाम, रिश्वतखोर और महिलाओं के साथ गलत व्यवहार करने वाला। वह सपना को अपनी मोटरसाइकिल पर बैठने को कहता है, “तुम मेरी बेटी जैसी हो, मैं तुम्हें खेत छोड़ दूँगा।”

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सपना पहले मना करती है, लेकिन चंद्र सिंह के बार-बार कहने पर बैठ जाती है। रास्ते में चंद्र सिंह सपना को गलत तरीके से छूता है। सपना विरोध करती है, दो थप्पड़ मारती है और उतर जाती है। चंद्र सिंह गुस्से में धमकी देता है, “एक दिन तुम्हें उठाकर ले जाऊँगा, मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ूँगा।”

सपना डरी-सहमी खेत पहुँचती है, पिता को खाना देती है, लेकिन कुछ नहीं बताती। यही उसकी पहली बड़ी गलती थी।

चंद्र सिंह, प्रीतम सिंह और सुमन देवी: षड्यंत्र का जाल

चंद्र सिंह अपने दोस्त प्रीतम को बुलाता है, दोनों शराब पीते हैं और एक विधवा महिला सुमन को पैसे का लालच देकर बुलाते हैं। सुमन गाँव में चरित्रहीन मानी जाती थी, और पैसे के लिए सबकुछ करने को तैयार थी। दोनों उसके साथ खेत में गलत संबंध बनाते हैं। नशे में चंद्र सिंह प्रीतम को बताता है, “आज जगदेव की लड़की सपना ने मुझे थप्पड़ मारा, इसका बदला लेना है।”

तीनों मिलकर षड्यंत्र रचते हैं। सुमन देवी सपना पर नजर रखने लगती है।

18 सितंबर 2025: सपना के साथ घिनौना अपराध

जगदेव सिंह बीमार हो जाता है, सपना पशुओं के लिए हरा चारा लेने खेत जाती है। सुमन देवी देखती है कि सपना अकेली है, चंद्र सिंह को फोन करती है। चंद्र सिंह मौके की तलाश में था, नशे की हालत में आता है। सुमन सपना को पानी पिलाने की कोशिश करती है, जिसमें नशीला पदार्थ मिला था, लेकिन सपना मना कर देती है। सुमन चिंता में पड़ जाती है, चंद्र सिंह को बुलाती है।

चंद्र सिंह, सुमन के साथ सपना के खेत में पहुँचता है। सुमन दांत (दरांती) सपना की गर्दन पर रख देती है, हाथ-पैर बांध देती है। दोनों सपना को दूसरे खेत में ले जाते हैं। चंद्र सिंह सपना के साथ बलात्कार करता है, वीडियो बनाता है और धमकी देता है, “अगर किसी को बताया तो वीडियो वायरल कर दूँगा।”

सपना डरी-सहमी अपने घर लौटती है, किसी को कुछ नहीं बताती। यह उसकी दूसरी बड़ी गलती थी।

चंद्र सिंह की लगातार धमकियाँ और सपना की चुप्पी

चंद्र सिंह सपना को फोन कर धमकाता है, बार-बार अपने घर बुलाता है, गलत काम करता है। सपना डर के मारे चुप रहती है, पिता को कुछ नहीं बताती। उसकी हालत खराब होती जाती है, वह बुझी-बुझी, उदास और कमजोर दिखने लगती है। पिता जगदेव चिंता करते हैं, पूछते हैं, लेकिन सपना कुछ नहीं बताती।

लखन सिंह की वापसी और सच्चाई का खुलासा

दिवाली की छुट्टियों में लखन सिंह घर आता है, बहन की हालत देखता है, पूछता है, दबाव डालता है। सपना टूट जाती है, रोती है, भाई को सबकुछ बता देती है—चंद्र सिंह, सुमन देवी, बलात्कार, वीडियो, धमकी। लखन सिंह गुस्से में पागल हो जाता है, घर से गंडासी उठाकर रात को चंद्र सिंह की बैठक में पहुँचता है। चंद्र सिंह शराब पी रहा होता है। लखन सिंह उसे पकड़ता है, सिर और पेट में गंडासी मारता है, गर्दन काट देता है।

इसके बाद वह सुमन देवी के घर जाता है, उसे भी बाल पकड़कर बाहर खींचता है, गंडासी से उसका सिर काट देता है। दो हत्याएँ कर फरार हो जाता है।

गांव में सनसनी, पुलिस की जांच और कानूनी कार्रवाई

गांव में हड़कंप मच जाता है। पुलिस आती है, पूछताछ करती है। जगदेव सिंह और सपना पुलिस को सबकुछ बताते हैं। पुलिस लखन सिंह को गिरफ्तार कर लेती है। कोर्ट में मामला जाता है। पुलिस और जज सोच में पड़ जाते हैं—क्या लखन सिंह का गुस्सा जायज था? क्या कानून हाथ में लेना सही था? क्या सपना की चुप्पी उसकी मजबूरी थी या डर?

मनोवैज्ञानिक और सामाजिक विश्लेषण

यह कहानी सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि समाज की कई परतों को उजागर करती है—

अकेली लड़की की असुरक्षा: ग्रामीण भारत में लड़कियाँ अक्सर असुरक्षित होती हैं, खासकर जब पिता, भाई या कोई संरक्षक नहीं होता।
पुलिस और सिस्टम की नाकामी: एक सस्पेंड पुलिसवाला खुलेआम अपराध करता है, कोई रोकने वाला नहीं।
समाज का डर और चुप्पी: सपना डर के मारे चुप रहती है, परिवार को नहीं बताती, जिससे अपराधी का हौसला बढ़ता है।
रिश्तों की ताकत और कमजोरी: भाई-बहन का प्यार, लेकिन कानून हाथ में लेना गलत है।

कहानी का अंत: इंसानियत, कानून और न्याय

लखन सिंह जेल में है, सपना और परिवार टूट चुके हैं। लेकिन इस कहानी में कई सवाल हैं—

क्या सपना को पहले ही पिता को सबकुछ बता देना चाहिए था?
क्या लखन सिंह को कानून हाथ में लेना चाहिए था?
क्या समाज को ऐसे मामलों में पीड़िता का साथ देना चाहिए?
क्या पुलिस और प्रशासन को ऐसे अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए?

सीख और संदेश

यह कहानी हमें सिखाती है कि—

डर और चुप्पी अपराध को बढ़ावा देती है।
परिवार में संवाद जरूरी है।
कानून हाथ में लेना गलत है, लेकिन कभी-कभी हालात इंसान को मजबूर कर देते हैं।
समाज को पीड़िता का साथ देना चाहिए, न्याय दिलाना चाहिए।

अगर आपको यह कहानी सोचने पर मजबूर करती है, तो कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें: क्या लखन सिंह का कदम सही था या गलत? क्या सपना की चुप्पी जायज थी? क्या सिस्टम और समाज को बदलने की जरूरत है?