बुखार को बताया कैंसर! 😱 फिर DM ने डॉक्टर के साथ जो किया !
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जिले के सबसे बड़े अधिकारी डीएम मीरा शर्मा को एक गुप्त चिट्ठी मिली। उस चिट्ठी में लिखा था कि जिले के कुछ प्राइवेट हॉस्पिटल में मरीजों के इलाज के नाम पर लूट मचा रखी है। वहां के डॉक्टर छोटी-मोटी बीमारियों को बड़ा करके दिखाते हैं और मरीजों के परिवार से मोटी रकम वसूलते हैं। कई मामलों में तो ऐसा हुआ है कि मरीज को सिर्फ हल्का बुखार था, लेकिन डॉक्टरों ने उसे कैंसर, हार्ट अटैक या गंभीर बीमारी बताकर लाखों रुपए ले लिए। यह पढ़कर मीरा शर्मा का सिर गर्म हो गया। उन्हें लगा कि अगर यह सच है तो यह जनसाधारण की जिंदगी से बहुत बड़ा खिलवाड़ है। इसलिए उसी दिन उन्होंने खुद हॉस्पिटल की सच्चाई जानने का फैसला लिया।
योजना बनाना
मीरा शर्मा ने चाहा कि डॉक्टरों का असली चेहरा उन्हें बिना पहचाने सामने आए। इसके लिए उन्होंने साधारण कपड़े पहने। एक साधारण सलवार सूट जो किसी को ना लगे कि सामने खड़ी महिला वास्तव में जिले की सबसे बड़ी अधिकारी है। डीएम मीरा शर्मा ने अपनी मोहल्ले की एक बूढ़ी महिला को, जिसे सिर्फ हल्का बुखार था, उसे ऐसे हॉस्पिटल में लाई जैसे बहुत बड़ा हादसा हो गया हो। उनकी योजना थी कि डॉक्टरों की सच्चाई बाहर आ जाए।

हॉस्पिटल पहुंचते ही मीरा सीधे डॉक्टर अमित कुमार के पास गई और बहुत घबराई हुई हालत में बोली, “डॉक्टर साहब, मेरी मां की हालत अचानक बहुत खराब हो गई है। पता नहीं क्या हो गया। बस आप उन्हें बचा लीजिए। मैं आपके सामने हाथ जोड़कर अनुरोध कर रही हूं। जल्दी कुछ कीजिए, प्लीज। जितना हो सके मेरी मां को बचा लीजिए।”
डॉक्टर अमित ने गंभीरता का नाटक किया और जल्दी से महिला को इमरजेंसी रूम में ले गए। वहां उन्होंने जांच शुरू की और कुछ देर बाद देखा कि मरीज को सिर्फ टाइफाइड का बुखार हुआ है। एक साधारण बीमारी जिसका इलाज आसानी से संभव है। लेकिन उसी समय डॉक्टर अमित ने अपने स्टाफ को धीरे से कहा, “सुनो, बाहर जो रिश्तेदार हैं, उन्हें मत बताना कि यह सिर्फ टाइफाइड है। हम कहेंगे कि कैंसर, जितना हो सके पैसे वसूलो। याद रखो, किसी को शक ना हो। सब अपने-अपने काम में लग जाओ।”
मीरा दरवाजे के पास खड़ी सब सुन रही थी। यह सुनकर उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। वे अंदर ही अंदर गुस्से से फट पड़ने लगीं। लेकिन बाहर चेहरे पर डर और चिंता का नाटक करने लगीं ताकि डॉक्टर को शक ना हो और वे पूरे हॉस्पिटल की काली सच्चाई उजागर कर सकें।
डॉक्टर की चालाकी
कुछ देर बाद डॉक्टर अमित बाहर आए। उन्होंने भारी मन और नकली सहानुभूति दिखाते हुए कहा, “मैडम, मैं बहुत दुखी हूं यह कहने पर लेकिन आपकी मां बहुत बड़ी बीमारी से पीड़ित है। असल में उन्हें कैंसर हो गया है। मैं जानता हूं यह सुनना आपके लिए कठिन है। लेकिन यही सच्चाई है।”
यह सुनकर मीरा अंदर ही अंदर सोचने लगीं कि यह डॉक्टर तो सच में लोगों को लूट रहा है। जिस महिला को सिर्फ टाइफाइड था, उसे कैंसर कहकर पैसे एंठना चाहता है। लेकिन उन्होंने तुरंत मुंह पर धक्का और दुख का नाटक किया। आंखों में आंसू लाकर कहा, “डॉक्टर साहब, अब हम क्या कर सकते हैं? आप कुछ कीजिए। मेरी मां को बचा लीजिए। मैं कुछ भी करूंगी। बस आप उन्हें ठीक कर दीजिए।”
डॉक्टर अमित ने कुछ देर सोचने का नाटक किया और फिर गंभीर स्वर में कहा, “आप घबराएं नहीं। हम पूरी कोशिश करेंगे ताकि आपकी मां ठीक हो जाए। लेकिन इसमें बड़ी समस्या है। बाहर से विशेषज्ञ डॉक्टर बुलाना होगा और वे पैसे के बिना नहीं आएंगे। इसके लिए आपको ₹5 लाख जमा करने होंगे। तभी इलाज संभव है।”
मीरा का गुस्सा
यह सुनकर मीरा शर्मा के हृदय में पहले का आग फिर से भड़क उठी। उनके हाथ-पैर हल्के-हल्के कांपने लगे। लेकिन उन्होंने खुद को काबू में रखा। उन्होंने पूछा, “इस पूरे खेल में सबसे बड़ा हाथ किसका है? और यह हॉस्पिटल किसके इशारे पर मरीजों को लूट रहा है?”
उन्होंने आंसू भरी आवाज में कहा, “डॉक्टर साहब, ₹5 लाख हम गरीब लोग कहां से लाएंगे? हमारे पास इतने पैसे नहीं हैं। अब मैं क्या करूं? सच में कोई दूसरा रास्ता नहीं है।”
यह सुनकर डॉक्टर अमित गुस्से से फट पड़े। उन्होंने ऊंचे स्वर में कहा, “अगर 5 लाख दे नहीं सकते, तो इलाज कराने क्यों आई हैं? लगता है आपकी मां के प्रति कोई प्यार नहीं है। अगर सच में बचाना चाहती हैं तो पैसे का इंतजाम कीजिए। वरना मरने दीजिए उसे।”
मीरा का हृदय अंदर से टूट रहा था। लेकिन उन्होंने अभिनय जारी रखा। उन्होंने बहुत बुरे ढंग से रोने का नाटक किया और कहा, “साहब, मैं पूरे 5 लाख तो जुटा नहीं पाऊंगी। लेकिन अगर आप थोड़ा कम कर दें तो शायद कुछ हो जाए। थोड़ा समय दीजिए। मैं पूरी कोशिश करूंगी। बस मेरी मां को बचा लीजिए।”
यह सुनकर डॉक्टर अमित के मुंह पर संतोष और खुशी की चमक आ गई। उन्हें लगा कि शिकार जाल में फंस गया है। उन्होंने नकली सहानुभूति दिखाते हुए कहा, “ठीक है मैडम। आप अभी ₹1 लाख जमा करो। बाकी पैसे जल्दी जुटाओ। लेकिन याद रखना, अगर पैसे पूरे नहीं हुए तो इलाज नामुमकिन है।”
मीरा की योजना
मीरा सिर झुकाकर सिसकने लगी। बाहर से वे एक असहाय लड़की जैसी लग रही थीं। लेकिन अंदर उनका खून खल रहा था। अब उन्हें पूरा विश्वास हो गया था कि यह हॉस्पिटल मरीजों और उनके परिवारों का खून चूसकर धनी साम्राज्य बना रहा है।
डीएम मीरा शर्मा ने डर और बेचैनी का नाटक करते हुए कहा, “ठीक है डॉक्टर साहब।” यह कहकर उन्होंने अपने पर्स से ₹1 लाख निकालकर डॉक्टर अमित को दे दिए। उन्होंने अनुरोध करते हुए कहा, “कृपया जल्दी इलाज शुरू कीजिए। मैं बाकी पैसे का इंतजाम कर रही हूं। बस मेरी मां को बचा लीजिए।”
डॉक्टर अमित ने अभद्र हंसी देते हुए कहा, “चिंता मत करो। आप पैसे का इंतजाम करो। आपकी मां को ठीक कर दिया जाएगा। हम पूरी कोशिश करेंगे।” फिर वे फिर इमरजेंसी रूम में चले गए।
अंदर जाकर उन्होंने अपने साथियों से फुसफुसाते हुए कहा, “देखो, मुर्गी जाल में फंस गई है। अब सिर्फ नाटक करते रहो। जितना समय उनके जेब में पैसे हैं, उतना ही इस बीमारी को बड़ा रखो। और हां, इसे टाइफाइड की दवा बिल्कुल मत दो। इसे ऐसे ही असहाय रखो। वरना अगर ठीक हो गया तो हमारी योजना बर्बाद हो जाएगी।”
यह कहकर उन्होंने बिना किसी औपचारिक कॉल के मोबाइल उठाया और बाहर जाते समय किसी को फोन पर कह रहे थे, “प्लीज आप जल्दी आइए डॉक्टर साहब। अरे आप पैसे की चिंता मत करो। पैसे का इंतजाम हो जाएगा। बस आप जल्दी आइए।”
यह सब अमित कुमार मीरा को सुनाते हुए कह रहे थे ताकि मीरा को लगे कि वे सच में किसी बड़े डॉक्टर को बुला रहे हैं। यह सब मीरा सिर झुकाए बैठे-बैठे देख रही थीं। उनका शरीर अंदर ही अंदर गुस्से से कांप रहा था। वे सोच रही थीं कि यह लोग कितने बड़े नाटकबाज हैं। ऐसा अभिनय कर रहे हैं जैसे सच में कोई भयानक घटना हो रही हो। लेकिन वे जानती थीं कि यह नाटक ज्यादा देर नहीं चलेगा।
कार्रवाई का समय
कुछ देर बाद डॉक्टर ने फोन की बात बंद की और मीरा से कहा, “आप जाइए और पैसे का इंतजाम करो। डॉक्टर आना ही है। अब मैंने आपके सामने डॉक्टर से बात की और आपने देखा कि डॉक्टर पैसे के बिना आना नहीं चाहता। इसलिए आप जाइए और जल्दी पैसे का इंतजाम करो।”
फिर वे फिर इमरजेंसी रूम में चले गए। मीरा हॉस्पिटल से बाहर आकर सीधे अपने ऑफिस पहुंची। वहां बैठकर वे मन ही मन सोचने लगीं कि अब क्या किया जाए। यह डॉक्टर तो इस तरह से ना जाने कितनों का पैसा मार चुका होगा। ना जाने कितनों को झूठे बहानों से फंसाकर उनसे पैसे वसूल किए होंगे। कुछ तो करना होगा इनका।
कुछ देर बाद उन्हें आईडिया आया कि वे अकेले इस बड़े खेल को उजागर नहीं कर पाएंगी। उन्हें आईपीएस, सुमन सिंह और प्रमाणों की मदद लेनी होगी ताकि टीम बनाकर इस घोटाले के पर्दे फाड़े जा सके। उन्होंने जल्दी फोन उठाया और आईपीएस सुमन सिंह को कॉल किया।
कॉल लगते ही मीरा ने उन्हें बुला लिया। कुछ देर बाद आईपीएस सुमन सिंह डीएम ऑफिस पहुंची। दोनों के बीच बात हुई और मीरा ने हॉस्पिटल में होने वाली सारी करतूतें विस्तार से सुमन को बताई। कैसे मरीजों को छोटी बीमारी में बड़ी बीमारी का डर दिखाकर लाखों रुपए वसूले जा रहे हैं और जब वे खुद इस मामले की जांच करने साधारण महिला की तरह गईं तो उनके साथ भी यही सब हो रहा है और ₹1 लाख की मांग की गई।
यह सुनकर आईपीएस सुमन सिंह भी गुस्से से लाल हो गईं। दोनों ने फैसला किया कि इसका पर्दाफाश करना होगा। फिर उन्होंने दोनों मिलकर एक योजना बनाई। आईपीएस सुमन ने कहा कि रूम के अंदर एक छिपा हुआ सीसीटीवी कैमरा लगाकर रिकॉर्डिंग करनी चाहिए। तभी सच्चाई सामने आएगी।
योजना का कार्यान्वयन
दोनों ने मिलकर योजना बनाई और योजना के अनुसार दोनों साधारण सलवार सूट पहनकर साधारण लड़कियों की तरह छिपकर हॉस्पिटल पहुंचीं और बहन का नाटक करके अंदर आईं। डॉक्टर अमित ने उन्हें देखकर पूछा, “इतनी देर क्यों लग गई? डॉक्टर आ चुके हैं। आपने पैसे का इंतजाम किया है और यह लड़की क्या आपके साथ है?”
मीरा तुरंत बोली, “यह मेरी छोटी बहन है। मैंने कुछ पैसे जमा किए हैं। कृपया अब इलाज शुरू कीजिए और मेरी मां को बचा लीजिए।”
डॉक्टर अमित ने फिर वहां दबाव बनाया। “पहले पैसे जमा करो।” मीरा दृढ़ होकर बोली, “पहले इलाज करो फिर मैं बाकी पैसे दूंगी। मैंने तो पहले ही 1 लाख दिए हैं।”
डॉक्टर अमित ने कुछ जिद करके उन्हें रोक रखा और वही बातें दोहराने लगे कि बाहर से आने वाला डॉक्टर पैसे के बिना काम नहीं करेगा। मीरा अंदर ही अंदर फैसला लिया कि पैसे तो जुटाए जा सकते हैं। लेकिन वे रूम में जाकर वहां कैमरा लगाएंगी ताकि इस पूरे करतूत का वीडियो रिकॉर्ड हो और इनका पोल खुल जाए।
फिर डीएम मीरा शर्मा बोलीं, “डॉक्टर साहब, मैं आपको पैसे दूंगी लेकिन प्लीज मुझे मेरी मां से एक बार मिलने दीजिए ताकि मैं देख सकूं कि उनकी हालत कैसी है। फिर आप इलाज शुरू करेंगे और मैं पैसे भी दूंगी।”
डॉक्टर अमित झिझक गए और बोले, “देखिए, आपकी मां की सेहत बहुत गंभीर है। अब इस हालत में वे आपके साथ बात भी नहीं कर पाएंगी। आप समझिए, अब उनके साथ मिलना ठीक नहीं होगा। कुछ देर बाद डॉक्टर आ रहे हैं।”
आईपीएस सुमन सिंह सोच रही थीं कि यह लोग कितना नाटक कर रहे हैं। बिना किसी गंभीर बीमारी के बड़े-बड़े नाम ले रहे हैं और पैसे मांग रहे हैं। इनकी अच्छी खबर लेनी होगी। फिर डीएम मीरा शर्मा ने ₹4 लाख निकाल कर डॉक्टर को दे दिए।
डॉक्टर ने पैसे लेकर दूसरे रूम में चले गए। आईपीएस सुमन और डीएम मीरा दोनों ही वहां बैठी थीं कि तभी एक डॉक्टर मास्क पहने तेज कदमों से हॉस्पिटल में प्रवेश करके ऑपरेशन थिएटर की ओर बढ़े। आईपीएस मैडम और मीरा दोनों ही बैठे-बैठे सब कुछ देख रही थीं और मन ही मन सोच रही थीं कि यह लोग कितना ड्रामा कर रहे हैं।
तभी आईपीएस सुमन सिंह के मन में एक विचार आया। इन सबको उजागर करने के लिए सब कुछ रिकॉर्ड होना चाहिए। हां, मेरे पास एक आईडिया है। मीरा ने पूछा, “कैसे?” सुमन बोलीं, “मैं एक लेडी डॉक्टर बनकर नर्स का पोशाक पहनकर ऑपरेशन थिएटर में रहूंगी और एक कैमरा साथ रखूंगी ताकि वहां की सारी करतूतें रिकॉर्ड हो सकें। वे हमारे प्रमाण होंगे।”
मीरा शर्मा बोलीं, “ठीक है। आप जैसा कह रही हैं वैसा ही करें। बस सावधानी से ताकि वे ना जाने।”
अंत की ओर
योजना के अनुसार आईपीएस सुमन सिंह ने नर्स का पोशाक पहनकर डॉक्टरों के बीच घुसकर ऑपरेशन थिएटर में प्रवेश किया। उनके पास पहले से छिपा हुआ कैमरा था ताकि वे सारी करतूतें रिकॉर्ड कर सकें। डॉक्टर अमित पूरे डॉक्टर स्टाफ को कह रहे थे, “यहां हमें कुछ समय ऐसे ही काटना होगा ताकि उन्हें लगे कि हम अपना काम कर रहे हैं।” सब डॉक्टर आराम से बैठे बातें कर रहे थे। जब बूढ़ी महिला, जिसे इलाज के लिए लाया गया था, वह सो रही थी।
लगभग एक घंटा बाद डॉक्टर अमित बाहर आए और मीरा शर्मा से बोले, “आपकी मां अब बिल्कुल ठीक हैं। हमने पूरी मेहनत करके उन्हें ठीक करने की कोशिश की है। उनकी हालत अब थोड़ी बेहतर है। लेकिन इलाज के लिए अब भी आपको एक सप्ताह यहां रहना होगा। इस समय छोटे-मोटे खर्च जैसे दवा, पानी आदि होंगे।”
यह कहकर वे फिर ऑपरेशन थिएटर में चले गए। सुमन सिंह चुपके-चुपके सब कुछ रिकॉर्ड करके बाहर आईं और डीएम मीरा शर्मा को पूरा रिकॉर्डिंग दिखाया। प्रमाण मिलने के बाद मीरा जल्दी डॉक्टर अमित के पास गईं और बोलीं, “सर, मेरी मां ठीक हो गई है। आपकी कोशिशों के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। लेकिन अब मैं यहां नहीं रहूंगी। अपनी मां को लेकर घर जाऊंगी और घर से ही उनका इलाज करूंगी।”
डॉक्टर अमित ने विरोध किया और बोले, “लेकिन यहां रहना जरूरी है, तभी उनका सही इलाज होगा वरना खतरा है।”
मीरा शर्मा ने जवाब दिया, “ठीक है।” फिर उन्होंने अपनी मां को लेकर घर लौट गईं और उनका इलाज शुरू कर दिया। इसके बाद वे जल्दी आईपीएस सुमन सिंह के पास पहुंचीं और पूरे हॉस्पिटल के खिलाफ रिपोर्ट तैयार करने लगीं।
पुलिस कार्रवाई
थाने जाकर उन्होंने इंस्पेक्टर को पूरी घटना बताई। प्रमाण दिखाए और हॉस्पिटल के डॉक्टरों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई। फिर इंस्पेक्टर आईपीएस सुमन सिंह और डीएम मीरा शर्मा हवलदारों को लेकर हॉस्पिटल पहुंचे। डॉक्टर अमित ने हॉस्पिटल में पुलिस देखकर हैरान हो गए। वहां खड़ी डीएम मीरा और आईपीएस सुमन सिंह को देखकर वे और भी चौंक गए। धीरे-धीरे सारी नर्स और डॉक्टर बाहर आ गए।
आईपीएस सुमन सिंह ने आदेश दिया, “गिरफ्तार करो। यह लोग इलाज के नाम पर पैसे वसूल रहे थे। लोगों को डराकर और झूठी बीमारी बताकर लूट रहे थे। इनमें मानवता नहीं है। इनकी जगह हॉस्पिटल नहीं, जेल है। अब सबको जेल पहुंचना होगा।”
सारे हवलदार एक-एक करके सारे डॉक्टर और नर्सों को हथकड़ी लगाकर थाने ले गए। फिर डीएम मीरा शर्मा डॉक्टर अमित के पास गईं और उनके गाल पर जोरदार थप्पड़ मारकर बोलीं, “बोलो, इस पूरे हॉस्पिटल को कौन चला रहा है? इसका मालिक कौन है? और मेरे पैसे जो तुमने लिए हैं वे कहां हैं? जितना गरीबों का पैसा तुमने लूटा है, उसे मुझे लौटा दो।”
अंत की विजय
अमित मजबूरी में स्वीकार किया, “मैं इस हॉस्पिटल का मालिक हूं और मैं ही चला रहा हूं।” मीरा शर्मा ने फिर थप्पड़ मारा और बोलीं, “सच-सच बोलो वरना ऐसा मारूंगी कि चल नहीं पाओगे।”
पास खड़ी एक नर्स डर से बोली, “मैडम, हां, यह पूरे हॉस्पिटल का मालिक और संचालक अमित सर ही है।”
मीरा शर्मा ने आदेश दिया, “पैसे जल्दी निकालो। तुम्हारे पास जितना पैसा है, सब लौटा दो।” अमित ने जो गरीबों और मरीजों से वसूला था, कुल मिलाकर ₹22 लाख मीरा शर्मा को दे दिए। सारे हवलदार, डॉक्टरों और नर्सों को पकड़कर थाने ले गए। रिकॉर्डिंग और फाइलों के आधार पर सबको जेल भेज दिया गया।
डीएम मीरा शर्मा ने वह पैसा गरीबों में बांट दिया और इस तरह पूरे हॉस्पिटल में फैले भ्रष्टाचार का अंत हो गया।
निष्कर्ष
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि सच्चाई और न्याय के लिए खड़े होना हमेशा महत्वपूर्ण है। मीरा शर्मा ने न केवल अपने अधिकारों की रक्षा की, बल्कि उन लोगों के लिए भी खड़ी हुईं जो इस जालसाजी का शिकार हुए थे। यह कहानी एक प्रेरणा है कि हमें कभी भी अन्याय के खिलाफ खड़ा होना चाहिए, चाहे स्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो।
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