भिखारी निकली सास — अरबपति दामाद ने पीछा किया और दिल दहला देने वाला सच सामने आया!

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यह कहानी है विक्रम सिंह की, एक सफल व्यवसायी की, जो अपने अतीत के दर्द और अपने खोए हुए परिवार की खोज में है। एक संयोगवश, वह अपनी पूर्व सास माया देवी से मिलता है, जो अब दिल्ली की सड़कों पर भीख मांग रही है। इस मुलाकात से विक्रम की जिंदगी में एक नया मोड़ आता है, जब उसे पता चलता है कि उसकी एक बेटी है, अंजलि। यह कहानी न केवल प्यार और त्याग की है, बल्कि यह हमें यह भी सिखाती है कि कभी-कभी सबसे कठिन परिस्थितियाँ हमें सबसे कीमती चीजों की ओर ले जाती हैं।

विक्रम का अतीत

विक्रम सिंह, 38 वर्षीय, एक सफल रियल एस्टेट व्यवसायी है। वह दिल्ली के एक पॉश इलाके में एक शानदार घर में रहता है। विक्रम ने अपनी मेहनत और लगन से एक बड़ा साम्राज्य खड़ा किया है, लेकिन उसके दिल में एक खालीपन है। यह खालीपन उसकी पूर्व पत्नी प्रिया की यादों से भरा हुआ है, जिसे उसने 13 साल पहले तलाक देने के बाद खो दिया था।

प्रिया से शादी के समय विक्रम एक युवा सिविल इंजीनियर था, जिसकी आय बहुत कम थी। प्रिया का परिवार अमीर था, और उन्होंने विक्रम को कभी स्वीकार नहीं किया। माया देवी, प्रिया की मां, ने विक्रम को अपनी बेटी के लिए असंभाव्य समझा और उसे तलाक के लिए मजबूर किया। विक्रम ने दुखी होकर दुबई जाने का फैसला किया और वहां एक सफल व्यवसायी बन गया, लेकिन उसने कभी प्रिया और उनके बच्चे के बारे में सोचना नहीं छोड़ा।

माया देवी की हालत

एक दिन, जब विक्रम अपनी काले रंग की Mercedes MBC S680 में चांदनी चौक से गुजर रहा था, उसकी नजर सड़क पर एक बूढ़ी औरत पर पड़ी। वह औरत, माया देवी, विक्रम की पूर्व सास थी। उसकी हालत देखकर विक्रम का दिल टूट गया। वह एक समय में ऐशो आराम में रहने वाली महिला थी, लेकिन अब वह सड़क पर भीख मांग रही थी।

विक्रम ने तुरंत ड्राइवर को गाड़ी रोकने का आदेश दिया और बाहर निकल आया। माया देवी ने विक्रम को देखा, लेकिन उसे पहचान नहीं पाई। विक्रम ने अपने दिल की धड़कन को नियंत्रित करते हुए माया देवी के पास जाकर कहा, “आप ठीक हैं, माया जी?”

माया देवी ने ऊपर देखा, उसकी आंखों में आश्चर्य और शर्म थी। “क्या तुम विक्रम हो?” उसने धीमी आवाज में पूछा।

“हाँ, मैं हूँ,” विक्रम ने कहा। “आपको क्या हुआ? आप यहां क्यों हैं?”

माया देवी ने सिर झुकाया। “मेरे पास अब कुछ नहीं बचा। मेरे पति की मृत्यु हो गई, और मैं अब अकेली हूँ।”

अतीत की यादें

विक्रम के दिल में गहरी पीड़ा थी। उसे याद आया कि कैसे माया देवी ने उसे अपने परिवार से बाहर कर दिया था। लेकिन आज, वह एक कमजोर और बेजान महिला थी। विक्रम ने अपने मन में सोचा, “क्या यह भाग्य का खेल है?”

उसने माया देवी को पैसे दिए और कहा, “आपको मदद की जरूरत है। मैं आपको एक अच्छे अस्पताल में ले जा सकता हूँ।”

माया देवी ने पैसे लेकर कहा, “धन्यवाद, बेटा। लेकिन मैं किसी की मदद नहीं ले सकती।”

विक्रम ने उससे कहा, “आप मेरी पूर्व सास हैं। मैं आपको मदद करने के लिए तैयार हूँ।”

अंजलि की खोज

कुछ दिनों बाद, विक्रम ने माया देवी से फिर से मिलने का फैसला किया। उसने तय किया कि वह जानना चाहता है कि प्रिया और उसकी बेटी अंजलि का क्या हुआ। जब वह माया देवी के घर पहुँचा, तो उसने देखा कि अंजलि एक खूबसूरत लड़की बन गई थी।

विक्रम ने माया देवी से पूछा, “क्या अंजलि ठीक है?”

माया देवी ने सिर झुकाया। “वह बीमार है। उसे दिल की बीमारी है।”

विक्रम का दिल टूट गया। उसने तुरंत डॉक्टर से संपर्क किया और अंजलि के इलाज का खर्च उठाने का फैसला किया। उसने अपनी कंपनी से पैसे निकालकर अंजलि के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया।

अस्पताल में अंजलि

अस्पताल में अंजलि की हालत गंभीर थी। विक्रम ने हर दिन अस्पताल जाकर उसकी देखभाल की। अंजलि धीरे-धीरे ठीक हो रही थी, और विक्रम ने उसे अपने पिता के रूप में स्वीकार कर लिया।

एक दिन, जब अंजलि ने विक्रम को देखा, तो उसने कहा, “पापा, मैं जानती हूँ कि आप मेरे असली पिता हैं।”

विक्रम ने उसकी आंखों में देखा। “हाँ, मैं तुम्हारा पिता हूँ। मैं तुमसे प्यार करता हूँ।”

अंजलि ने मुस्कुराते हुए कहा, “मैं भी आपसे प्यार करती हूँ, पापा।”

एक नई शुरुआत

अंजलि की बीमारी के इलाज के बाद, विक्रम ने उसे अपने घर ले जाने का फैसला किया। माया देवी ने भी उनके साथ रहने का निर्णय लिया। अब वे एक परिवार बन गए थे।

विक्रम ने अंजलि को एक अच्छे स्कूल में दाखिला दिलवाया। अंजलि ने अपनी पढ़ाई में बहुत अच्छा किया और विक्रम को गर्व महसूस कराया। माया देवी ने अपनी नातिन की देखभाल करते हुए विक्रम का समर्थन किया।

एक दिन, जब विक्रम ने अंजलि से कहा, “तुम्हें पता है, मैं तुम्हारे लिए एक नया घर बनाने जा रहा हूँ।”

अंजलि ने खुशी से कहा, “क्या सच में, पापा?”

“हाँ, हम एक नया परिवार बनाएंगे,” विक्रम ने कहा।

अतीत का सामना

कुछ महीनों बाद, विक्रम ने अंजलि को अपनी मां की कब्र पर ले जाने का फैसला किया। यह उसके लिए एक भावनात्मक यात्रा थी। जब वे कब्रिस्तान पहुँचे, तो विक्रम ने अंजलि को बताया, “यह तुम्हारी मां की कब्र है।”

अंजलि ने धीरे से कब्र पर फूल रखे और कहा, “माँ, मैं आपको बहुत याद करती हूँ।”

विक्रम की आंखों में आंसू थे। उसने अपनी बेटी को गले लगाया और कहा, “मैं तुम्हारे साथ हूँ। हम हमेशा एक परिवार रहेंगे।”

अंत

इस तरह, विक्रम ने न केवल अपनी खोई हुई बेटी को पाया, बल्कि एक नई जिंदगी की शुरुआत की। उसने अपने अतीत को स्वीकार किया और भविष्य की ओर बढ़ा। अंजलि के साथ उसका रिश्ता मजबूत हुआ, और माया देवी ने भी अपने अतीत के लिए माफी मांगी।

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि कभी-कभी जीवन की कठिनाइयाँ हमें सबसे कीमती चीजों की ओर ले जाती हैं। प्यार, परिवार, और क्षमा का महत्व हमेशा सर्वोपरि होता है।