भेष बदलकर बाजार पहुंचीं SDM अधिकारी… इंस्पेक्टर ने की बदतमीज़ी, फिर जो हुआ वह इतिहास बन गया!..

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रतिका वर्मा जिले की सबसे बड़ी अधिकारी एसडीएम थीं। उनका जीवन सादगी और कर्तव्यनिष्ठा का उदाहरण था। वे हमेशा अपने कर्तव्यों के प्रति ईमानदार और न्यायप्रिय रहीं। एक दिन, जब वे अपनी बूढ़ी मां के लिए बाजार से चिकन खरीदने निकलीं, तो उन्होंने लाल रंग की साधारण सलवार सूट पहन रखी थी ताकि कोई उन्हें पहचान न सके। वे चाहती थीं कि वह दिन सामान्य बीते, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।

जब वे चिकन की दुकान पर पहुंचीं, तो देखा कि वहां एक इंस्पेक्टर सुमित यादव मोटरसाइकिल से आया और दुकानदार से बोलने लगा कि उसे दो किलो चिकन पैक कर दो। दुकानदार ने विनम्रता से कहा कि मैडम पहले आई हैं, उन्हें पहले चिकन दिया जाएगा, फिर आप ले लीजिएगा। यह सुनते ही इंस्पेक्टर यादव का गुस्सा फूट पड़ा। उसने दुकानदार को धमकाना शुरू कर दिया कि वह कौन है, उसे रुकना पड़ेगा या नहीं, और अपनी वर्दी के दम पर दुकान बंद कराने की धमकी भी दी।

रतिका वर्मा ने इंस्पेक्टर की इस बदतमीजी को देखा और बीच में बोल पड़ीं कि वे पहले आई हैं, इसलिए उन्हें पहले चिकन लेने दिया जाए। इंस्पेक्टर ने उनका अपमान करते हुए कहा कि वे उन्हें नहीं जानतीं और अगर उन्होंने ज्यादा जुबान चलाई तो मार भी सकती हैं। रतिका अंदर से कांप रही थीं, लेकिन उन्होंने संयम बनाए रखा। दुकानदार डर के मारे इंस्पेक्टर को चिकन दे दिया।

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इंस्पेक्टर ने मोटरसाइकिल पर बैठते हुए दुकानदार से पैसे मांगना भूल गया। जब दुकानदार ने याद दिलाया कि उसने पैसे नहीं दिए हैं, तो इंस्पेक्टर ने गुस्से में धमकी दी कि वह उसे जेल में डाल देगा और परिवार को बर्बाद कर देगा। रतिका ने यह सब देखा लेकिन चुपचाप रही। बाद में उन्होंने दुकानदार से बातचीत की और उसे आश्वस्त किया कि वह इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएंगी।

रतिका ने तय किया कि वह इंस्पेक्टर सुमित यादव के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगी। अगले दिन वह फिर से दुकान पर पहुंचीं और वहां सीसीटीवी कैमरा लगाकर इंस्पेक्टर की हरकतें रिकॉर्ड करने लगीं। इंस्पेक्टर जब आया, तो उसने फिर वही धमकियां देना शुरू कर दिया। रतिका ने उसका सामना करते हुए कहा कि वह इस अन्याय को बर्दाश्त नहीं करेंगी और इसे कोर्ट तक लेकर जाएंगी।

दुकानदार ने बताया कि इंस्पेक्टर कई बार बिना पैसे के चिकन ले जाता है और धमकाता है। रतिका ने उसे भरोसा दिया कि वह उसके साथ हैं और इस मामले में पूरी ताकत से लड़ेंगी। उन्होंने एसपी सीमा चौहान को बुलाया और सारी घटना बताई। एसपी ने तुरंत मामला गंभीरता से लिया और इंस्पेक्टर के खिलाफ रिपोर्ट तैयार करने का आदेश दिया।

अगले दिन मामले की सुनवाई कोर्ट में हुई। रतिका ने गवाह के तौर पर बयान दिया कि कैसे इंस्पेक्टर ने अपने पद का गलत इस्तेमाल किया और आम जनता को धमकाया। दुकानदार ने भी हिम्मत जुटाकर सच बताया। कोर्ट ने सीसीटीवी फुटेज और मेडिकल रिपोर्ट देखी, जिसमें दुकानदार की चोटों का उल्लेख था। बचाव पक्ष ने कहा कि इंस्पेक्टर तनाव में था, लेकिन जज ने कहा कि कानून का उल्लंघन किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं।

अंत में जज ने इंस्पेक्टर सुमित यादव को उसके पद से सस्पेंड कर दिया और तीन साल की सजा सुनाई। साथ ही उसे जुर्माना भी भरना पड़ा। पुलिस ने उसे हिरासत में लेकर जेल भेज दिया। कोर्ट के बाहर मीडिया ने रतिका से पूछा कि अब क्या संदेश देना चाहेंगी, तो उन्होंने कहा कि अब कोई गरीब डरने की जरूरत नहीं है, कानून सबके लिए बराबर है।

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इस घटना ने पूरे जिले में एक मिसाल कायम की कि चाहे कोई कितना भी बड़ा हो, अगर वह गलत करता है तो उसे कानून के तहत सजा मिलती है। रतिका वर्मा की हिम्मत और न्यायप्रियता ने आम जनता को विश्वास दिलाया कि न्याय की लड़ाई में हमेशा उम्मीद होती है। दुकानदार ने भी राहत की सांस ली कि अब वह बिना डर के अपना काम कर सकेगा।

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि समाज में बदलाव तभी आता है जब अधिकारी और नागरिक मिलकर अन्याय के खिलाफ आवाज उठाते हैं। रतिका वर्मा ने दिखाया कि सच्चा नेतृत्व क्या होता है और कैसे गलत को गलत कहने का साहस होना चाहिए। उनका संघर्ष और न्याय की प्राप्ति हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है।

इस तरह, रतिका वर्मा ने न केवल इंस्पेक्टर सुमित यादव को सजा दिलाई, बल्कि पूरे समाज में एक नई उम्मीद जगाई कि कानून की सुरक्षा सभी के लिए है और कोई भी व्यक्ति अपने पद का दुरुपयोग नहीं कर सकता। उनका यह संघर्ष वर्षों तक याद रखा जाएगा और उन लोगों के लिए प्रेरणा बनेगा जो न्याय के लिए लड़ते हैं।