मेरी बहन को दफना दीजिए – बेघर लड़की की इस विनती ने करोड़पति को रुला दिया

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अनाथ अंजलि और करोड़पति राजेश शर्मा की उम्मीद की कहानी

मुंबई की गलियों में एक ठंडी दिसंबर की सुबह थी। सूरज की किरणें धीरे-धीरे शहर की भीड़-भाड़ पर चमक रही थीं। हर तरफ भागदौड़ और शोर था, लेकिन एक तंग गली के कोने में एक छोटी सी लड़की बैठी थी, जिसके चेहरे पर ग़म और मासूमियत दोनों झलक रहे थे। वह लड़की थी अंजलि, मात्र आठ साल की, जो अपनी दो साल की बहन रिया के अंतिम संस्कार के लिए लोगों से मदद मांग रही थी।

अंजलि की छोटी बहन रिया, जो दो साल की थी, बेजान पड़ी थी। उसकी ठंडी, बेरंग आंखें और सूखे होंठ उसकी बेबसी बयान कर रहे थे। अंजलि के पास अंतिम संस्कार के लिए पैसे नहीं थे। वह कांपती आवाज में लोगों से गुहार लगा रही थी, “कृपया मेरी बहन को दफना दो, वह बहुत ठंडी हो गई है। मैं वादा करती हूं बड़ा होकर काम करके आपको चुकाऊंगी।”

यह दृश्य उस वक्त सड़क से गुजर रहे मुंबई के एक बड़े उद्योगपति राजेश शर्मा के दिल को झकझोर गया। राजेश, जो अपनी तीन साल पहले खोई हुई पत्नी सीता की यादों में डूबा था, और अपनी आईटी कंपनी के काम में व्यस्त था, अचानक उस मासूम बच्ची की आवाज सुनकर रुक गया।

राजेश ने महसूस किया कि उसकी दुनिया की चमक-दमक के पीछे कितनी गहरी पीड़ा छुपी है। उसने कदम बढ़ाए और उस गली की ओर बढ़ा। वहां वह देख पाया कि अंजलि के चेहरे पर गंदगी और धूल थी, उसके काले बाल उलझे हुए थे, और उसके नंगे पैरों पर घाव थे। वह बच्ची अपनी छोटी बहन को गोद में लेकर बैठी थी, जो बेजान पड़ी थी।

राजेश ने धीरे से पूछा, “बेटी, तुम्हारी बहन कैसी है? क्या वह ठीक है?”

अंजलि की आंखें आंसुओं से भर आईं। “अंकल, वह बहुत ठंडी हो गई है। मैं उसे दफना देना चाहती हूं, लेकिन मेरे पास पैसे नहीं हैं।”

राजेश के दिल में कुछ टूट गया। उसने तुरंत अपनी नज़रें उस छोटे से शरीर पर डाली, फिर अंजलि के गले पर अपनी नाड़ी टटोली। एक पल के लिए समय थम सा गया। फिर उसने महसूस किया कि रिया अभी जीवित है। उसकी धड़कन धीमी लेकिन थी।

राजेश ने तुरंत फोन निकाला और मुंबई के एक बड़े अस्पताल को कॉल किया। “डॉक्टर पाटिल, मैं राजेश शर्मा हूं। एक बच्ची की इमरजेंसी है। कृपया आईसीयू तैयार रखें।”

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अस्पताल पहुंचते ही राजेश ने अंजलि और रिया को कार में बिठाया। अंजलि के कांपते हाथ और डरती आंखें देखकर राजेश ने उसे आश्वासन दिया, “बिल्कुल सब ठीक हो जाएगा।”

अस्पताल में डॉक्टरों ने रिया का इलाज शुरू किया। पता चला कि वह कुपोषण और डिहाइड्रेशन से पीड़ित थी। अंजलि ने डॉक्टरों से कहा, “मेरी बहन को बचाइए।”

राजेश ने अंजलि को अपने साथ रखा और उसे बताया कि अब वह अकेली नहीं है। उसने रिया के लिए स्कूल की व्यवस्था की और अंजलि को भी पढ़ाई के लिए प्रेरित किया।

कुछ दिनों बाद मुंबई की फैमिली कोर्ट में अंजलि और रिया की कस्टडी का मामला चला। राजेश ने अदालत में अपनी बात रखी कि वह इन दोनों बहनों की देखभाल करेगा। अदालत ने उनकी बात सुनी और अंततः दोनों लड़कियों को राजेश की हिरासत में देने का आदेश दिया।

राजेश की जिंदगी में एक नई रोशनी आई। वह अब न सिर्फ एक सफल उद्योगपति था, बल्कि दो मासूम बेटियों का पिता भी बन गया था। उसने सीखा कि असली सफलता केवल दौलत और पद से नहीं, बल्कि इंसानियत और करुणा से होती है।

कहानी का विस्तार और भावनात्मक पहलू

राजेश शर्मा की कहानी एक ऐसे इंसान की है, जो जीवन के ऊंचे शिखरों पर था, लेकिन अपने अंदर गहरे अकेलेपन और दर्द से जूझ रहा था। तीन साल पहले उसकी पत्नी सीता की मौत ने उसकी दुनिया को वीरान कर दिया था। वह काम में इतना डूबा कि उसने अपने भीतर की भावनाओं को दबा दिया।

लेकिन जब वह अंजलि को सड़क पर रोता हुआ पाया, तो उसकी पूरी सोच बदल गई। उसने महसूस किया कि उसकी सफलता का असली मापदंड केवल कंपनी के मुनाफे या शेयर बाजार के आंकड़े नहीं थे, बल्कि इंसानियत थी।

अंजलि की कहानी भी दिल दहला देने वाली थी। वह छोटी सी बच्ची, जो अपने पिता-माता को खो चुकी थी, अब अपनी छोटी बहन की जान बचाने के लिए संघर्ष कर रही थी। गरीबी, भूख, बीमारी और समाज की बेरुखी ने उसे तोड़ने की कोशिश की, लेकिन उसकी हिम्मत और प्यार ने उसे जिंदा रखा।

राजेश ने न केवल अंजलि और रिया की मदद की, बल्कि उनके जीवन में स्थिरता और सुरक्षा भी लाई। उसने उन्हें अपने घर में रखा, स्कूल भेजा, और उन्हें एक परिवार की गर्माहट दी।

समाज के लिए संदेश

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि समाज के कमजोर वर्गों के प्रति संवेदनशील होना कितना जरूरी है। हर बच्चे के जीवन में प्यार, सुरक्षा और शिक्षा का अधिकार है। जब हम अपने आस-पास के दर्द को समझते हैं और मदद करते हैं, तभी समाज बेहतर बनता है।

राजेश शर्मा की तरह अगर हर व्यक्ति अपने स्तर पर दूसरों की मदद करे, तो दुनिया एक बेहतर जगह बन सकती है।

अंतिम शब्द

दोस्तों, यह कहानी सिर्फ एक बच्ची और एक आदमी की नहीं, बल्कि इंसानियत की जीत की कहानी है। उम्मीद है कि यह कहानी आपके दिल को छू जाएगी और आपको भी प्रेरित करेगी कि आप भी अपने आसपास के दुखों को समझें और मदद करें।

जय हिंद! जय भारत!