रोहन और आराध्या: 16 सालों की दूरी का सफर

दोस्तों, यह कहानी है दिल्ली की एक बेहद निडर और ईमानदार पुलिस अफसर एसपी आराध्या सिंह की। लेकिन आज का दिन उनके लिए थोड़ा हटकर था — न वर्दी, न सरकारी काफिला। आज वह अपने फर्ज़ से कुछ वक्त निकालकर, नीली सिल्क की खूबसूरत साड़ी में सजी-धजी अपनी सबसे चहेती छोटी कजिन रिया की शादी में शिरकत करने जा रही थीं। यह दिन उनके लिए बेहद खास था, मगर किस्मत ने उनके रास्ते में एक ऐसा मोड़ रख दिया, जो किसी सपने जैसा था — या शायद एक पुराने दुःस्वप्न की वापसी।

समारोह शुरू होने में ज्यादा समय नहीं बचा था, और काम की व्यस्तता के चलते आराध्या को खुद ही गाड़ी चलाकर जाना पड़ा। वक्त की कमी थी, इसलिए वह तेज़ रफ्तार से निकल पड़ीं। लेकिन अचानक उनकी कार के पिछले टायर में कुछ गड़बड़ी महसूस हुई। उन्होंने गाड़ी रोककर उतरकर देखा, तो पाया कि टायर पूरी तरह पंचर हो चुका है। हालात और भी कठिन थे क्योंकि उनका ड्राइवर उस दिन साथ नहीं था, और दूर-दूर तक कोई मदद का नामोनिशान नहीं दिख रहा था।

आस-पास नजर दौड़ाई तो एक पंक्चर की दुकान दिखाई दी। भगवान को धन्यवाद देते हुए वह वहां पहुंचीं। दुकान पर एक बूढ़े ने कहा कि उनका कारीगर थोड़ी देर में आ जाएगा। थोड़ी देर बाद एक मास्क पहने हुए मजदूर आया, जो बिना कुछ बोले टायर ठीक करने लगा। आराध्या उसकी ओर देख रही थीं, लेकिन अंदर से कुछ अजीब सा महसूस कर रही थीं।

उन्होंने उससे पूछा, “तुमने मास्क क्यों लगाया है?”

मजदूर ने जवाब दिया, “मुझे सर्दी है और धूल-मिट्टी से एलर्जी है।”

लेकिन आराध्या को शक हुआ। उन्होंने सख्त लहजे में कहा, “मास्क उतारो।”

मजदूर ने मना किया, लेकिन जब आराध्या ने गुस्से में कहा तो मजबूर होकर उसने मास्क उतारा। और जैसे ही मास्क उतरा, आराध्या की दुनिया थम गई। वह मजदूर कोई और नहीं बल्कि उनका पति रोहन था, जिसे 16 साल पहले एक हादसे में मरा हुआ माना गया था।

आराध्या कांपती आवाज में बोलीं, “तुम जिंदा हो? यह कैसे हो सकता है? इतने सालों तक मुझसे दूर क्यों थे?”

रोहन चुप रहा, आंखें झुका लीं और फूट-फूट कर रोने लगा। उसने आखिरकार सच बताया, एक ऐसा सच जिसे सुनकर हर कोई भावुक हो जाएगा।

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रोहन का सच

रोहन एक सिविल इंजीनियर थे, जो 16 साल पहले नासिक में एक बड़े सरकारी हाईवे प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे। उन्होंने देखा कि प्रोजेक्ट में घटिया मटेरियल इस्तेमाल हो रहा है और मुंबई के सबसे बड़े गैंगस्टर पाटिल का काला पैसा सफेद किया जा रहा था। रोहन ने सबूत इकट्ठे कर लिए और पुलिस को सब कुछ बताने वाला था।

लेकिन पाटिल के आदमी हर जगह थे। एक रात रोहन को अगवा कर लिया गया और उसे पाटिल के सामने ले जाया गया। पाटिल ने धमकी दी कि या तो वह अगले दिन अपनी पत्नी के साथ एक भयानक कार हादसे में मर जाएगा या फिर हमेशा के लिए मर जाएगा और अपनी पत्नी को जिंदा छोड़ देगा।

रोहन ने अपनी पत्नी की जिंदगी बचाने के लिए अपनी मौत को चुना। अगले दिन एक पुरानी गाड़ी में एक लावारिस लाश को उसके कपड़े पहना कर पहाड़ी से नीचे फेंक दिया गया। रोहन को दूर एक पहाड़ी पर खड़ा करके अपनी मौत का तमाशा देखने के लिए मजबूर किया गया।

उसके बाद पाटिल के आदमियों ने उसे एक अनजान शहर में फेंक दिया और धमकी दी कि अगर उसने अपनी पहचान जाहिर की या अपनी पत्नी से संपर्क किया तो उसे मार दिया जाएगा।

रोहन ने 16 साल तक मजदूरी की, होटलों में बर्तन धोए, और आखिर में पंचर बनाने का काम सीख लिया। उसने हर रोज टीवी और अखबार में अपनी पत्नी की खबर देखी। जब आराध्या एसपी बनीं, तो वह खुशी और ग़म दोनों में रोया। वह दूर से उसे देखता रहा, कभी-कभार शहर भी आता था बस उसकी एक झलक पाने के लिए।

फिर से एक साथ

आराध्या ने रोहन की कहानी सुनी तो वह भावुक हो गईं। उन्होंने कहा, “तुमने यह सब अकेले कैसे सहा? क्यों नहीं सोचा कि मैं तुम्हारे बिना कैसे जिऊंगी?”

रोहन ने कहा, “मैं हर पल तुम्हारे साथ था, आराध्या।”

उनका पुनर्मिलन भावनाओं से भरा था। शादी का फंक्शन, देरी, सब बेमतलब लग रहा था। उनका खोया हुआ खजाना आज उनके सामने था। उन्होंने तय किया कि अब वे साथ मिलकर दुनिया का सामना करेंगे।

लेकिन कानूनी और सामाजिक चुनौतियां भी थीं। रोहन कानूनी तौर पर मृत घोषित था, उसके बैंक अकाउंट बंद थे, और उसकी पहचान खत्म हो चुकी थी। आराध्या ने ठाना कि वह उसकी पहचान वापस दिलाएंगी। उन्हें कोर्ट जाना होगा, डीएनए टेस्ट कराना होगा, गवाहियां जुटानी होंगी।

रोहन चाहता था कि वे कहीं दूर जाकर नई जिंदगी शुरू करें, लेकिन आराध्या ने कहा, “हम भाग नहीं सकते। हमने कुछ गलत नहीं किया है।”

घर वापसी और नई उम्मीद

रोहन ने नहा-धोकर साफ-सुथरे कपड़े पहने। दोनों बालकनी में बैठकर चाय पी रहे थे। रोहन ने कहा, “हमें मम्मी-पापा को भी बताना होगा।”

अगले दिन वे अपने घर गए, जो 16 सालों से खाली पड़ा था। घर में सब कुछ वैसा ही था, बस चीजें थोड़ी पुरानी हो गई थीं। दीवार पर उनकी शादी की तस्वीर लगी थी, जिसमें रोहन और आराध्या मुस्कुरा रहे थे।

रोहन ने कहा, “मैं मर चुका था, लेकिन अब मैं वापस आ गया हूं।”

आराध्या ने कहा, “तुम मेरे लिए क्या हो, यह सिर्फ मैं जानती हूं। तुम मेरे हीरो हो।”

आगामी संघर्ष

रोहन ने कहा, “अब आगे क्या होगा? मेरा डेथ सर्टिफिकेट है, बैंक अकाउंट बंद हैं, मैं कानूनी तौर पर इस दुनिया में मौजूद नहीं हूं।”

आराध्या ने कहा, “हमें हर कदम सोच-समझकर उठाना होगा। मैं तुम्हें तुम्हारी जिंदगी वापस दिलाऊंगी।”

दोनों ने एक दूसरे का हाथ थामा और नई लड़ाई के लिए तैयार हो गए।

अंत में

यह कहानी सिर्फ एक प्रेम कथा नहीं, बल्कि बलिदान, संघर्ष और उम्मीद की मिसाल है। 16 सालों की दूरियां, झूठे मौत के साये में जीना, फिर भी प्यार और विश्वास को बनाए रखना, यही है असली ताकत।

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अगर आप चाहें, तो मैं इस कहानी को और गहराई से लिख सकता हूँ — चाहे वो किसी खास मोड़ पर हो, या किसी किरदार की भावनाओं पर। बताइए, आप किस पहलू को और करीब से देखना चाहते हैं?