लुंगी पहनकर थाने पहुंचा ये आदमी… और 5 मिनट में दरोगा सस्पेंड! | असली SP की सच्ची कहानी
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रात का वक्त था, लगभग 8:30 बजे। सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ था। एक आदमी साधारण सी लुंगी और कुर्ता पहने, चेहरे पर मास्क लगाए, धीरे-धीरे थाने की ओर बढ़ रहा था। उसकी चाल में कोई घमंड नहीं था, न ही आंखों में डर। वह सीधे थाने के गेट पर पहुंचा और वहां खड़े हवालदार से बोला, “मैं संगीता का चाचा हूं, उससे बात करनी है।” हवालदार ने ऊपर से नीचे तक देखा, पर बिना ज्यादा पूछे उसे अंदर जाने दिया। हवालदार को क्या पता था कि वह आदमी कोई और नहीं, बल्कि पूरे जिले का सिटी एसपी है।
कुछ घंटे पहले बिहार के पटना शहर के एक बड़े शॉपिंग मॉल में एक गरीब लड़की संगीता पार्किंग की जिम्मेदारी संभाल रही थी। उसके पिता और भाई स्टेशन पर फल बेचते थे। गरीबी थी, संघर्ष था, लेकिन संगीता ने हार नहीं मानी थी। वह अपने काम में पूरी ईमानदारी से लगी रहती थी।
एक दिन, एक महंगी कार वाला युवक वहां आया और गाड़ी को गलत जगह पार्क करने लगा। संगीता ने उसे टोका, “सर, यहां पार्क नहीं कर सकते, दूसरी गाड़ियां फंस जाएंगी।” युवक ने घमंड से जवाब दिया, “तू मुझे रोकेगी?” संगीता ने विनम्रता से कहा, “मेरा काम है, जिम्मेदारी भी मेरी है। अगर मैं नहीं रोकूंगी तो कौन रोकेगा?” यह बात युवक को नागवार गुजरी। उसने कहा, “तू जानती नहीं मैं कौन हूं,” और तुरंत अपने जान-पहचान वाले दरोगा को फोन किया।
दरोगा ने हंसते हुए कहा, “मैं भी यहीं शॉपिंग कर रहा हूं, दो मिनट में पहुंचता हूं।” बस, दो मिनट के भीतर पुलिस की गाड़ी मॉल के बाहर आकर रुकी। दरोगा, दो सिपाहियों के साथ उतरा और सीधे संगीता के पास गया। उसने गुस्से में कहा, “तुम्हें पता नहीं किससे पंगा ले रही हो। यह लड़का नेताजी का बेटा है।”
संगीता डरी नहीं, उसने डटकर कहा, “मैं अपना काम कर रही हूं। गलत पार्किंग से बाकी लोगों को दिक्कत होती है। आपका रुतबा मेरे नियम नहीं बदल सकता।” दरोगा भड़क उठा, उसने गाड़ी की पिछली खिड़की तोड़ दी और नेता के बेटे के साथ मिलकर संगीता पर चोरी का झूठा आरोप लगा दिया। बिना कोई सबूत, बिना एफआईआर दर्ज किए, सिर्फ एक फोन कॉल के दम पर संगीता को गिरफ्तार कर लिया गया। उसे थाने लाया गया और सीधे हवालात में बंद कर दिया गया। न कोई महिला कांस्टेबल, न कोई पूछताछ।

जब यह खबर संगीता के पिता सुरेश और भाई रोशन को मिली, तो वे दौड़ते हुए थाने पहुंचे। उन्होंने संगीता को देखने की इजाजत मांगी, लेकिन पुलिस वालों ने उन्हें डांटा-धमकाया, “तुम्हारी बहन चोर है। नेता के बेटे की कार से गहने चुराए हैं।” रोशन और सुरेश हाथ जोड़कर कहने लगे, “साहब, हमारी बहन चोर नहीं है। वह ईमानदारी से काम करती है।” लेकिन दरोगा ने उन्हें थाने से बाहर भगा दिया।
थक हार कर वे वकील के पास गए, लेकिन वकील ने केस लेने से मना कर दिया। उसने कहा, “मंत्री के बेटे से पंगा नहीं लेना चाहता।” निराश होकर वे घर लौटने लगे। तभी रोशन को कुछ याद आया। उसने एक वीडियो देखा था, जिसमें पटना के सिटी एसपी ने कहा था कि अगर कभी अन्याय हो तो इस नंबर पर कॉल करें, मैं खुद सुनूंगा।
रोशन ने सोशल मीडिया पर वीडियो ढूंढा और नंबर मिलते ही कॉल कर दिया। दूसरी तरफ से आवाज आई, “मैं सिटी एसपी बोल रहा हूं।” रोशन फोन पर ही फूट-फूट कर रोने लगा। एसपी ने कहा, “शांत हो जाओ, रोओगे तो मैं समझ नहीं पाऊंगा।” रोशन ने पूरी बात बताई कि कैसे उनकी बहन संगीता को झूठे आरोप में थाने में बंद किया गया है।
एसपी ने पूछा, “वह लड़का कौन है?” रोशन ने कहा, “यह एक पूर्व मंत्री का बेटा है।” एसपी बोले, “चिंता मत करो, मैं अभी आ रहा हूं।” रोशन ने कहा, “साहब, जल्दी आइए, अगर बहन को बाहर नहीं निकाला तो कुछ गलत हो जाएगा।” एसपी ने वादा किया कि कुछ गलत नहीं होगा।
फोन कटते ही एसपी ने थाने के इंचार्ज को बुलाया और पूरी बात बताई। इंचार्ज ने कहा, “अगर ऐसा हुआ है तो गलत है, मैं आपके साथ हूं।” लेकिन एसपी ने कहा, “मैं साधारण कपड़ों में जाकर देखता हूं कि आम आदमी के साथ पुलिस कैसा बर्ताव करती है।” उन्होंने सादा कुर्ता और लुंगी पहन ली, चेहरे पर मास्क लगाया और अकेले पैदल थाने की ओर बढ़े। अपनी टीम को दूर रोक दिया और कहा कि अगर मिस कॉल दूं तो तुरंत अंदर आ जाना।
थाने के पास पहुंचकर एसपी की नजर संगीता के पिता सुरेश और भाई रोशन पर पड़ी, जो थके-हारे और डरे हुए जमीन पर बैठे थे। एसपी ने धीरे से कहा, “बेटा, क्या तुम रोशन हो?” रोशन ने उठकर देखा, “आप कौन हैं?” एसपी बोले, “मैं संगीता का चाचा हूं, मुझे पूरी बात बताओ।”
रोशन और सुरेश ने रोते हुए पूरी कहानी सुनाई कि कैसे संगीता को झूठे आरोप में गिरफ्तार किया गया। एसपी ने उनकी आंखों में देखा और कहा, “मैं आ गया हूं, चिंता मत करो।” वह थाने के अंदर गए। हवालदार ने टोका, “कौन हो भाई?” एसपी बोले, “मैं संगीता का चाचा हूं, दरोगा से बात करनी है।” हवालदार ने उन्हें अंदर जाने दिया।
दरोगा के कमरे में पहुंचकर एसपी ने कहा, “जो लड़की तुमने पकड़ी है, वह निर्दोष है।” दरोगा कुर्सी से उठा और तंज कसा, “अब कौन तय करेगा? यह सब्जी वाला हमें कानून सिखाएगा?” एसपी बोले, “यह मेरी भतीजी है, और मैं जानता हूं कि वह चोरी नहीं कर सकती।” दरोगा गुस्से में बोला, “तू अभी गया नहीं तो तुझे भी बंद कर दूंगा।”
एसपी ने कहा, “महिला को रात में हवालात में नहीं रखा जा सकता, यह गैरकानूनी है। महिला कांस्टेबल की मौजूदगी के बिना गिरफ्तारी नहीं हो सकती।” दरोगा गरजा, “तुझे अंदर कर दूंगा।” जैसे ही उसने हाथ उठाया, एसपी ने उसका हाथ पकड़ लिया और अपनी आईडी कार्ड दिखाई। दरोगा का रंग उड़ गया। जिसे वह सब्जी वाला समझ रहा था, वह सिटी एसपी था।
एसपी ने अपनी टीम को मिस कॉल दी। दो मिनट में तीन गाड़ियों के साथ पुलिस की टीम थाने में दाखिल हो गई। पूरे थाने में हड़कंप मच गया। एसपी ने दरोगा की कुर्सी पर बैठकर कहा, “बताओ, इस लड़की को किस जुर्म में गिरफ्तार किया है?” दरोगा कुछ बोल नहीं पाया। एसपी ने कहा, “मैंने पूछा है।”
दरोगा बोला, “इसने गाड़ी से गहने चोरी किए हैं।” एसपी ने रजिस्टर मंगवाया और कंप्लेंट ढूंढने लगे। लेकिन संगीता के खिलाफ कोई लिखित शिकायत नहीं थी। एसपी बोले, “कितने साल से ड्यूटी कर रहे हो?” दरोगा बोला, “12 साल।” एसपी बोले, “12 साल में यह नहीं सीखा कि महिला को रात में हवालात में नहीं रखा जाता। कोई महिला कांस्टेबल नहीं, कोई एफआईआर नहीं, फिर भी लड़की को बंद कर दिया।”
दरोगा सिर झुका चुका था। एसपी ने सख्ती से कहा, “सबसे पहले इस लड़की को छोड़ो।” संगीता हवालात से निकली, आंसुओं से भरी आंखों से उस आदमी को देखती रही जिसने उसे छुड़ाया था। उसे अब तक पता नहीं था कि वह साधारण कपड़ों वाला आदमी असल में कौन था।
संगीता बाहर निकली और फटीफटी आंखों से उस साधारण दिखने वाले शख्स को देखती रही। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि जो आदमी लुंगी कुर्ते में मास्क लगाकर आया था, वह पूरा सिस्टम हिलाने की ताकत रखता है। जब उसके पिता और भाई ने बताया कि यही सिटी एसपी है, तो उसकी आंखों से आंसू थम नहीं रहे थे। वह बस एकटक एसपी को देखती रही और जमीन पर झुककर उनके पैर छूने लगी। एसपी ने उसे उठाया और कहा, “बेटी, पुलिस का काम यही है कि सच के साथ खड़े होना।”
फिर एसपी ने दरोगा की सस्पेंडमेंट का आदेश दिया। दरोगा ने हाथ जोड़कर माफी मांगी, लेकिन एसपी बोले, “तुम जैसे चंद लोग पूरे विभाग को बदनाम कर देते हो। लोग पुलिस को देखकर डरते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि पुलिस उनकी मदद नहीं, मुसीबत बन गई है। पुलिस को देखकर जनता को भरोसा होना चाहिए, डर नहीं।”
दरोगा का नाम थाने की दीवार से हटा दिया गया और उसे लाइन हाजिर कर दिया गया। संगीता अपने पिता और भाई के साथ थाने से बाहर निकली, सिर उठाकर, आंखों में आत्मसम्मान लिए। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती।
अगली सुबह एसपी ने संगीता और उसके परिवार को फिर से बुलाया। तीनों थोड़े घबराए हुए थाने पहुंचे। एसपी ने कहा, “अब एक और काम करना है। जिस नेता के बेटे ने तुम्हें झूठे केस में फंसाया, उसके खिलाफ मानहानि का केस दर्ज करना होगा।” संगीता के पिता ने डरते हुए कहा, “हम गरीब लोग हैं, बड़े लोगों से पंगा कैसे लेंगे? अगर उन्होंने फिर कुछ किया तो?”
एसपी मुस्कुराए और बोले, “पंगा तुम नहीं ले रहे, सिस्टम लेगा। जब सिस्टम साथ हो तो कोई बड़ा नहीं होता। अगर आज तुम चुप रह गए तो कल कोई और फंसाई जाएगी।” संगीता ने पिता का हाथ थामा और कहा, “बाबूजी, अब डरना नहीं है। आज नहीं बोले तो पूरी जिंदगी पछताएंगे।”
तीनों ने हां कर दी। मंत्री के बेटे के खिलाफ केस दर्ज हुआ। कोर्ट ने इसे गंभीर मामला माना। जांच में साबित हुआ कि गाड़ी से कोई गहना चोरी नहीं हुआ था, वह सारा आरोप झूठा था। अदालत ने संगीता को निर्दोष घोषित किया और मंत्री के बेटे को सख्त चेतावनी दी।
मीडिया में यह मामला खूब उछला। एक ईमानदार एसपी ने गरीब की बेटी को न्याय दिलाया। अब संगीता फिर से उसी मॉल की पार्किंग में काम करती है, लेकिन इस बार लोग उसे सम्मान से देखते हैं। क्योंकि अब वह सिर्फ एक गरीब लड़की नहीं बल्कि सिस्टम को झुका देने वाली मिसाल बन चुकी है।
और उस थाने की दीवार पर अब एक नया बोर्ड लगा है — “यहां कानून बिकता नहीं, यहां न्याय बोला जाता है।”
यह कहानी है एक साधारण कपड़ों में आए सच्चे पुलिस वाले की और एक लड़की की, जिसने सच का साथ देने की सजा पाई, लेकिन फिर कानून ने उसे उसका आत्मसम्मान वापस दिया।
अब सवाल आपसे — क्या आपको लगता है अगर एसपी साहब नहीं आते तो संगीता को इंसाफ मिलता? क्या दरोगा जैसे लोग अभी भी सिस्टम में बैठे हैं जो सत्ता के आगे इंसानियत भूल जाते हैं?
सोचिए, समझिए और अपनी राय जरूर दीजिए। क्योंकि आपकी आवाज किसी की आवाज बन सकती है।
जय हिंद।
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