वरमाला के वक्त दुल्हन हुई बेहोश, सच जान दूल्हे और बाराती, सभी हैरान। फिर जो
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जयपुर के एक प्रतिष्ठित परिवार में डॉक्टर अमित का विवाह तय हुआ था। अमित न केवल एक कुशल चिकित्सक था बल्कि दिल का भी बहुत साफ इंसान था। उसने मानसिक रोगों में पढ़ाई की थी और वह लोगों की मानसिक समस्याओं का इलाज करता था। उसकी सोच और समझ समाज में अलग ही थी। शादी का दिन था। पूरा मैरिज हॉल रंग-बिरंगे फूलों से सजा हुआ था। संगीत की मधुर आवाजें चारों ओर गूंज रही थीं। लोग राजस्थानी व्यंजनों का आनंद ले रहे थे और कुछ डांस फ्लोर पर झूम रहे थे।
स्टेज पर खड़ा था हमारा दूल्हा अमित। उसकी शेरवानी में वह राजकुमार जैसा लग रहा था। लेकिन उसकी आंखों में बेचैनी थी। वह अपनी होने वाली पत्नी प्रिया से मिलने के लिए उत्सुक था। प्रिया जयपुर की एक खूबसूरत और पढ़ी-लिखी लड़की थी। उसके सौंदर्य की चर्चा दूर-दूर तक थी। प्रिया का पारिवारिक बैकग्राउंड ग्रामीण था, लेकिन मेहनत और लगन से उन्होंने शहर में अपनी पहचान बनाई थी। उनके पास अच्छा मकान, गाड़ियां और समाज में सम्मान था। लेकिन प्रिया के दिल में एक गहरा दर्द छुपा था, जिसे कोई नहीं जानता था।
अमित अपने मित्रों के साथ मंडप में खड़ा था। सभी उसे छेड़ रहे थे, “अरे यार, आज तो दिल जोर से धड़क रहा होगा।” अमित मुस्कुरा कर टाल देता। लेकिन उसकी निगाहें बार-बार मंडप के प्रवेश द्वार की ओर जाती थीं। तभी संगीत का स्वर बदला। एक मधुर गीत बजा और सभी की नजरें मंडप के मुख्य द्वार पर टिक गईं। वहां से धीरे-धीरे कदम रखती हुई प्रिया आई। उसका लाल लहंगा रोशनी में चमक रहा था। श्रृंगार ने उसकी खूबसूरती को चार चांद लगा दिए थे। काजल भरी आंखें, माथे पर सुंदर टीका और होठों पर हल्की मुस्कान, प्रिया बिल्कुल अप्सरा लग रही थी।
अमित उसे देखकर मंत्रमुग्ध हो गया। “कितनी सुंदर है प्रिया,” उसने मन में सोचा। मेहमान तालियां बजा रहे थे। हर कोई इस जोड़ी की प्रशंसा कर रहा था। प्रिया मंडप में पहुंची। अमित ने प्रेम भरी नजरों से उसे देखा। वरमाला की रस्म शुरू हुई। पहले अमित ने प्रिया के गले में हार डाला। फिर प्रिया की बारी आई। उसने भी मुस्कुराते हुए अमित के गले में माला पहनाई। चारों ओर से तालियों की गूंज आ रही थी।
लेकिन अचानक धड़ाम! एक पल में सारी खुशी गायब हो गई। प्रिया बेहोश होकर मंडप में ही गिर पड़ी। सबकी सांसें थम गईं। तालियों की आवाज रुक गई। अमित का चेहरा पीला पड़ गया। यह क्या हुआ? हर किसी के दिमाग में यही सवाल था। लोग दौड़कर मंडप की ओर आए। खाना छोड़कर, नाचना छोड़कर सब भागे। लड़की को क्या हो गया? कहीं कोई बीमारी तो नहीं? फुसफुसाहट शुरू हो गई।
प्रिया के परिवारजन तुरंत दौड़े आए। उसकी मां और बहन ने उसे संभाला और पास के कमरे में ले गए। लेकिन अमित और उसके परिवार के मन में तूफान मच गया था। कहीं प्रिया को कोई गंभीर बीमारी तो नहीं? क्या इसीलिए शादी इतनी जल्दी में तय की गई? अमित के दिल में शक के बादल घेर आए। दरअसल, यह शादी कुछ तेजी से तय हुई थी। प्रिया के घर वालों ने कहा था कि अगला शुभ मुहूर्त पूरे साल भर बाद आएगा। अमित का परिवार धार्मिक था। उन्होंने बिना ज्यादा सोचे-समझे हां कर दी थी। लेकिन अब प्रिया का अचानक बेहोश होना एक रहस्य बन गया था।
अमित के परिवार को लगने लगा कि कुछ तो छुपाया जा रहा है। कहीं लड़की को कोई मानसिक परेशानी तो नहीं? क्या इसीलिए वे लोग जल्दी में थे? उनके दिमाग में तरह-तरह के ख्याल आने लगे। अमित की मां ने चुपके से पति से कहा, “कहीं हमारे साथ धोखा तो नहीं हुआ? अगर लड़की को कोई गंभीर समस्या है, तो हम यह रिश्ता नहीं करेंगे।” मैरिज हॉल का माहौल पूरी तरह बदल चुका था। जहां कुछ देर पहले हर्षोल्लास था, वहां अब चिंता और घबराहट छा गई थी।
प्रिया के परिवारजन बार-बार कह रहे थे, “कुछ नहीं हुआ। बस थकान की वजह से चक्कर आ गया। गर्मी भी ज्यादा है।” लेकिन अमित को यह बात पचने में नहीं आ रही थी। आखिर वो खुद एक डॉक्टर था। मानसिक और शारीरिक दोनों तरह की बीमारियों की उसे अच्छी समझ थी। उसे कुछ गड़बड़ लग रहा था। उसने मन में ठान लिया कि वह इस रहस्य की तह तक जाएगा। वह खुद जाकर प्रिया का हाल जानना चाहता था।
अमित सीधा उस कमरे में पहुंचा जहां प्रिया को लेटाया गया था। वहां प्रिया के माता-पिता, उसकी दीदी और कुछ नजदीकी रिश्तेदार मौजूद थे। सभी के चेहरों पर परेशानी साफ दिख रही थी। अमित ने शांत किंतु दृढ़ स्वर में कहा, “मैं प्रिया की जांच करना चाहता हूं। मैं डॉक्टर हूं। मुझे देखने दीजिए।” प्रिया के पिता ने थोड़ी झिझक के बाद इजाजत दे दी।
अमित ने प्रिया की नाड़ी देखी। उसकी आंखों की जांच की। बाहर से तो सब सामान्य लग रहा था। पर अमित के अनुभव ने कुछ और ही इशारा किया। प्रिया का रंग फीका था और सांसे कमजोर आ रही थीं। थोड़ी देर बाद प्रिया को होश आया। उसने धीरे-धीरे आंखें खोलीं पर उसकी नजरें इधर-उधर भटक रही थीं। आंखों में एक अजीब सा भय था।
अमित ने नरम लहजे में पूछा, “प्रिया, तुम कैसा महसूस कर रही हो? कुछ बताना चाहती हो?” प्रिया ने केवल सिर हिलाया और मौन रह गई। अमित ने प्रिया के पारिवारिक लोगों से प्रश्न किया, “क्या प्रिया को पहले भी कभी ऐसा हुआ है? कोई तकलीफ तो नहीं?” प्रिया के पिता ने फौरन जवाब दिया, “बिल्कुल नहीं। वह पूर्ण स्वस्थ है। शायद गर्मी के कारण चक्कर आ गया।”
अमित को यह उत्तर संतोषजनक नहीं लगा। उसने गहरी सांस ली और कहा, “ठीक है, लेकिन मैं एक बार प्रिया का मेकअप हटवाकर उसका चेहरा देखना चाहूंगा। कुछ चीजें चेक करनी हैं।” प्रिया के परिवार ने पहले तो विरोध किया। प्रिया की मां बोली, “यह कैसी बात है? अभी मेकअप हटाने की क्या आवश्यकता?” लेकिन अमित के परिवार ने जोर डाला। अमित के पिता ने कड़े स्वर में कहा, “देखिए, हमारा बेटा चिकित्सक है। यदि उसे संदेह है तो हम वास्तविकता जानना चाहते हैं। अगर आप कुछ छुपा रहे हैं तो हम यह विवाह रद्द कर देंगे।”
प्रिया के घर वालों को मजबूरी में हामी भरनी पड़ी। एक महिला ने प्रिया का श्रृंगार साफ किया। जैसे ही मेकअप हटा, प्रिया का वास्तविक चेहरा सामने आया। अमित ने फोन की रोशनी में प्रिया को गौर से देखा। आंखों के नीचे गहरे काले धब्बे, पीला चेहरा और सूखे होंठ। अमित को तुरंत एहसास हुआ कि प्रिया शारीरिक रूप से अत्यधिक कमजोर थी।
अमित ने सवाल किया, “इतनी कमजोरी क्यों? क्या प्रिया तनाव में है? कोई ऐसी बात है जो आप छुपा रहे हैं?” प्रिया के पिता ने वही बात दोहराई, “ऐसा कुछ नहीं है। हमारी बेटी प्रसन्न है।” अमित का धैर्य जवाब दे रहा था। उसने कड़े स्वर में कहा, “सुनिए, मैं डॉक्टर हूं। मानसिक व्याधियों की मेरी विशेषज्ञता है। प्रिया को निश्चित रूप से कोई गहरा तनाव है जिसकी वजह से वह खाना-पीना छोड़ रही है और नींद नहीं आ रही। सच कहिए। नहीं तो मैं अभी बारात लेकर वापस जा रहा हूं।”
अमित की बात सुनकर प्रिया के पिता का चेहरा उतर गया। कमरे में सन्नाटा छा गया। प्रिया की मां की आंखें भर आईं। थोड़ी मौनता के पश्चात प्रिया के पिता ने हार मान ली। वे बोले, “ठीक है, हम सब बताते हैं। लेकिन यह बात यही रह जानी चाहिए।”
कमरे में खास लोगों को बुलाया गया। दरवाजा बंद हुआ और फिर प्रिया की जिंदगी का वह राज खुला जिसने अमित को भी हैरत में डाल दिया। प्रिया कॉलेज की छात्रा थी। वहां उसकी मुलाकात राहुल नाम के एक युवक से हुई। राहुल का परिवार मध्यमवर्गीय था। उसके पिता एक सरकारी कर्मचारी थे और उन्हीं की आमदनी से राहुल पढ़ाई कर रहा था। राहुल दिखने में साधारण था, लेकिन उसका हृदय सोने जैसा था। वह मेहनती, ईमानदार और प्रिया से अपार प्रेम करता था।
धीरे-धीरे प्रिया और राहुल एक-दूसरे के निकट आए। उनका प्यार निष्कपट था। बिना किसी दिखावे के। वे एक-दूसरे के बिना अधूरे थे। कॉलेज की कैंटीन में चाय पीना, पुस्तकालय में चुपचाप बातें करना और छुप-छुप कर पत्र लिखना उनके प्रेम की छोटी-छोटी यादें थीं।
परंतु एक दिन यह बात प्रिया के पिता के कानों तक पहुंच गई। एक पड़ोसी ने उन्हें बताया कि प्रिया को राहुल के साथ देखा गया है। प्रिया के पिता को गुस्सा आया। वे क्रोधित होकर घर लौटे और प्रिया के कॉलेज से आने का इंतजार करने लगे। जैसे ही प्रिया घर पहुंची, उसके पिता ने डांटना शुरू किया, “यह क्या कर रही है तू? हमारे खानदान की प्रतिष्ठा का क्या होगा? तूने सोचा है कि गांव में यह बात फैली तो हमारा क्या हाल होगा?”
प्रिया घबरा गई। उसने साहस करके कहा, “पिताजी, मैं राहुल से सच्चा प्रेम करती हूं। वह बहुत भला इंसान है। मैं उससे ही विवाह करना चाहती हूं।” यह सुनकर प्रिया के पिता और भाई आग बुला हो गए। प्रिया की मां ने उसे तमाचा मारा और कहा, “हिम्मत कैसे हुई तेरी यह बात कहने की? तूने हमारे वंश की नाक कटवा दी है।”
प्रिया को घर में बंद कर दिया गया। उसका मोबाइल छीन लिया गया और कॉलेज जाने पर भी पाबंदी लगा दी गई। प्रिया हर रात आंसू बहाती। वह राहुल को याद करती और अपने प्रेम को बचाने की विनती करती। राहुल को जब यह मालूम हुआ तो वह प्रिया से मिलने उसके घर पहुंचा। लेकिन प्रिया के भाई ने उसे पकड़ लिया और बुरी तरह पीटा। उसने धमकी दी, “अगर दोबारा यहां नजर आया तो जान से मार दूंगा।” राहुल चुपचाप वापस चला गया। उसके पास ना तो धन था ना ताकत। वह केवल अपने प्रेम पर विश्वास करता था। लेकिन प्रिया के घर वालों की धमकियों ने उसे तोड़ दिया। वह अपने कमरे में बंद हो गया और प्रिया की यादों में खो गया।
प्रिया के पिता ने उसका रिश्ता अमित से निश्चित कर दिया। अमित एक प्रसिद्ध चिकित्सक था। उसका परिवार प्रभावशाली था और उनके पास पुश्तैनी संपत्ति भी थी। प्रिया के पिता को यह रिश्ता बेहद पसंद आया। अमित का परिवार पारंपरिक सोच रखता था। उन्होंने प्रिया की तस्वीर देखी और विवाह के लिए सहमति दे दी।
परंतु प्रिया का हृदय टूट चुका था। वह हर रात राहुल को याद करके रोती थी। ना खाना खाती थी ना ठीक से सोती थी। उसका शरीर दुबला-पतला हो गया। और उसी कमजोरी ने उसे विवाह के मंडप में गिरा दिया था।
अमित ने यह सब सुनकर लंबी सांस ली। उसकी आंखों में एक विचित्र चमक आई। वह समझ गया कि प्रिया का बेहोश होना कोई सामान्य घटना नहीं थी। उसने प्रिया के पिता से कहा, “अंकल जी, आपने गलत किया है। प्रिया को जबरदस्ती विवाह के लिए मजबूर करना उचित नहीं। जिससे वह प्रेम करती है, उसे उससे अलग करना उसकी जिंदगी नष्ट करने के समान है। अभी भी वक्त है। राहुल को बुलवाइए। मैं चाहता हूं कि प्रिया उसी से विवाह करें।”
प्रिया के पिता अवाक रह गए। “यह क्या कह रहे हो बेटा? बारात वापस गई तो हमारी इज्जत का क्या होगा? गांव में लोग क्या कहेंगे?” अमित मुस्कुराया और बोला, “इज्जत तब बचेगी जब आप अपनी बेटी की खुशी का ख्याल रखेंगे। राहुल को बुलवाइए, मैं सब व्यवस्था कर दूंगा। यदि आप नहीं मानते तो मैं अभी बारात लेकर चला जाऊंगा।”
प्रिया के पिता डर गए। वे समझ गए कि अमित का इरादा पक्का है। थोड़ी सोच-विचार के बाद उन्होंने हामी भर दी। प्रिया के बड़े भाई को राहुल के घर भेजा गया। जब प्रिया का भाई राहुल के घर पहुंचा तो देखा कि राहुल अपने कमरे में बैठा था। उसका चेहरा उदास था और आंखें सूजी हुई थीं। उसे मालूम था कि आज प्रिया का विवाह है। वह अपने प्रेम को खोने के दुख में डूबा था।
प्रिया का भाई बोला, “राहुल बाहर आओ। प्रिया तुमसे शादी करना चाहती है। चलो मेरे साथ।” राहुल को पहले भरोसा नहीं हुआ। उसने सोचा शायद कोई मजाक है। लेकिन जब प्रिया के भाई ने सारी बात बताई तो राहुल की आंखों में उम्मीद की किरण जग गई। वह तुरंत तैयार हो गया और प्रिया के भाई के साथ मैरिज हॉल के लिए निकल पड़ा।
मैरिज हॉल में राहुल का प्रवेश हुआ। उसे दूल्हे के वस्त्र पहनाए गए और मंडप में बिठाया गया। लेकिन मेहमानों में हलचल मच गई। “अरे दूल्हा तो बदल गया। यह क्या बात है?” लोग परेशान थे। कुछ तो नाराज होने लगे। प्रिया के पिता घबरा गए। उन्हें चिंता थी कि कहीं उनकी प्रतिष्ठा धूल में ना मिल जाए।
लेकिन तभी अमित मंडप पर चढ़ा। उसने माइक उठाया और ऊंची आवाज में कहा, “सभी लोग सुनिए। प्रिया और राहुल एक-दूसरे से सच्चा प्रेम करते हैं। मैं नहीं चाहता कि इनकी जिंदगी बर्बाद हो। इसलिए मैंने निर्णय लिया है कि प्रिया का विवाह राहुल से होगा। प्रेम में कोई गुनाह नहीं है। यह दो आत्माएं एक-दूसरे के लिए बनी हैं।”
अमित की बात सुनकर सारी भीड़ मौन हो गई। कुछ क्षणों के सन्नाटे के बाद तालियां गूंजने लगीं। लोग अमित की बहादुरी और दयालुता की प्रशंसा करने लगे। प्रिया की आंखों में आंसू थे, परंतु इस बार वे खुशी के आंसू थे। राहुल ने प्रिया का हाथ पकड़ा और दोनों ने एक-दूसरे को वरमाला पहनाई। मंडप में फिर से उत्सव की लहर दौड़ गई। संगीत बजने लगा और लोग नृत्य करने लगे। प्रिया और राहुल का विवाह धूमधाम से संपन्न हुआ।
अमित ने उन्हें आशीर्वाद दिया और चुपचाप अपनी बारात के साथ वापस चला गया। लेकिन उसकी यह नेकी हर किसी के दिल में बस गई। आज प्रिया और राहुल सुखी जीवन बिता रहे हैं। उनकी एक प्यारी बेटी है जिसका नाम अनन्या है। राहुल को सरकारी नौकरी मिल गई है और वह अपनी मेहनत से परिवार का भरण-पोषण करता है। प्रिया के माता-पिता अब राहुल को अपने पुत्र की भांति मानते हैं। दोनों परिवारों के बीच प्रेम और सम्मान का रिश्ता है।
अमित आज भी लोगों के लिए आदर्श है। उसने न केवल प्रिया और राहुल को नया जीवन दिया बल्कि यह सिखाया कि सच्चा प्रेम और मानवता से बड़ा कुछ नहीं होता। बाद में अमित की शादी भी एक अच्छी लड़की से हुई जो उसकी सोच को समझती थी और उसका सम्मान करती थी। अमित का यह कार्य समाज में एक मिसाल बना।
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