वह नौकरानी से प्यार कर बैठा और अपनी पत्नी को तलाक दे दिया, लेकिन नौकरानी सारा सामान लेकर भाग गई
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वासना की पट्टी और रिश्तों का टूटना
दिल्ली के वसंत विहार इलाके में एक भव्य बंगला था, जो आदित्य का घर था। आदित्य एक सफल और अमीर बिजनेसमैन था, जिसकी टेक्सटाइल कंपनी ‘रॉयल फैबिक्स’ देश के बड़े ब्रांड्स में से एक थी। उसकी दौलत, शोहरत और पद सब कुछ था। उसके पिता ने अपनी पूरी जिंदगी मेहनत करके यह संपत्ति बनाई थी, और आदित्य ने अपनी काबिलियत से उसे और बढ़ाया था।
पर आदित्य के जीवन में एक कमी थी—उसकी पत्नी राधिका। राधिका 35 साल की, एक शांत, सुशील और संस्कारी महिला थी। वह एक रिटायर्ड प्रोफेसर की बेटी थी और खुद भी साहित्य में पोस्ट ग्रेजुएट थी। शादी के बाद उसने अपने सारे सपने और इच्छाएं एक संदूक में बंद कर दी थीं। उसका सारा ध्यान अपने पति और बेटी पिया पर था। वह एक आदर्श पत्नी और मां थी। सुबह जल्दी उठकर घर के हर कोने की सफाई करती, आदित्य के कपड़े और खाने से लेकर बिजनेस की फाइलों तक सब कुछ संभालती। पिया उसकी परछाई थी।
बाहरी दुनिया से देखने पर यह परिवार परफेक्ट लग रहा था, लेकिन आदित्य अब अपनी पत्नी की सादगी से ऊब चुका था। वह चाहता था कि उसकी पत्नी भी बाकी मॉडर्न पत्नियों की तरह बोल्ड और बिंदास हो। पार्टियों में जाकर चमक-दमक दिखाए। लेकिन राधिका को पार्टियों में जाना पसंद नहीं था। उसे छोटे कपड़े पहनना और अजनबियों से घुलना-मिलना असहज लगता था। यही बात आदित्य को चुभने लगी थी।
एक दिन उनके घर आई माया। माया 22-23 साल की नौकरानी थी, जो एक दूर के गांव से आई थी। सांवला रंग, बड़ी-बड़ी नशीली आंखें और एक ऐसा भोलापन जो किसी का भी दिल जीत सकता था। उसने बताया कि उसके मां-बाप नहीं हैं और वह अपनी छोटी बहन की पढ़ाई के लिए शहर में काम करने आई है। राधिका को उस पर तरस आया और उसने माया को काम पर रख लिया। माया ने घर के एक कोने में एक छोटा सा कमरा भी दिया।
शुरू में माया ने अपनी मेहनत और भोलेपन से सबका दिल जीत लिया। वह राधिका की हर बात मानती, लेकिन उसकी नजरें हमेशा आदित्य पर टिकी रहतीं। यही से शुरू हुआ वह खेल, जिसने आदित्य के घर की खुशियों को छीन लिया।
माया जानती थी कि कैसे अमीर आदमी को फंसाना है। उसने धीरे-धीरे अपना जाल बुनना शुरू किया। जब भी आदित्य घर पर होता, वह तंग और आकर्षक कपड़े पहनती, झुककर काम करती और अपनी अदाओं से उसका ध्यान अपनी ओर खींचती। मीठी और मासूम आवाज़ में कहती, “साहब, आप कितना काम करते हैं, थक जाते होंगे। मैं आपके पैर दबाऊंगी।” आदित्य को यह सब शहद की तरह मीठा लगता।
माया ने राधिका और आदित्य के बीच गलतफहमियां पैदा करनी शुरू कर दीं। जब राधिका कोई खास डिश बनाती, माया उसमें नमक या मिर्च ज्यादा डाल देती। जब आदित्य गुस्से में खाना छोड़ देता, माया चुपके से उसके लिए खाना बनाकर ले आती। जब राधिका आदित्य के ऑफिस के कपड़े प्रेस करती, माया जानबूझकर दाग लगा देती। आदित्य गुस्से में आता, और माया तुरंत दूसरी शर्ट लेकर आती।
माया अक्सर राधिका की बुराई मासूमियत से आदित्य के सामने करती, “साहब, भाभी जी बहुत अच्छी हैं, पर उन्हें आपकी कोई कदर नहीं है। आप उनके लिए इतना करते हैं, और वे बस पूजा-पाठ और बेटी में लगी रहती हैं।”
आदित्य पहले से ही राधिका से खिंचा हुआ था। अब माया की बातों पर यकीन करता। उसे राधिका बोरिंग लगने लगी। माया ही उसे समझती, उसकी परवाह करती। राधिका ने कई बार समझाने की कोशिश की, पर आदित्य सुनने को तैयार नहीं था।
घर में रोज झगड़े होने लगे। आदित्य राधिका से बात भी नहीं करता। देर रात घर लौटता, माया को ढूंढता। माया के हाथ का खाना खाता और दिल की बातें करता।
एक रात आदित्य शराब के नशे में घर लौटा। राधिका ने संभालने की कोशिश की, तो उसने धक्का दे दिया। “दूर हटो मुझसे, मैं तुम्हारी शक्ल भी नहीं देखना चाहता।” फिर वह माया के कमरे की ओर बढ़ा और वही गुनाह किया जिसने पति-पत्नी के पवित्र रिश्ते को तार-तार कर दिया।
अगली सुबह राधिका ने आदित्य को माया के कमरे से निकलते देखा। उसका दिल टूट गया। वह रोते हुए बोली, “आदित्य, आपने क्या किया? हमारा रिश्ता क्या था?”
आदित्य ने बेशर्मी से कहा, “वह रिश्ता कब का मर चुका है। अब मैं माया से प्यार करता हूँ और उसी के साथ रहना चाहता हूँ।”
राधिका ने तलाक देने का फैसला किया। उसने माया को घर से निकालने की कोशिश की, पर आदित्य ने माया के सामने दीवार बनकर खड़ा हो गया। “अगर माया को हाथ लगाया, तो तुम जाओगी।”
आदित्य ने अपनी पत्नी को बेटी के सामने धक्के मारकर घर से निकाल दिया। राधिका अपनी बेटी का हाथ पकड़कर रोती रही। आदित्य ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। माया अपनी जीत पर मुस्कुराई।
हफ्ते भर के भीतर आदित्य ने माया से शादी कर ली। वह सोचता था कि अब उसकी जिंदगी स्वर्ग होगी। माया ने घर को अपनी पसंद से सजाया, राधिका के निशान मिटा दिए। आदित्य माया के प्यार में अंधा हो चुका था। उसने कंपनी के सारे बैंक अकाउंट माया के नाम कर दिए। बेटी पिया को बोर्डिंग स्कूल भेज दिया।
लेकिन माया एक धोखेबाज थी। छह महीने बाद उसने नींद की गोलियों से भरी शराब पिलाकर आदित्य को बेहोश कर दिया। घर के लॉकर से गहने, नकदी, कागजात लेकर फरार हो गई। एक खत छोड़ा, जिसमें लिखा था, “शुक्रिया मेरे बेवकूफ पति, तुम्हारी दौलत के लिए। मैं तुमसे कभी प्यार नहीं करती थी।”
आदित्य जब जागा तो सब कुछ खाली था। चीखें मारता रहा, पर कोई सुनने वाला नहीं था। उसकी दुनिया उजड़ गई। बैंक अकाउंट खाली, घर गिरवी, कंपनी कर्ज में डूबी। वह सड़क पर आ गया।
दो साल तक मजदूरी करता रहा। हर दिन माया का पता पूछता। उसे राधिका की याद आने लगी। उसने माया के खिलाफ धोखाधड़ी की रिपोर्ट पुलिस में दर्ज कराई। फिर खुद खोजने निकला।
माया का सुराग मिला बिहार के मधुबनी में। वहां उसने एक ब्यूटी पार्लर खोला था। आदित्य ने पुलिस को बुलाकर माया को गिरफ्तार कराया। माया ने अपना गुनाह कबूल किया और 7 साल की सजा हुई।
आदित्य ने राधिका से माफी मांगी। पता चला कि राधिका ने तलाक के बाद पढ़ाई की, बीएड किया और एक प्रतिष्ठित स्कूल की प्रिंसिपल बनी। उसने बेटी पिया को अपने पास रखा।
आदित्य स्कूल के बाहर बैठा रहा। राधिका उसे देखकर हैरान हुई। उसने बेटी से कहा, “यह तुम्हारे पापा हैं।”
आदित्य ने रोते हुए कहा, “राधिका, मुझे माफ कर दो।”
राधिका की आंखों में गुस्सा नहीं था, बस एक गहरी शांति और तरस था।
कहानी का संदेश:
वासना और लालच का रास्ता हमेशा तबाही की ओर जाता है। सच्चा प्यार और विश्वास दौलत से बढ़कर होता है। रिश्तों की कदर करें, क्योंकि खोया हुआ प्यार फिर नहीं मिलता।
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