शादीशुदा होकर भी ताउम्र ‘अकेली’ क्यों रहीं हेमा मालिनी | Dharmendra And Hema Malini Story
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हेमा मालिनी और धर्मेंद्र: एक अनकही प्रेम कहानी
क्या एक औरत के लिए यह स्वीकार करना आसान होता है कि उसका पति हर रात उसके पास होने के बावजूद किसी और घर में सोने जाए? यह सवाल बॉलीवुड की ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी के जीवन की जटिलताओं को दर्शाता है। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी एक “हाफ मैरिज” यानी आधी शादी के सहारे गुजार दी। धर्मेंद्र, जो अपनी मर्दानगी और उसूलों के लिए जाने जाते थे, शादी करने के बाद भी हेमा के साथ एक छत के नीचे कभी नहीं रह पाए। यह कहानी केवल प्यार की नहीं, बल्कि रिश्तों के बंटवारे, समय के बंटवारे और एक ऐसे रिश्ते की है जिसे दुनिया ने नाम तो बहुत दिए, लेकिन समझ नहीं पाया।
धर्मेंद्र और हेमा का रोमांस
70 और 80 के दशक में जब रोमांस का मतलब सिर्फ धर्मेंद्र और हेमा मालिनी हुआ करता था, तब इन दोनों का जादू दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देता था। पर्दे पर जब यह जोड़ी आती, तो ऐसा लगता था कि कायनात ने इन्हें एक-दूसरे के लिए ही बनाया है। लेकिन पर्दे के पीछे की कहानी किसी सस्पेंस थ्रिलर से कम नहीं थी।
धर्मेंद्र, जो पंजाब के सहनेवाल गांव से आए थे, ने मुंबई में अपने करियर की शुरुआत की। उनकी पहली पत्नी प्रकाश कौर थीं, जिन्होंने उनके संघर्ष के दिनों में उनका साथ दिया। प्रकाश कौर ने धर्मेंद्र के साथ उस वक्त शादी की जब उनके पास न तो प्रसिद्धि थी और न ही पैसा। वह धर्मेंद्र की सफलता की नींव थीं, लेकिन जब हेमा मालिनी की एंट्री हुई, तो सब कुछ बदल गया।

हेमा का आना और धर्मेंद्र का प्यार
हेमा मालिनी, जो दक्षिण भारत की खूबसूरत कली थीं, ने धर्मेंद्र के जीवन में तूफान की तरह एंट्री की। उनके लिए दीवानों की कमी नहीं थी, लेकिन धर्मेंद्र ने हेमा का हाथ थाम लिया और उनके साथ शादी कर ली। यह शादी केवल दो दिलों का मिलन नहीं थी, बल्कि सामाजिक मान्यताओं के खिलाफ एक विद्रोह भी था।
हालांकि, शादी के बाद धर्मेंद्र की जिंदगी में जटिलताएँ बढ़ गईं। वह पहले से शादीशुदा थे और उनके चार बच्चे थे। समाज और परिवार ने इस नए रिश्ते को स्वीकार नहीं किया। धर्मेंद्र के सामने एक ओर परिवार था जिसे वह छोड़ नहीं सकते थे और दूसरी ओर हेमा थी जिन्हें वह खोना नहीं चाहते थे।
आधी शादी का दर्द
धर्मेंद्र ने एक ऐसा रास्ता चुना जो सुनने में अजीब लगता है, लेकिन शायद वही एकमात्र विकल्प था। उन्होंने दो नामों पर सवारी करने का फैसला किया। यह निर्णय था दो अलग-अलग घर लेकिन एक ही पति। हेमा मालिनी, जो धर्मेंद्र की दूसरी पत्नी थीं, ने कभी भी उन्हें मजबूर नहीं किया कि वह अपने पहले परिवार को छोड़ दें। उन्होंने खामोशी और त्याग का रास्ता अपनाया।
सोचिए, उस नई नवेली दुल्हन को कैसा लगता होगा जिसका पति दिनभर उसके साथ रहे, शाम को उसके साथ वक्त बिताए, लेकिन जैसे ही रात गहराने लगे, वह अपने पहले घर चला जाए। यह स्थिति सालों-साल चलती रही। जूहू में हेमा का बंगला और वहां से बमुश्किल कुछ मिनटों की दूरी पर धर्मेंद्र का घर था, जहां उनकी पहली पत्नी प्रकाश कौर और उनके बेटे रहते थे।
हेमा की सहनशक्ति
हेमा मालिनी ने अपने दर्द को बहुत ही सादगी से बयां किया। उन्होंने कहा, “मैं किसी को डिस्टर्ब नहीं करना चाहती थी। धर्मेंद्र जी के ऊपर पहले से जिम्मेदारियां थीं। मैं नहीं चाहती थी कि मेरी वजह से उस घर में कोई क्लेश हो।” यह शब्द कहने में आसान लगते हैं, लेकिन इसे जीने के लिए जिगर चाहिए।
आज के दौर में जहां रिश्तों में जरा सी खटास आने पर लोग अलग हो जाते हैं, हेमा ने अपनी शर्तों पर एक ऐसा रिश्ता निभाया जिसमें इंतजार के सिवा कुछ नहीं था। जैसे-जैसे वक्त बीता, हेमा और धर्मेंद्र की दो बेटियां हुईं, ईशा और आहाना। अब सवाल और तीखे हो गए। क्या धर्मेंद्र अपनी बेटियों को वह वक्त दे पाएंगे जो एक पिता को देना चाहिए?
धर्मेंद्र का संघर्ष
धर्मेंद्र ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की। वह एक विजिटिंग फादर तो बने लेकिन कभी भी फुल टाइम फादर नहीं बन पाए। ईशा देओल ने कई बार बताया है कि बचपन में उन्हें अपने पापा की कमी खलती थी, लेकिन साथ ही वह यह भी मानती हैं कि जब भी उन्हें पापा की सबसे ज्यादा जरूरत होती थी, वह किसी सुपरहीरो की तरह हाजिर हो जाते थे।
धर्मेंद्र अक्सर रात के अंधेरे में जब दुनिया सो रही होती थी, अपनी बेटियों से मिलने आते थे। वह चुपचाप आते, बेटियों को प्यार करते और फिर अपनी जिम्मेदारियों के दूसरे मोर्चे पर लौट जाते। यह उनकी जिंदगी का एक ऐसा रूटीन बन गया था जिसने उन्हें अंदर ही अंदर थका दिया था।
प्रकाश कौर का साहस
इस कहानी का तीसरा और सबसे अहम पहलू प्रकाश कौर है। एक पत्नी के तौर पर यह जानना कि आपका पति किसी और महिला से शादी कर चुका है और उसके साथ वक्त बिताता है, किसी कयामत से कम नहीं होता। लेकिन प्रकाश कौर ने कभी मीडिया में आकर तमाशा नहीं किया। उन्होंने कभी हेमा के खिलाफ जहर नहीं उगला। उन्होंने अपनी चुप्पी को ही अपनी ढाल बना लिया।
प्रकाश कौर ने अपने बेटों, सनी और बॉबी को संभाला जो उस वक्त बगावत पर उतर आए थे। कहा जाता है कि सनी देओल अपने पिता के इस फैसले से इतने नाराज थे कि घर का माहौल काफी तनावपूर्ण हो गया था। लेकिन प्रकाश कौर ने उस घर को बिखरने नहीं दिया।
वक्त का बदलाव
जैसे-जैसे उम्र ढलती गई, धर्मेंद्र का मन मुंबई की भीड़भाड़ और इन दो घरों की कशमकश से उचाट होने लगा। बॉबी देओल ने एक बार बातों ही बातों में बताया था कि अब पापा मुंबई में कम और अपने लोनावला या पनवेल वाले फार्म हाउस पर ज्यादा रहते हैं। यह एक बहुत बड़ा इशारा था। इसका मतलब था कि धर्मेंद्र अब ना तो पूरी तरह जूहू वाले पहले घर में थे और ना ही हेमा के घर में।
धर्मेंद्र अब प्रकृति की गोद में अपनी भैंसों, खेतों और पुराने गीतों के बीच सुकून तलाशने लगे थे। शायद यह उनका तरीका था उस अपराध बोध और गिल्ट से बचने का जो दो परिवारों के बीच बंटने से पैदा हुआ था।
हेमा का नया जीवन
हेमा मालिनी ने भी अपनी दुनिया अलग बसा ली। उन्होंने खुद को भरतनाट्यम, राजनीति और अपनी बेटियों के भविष्य में इतना व्यस्त कर लिया कि उन्हें अकेलेपन का एहसास ही नहीं हुआ। लोग कहते हैं कि हेमा अकेली रह गई, लेकिन हेमा कहती हैं कि वह अपने आप में पूरी हैं।
उन्होंने धर्मेंद्र से कभी शिकायत नहीं की कि आप रात को क्यों चले जाते हैं या आप हमारे साथ क्यों नहीं रहते? उन्होंने उस प्यार को जैसा था वैसा ही स्वीकार किया। इसे आप मजबूरी कह सकते हैं या फिर प्यार की इंतहा, लेकिन यह सच है कि हेमा ने कभी धर्मेंद्र को चुने जाने के लिए मजबूर नहीं किया।
अंत में
आज जब हम इन तीनों धर्मेंद्र, प्रकाश और हेमा को देखते हैं, तो एक अजीब सा ठहराव नजर आता है। सब अपनी-अपनी जगह सेटल हो चुके हैं। धर्मेंद्र अब एक बुजुर्ग, पिता और नाना दादा की भूमिका में हैं। उन्होंने कभी अपनी पहली पत्नी के साथ नजर आते हैं तो कभी अपनी बेटियों के साथ सोशल मीडिया पर फोटो शेयर करते हैं।
लेकिन क्या यह सब इतना आसान था? बिल्कुल नहीं। उन रातों के बारे में सोचिए जब हेमा बीमार रही होंगी और उन्हें पानी देने वाला कोई नहीं होगा। यह दर्द दोनों तरफ था। धर्मेंद्र उस पुल की तरह थे जिस पर दोनों तरफ से भारी ट्रैफिक था और वह पुल धीरे-धीरे कमजोर होता जा रहा था।
यह कहानी हमें बताती है कि जिंदगी ब्लैक एंड व्हाइट नहीं होती, यह ग्रे होती है। कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जिन्हें कोई नाम नहीं दिया जा सकता। उन्हें सिर्फ महसूस किया जा सकता है। धर्मेंद्र और हेमा की यह दास्तान बॉलीवुड की सबसे बड़ी लव स्टोरी है या सबसे बड़ा समझौता, इसका फैसला तो देखने वालों को करना है।
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