शादी की तैयारी चल रही थी… पर बहू पकड़ी गई रंगेहाथ, फिर जो हुआ किसी ने सोचा नहीं था

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श्यामपुर का रहस्य: एक परिवार की त्रासदी

उत्तराखंड के देहरादून से लगभग 25 किलोमीटर दूर प्रेमनगर थाना क्षेत्र के अंतर्गत आता है श्यामपुर नामक एक छोटा सा गांव। यहाँ कमला देवी अपने परिवार के साथ रहती थीं। उनका परिवार बड़ा खुशहाल था। कमला देवी के दो बेटे थे—राजेंद्र और दीपक। राजेंद्र खेती-बाड़ी संभालते थे, जबकि दीपक भारतीय सेना में नौकरी करता था। दीपक की पत्नी चंचल फैशन डिजाइनिंग का कोर्स कर रही थी और कमला के पास करोड़ों की संपत्ति थी।

परिवार में एक चिंता थी—राजेंद्र की पहली शादी टूट चुकी थी, लेकिन उसका बेटा भास्कर उनके साथ रहता था। कमला देवी चाहती थीं कि उनका बड़ा बेटा फिर से शादी कर घर बसाए ताकि परिवार की जिम्मेदारी पूरी हो सके और भास्कर को मां का प्यार मिल सके।

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शादी की तैयारी

कमला देवी ने बड़े बेटे के लिए कई रिश्तेदारों से बात की, लेकिन उम्र और पहले से बेटे के होने के कारण कोई रिश्ता नहीं बन पाया। फिर उन्हें पिथौरागढ़ में एक लड़की का रिश्ता मिला। परिवार ने लड़की और उसके परिवार को पसंद किया और तय किया कि वे लड़की देखने जाएंगे। 27 नवंबर 2015 को कमला देवी, राजेंद्र और भास्कर लड़की देखने पिथौरागढ़ के लिए निकले।

दीपक अपनी तैनाती के कारण उड़ीसा में था, और उसकी पत्नी चंचल भी उड़ीसा में ही थी। दीपक ने उस दिन अपनी मां से फोन पर बात की, लेकिन शाम को जब उसने फिर से कॉल किया तो फोन स्विच ऑफ था। अगले दिन भी कोई संपर्क नहीं हो पाया।

गुमशुदगी की घटना

दीपक ने पुलिस में गुमशुदगी दर्ज कराई। पुलिस ने जांच शुरू की तो उनकी कार उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में लावारिस हालत में मिली। कार में सामान सुरक्षित था, लेकिन किसी ड्राइवर का पता नहीं चला। पुलिस ने आसपास के सीसीटीवी फुटेज की जांच की, लेकिन कोई ठोस सुराग नहीं मिला।

कुछ दिन बाद, उधम सिंह नगर के पास जंगल में भास्कर का शव मिला। पोस्टमार्टम में पता चला कि उसकी हत्या गला रेत कर की गई थी। इसके बाद दो और शव मिले, जिनकी पहचान कमला देवी और राजेंद्र के रूप में हुई।

जांच का नया एंगल

पुलिस ने जांच के दौरान पाया कि परिवार के साथ जाने वाला ड्राइवर कोई और नहीं बल्कि संजय पंत था, जो परिवार के पड़ोस में रहता था। संजय और चंचल के बीच संदिग्ध संबंध थे। पुलिस ने चंचल और संजय दोनों को हिरासत में लिया।

पूछताछ में सामने आया कि चंचल और संजय का रिश्ता करीब डेढ़ साल पुराना था। दीपक की तैनाती दूर होने के कारण चंचल अकेलापन महसूस करती थी और संजय के साथ उसका रिश्ता बढ़ गया था।

कमला देवी ने चंचल को पहले भी चेतावनी दी थी कि वह संजय के संपर्क में न रहे, लेकिन चंचल ने माफी मांगकर सब कुछ छुपा दिया। दोनों ने मिलकर परिवार को खत्म करने की साजिश रची थी ताकि चंचल और संजय मिलकर कमला देवी की संपत्ति हड़प सकें।

हत्या की योजना

संजय ने खुद को ड्राइवर के रूप में पेश किया और परिवार को पिथौरागढ़ ले जाने के लिए निकला। रास्ते में उसने राजेंद्र की हत्या कर दी, फिर कमला देवी को गोली मारी। मासूम भास्कर की हत्या चाकू से की गई।

संजय और चंचल की योजना थी कि दीपक को भी खत्म कर दिया जाए, लेकिन इससे पहले ही पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। मामले में संजय पर हत्या, अपहरण और साक्ष्य छुपाने के आरोप लगे। चंचल और संजय के खिलाफ साजिश रचने का मुकदमा चलाया गया।

न्याय की लड़ाई

अदालत में केस की सुनवाई के दौरान कई सबूत पेश किए गए। चंचल ने अपने अपराध को स्वीकार किया और बताया कि उसने संजय के दबाव में यह कदम उठाया। संजय ने भी जुर्म कबूल किया।

दीपक ने कहा कि उसे अपनी पत्नी पर विश्वास था और उसे लगता नहीं कि वह इस कांड में पूरी तरह शामिल थी। लेकिन अदालत ने सबूतों के आधार पर फैसला सुनाया और संजय तथा चंचल को उम्रकैद की सजा दी।

परिवार की टूटन और नया जीवन

इस घटना ने पूरे गांव को हिला कर रख दिया। एक खुशहाल परिवार का उजड़ा हुआ सपना सबके सामने था। दीपक ने परिवार की जिम्मेदारी संभाली और अपने बेटे की परवरिश की।

चंचल की गलती ने उसे जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया, और संजय का नाम हमेशा नकारात्मक रूप में याद रखा गया।

दीपक ने अपने जीवन को नए सिरे से शुरू किया। उसने अपने परिवार के लिए मेहनत की और समाज में जागरूकता फैलाने का काम किया ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।

कहानी से सीख

यह कहानी हमें सिखाती है कि परिवार में विश्वास और ईमानदारी कितनी जरूरी होती है। कभी-कभी हमारे सबसे करीब के लोग भी हमें धोखा दे सकते हैं, लेकिन सच्चाई और न्याय की जीत हमेशा होती है।

हमें अपने परिवार के प्रति सचेत रहना चाहिए और किसी भी तरह की गलत सोच या व्यवहार को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

समाप्त।