शादी में हुआ धोखा | पतली लड़की के बदले आई मोटी लड़की, देख कर दूल्हा हुआ परेशान।

.

1. पहली रात का धोखा

अरबी गांव की गलियों में आज रौनक थी। खालिद की बारात पूरे शान-ओ-शौकत के साथ आई थी। हर किसी की नजर उसके चेहरे पर थी—उसका आत्मविश्वास, उसका रुतबा, और सबसे बड़ा—उसकी दुल्हन अनाया, गांव की सबसे खूबसूरत लड़की। खालिद ने अनाया के लिए बड़ी मेहनत की थी; भारी मेहर, बड़े वादे, और कई बैठकों के बाद यह रिश्ता पक्का हुआ था।

रात के सन्नाटे में, जब सारी रस्में पूरी हो गईं, खालिद अपने कमरे की ओर बढ़ा। दिल में हल्की घबराहट थी, आंखों में चमक। दुल्हन पलंग पर बैठी थी, घूंघट से चेहरा ढका हुआ। खालिद धीरे-धीरे पास गया, कांपते हाथों से घूंघट उठाया—और उसकी सांसें थम गईं। यह चेहरा अनाया का नहीं था।

उसके सामने बैठी थी एक भारी जिस्म वाली लड़की, जिसके आंखों में मोती जैसे आंसू थे। “मैं नाजिया हूं,” उसने कांपती आवाज़ में कहा। “अनाया की बड़ी बहन।”

2. दर्द की दास्तां

खालिद का गुस्सा फूट पड़ा। “यह क्या मजाक है? मैंने अनाया का हाथ मांगा था, तुम सबने धोखा किया है!”

नाजिया ने आंखें झुका लीं। “धोखा सिर्फ आपको नहीं मिला, मुझे भी। अनाया किसी और से मोहब्बत करती थी। हमारे पिता को दौलत का सौदा मंजूर था, लेकिन अनाया ने इंकार कर दिया, और शादी से एक दिन पहले अपने महबूब के साथ भाग गई।”

खालिद जैसे पत्थर बन गया। “और तुमने क्यों हामी भरी?”

“क्योंकि मेरे पास कोई और रास्ता नहीं था। पिता ने कहा, ‘तुम बड़ी हो, मोटी हो। तुम्हें कौन मांगेगा?’ उन्होंने मुझे मजबूर किया कि मैं अनाया का लिबास पहनूं।”

3. समझौते की सुबह

सुबह होते ही खालिद की मां रबाब कमरे में आई। उसकी नजर नाजिया पर पड़ी। “यह अनाया नहीं है, यह तो उसकी बड़ी बहन है। है ना?”

खालिद ने तुरंत बात संभाल ली। “हां मां, यह नाजिया है। यही मेरी पसंद है।”

रबाब ने लंबी सांस ली। “अच्छा किया बेटे, अक्ल मर्द का असली गहना है। हुस्न तो हवा की तरह बदलता है।”

लेकिन खालिद के दिल में ठंडक थी। “मैंने यह सब सिर्फ अपने लिए किया है, किसी की खातिर नहीं। तुम मेरी बीवी कहलाओगी, पर मैं तुम्हें कभी अपनी बीवी नहीं मानूंगा।”

4. नौकरानी की जिंदगी

नाजिया की शादी की पहली सुबह थी, लेकिन वह दुल्हन नहीं थी—एक नौकरानी थी। रबाब ने उसे रसोई, सफाई, और हर छोटे-बड़े काम की जिम्मेदारी दी। नाजिया के हाथ कांप रहे थे, आंसू बह रहे थे।

रबाब ताना मारती, “तुम्हारे बाप ने तुम्हें कुछ सिखाया नहीं सिवाय इसके कि अदाकारी से दूल्हा फंसाया जाए।” नाजिया चुपचाप सहती रही।

5. तिरस्कार और मेहनत

आंगन में मेहमान आए। सबकी नजरें नाजिया पर थीं। फुसफुसाहटें हवा में तीरों की तरह चल रही थीं। “यह वही मोटी बहन है,” मौसी ने ताना मारा। “खालिद ने पतली लड़की मांगी थी, यह तो पेड़ है।”

खालिद ने बस इतना कहा, “मौसी, पतली डाल तो हल्की हवा से टूट जाती है, लेकिन पेड़ जड़ों से मजबूत होता है।”

रबाब ने बदला लेना शुरू किया। हर दिन नाजिया को दूर कुएं से पानी लाना, जानवरों की सफाई, कपड़े धोना, हर काम उसकी जिम्मेदारी थी। उसके हाथों में छाले पड़ गए, चेहरा फीका पड़ गया।

6. बदलाव की शुरुआत

खालिद ऊपर बालकनी से सब देखता था। उसकी मां की कठोरता, नाजिया की मेहनत। धीरे-धीरे, नाजिया का शरीर बदलने लगा—वह पतली, मजबूत, और खूबसूरत हो गई। उसकी चाल हल्की हो गई। खालिद अब उसे अलग नजर से देखने लगा।

एक दिन, खालिद ने देखा कि नाजिया अपनी सूखी रोटी का बड़ा हिस्सा एक भूखी बिल्ली को दे रही थी। उसके सीने में शर्म की टीस उठी।

7. पहली जीत

एक दिन रबाब रसोई में चीख रही थी, “आटा जल्दी खत्म हो रहा है।” नाजिया ने कहा, “अगर हम सफेद आटे में थोड़ा जौ मिला दें तो रोटी ज्यादा पेट भरेगी।” रबाब ने ताना मारा, लेकिन खालिद ने पहली बार उसका समर्थन किया। “वह ठीक कह रही है। कल से ऐसा ही होगा।”

यह पहली बार था जब किसी ने नाजिया की बात मानी थी।

Shaadi Mein Hua Dhoka | Patli Ladki Ke Badle Aayi Moti Ladki, Dekh Ke Dulha  Hua Pareshan#hindistory - YouTube

8. इज्जत की लड़ाई

रबाब ने उसे बाजार भेजा, भारी टोकरी के साथ। रास्ते में खालिद मिला। उसने नाजिया के हाथ से टोकरी ली, अपने घोड़े पर रखी। घर लौटते वक्त पहली बार नाजिया खाली हाथ थी। रबाब ने ताना मारा, लेकिन खालिद ने कहा, “वह 6 घंटे धूप में चली है। कम से कम उसका बोझ घोड़ा उठा ले।”

यह पहली बार था जब खालिद ने उसकी मेहनत का बचाव किया।

9. हुनर की पहचान

कुछ दिन बाद, व्यापारियों को खाने पर बुलाया गया। रबाब ने जानबूझकर भंडार खाली कर दिया था। नाजिया ने जौ, मसूर, मुरझाई सब्जियों से बेहतरीन खाना बना दिया—मसूर का सूप, पनीर ब्रेड, जौ रिसोटो।

व्यापारियों ने तारीफ की, “तेरी असली दौलत यह औरत है, जो मिट्टी को सोना बना सकती है।”

10. सम्मान और प्यार

खालिद ने नाजिया को देखा। “कैसे?” उसकी आवाज में हैरानी थी। “रसोई तो खाली थी।”

नाजिया ने कहा, “जो कुछ भी बचा था, उसी से बना दिया। आपका घर भूखा ना रहे, बस यही चाहा।”

खालिद की आंखों में नरमी थी। “मैंने गलती की। यह घर तुम्हारा है। क्या तुम इस घर की मेम साहब और मेरे दिल की मेम साहब बनना स्वीकार करोगी?”

नाजिया की आंखों में जीत की मुस्कान थी। “हां।”

11. नई शुरुआत

गांव में अब नाजिया की चर्चा थी। उसकी मेहनत, उसकी समझदारी, उसके हुनर की। खालिद ने सबके सामने उसका सम्मान किया। रबाब भी धीरे-धीरे बदल गई। उसने नाजिया को घर की जिम्मेदारी सौंप दी।

नाजिया ने घर को नया रूप दिया—साफ-सुथरा, खुशहाल, और प्यार भरा। गांव की औरतें उससे सलाह लेने आने लगीं। उसकी कहानी हर लड़की के लिए उम्मीद बन गई।

12. कहानी का संदेश

कभी-कभी जो हमें सबसे बड़ा धोखा लगता है, वही हमारी सबसे बड़ी ताकत बन जाता है। नाजिया ने अपने दर्द, मेहनत और हुनर से अपने लिए न सिर्फ इज्जत बल्कि प्यार भी हासिल किया। खालिद ने सीखा कि सच्चा प्यार रूप या दौलत में नहीं, बल्कि इंसानियत और दिल में होता है।

समाप्त