सड़क पर घायल महिला दरोगा को ऑटो वाले ने बचाया। फिर दरोगा ने ऑटो वाले के साथ जो किया….

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अमन और निधि: इंसानियत की जीत

मुजफ्फरपुर के चिलचिलाते दोपहर में सड़कों पर गाड़ियों की भागदौड़ लगी हुई थी। भीड़ में एक पुराना सा ऑटो रिक्शा धीमे-धीमे आगे बढ़ रहा था। उस ऑटो को चला रहा था अमन, जिसकी उम्र करीब 28 साल थी। माथे पर एक गमछा बंधा था और आंखों में गरीबी का बोझ साफ झलकता था। पर होठों पर हमेशा एक मुस्कान रहती थी। अमन दिनभर की कमाई से अपनी बीमार दादी और छोटी बहन का खर्च चलाता था। यही उसका संसार था।

उस दिन उसकी जिंदगी की सबसे बड़ी सवारी उसके ऑटो में आ बैठी। वह थी निधि, जो हाल ही में नई सब इंस्पेक्टर बनी थी। पोस्टिंग को अभी तीन हफ्ते ही हुए थे। बाहर से सख्त और तेज तर्रार दिखने वाली निधि के भीतर कहीं कुछ टूटा हुआ था, जो दुनिया से छिपा था।

“रेलवे स्टेशन ले चलो, जल्दी,” निधि ने आदेश दिया।

अमन मुस्कुराया, “जी मैडम, बैठ जाइए, हवा से भी तेज पहुंचाऊंगा।”

ऑटो चल पड़ा। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। एक मोड़ पर सामने से आ रहे ट्रक का ब्रेक फेल हो गया। हॉर्न की तेज आवाज ने माहौल को दहलाया। निधि की आंखें डर से फैल गईं। अमन ने पूरी रफ्तार से ऑटो को डिवाइडर से मोड़ दिया। जोरदार झटके के साथ ऑटो उछला और निधि सड़क के किनारे गिर गई। सिर से खून बह रहा था, वर्दी लहूलुहान थी, होश पूरी तरह से गुम था।

लोग इकट्ठा हो गए, लेकिन कोई मदद के लिए आगे नहीं बढ़ा। अमन ने बिना एक पल खोए निधि को अपनी पीठ पर उठाया और जोर-जोर से चिल्लाते हुए दौड़ पड़ा, “कोई मदद करो! मैडम को कुछ हो गया है!”

ऑटो वहीं पड़ा था। अमन भी घायल था, लेकिन उसकी परवाह नहीं थी। किसी दूसरी गाड़ी को रोककर उसने निधि को अस्पताल पहुंचाया। डॉक्टरों ने तुरंत इलाज शुरू किया।

होश में आते ही निधि की आंखें अमन को ढूंढने लगीं। डॉक्टर ने बताया, “आप बहुत भाग्यशाली हैं। अगर वह लड़का आपको वक्त पर नहीं लाता तो मामला बहुत गंभीर हो सकता था।”

निधि की आंखें भर आईं। उसे पता चला कि अमन भी उसी अस्पताल के जनरल वार्ड में इलाज करवा रहा है। निधि ने मिलने की जिद की। नर्स ने मना किया, लेकिन निधि ने ऑक्सीजन मास्क हटाकर खुद चलकर अमन के पास गई।

जनरल वार्ड में बेड पर लेटा अमन सिर पर पट्टी और हाथ में चोट के बावजूद मुस्कुरा रहा था। निधि उसके सामने खड़ी हो गई और धीरे से पूछा, “अमन, तुमने यह सब मेरे लिए क्यों किया? मैं तो सिर्फ तुम्हारी एक सवारी थी।”

अमन मुस्कुराया, “सवारी चाहे जो हो, मैडम, जब जान खतरे में हो तो वह इंसान बन जाती है। इंसानियत मेरा धर्म है।”

निधि के होंठ कांप गए। ऐसा जवाब उसने किसी बड़े अफसर से भी नहीं सुना था। उसने धीरे से अमन का हाथ थामा और कहा, “अब तुम सिर्फ ऑटो वाले नहीं रहे, अमन। तुम मेरे जीवन के कर्जदार हो गए हो।”

अमन मुस्कुराया, “कर्ज मैं चुका नहीं सकता, मैडम। लेकिन आपसे मिलकर लग रहा है जैसे मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी कमाई मिल गई हो।”

दोनों की आंखें भीग गईं।

अस्पताल से छुट्टी के बाद निधि अपने काम पर लौट आई, लेकिन अब वह पहले जैसी तेजतर्रार अफसर नहीं रही। वह हर गरीब चेहरे को, हर पसीने की बूंद को अलग नजर से देखने लगी थी। हर सुबह ऑफिस जाते वक्त उसकी आंखें अमन के ऑटो को ढूंढतीं।

एक दिन वह खुद अमन के अड्डे पर पहुंच गई। अमन अपने पुराने ऑटो को ठीक कर रहा था। कंधे पर गमछा, हाथ में ग्रीस लगा था, लेकिन चेहरे पर वही परिचित मुस्कान थी।

निधि ने कहा, “अमन, आज मैं फिर तुम्हारी सवारी बनना चाहती हूं।”

अमन चौंक गया, “आप? दोबारा? लेकिन इस बार रेलवे स्टेशन नहीं जाना। तुम्हारी जिंदगी का हिस्सा बनना है।”

निधि मुस्कुराई।

अमन बोला, “मैडम, मेरी जिंदगी तो बहुत छोटी है, टूटी-फूटी है।”

निधि ने जवाब दिया, “हो सकता है, लेकिन तुम्हारा दिल बहुत बड़ा है। मैं उसी दिल को जानना चाहती हूं।”

ऑटो चल पड़ा। शहर की भीड़ में एक अफसर और एक ऑटो वाला अब सिर्फ सवारी और चालक नहीं थे, बल्कि दो इंसान थे जो एक-दूसरे को समझना चाहते थे।

अमन ने निधि को अपनी गलियों में ले जाकर अपनी बीमार दादी से मिलवाया, अपनी बहन की किताबें दिखाई। उसने वह पसीने की खुशबू दिखाई जिसमें इज्जत, मेहनत और आत्मसम्मान की गहराई थी।

निधि की आंखों में नमी थी। उसने खुद से कहा, “जिस समाज में अफसरों को भगवान समझा जाता है, वहां असली भगवान वे लोग हैं जो बिना वर्दी के इंसानियत निभाते हैं।”

बहुत देर तक दोनों बातें करते रहे। शाम को अमन निधि को थाने छोड़ने गया।

निधि ऑटो से उतरते हुए धीरे से बोली, “अमन, अगर तुम्हें कोई लड़की कहे कि वह तुम्हें पसंद करती है…”

अमन का दिल धड़कने लगा। उसने नजरें झुका ली।

“और अगर वही लड़की कहे कि काबिलियत से ज्यादा जरूरी है भरोसा,” निधि ने उसका हाथ थाम लिया।

वर्दी अब सिर्फ जिम्मेदारी की नहीं, रिश्तों की गवाह भी बन चुकी थी।

निधि और अमन हर दिन कुछ देर साथ बिताते। कभी मंदिर की सीढ़ियों पर बैठकर बातें होतीं, तो कभी अमन अपनी दादी के लिए लाया हुआ फल निधि को खिलाने की जिद करता।

लेकिन एक दिन यह सब कुछ टूटता नजर आया।

निधि जब थाने पहुंची तो उसका स्वागत फुसफुसाहटों से हुआ, “क्या अब दरोगा जी को ऑटो वाले पसंद आने लगे हैं? सरकारी अफसर होकर इतना गिरना।”

इन बातों ने उसके कानों को तो नहीं, लेकिन दिल को जरूर छू लिया।

उसी शाम जब अमन निधि के थाने के बाहर इंतजार कर रहा था, निधि बाहर आई लेकिन उसका चेहरा बदला हुआ था।

“अमन, अब मत आना और आगे से कभी मत आना,” निधि ने अपनी आंखों के आंसुओं को छिपाते हुए कहा।

अमन ठिठक गया, “क्या हुआ मैडम? मैंने कुछ गलत किया?”

“नहीं, लेकिन लोग बहुत कुछ कह रहे हैं और मैं थक गई हूं जवाब देते,” निधि बोली।

अमन मुस्कुराया, “आपके लिए कुछ ना कहना मेरे लिए सब कुछ कहने से बेहतर है।”

वह चला गया बिना कुछ पूछे, बिना कुछ कहे। क्योंकि उसके प्यार में सवाल नहीं था, सिर्फ समर्पण था।

निधि वापस ऑफिस गई, लेकिन उसकी आंखें फाइलों में नहीं दिखती थीं। हर बार वही चेहरा, वही मुस्कुराहट उसके सामने आती।

एक दिन एक सहकर्मी सहेली ने पूछा, “निधि, क्या तुम मुझसे प्यार करती हो?”

निधि ने झूठ बोलने की कोशिश की, लेकिन उसके आंसुओं ने सच कह दिया।

सहेली ने उसके कंधे पर हाथ रखा और कहा, “फिर मत डर। अगर तेरी वर्दी तुझे लड़ने की ताकत देती है तो उस लड़ाई को खुद से मत हार।”

निधि ने पहली बार अपने प्यार के लिए लड़ने की ठानी।

अगली सुबह कोई आम सुबह जैसी नहीं थी। निधि की आंखें रात भर की बेचैनी से सूजी हुई थीं। उसने वर्दी को एक तरफ रखा और एक साधारण सलवार सूट पहनकर अमन को ढूंढने निकल पड़ी।

सबसे पहले वह उसके घर गई। दादी ने बताया कि अमन सुबह ही निकल गया है।

निधि रुकी नहीं। हर गली, हर नुक्कड़ पर उसे ढूंढती रही।

फिर सड़क किनारे एक पुरानी लकड़ी की बेंच पर उसकी नजर अमन पर पड़ी। वही गमछा, वही ऑटो की चाबी उसकी हथेली में, और चेहरा थका हुआ, टूटा हुआ।

निधि का दिल धड़कने लगा। वह धीरे-धीरे उसके पास गई और बोली, “इतना डर गए थे मुझसे या अपने जज्बातों से भाग रहे थे?”

अमन ने सिर उठाया, आंखें भीगी हुई थीं। “मैं कुछ नहीं हूं मैडम, सिर्फ एक ऑटो वाला। आपकी जिंदगी में मेरी कोई जगह नहीं।”

निधि ने गुस्से में उसका हाथ पकड़ लिया, “तो सुन ले अमन, आज से मेरी जिंदगी में अगर किसी की जगह है तो वह सिर्फ उसी की है जिसने मेरी जान बचाई थी और जिसने मुझे मेरी औकात नहीं, मेरी कीमत समझाई।”

निधि की आंखों में आंसू थे और अमन अब भी उसे देखने से कतरा रहा था।

तभी निधि उसके बगल में उसी बेंच पर बैठ गई और उसका कांपता हाथ थाम लिया।

“तुम कहते हो कि तुम्हारी कोई औकात नहीं है? लेकिन क्या कभी तुमने मुझसे पूछा कि मेरी औकात क्या है?”

अमन हैरानी से उसकी तरफ देखने लगा।

निधि ने गहरी सांस ली और धीरे से बोली, “मैं भी अनाथ हूं, अमन। जब मैं सिर्फ 5 साल की थी, मेरे मां-बाप एक हादसे में चल बसे। किसी रिश्तेदार ने नहीं अपनाया। अनाथालय में पली बढ़ी। वहीं से पढ़ाई की और यह वर्दी हासिल की।”

अमन कुछ बोल नहीं पा रहा था।

निधि ने अपनी आंखों में आए आंसू पोंछते हुए कहा, “तुमने मेरी जान बचाई, वह भी बिना किसी उम्मीद के। तो क्या मैं अब तुम्हें सिर्फ इसलिए खोद दूं कि तुम ऑटो चलाते हो?”

फिर उसने हल्की सी मुस्कान के साथ कहा, “अमन, तुम्हारे साथ अगर पूरी जिंदगी पैदल भी चलनी पड़े, तो भी मुझे मंजूर है, क्योंकि उस सफर में सच्चा साथ होगा, झूठा दिखावा नहीं।”

अब अमन की आंखें नम थीं। उसने कांपते हुए हाथों से निधि के सामने दोनों हाथ जोड़ लिए, “मुझे माफ कर दो, मैडम।”

निधि ने गुस्से और प्यार के साथ कहा, “नहीं मैडम, नहीं। अब से सिर्फ निधि।”

दोनों की आंखों में सिर्फ एक ही भाव था, अब कोई डर नहीं।

वहां से निधि अमन के साथ उसके घर गई। दादी अब भी चारपाई पर लेटी थी, लेकिन जब बेटे के साथ निधि को खड़ा देखा, तो उठ बैठी।

निधि ने झुककर उनके पांव छुए और कहा, “दादी जी, अगर आप आशीर्वाद दें तो मैं हमेशा इस घर की बहू बनकर रहना चाहती हूं।”

अमन की दादी की आंखों में आंसू थे। वह निधि से लिपट गई, “बेटी, तू तो सच में मेरे बेटे की किस्मत लेकर आई है।”

और फिर बिना शोरगुल, बिना ढोल नगाड़ों के एक छोटे से मंदिर में, एक फूलों से सजी मूर्ति के सामने अमन और निधि ने सात फेरे लिए।

ना कोई पंडाल था, ना बैंड बाजा। बस दादी का आशीर्वाद, दो जोड़ी आंखों की सच्चाई और ऊपर वाले की गवाही थी।

कहानी की सीख

सच्ची मोहब्बत नाज देखती है, ना ओहदा, ना दौलत। वह सिर्फ दिल का रिश्ता देखती है, जहाँ इज्जत हो, समर्पण हो और अपनापन हो।

यह कहानी हमें सिखाती है कि प्यार की असली पहचान बाहरी दिखावे से नहीं, बल्कि इंसानियत और सच्चे दिल से होती है।

क्या आपको भी लगता है कि सच्चा प्यार हर मुश्किल से लड़ने की ताकत देता है? क्या आप भी अपने प्यार के लिए दुनिया की परवाह किए बिना खड़े हो सकते हैं?

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