स्टेशन पर उदास बैठी || लड़की को सफाई करने वाला लड़का अपने घर ले गया || और फिर

किस्मत का खेल

प्रस्तावना

कहते हैं कि जिंदगी में जो भी होता है, वह किसी न किसी वजह से होता है। कभी-कभी हालात हमें इतना तोड़ देते हैं कि हम हार मानने की कगार पर पहुंच जाते हैं। लेकिन अगर इंसान हिम्मत बनाए रखे और सही दिशा में कदम उठाए, तो वह अपनी जिंदगी को बदल सकता है। यह कहानी भी एक ऐसी ही लड़की की है, जिसने अपनी जिंदगी के सबसे कठिन समय में हार मानने के बजाय खुद को संभाला और अपनी किस्मत को बदलकर खुद को साबित किया।

शुरुआत: एक साधारण परिवार की बेटी

यह कहानी है नंदिनी की, जो उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव की रहने वाली थी। नंदिनी अपने माता-पिता की इकलौती बेटी थी। उसका जीवन साधारण था, लेकिन खुशहाल था। उसके पिता एक किसान थे और मां गृहिणी।

नंदिनी बचपन से ही पढ़ाई में अच्छी थी और बड़े सपने देखती थी। लेकिन आर्थिक तंगी के कारण वह ज्यादा पढ़ाई नहीं कर पाई और 12वीं के बाद उसकी शादी कर दी गई। नंदिनी का पति रमेश दिल्ली में नौकरी करता था। शुरू में सब कुछ ठीक चल रहा था। रमेश महीने में एक बार घर आता और नंदिनी के साथ समय बिताता।

शादी के बाद का जीवन

नंदिनी ने अपनी शादीशुदा जिंदगी को अच्छे से निभाने की कोशिश की। वह रमेश का इंतजार करती और जब भी रमेश घर आता, वह उसकी हर जरूरत का ख्याल रखती। लेकिन धीरे-धीरे रमेश का व्यवहार बदलने लगा। वह नंदिनी से कम बात करने लगा और जब भी घर आता, तो जल्दी-जल्दी वापस दिल्ली लौट जाता।

एक दिन रमेश ने नंदिनी से कहा, “मैंने दिल्ली में एक घर खरीद लिया है। अब हम वहीं रहेंगे।” नंदिनी यह सुनकर बहुत खुश हुई। उसने सोचा कि अब वह अपने पति के साथ एक नई जिंदगी शुरू करेगी।

धोखे की शुरुआत

रमेश ने नंदिनी से कहा कि वह अपना गांव का घर बेच दे, ताकि दिल्ली में घर के खर्चे पूरे हो सकें। नंदिनी ने अपने पति पर भरोसा किया और घर बेचने के लिए तैयार हो गई। घर बेचने के बाद रमेश ने सारा पैसा अपने खाते में जमा कर लिया और नंदिनी को लेकर दिल्ली के लिए रवाना हो गया।

मेरठ के रेलवे स्टेशन पर पहुंचकर रमेश ने नंदिनी से कहा, “तुम यहीं इंतजार करो। मैं टिकट लेकर आता हूं।” नंदिनी प्लेटफॉर्म के बाहर एक बेंच पर बैठ गई और रमेश का इंतजार करने लगी।

लेकिन घंटों इंतजार करने के बाद भी रमेश नहीं लौटा। नंदिनी ने स्टेशन के अंदर जाकर उसे ढूंढने की कोशिश की, लेकिन रमेश का कोई पता नहीं चला।

अकेलेपन का दर्द

नंदिनी को धीरे-धीरे समझ में आया कि उसका पति उसे धोखा देकर चला गया है। वह पूरी रात स्टेशन के बाहर उसी बेंच पर बैठी रही। भूख और थकान से उसका बुरा हाल हो गया। वह बार-बार सोचती कि आखिर उसके साथ ऐसा क्यों हुआ।

सुबह होते ही एक लड़का, अमित, जो रेलवे स्टेशन पर काम करता था, नंदिनी को नोटिस करता है। वह देखता है कि नंदिनी बहुत परेशान है। अमित उससे बात करने की कोशिश करता है, लेकिन नंदिनी उसे झिड़क देती है।

अमित को नंदिनी की हालत देखकर बहुत बुरा लगता है। वह उसे अकेला छोड़कर अपनी ड्यूटी पर चला जाता है।

अमित की मदद

अगले दिन अमित ने फिर से नंदिनी को उसी बेंच पर बैठा देखा। वह समझ गया कि नंदिनी किसी बड़ी परेशानी में है। उसने हिम्मत जुटाई और नंदिनी से बात करने की कोशिश की।

पहले तो नंदिनी ने बात करने से मना कर दिया, लेकिन अमित के बार-बार पूछने पर उसने अपनी पूरी कहानी बता दी। नंदिनी ने बताया कि कैसे उसके पति ने उसे धोखा दिया और अब उसके पास ना घर है, ना पैसा, और ना ही कोई सहारा।

अमित ने नंदिनी को समझाया, “आपको खुद को संभालना होगा। अगर आप चाहें, तो मेरे घर चल सकती हैं। मेरी मां बहुत अच्छी हैं। वह आपकी मदद करेंगी।”

नंदिनी ने पहले तो मना कर दिया, लेकिन अमित के बार-बार कहने पर वह उसके साथ जाने के लिए तैयार हो गई।

नई शुरुआत

अमित ने नंदिनी को अपने घर ले जाकर अपनी मां, सरोज, से मिलवाया। सरोज ने नंदिनी का स्वागत किया और उसे घर में रहने की इजाजत दी। उन्होंने नंदिनी को खाना खिलाया और उसे आराम करने को कहा।

धीरे-धीरे नंदिनी ने खुद को संभालना शुरू किया। उसने घर के कामों में सरोज की मदद करनी शुरू कर दी। सरोज ने उसे अपनी बेटी की तरह अपनाया।

नई उम्मीद

एक दिन बाजार से सब्जी खरीदते समय नंदिनी ने लॉटरी का टिकट खरीदा। उसे नहीं पता था कि यह टिकट उसकी जिंदगी बदल देगा। उसने बस यूं ही टिकट खरीद लिया और घर आकर सरोज को दे दिया।

दो दिन बाद, जब लॉटरी के नतीजे घोषित हुए, तो सरोज ने देखा कि नंदिनी का टिकट पहले नंबर पर आया है। नंदिनी की एक करोड़ रुपये की लॉटरी लग गई थी।

जीवन में बदलाव

नंदिनी ने अपनी लॉटरी की रकम से एक छोटा सा बिजनेस शुरू किया। उसने सरोज और अमित का धन्यवाद किया और कहा, “अगर आप दोनों ने मुझे सहारा नहीं दिया होता, तो मैं शायद आज जिंदा भी नहीं होती।”

अमित और सरोज ने नंदिनी को हमेशा प्रेरित किया। धीरे-धीरे नंदिनी और अमित के बीच एक गहरा रिश्ता बन गया। एक दिन सरोज ने अमित से कहा, “बेटा, नंदिनी तुम्हें पसंद करती है। क्या तुम उससे शादी करना चाहोगे?”

अमित ने शरमाते हुए कहा, “मां, अगर नंदिनी तैयार है, तो मैं भी तैयार हूं।”

शादी और खुशी

अमित और नंदिनी की शादी धूमधाम से हुई। नंदिनी ने अपने बिजनेस को और बढ़ाया और अमित ने भी अपने काम में तरक्की की। दोनों ने मिलकर एक खुशहाल जिंदगी बनाई।

नंदिनी का पति वापस आया

एक दिन नंदिनी का पति रमेश उसके पास वापस आया। उसने माफी मांगी और कहा, “मुझे माफ कर दो। मैंने बहुत बड़ी गलती की।”

नंदिनी ने रमेश से कहा, “तुमने जब मुझे धोखा दिया था, तभी हमारा रिश्ता खत्म हो गया था। अब मेरे जीवन में तुम्हारी कोई जगह नहीं है।”

निष्कर्ष

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि जिंदगी में चाहे कितनी भी कठिनाइयां आएं, हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए। मेहनत और सही सोच से हम अपनी जिंदगी को बदल सकते हैं। नंदिनी ने अपनी हिम्मत और मेहनत से अपनी जिंदगी को बदला और एक नई शुरुआत की।

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