₹10,000 का कर्ज़ चुकाने करोड़पति व्यक्ति अपने बचपन के दोस्त के पास पहुँचा!

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संघर्ष से सफलता तक: राहुल और अमरलाल की कहानी

सूरत के एक आलीशान घर में राहुल नाम का एक करोड़पति व्यक्ति रहता था। वह कई कंपनियों का मालिक था और अपने व्यवसाय को कुशलता से चलाता था। उसके पास मैनेजर होते थे जो रोज़ाना के कामकाज की रिपोर्ट उसे भेजते थे, जिससे उसे घर बैठे ही अपनी कंपनियों की स्थिति का पता चल जाता था। पैसे की कोई कमी नहीं थी और उसका परिवार भी खुशहाल था। राहुल का एक 16 साल का बेटा था, जो पढ़ाई में अच्छा था।

एक सुबह राहुल अपने घर के गार्डन में बैठा अखबार पढ़ रहा था और चाय की चुस्कियाँ ले रहा था। तभी उसके बेटे का एक दोस्त मिलने आया। राहुल ने अपने बेटे और उसके दोस्त को देखा और अचानक उसे अपने पुराने दोस्त अमरलाल की याद आ गई। उसने अपने परिवार को बताया कि वह अमरलाल से मिलने जाना चाहता है और सबके लिए सामान पैक करने को कहा।

राहुल की पत्नी ने खुशी-खुशी सामान पैक किया। राहुल ने बेटे से भी कहा कि वह तैयार हो जाए क्योंकि उसे एक खास आदमी से मिलाना है। बेटे ने पूछा, “पिताजी हम कहाँ जा रहे हैं?” राहुल ने कहा, “तुम्हें उससे मिलना जरूरी है।” बेटे ने थोड़ी हिचकिचाहट दिखाई, लेकिन अंततः वे सभी बिहार के लिए रवाना हो गए।

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बिहार पहुंचकर राहुल ने बैंक से लगभग 10 लाख रुपये निकाले। बेटे ने पूछा, “पिताजी, आपने इतने पैसे क्यों निकाले?” राहुल मुस्कुराए और बोले, “बेटा, किसी का कर्ज चुकाना है।” बेटे को यह बात समझ नहीं आई क्योंकि उनके पास तो बहुत पैसे थे। राहुल ने कहा, “अगर तुम नहीं मानते तो मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूँ।”

राहुल ने बताया कि 1990 के दशक में वह बिहार में रहता था। उसकी शादी होने वाली थी, लेकिन आर्थिक स्थिति खराब थी। उसका एक दोस्त अमरलाल था, जो पहले से शादीशुदा था और उसके दो बच्चे थे। राहुल को अमरलाल और उसकी पत्नी पूजा ने हमेशा छोटे भाई की तरह प्यार दिया। जब राहुल को बाहर जाकर काम करने के लिए पैसे चाहिए थे, तो अमरलाल ने उसकी पत्नी के जेवर गिरवी रखाकर उसे 10,000 रुपये दिए थे।

राहुल ने बिहार छोड़कर सूरत आकर मेहनत की और आज वह करोड़पति बन गया। लेकिन उसने कभी अमरलाल की मदद नहीं भूली। अब वह अपने बेटे को उसके दोस्त से मिलाना चाहता था ताकि वह भी जान सके कि उसकी सफलता के पीछे कौन था।

वे अमरलाल के घर पहुंचे। अमरलाल और उसकी पत्नी ने राहुल को पहचान कर गले लगाया और आंसू बहाए। गांव के लोग भी हैरान थे कि एक करोड़पति व्यक्ति अमरलाल के गरीब घर आया है। राहुल ने अमरलाल की आर्थिक स्थिति देखी तो वह दुखी हो गया। अमरलाल ने बताया कि बीमारी और आर्थिक तंगी के कारण उनकी हालत खराब हो गई है।

राहुल ने अमरलाल को कहा कि वह उनका कर्ज चुका कर उन्हें अपने साथ सूरत ले जाएगा, जहाँ वे आराम से रह सकेंगे। अमरलाल ने मना किया, लेकिन राहुल ने अपने बेटे को अमरलाल के बेटे से मिलवाया और उसकी पढ़ाई और नौकरी की चिंता की।

अमरलाल के बेटे ने बताया कि वह मेहनत मजदूरी करता है और सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा है। राहुल ने उसे प्रोत्साहित किया।

राहुल ने अमरलाल की बेटी की शादी भी सूरत में बड़े घर में कराई और अमरलाल के बेटे को अपनी कंपनी में मैनेजर बना दिया। अमरलाल और उसकी पत्नी राहुल के घर पर आते-जाते रहते थे और गांव के लोग भी राहुल के पास अपने बच्चों के लिए नौकरी की सिफारिश करने आने लगे।

समय बीतता गया। 2024 में अमरलाल का निधन हो गया, लेकिन उसका बेटा सूरत में राहुल के साथ रहता था। राहुल का बेटा और अमरलाल का बेटा अच्छे मित्र बन गए थे।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सच्ची दोस्ती और मदद कभी व्यर्थ नहीं जाती। कठिन समय में जो साथ देता है, वही असली भाई होता है। मेहनत और ईमानदारी से सफलता जरूर मिलती है, लेकिन अपने मूल्यों और रिश्तों को कभी नहीं भूलना चाहिए।