📰 पंडित जी का बड़ा खुलासा: धर्मेंद्र की अंतिम विदाई 🕯️ और हेमा मालिनी बनीं देओल परिवार की रक्षक
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बॉलीवुड की सुबह की ताज़ी किरणें जब पूरी तरह फैलने से पहले ही एक चौंकाने वाली ख़बर ने सबको हिला कर रख दिया। भारतीय सिनेमा के “ही-मैन” धर्मेंद्र अब हमारे बीच नहीं रहे। यह केवल एक शोक का क्षण नहीं था, बल्कि एक ऐसा मोड़ था जिसने देओल परिवार की भावनात्मक स्थिति को झकझोर दिया। लेकिन इस दुखद घटना के साथ एक और रहस्य सामने आया, जिसने वर्षों पुरानी मान्यताओं को फिर से जीवंत कर दिया—पंचक मृत्यु का दोष।
धर्मेंद्र का अंतिम संस्कार: एक अविस्मरणीय दिन
धर्मेंद्र के निधन के बाद देओल परिवार का माहौल गहरे शोक में डूबा हुआ था। सनी, बॉबी, ईशा और अहाना सभी स्तब्ध थे। परिवार के सदस्यों के चेहरे पर अविश्वास और दुख की छाया थी। इसी समय, परंपरा के अनुसार, पंडित जी को बुलाया गया ताकि अंतिम संस्कार से जुड़ी विधियों की जानकारी ली जा सके।
पंडित जी का गंभीर चेहरा और कमरे में छाई खामोशी ने सबको बेचैन कर दिया। उन्होंने कहा, “धर्मेंद्र जी की मृत्यु पंचक काल में हुई है।” जैसे ही उनके शब्दों ने कमरे में घुलना शुरू किया, सभी की सांसें थम गईं।
पंचक मृत्यु: एक पुरानी मान्यता
पंडित जी ने समझाया कि पंचक काल में हुई मृत्यु को शास्त्रों में अशुभ माना जाता है। यदि पंचक में किसी की मृत्यु हो जाए, तो यह परिवार के अन्य सदस्यों पर विपत्ति लाने वाला माना जाता है। इस गंभीरता ने सभी को चिंतित कर दिया। क्या यह मृत्यु परिवार के लिए किसी अनहोनी का संकेत है? क्या इस दोष का निवारण संभव है?
पंडित जी ने बताया कि इसके लिए विशेष पूजा, मंत्रोच्चार और पांच प्रतीकात्मक पुतलों का दाह संस्कार करना आवश्यक है। लेकिन प्रश्न था—कौन करेगा यह कठिन कार्य?
प्रकाश कौर का दर्द और परिवार की असहाय स्थिति
धर्मेंद्र की पहली पत्नी प्रकाश कौर इस दुखद घटना से टूट चुकी थीं। उनका मन और शारीरिक स्थिति दोनों इस त्रासदी से जूझ रहे थे। परिवार के अन्य सदस्यों को इन परंपरागत विधियों की जानकारी नहीं थी। इसी समय, हेमा मालिनी ने आगे बढ़कर परिवार को संभालने का निर्णय लिया।

हेमा मालिनी: परिवार की रक्षक
हेमा मालिनी परिवार की सहायता के लिए आईं। उनके चेहरे पर शोक की गहरी छाया थी, लेकिन भीतर एक दृढ़ निश्चय भी। उन्होंने पंडित जी की बात सुनी और तुरंत निर्णय लिया, “जो भी विधि-विधान आवश्यक हैं, वे पूरे किए जाएंगे। परिवार को किसी भी दुष्प्रभाव से गुजरने नहीं दिया जाएगा।”
उनकी उपस्थिति ने परिवार को भावनात्मक और आध्यात्मिक सहारा दिया। ईशा और अहाना, जो पहले से ही इस त्रासदी से टूट चुकी थीं, हेमा जी के पास आकर बैठ गईं।
पंचक दोष निवारण संस्कार की तैयारी
अगले दिन घाट पर विशेष पूजा की तैयारी की गई। हेमा मालिनी सुबह-सुबह ही पहुंच गईं। सफेद साड़ी, गंभीर चेहरा और हाथों में पूजा की थाली—उनकी दृढ़ता हर किसी को प्रभावित कर रही थी।
पंडित जी ने पांच पुतले बनाए—आटे और कुशा से। ये पुतले पंचक मृत्यु के दोष निवारण के प्रतीक थे। पूजा शुरू हुई—मंत्रोच्चार, शांति पाठ, और पंचक शांति मंत्र। हर मंत्र के साथ माहौल की बेचैनी कम होती जा रही थी, जैसे कोई अदृश्य बोझ हल्का हो रहा हो।
परिवार में फैली शांति और एकता
पूजा के बाद का माहौल शांति से भरा हुआ था। ऐसा लगा जैसे मन का बोझ उतर गया हो। सनी और बॉबी, जो पिछले दो दिनों में पहली बार थोड़ा सहज दिखे, हेमा मालिनी के पास आए।
ईशा और अहाना ने उनका हाथ पकड़कर कहा, “मां, आज आपने पापा के परिवार को बचा लिया।” हेमा जी की आंखें भर आईं, पर उन्होंने खुद को संभालते हुए परिवार को गले लगा लिया। यह वह पल था जब वर्षों से चली आ रही दूरी और एक ही परिवार के अलग-अलग हिस्सों के बीच की दीवारें धुंधली होने लगीं।
हेमा मालिनी का अद्भुत संगम
जो लोग हेमा मालिनी को केवल एक अभिनेत्री के रूप में जानते हैं, वे नहीं जानते कि वे परंपरा और संस्कारों की गहरी समझ रखती हैं। दक्षिण भारतीय संस्कृति में पली-बढ़ी हेमा जी ने पूजा-पाठ, ग्रह-नक्षत्र, और वैदिक विधियों का ज्ञान प्राप्त किया था। यही कारण था कि इस कठिन समय में वे बिना हिचक आगे आईं।
कहानी का सार
यह कहानी केवल एक ज्योतिषीय दोष की नहीं है। यह है—परिवार की मजबूती, रिश्तों की गहराई, संकट के समय निभाए जाने वाले कर्तव्य, और सबसे महत्वपूर्ण—एकता का संदेश। धर्मेंद्र का जाना परिवार के लिए एक सदमा था, पर हेमा मालिनी ने साबित किया कि संकट के समय परिवार को संभालने वाला कोई एक व्यक्ति ही काफी होता है।
उन्होंने देओल परिवार को टूटने से बचाया। एक अदृश्य ढाल की तरह खड़ी रहीं। यह दिखा दिया कि परिवार केवल खून के रिश्तों से नहीं बनता—यह बनता है जिम्मेदारी, प्रेम और त्याग से।
निष्कर्ष
धर्मेंद्र जी की कहानी सिर्फ फिल्मों की कहानी नहीं थी। यह जज्बातों, गलतियों, प्यार और रिश्तों को निभाने की एक लंबी जद्दोजहद थी। उनका जाना एक युग का अंत है, लेकिन हेमा मालिनी ने यह साबित किया कि संकट के समय परिवार को संभालने वाला कोई एक व्यक्ति ही काफी होता है।
उनकी यह कहानी हमें यह सिखाती है कि रिश्ते कितने भी जटिल क्यों न हों, उन्हें सम्मान और समझ की आवश्यकता होती है। धर्मेंद्र जी को हमारी भावनी श्रद्धांजलि। उनकी फिल्मों की तरह उनकी जिंदगी भी सुपरहिट रही। बस क्लाइमेक्स थोड़ा दर्दनाक और अधूरा सा लगा।
इस लेख के माध्यम से हम यह याद दिलाना चाहते हैं कि परिवार केवल खून के रिश्तों से नहीं बनता, बल्कि यह उन बंधनों से बनता है जो हम एक-दूसरे के प्रति निभाते हैं। हेमा मालिनी ने इस कठिन समय में जो भूमिका निभाई, वह निश्चित रूप से आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बनेगी।
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