7 साल की बच्ची ने बताया – मोदी पिछले जन्म में कौन थे यह सुनकर मोदी भी हैरान रह गए….
“मासूम बच्ची का रहस्य: दिव्या की कहानी”
उत्तर प्रदेश के एक छोटे से कस्बे अजनारा में एक मासूम बच्ची दिव्या रहती थी, जिसकी उम्र केवल सात साल थी। दिव्या अपने माता-पिता राजेश और सीमा के साथ एक साधारण से घर में रहती थी। उसका परिवार आमदनी के लिए खेती पर निर्भर था। दिव्या का बचपन अन्य बच्चों की तरह ही सामान्य था। लेकिन उसकी आंखों में एक अलग ही चमक थी, जो उसे बाकी बच्चों से अलग बनाती थी।
दिव्या का चेहरा मासूमियत से भरा हुआ था। गोल चेहरा, बड़ी-बड़ी आंखें, और हमेशा होठों पर हल्की मुस्कान। लेकिन उसकी आंखों में एक ऐसी गहराई थी, जिसे देखकर ऐसा लगता था कि वह केवल एक सात साल की बच्ची नहीं है। उसकी आंखों में जैसे सदियों का अनुभव छुपा हुआ था।
दिव्या का अनोखा व्यवहार
दिव्या के माता-पिता अक्सर उसका अजीब व्यवहार देखकर हैरान हो जाते। कभी-कभी दिव्या अकेले बैठकर मिट्टी पर कुछ आकृतियां बनाती और आसमान की ओर देखने लगती। उसकी मां सीमा ने कई बार उसे ऐसे देखा था। वह सोचती कि यह बच्ची आखिर किस बारे में सोचती रहती है।
एक दिन, जब दिव्या स्कूल से घर लौटी, तो उसने अपनी मां से कहा, “मां, मैं सपने में एक जगह देखती हूं। वहां बहुत सारे लोग हैं। एक आदमी है, जो सफेद कपड़े पहने हुए है। वह लोगों की मदद कर रहा है। वह बहुत अच्छे इंसान हैं। सब उन्हें प्यार करते हैं।”
सीमा ने यह सुनकर सोचा कि शायद यह उसकी कल्पना मात्र है। लेकिन दिव्या की बातें यहीं खत्म नहीं हुईं।
स्कूल में दिव्या का खुलासा
अगले दिन स्कूल में, टीचर ने बच्चों से पूछा, “बच्चों, तुम सबके हिसाब से भारत का सबसे महान नेता कौन है?”
क्लास के सभी बच्चों ने अपने-अपने उत्तर दिए। किसी ने कहा, महात्मा गांधी, किसी ने कहा, नेहरू जी, और किसी ने कहा, भगत सिंह। लेकिन दिव्या चुपचाप अपनी जगह पर बैठी रही।
टीचर ने उसे देखकर पूछा, “दिव्या, तुम क्यों चुप हो? तुम्हारे हिसाब से भारत का सबसे महान नेता कौन है?”
दिव्या ने धीरे से सिर उठाया। उसकी आंखों में अजीब सी चमक थी। उसने कहा, “भारत के जो आज प्रधानमंत्री हैं, नरेंद्र मोदी जी, वह सिर्फ इस जन्म के महान नेता नहीं हैं। उनका रिश्ता हमारे देश से पिछले जन्म से भी है। उन्होंने हमेशा से ही लोगों की सेवा की है।”
क्लास में सन्नाटा छा गया। सभी बच्चे और टीचर हैरानी से दिव्या को देखने लगे।
कस्बे में चर्चा का विषय
दिव्या की यह बात पूरे स्कूल में फैल गई। शाम तक यह चर्चा पूरे कस्बे में आग की तरह फैल गई। हर कोई यह जानने को उत्सुक था कि आखिर यह बच्ची ऐसी बातें क्यों कर रही है।
दिव्या के पिता राजेश को जब यह बात पता चली, तो वह नाराज हो गए। उन्होंने उसे डांटते हुए कहा, “दिव्या, यह सब बातें कहां से सीख रही हो? लोग हमारा मजाक उड़ाएंगे।”
लेकिन दिव्या ने शांत स्वर में कहा, “पापा, मैं झूठ नहीं बोल रही। मुझे सच में सपने में यह सब दिखता है। मोदी जी पिछले जन्म में साधु थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा में बिताया था। इसलिए आज भी लोग उन्हें इतना प्यार करते हैं।”
राजेश उसकी बात सुनकर चुप हो गए। लेकिन उन्हें यह बात समझ नहीं आई कि उनकी बच्ची को यह सब बातें कैसे पता हैं।
दिव्या का बढ़ता प्रभाव
धीरे-धीरे दिव्या की बातें और ज्यादा लोगों तक पहुंचने लगीं। लोग उसे चमत्कारी बच्ची कहने लगे। दूर-दूर से लोग उससे मिलने आने लगे। कोई उससे अपने भविष्य के बारे में पूछता, तो कोई देश के भविष्य के बारे में।
दिव्या हर किसी से मुस्कुराकर कहती, “मैं सबकुछ नहीं जानती। लेकिन जो मैं देखती हूं, वही सच है। मोदी जी का जीवन सेवा के लिए समर्पित है। और यही सबसे बड़ा धर्म है।”
मीडिया का ध्यान
कुछ ही दिनों में, दिव्या की बातें अखबारों और मीडिया तक पहुंच गईं। पत्रकार अजनारा कस्बे में आने लगे। टीवी चैनल्स पर उसकी बातें दिखाई जाने लगीं।
एक दिन, एक रिपोर्टर ने दिव्या से पूछा, “बेटा, तुम कहती हो कि मोदी जी का पिछला जन्म साधु का था। क्या तुम हमें उनके बारे में और कुछ बता सकती हो?”
दिव्या ने अपनी बड़ी-बड़ी आंखों से कैमरे की ओर देखा और कहा, “वह साधु थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन गरीबों, पीड़ितों और भूखों की सेवा में लगा दिया था। वह लोगों को सिखाते थे कि सच्चा धर्म सेवा है।”
प्रधानमंत्री कार्यालय का ध्यान
दिव्या की बातें धीरे-धीरे प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंच गईं। मोदी जी ने खुद इस बच्ची से मिलने की इच्छा जताई।
जब यह खबर अजनारा पहुंची, तो पूरा कस्बा उत्साह से भर गया। हर कोई यह जानना चाहता था कि मोदी जी और दिव्या की मुलाकात में क्या होगा।
मोदी जी और दिव्या की मुलाकात
कुछ दिनों बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अजनारा पहुंचे। पूरा गांव उनके स्वागत के लिए उमड़ पड़ा। मोदी जी सीधे दिव्या के घर गए।
दिव्या अपने आंगन में बैठी थी। मोदी जी ने उसके सिर पर हाथ रखा और कहा, “बेटा, तुम कहती हो कि मेरा पिछला जन्म साधु का था। क्या तुम मुझे बता सकती हो कि तुम यह सब कैसे जानती हो?”
दिव्या ने शांत स्वर में कहा, “मोदी जी, मैं सपनों में देखती हूं। आप पहले भी लोगों की सेवा करते थे और आज भी कर रहे हैं। सेवा ही आपका धर्म है।”
मोदी जी की आंखें नम हो गईं। उन्होंने कहा, “बेटा, तुमने मुझे याद दिलाया कि जीवन का असली मकसद क्या है। मैं हमेशा सेवा करता रहूंगा।”
समाज पर प्रभाव
दिव्या की बातें और मोदी जी की प्रतिक्रिया ने पूरे देश को झकझोर दिया। लोग सेवा का महत्व समझने लगे। अजनारा कस्बे में हर साल सेवा दिवस मनाया जाने लगा।
दिव्या के शब्दों ने यह साबित कर दिया कि असली धर्म और सच्ची राजनीति केवल सेवा में है।
निष्कर्ष
दिव्या की कहानी हमें यह सिखाती है कि सच्चाई और सेवा का महत्व कितना बड़ा है। चाहे कोई साधारण इंसान हो या प्रधानमंत्री, अगर वह अपने जीवन को दूसरों की भलाई के लिए समर्पित करता है, तो वही सच्चा नेता है।
दिव्या की मासूमियत और उसकी गहरी सोच ने पूरे देश को यह संदेश दिया कि सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है।
यह कहानी हमें यह याद दिलाती है कि इंसान की असली पहचान उसके कर्मों से होती है, न कि उसके पद या धन से।
अगर यह कहानी आपको प्रेरणादायक लगी हो, तो इसे दूसरों के साथ जरूर साझा करें। धन्यवाद!
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