8 साल की बहन || 10 साल बाद अपने सगे भाइयों को राखी बांधने पहुंची तो सब रोने लगे

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एक बार की बात है, ओडिशा के एक छोटे से गांव में दो भाई रहते थे। इन दोनों भाइयों का नाम था अमर और रवि। उनके माता-पिता की मौत कई साल पहले हो चुकी थी, और उसके बाद से अमर ने अपने छोटे भाई रवि का ख्याल रखा। अमर बड़ा भाई था, और उसने अपने छोटे भाई को हर तरह से संभालने की कोशिश की। वह खेती करता था और रवि को पढ़ाई के लिए प्रेरित करता था।

जैसे-जैसे समय बीतता गया, रवि ने अपनी पढ़ाई पूरी की और एक अच्छी नौकरी पाने के लिए मेहनत की। उसे दिल्ली में एक फाइव स्टार होटल में शेफ की नौकरी मिली। अमर ने रवि को अपने सपनों को पूरा करने के लिए दिल्ली जाने की अनुमति दी। रवि ने अपने बड़े भाई को आश्वासन दिया कि वह अपनी मेहनत से कमाए हुए पैसे घर भेजेगा ताकि अमर अपनी खेती को और बेहतर बना सके।

दिल्ली में रवि ने अपनी नई जिंदगी शुरू की। वह काम में व्यस्त रहने लगा और धीरे-धीरे उसकी जिंदगी में बदलाव आने लगे। उसने अपने काम में काफी मेहनत की और अपनी काबिलियत से अच्छे पैसे कमाए। वहीं, अमर गांव में रहकर खेती करता रहा। उसने अपने छोटे भाई की शादी की चिंता करना शुरू किया।

जब रवि ने कुछ पैसे इकट्ठा किए, तो उसने अपने भाई को बताया कि वह एक बिजनेस शुरू करना चाहता है। लेकिन अमर ने उसे रोक दिया और कहा कि वह खेती में ही लगे रहें। रवि ने समझा कि उसका भाई उसकी भलाई के लिए ऐसा कह रहा है, इसलिए उसने अपनी इच्छाओं को दबा दिया।

कुछ समय बाद, अमर ने रवि की शादी की। शादी धूमधाम से हुई और रवि ने अपनी नई पत्नी के साथ गांव लौटकर रहने का फैसला किया। लेकिन जब वह अपनी पत्नी के साथ दिल्ली वापस गया, तो उसने देखा कि उसके पैसे का इस्तेमाल अमर ने खेती के लिए ट्रैक्टर खरीदने में किया था। यह देखकर रवि को गुस्सा आया।

वह अपने भाई से बहस करने लगा। दोनों भाइयों के बीच झगड़ा बढ़ गया और अंततः रवि ने अपने भाई से अलग होने का फैसला किया। उसने अपनी पत्नी और बच्चों के साथ दिल्ली जाने का निर्णय लिया। रवि ने अपने भाई को छोड़कर एक नई जिंदगी शुरू की।

दिल्ली में, रवि ने अपने काम में और मेहनत की और धीरे-धीरे उसने एक रेस्टोरेंट खोलने का सपना देखा। उसने अपनी सारी बचत लगाकर एक छोटा सा रेस्टोरेंट खोला। रवि ने मेहनत से काम किया और उसका रेस्टोरेंट धीरे-धीरे सफल होने लगा।

समय बीतता गया और रवि ने अपनी पत्नी और बेटी रिया के साथ खुशहाल जीवन बिताया। रिया एक चंचल और प्यारी बच्ची थी। वह स्कूल जाने लगी और हमेशा अपने पिता से प्यार से बातें करती थी। लेकिन एक दिन, जब रिया स्कूल से लौटी, उसने अपने पिता से पूछा, “पिताजी, मेरा सगा भाई कौन है?”

इस सवाल ने रवि को हिला दिया। उसने अपनी बेटी को बताया कि उसके पास कोई सगा भाई नहीं है। लेकिन रिया ने कहा कि स्कूल में उसकी टीचर ने बताया है कि रक्षाबंधन पर बहनें अपने सगे भाइयों को राखी बांधती हैं।

यह सुनकर रवि की आंखों में आंसू आ गए। उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने सोचा कि क्या उसके पास सच में कोई सगा भाई नहीं है? उसने अपनी बेटी को गोद में उठाया और कहा, “बेटा, तुम्हारे दो सगे भाई हैं। मैं तुम्हें उनसे मिलाने ले चलूंगा।”

रवि ने अपनी पत्नी से कहा कि वे गांव लौटेंगे। वह जानता था कि उसे अपने बड़े भाई अमर से माफी मांगनी होगी। उसकी पत्नी ने सहमति जताई और परिवार ने गांव की ओर यात्रा शुरू की।

गांव पहुंचने पर, रवि ने अपने पुराने दिनों को याद किया। वह बचपन में अपने भाई के साथ खेला करता था। अब जब वह अपने भाई के घर के पास पहुंचा, तो उसे बहुत सारी पुरानी यादें ताजा हो गईं।

रवि ने अपने भाई के घर के दरवाजे पर दस्तक दी। अमर ने दरवाजा खोला और जब उसने अपने छोटे भाई को देखा, तो उसकी आंखों में आंसू आ गए। दोनों भाई एक-दूसरे को गले लगा लिए।

“भाई, मुझे माफ कर दो,” रवि ने कहा। “मैंने तुम्हें छोड़कर गलत किया।” अमर ने कहा, “कोई बात नहीं छोटे। हम सब गलतियां करते हैं।” उनके बीच पुरानी दरारें मिट गईं और दोनों भाइयों ने एक-दूसरे को फिर से अपनाया।

रवि ने अपनी बेटी रिया को अपने भाई से मिलवाया। अमर ने उसे गोद में उठाया और कहा, “मैं तुम्हारा बड़ा पापा हूं।” रिया ने कहा, “बड़े पापा और बड़ी मम्मी क्या होते हैं?” रवि ने समझाया कि ये रिश्ते कितने खास होते हैं।

उस दिन पूरा परिवार एक साथ बैठा और खुशियों के पल बिताए। अमर ने कहा, “हम फिर से एक परिवार हैं। अब हम सब मिलकर रहेंगे।” रवि ने कहा, “मैंने अपनी गलती समझ ली है और अब मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा।”

इसके बाद, रवि ने अपने भाई के साथ मिलकर खेती करने का फैसला किया। उन्होंने अपने पुराने खेतों को फिर से जीवित किया और दोनों भाइयों ने मिलकर काम करना शुरू किया।

समय बीतते गया और रिया बड़ी होती गई। वह अपने पापा और बड़े पापा के साथ खेलती और खुश रहती। परिवार में फिर से खुशियों का माहौल लौट आया।

इस तरह, रवि और अमर ने अपनी पुरानी गलतियों को भुलाकर एक नई शुरुआत की। उन्होंने एक-दूसरे का साथ दिया और अपने परिवार को फिर से एकजुट किया।

दोनों भाइयों की मेहनत और प्यार ने उन्हें फिर से एक परिवार बना दिया। रक्षाबंधन का त्योहार अब उनके लिए एक नई शुरुआत का प्रतीक बन गया।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि परिवार का प्यार और एकता सबसे महत्वपूर्ण होती है। कभी-कभी हम अपने अहंकार के कारण अपने प्रियजनों से दूर हो जाते हैं, लेकिन सच्चा प्यार हमेशा हमें वापस लाता है।