Inspector क्यों झुक गया एक गांव की लड़की के सामने….

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डीएम कनिका मेहरा की न्याय की लड़ाई

भूमिका:

अलीगढ़ जिले की सबसे बड़ी अधिकारी, डीएम कनिका मेहरा, अपनी बूढ़ी मां के लिए चिकन खरीदने बाजार पहुंची। उन्होंने साधारण सी गांव की लड़कियों की तरह गुलाबी रंग की सलवार सूट पहन रखी थी। देखकर कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता था कि यह कोई आम लड़की नहीं बल्कि जिले की सबसे बड़ी अधिकारी है। कनिका मेहरा हमेशा अपने कार्यों में ईमानदारी और न्याय की बात करती थीं।

बाजार में पहला सामना:

कनिका मेहरा एक दुकान पर रुकी जहां एक 40 साल का आदमी चिकन बेच रहा था। उन्होंने धीरे से कहा, “भैया, मुझे 1 किलो चिकन दे दीजिए।” इतनी सी बात होते ही एक मोटरसाइकिल दुकान के पास आकर रुकी। उस पर बैठा हुआ था इंस्पेक्टर आदित्य रंजन।

इंस्पेक्टर आदित्य रंजन उतरता है और कहता है, “मेरे लिए 2 किलो चिकन पैक कर दो।” दुकानदार ने विनम्रता पूर्वक कहा, “सर, आप 2 मिनट रुक जाइए। पहले मैं मैडम को चिकन दे दूं, फिर आपको भी दे दूंगा।”

इतना सुनते ही इंस्पेक्टर रंजन भड़क उठा। उसने गुस्से में चिल्लाते हुए कहा, “क्या कहा? मुझे 2 मिनट रुकना पड़ेगा? तेरे पापा का नौकर हूं क्या मैं? क्या मैं तुझे दिख नहीं रहा? मैं कौन हूं? भूल गया क्या? मैं अभी चाहूं तो तेरी दुकान यहां से उठा दूं। इसलिए ज्यादा जुबान मत चलाना। जल्दी से पहले मुझे दो फिर किसी और को देना। समझा?”

कनिका की प्रतिक्रिया:

इंस्पेक्टर की यह नाथी भरी बातें कनिका मेहरा खड़े-खड़े सुन रही थी। वह ध्यान से देख रही थी कि इंस्पेक्टर दुकानदार से बदतमीजी कर रहा है। गालियां दे रहा है और अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल कर रहा है। वे बीच में बोल पड़ीं, “सर, आप बाद में आए हैं तो आपको थोड़े रुकना होगा। मैं पहले आई हूं। मुझे पहले लेने दीजिए। फिर आप भी ले लीजिएगा। इसमें कौन सी बड़ी बात है?”

इंस्पेक्टर कणिका मेहरा की तरफ देखकर गुस्से में बोला, “अब गवार लड़की, तुझे दिख नहीं रहा मैं कौन हूं। मैं इंस्पेक्टर हूं। यहां का समझी? मैं जो कहता हूं वही होता है। तू मेरे सामने ज्यादा जुबान मत चला। तू जानती नहीं मैं कौन हूं। अभी इतना मारूंगा कि घर तक चलके नहीं जा पाएगी। और मेरे से जुबान चला रही है।”

दुकानदार की स्थिति:

इंस्पेक्टर ने कहा, “देखो तुम पहले आई हो। फिर कोई और आए। मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। मुझे बस पहले चाहिए। मुझे बहुत काम है। तो यहां मेरा दिमाग मत खराब करो। चुप रहो। समझी?” फिर इंस्पेक्टर दुकानदार की तरफ देखकर बोला, “और तू क्या देख रहा है बे? जल्दी से चिकन पैक कर।”

कनिका मेहरा अंदर ही अंदर कांप रही थी। मगर उन्होंने कुछ नहीं कहा। दुकानदार डर के मारे पहले इंस्पेक्टर को चिकन पैक करके दे दिया। इंस्पेक्टर चिकन लेकर मोटरसाइकिल पर बैठने ही लगा कि दुकानदार बोला, “इंस्पेक्टर साहब, आपने चिकन के पैसे नहीं दिए। प्लीज पैसे दे दीजिए। ज्यादा नहीं। ₹400 ही हुए हैं।”

इंस्पेक्टर की धमकी:

यह सुनते ही इंस्पेक्टर गुस्से से बोला, “अबे साले, तुझे समझ नहीं आता? तू मुझसे पैसे मांगेगा? मैं यहां का इंस्पेक्टर हूं। समझा? जो मैं बोल रहा हूं वही कर। वरना अभी तुझे जेल में डाल दूंगा। समझ बेकार का तेरा परिवार तो भाड़ में जाएगा ही। ऊपर से तू जिंदगी भर जेल में सड़ेगा। तो इसी में तेरी भलाई है कि मुझे फ्री में चिकन दिया कर।”

कनिका का संकल्प:

कनिका मेहरा इंस्पेक्टर की बदतमीजी और उसकी गलत हरकत को देखकर भी कुछ ना कर सकी। वह अंदर से कांप रही थी मगर फिर भी कुछ नहीं बोली। कुछ देर चुप रहने के बाद उन्होंने दुकानदार से कहा, “भाई, यह इंस्पेक्टर आपको चिकन के पैसे नहीं देता। ऐसे तो आपको नुकसान हो गया। क्या वह आपसे ऐसे ही चिकन लेकर जाता है? कभी पैसे नहीं देता क्या?”

दुकानदार ने कहा, “हां बहन। यह इंस्पेक्टर कई बार मेरे से चिकन लेकर गया है। लेकिन कभी भी पैसे नहीं देता। अगर मैं कुछ कहता हूं तो मुझे धमकाता है। कहता है कि तेरा दुकान उठवा दूंगा। तुझे जेल में डाल दूंगा। तेरा परिवार बर्बाद कर दूंगा। ऐसी-ऐसी धमकियां देता है कि मैं कुछ बोल ही नहीं पाता।”

कनिका का फैसला:

कनिका ने गंभीर स्वर में कहा, “नहीं भाई, अब छोड़ना नहीं है। इस इंस्पेक्टर को अब अपनी वर्दी छोड़नी पड़ेगी। उसने ना जाने कितने लोगों को लूटा है और आगे भी लूटता रहेगा। किसी को भी यह अधिकार नहीं कि वह किसी गरीब पर अत्याचार करे या जुल्म ढाए। यह कानूनन अपराध है और यह इंस्पेक्टर अपनी वर्दी का गलत इस्तेमाल कर रहा है। अब मैं इसे इसके कर्मों का फल दूंगी। इसे सस्पेंड करवाऊंगी और इसकी औकात दिखाऊंगी।”

यह सुनकर दुकानदार घबरा गया। उसने कहा, “देखिए बहन, यह थाने का इंस्पेक्टर है। कुछ भी कर सकता है। अगर आप इसके खिलाफ जाएंगी, तो हो सकता है कि उल्टा आप पर ही कोई बड़ा मामला डाल दे। ऐसे लोगों से उलझना ठीक नहीं है। रहने दीजिए। इनका हिसाब तो ऊपर वाला ही करेगा।”

कनिका का आत्मविश्वास:

कनिका मेहरा शांत लेकिन दृढ़ स्वर में बोली, “हां, ऊपर वाला तो है ही। लेकिन मैं कोई साधारण लड़की नहीं हूं। मैं इस जिले की सबसे बड़ी अधिकारी डीएम कनिका मेहरा हूं। मैं जब चाहूं इस इंस्पेक्टर को सस्पेंड करवा सकती हूं। मैंने इसे पहले कभी नहीं देखा इसलिए अब तक यह बचा हुआ था। लेकिन अब नहीं बचेगा। यह जो कर रहा है बहुत गलत कर रहा है। गरीबों पर अत्याचार कर रहा है।”

“कल जब आप दुकान पर रहेंगे मैं भी आपके साथ रहूंगी। उस इंस्पेक्टर की सारी करतूत कैमरे में रिकॉर्ड करूंगी ताकि हमारे पास सबूत हो और आपको भी गवाही देनी पड़ेगी। मैं इस मामले को कोर्ट तक लेकर जाऊंगी और इसे सस्पेंड करवाऊंगी। कल मैं इसी समय से पहले आपके पास आ जाऊंगी और यहीं बैठूंगी। फिर देखते हैं वही इंस्पेक्टर कैसे बिना पैसे दिए चिकन लेकर जाता है।”

चिकन की खरीदारी:

“अभी मेरा चिकन दीजिए और यह लीजिए ₹600 मेरे और उस इंस्पेक्टर के चिकन के,” दुकानदार चौंक कर बोला, “आप उसके पैसे क्यों दे रही हैं बहन? रहने दीजिए, आप अपने पैसे दीजिए। उसका मैं देख लूंगा।”

कनिका मुस्कुरा कर बोली, “देखो भाई, मैं तुम्हें उसके पैसे इसलिए दे रही हूं ताकि तुम्हें नुकसान ना हो। रख लीजिए, काम आएंगे।” यह कहकर कनिका मेहरा ने पैसे दिए और घर चली गई। उन्होंने अगले दिन का बेसब्री से इंतजार किया।

अगले दिन की तैयारी:

दूसरे दिन सुबह-सुबह कनिका दुकान पर आ गई और चुपचाप बैठ गई। दोनों इंस्पेक्टर का इंतजार करने लगे। कनिका ने दुकान के सामने एक छोटा सा कैमरा लगा दिया ताकि इंस्पेक्टर की हर करतूत रिकॉर्ड हो सके और उनके पास ठोस सबूत रहे।

करीब डेढ़ घंटे बाद इंस्पेक्टर आदित्य रंजन अपनी मोटरसाइकिल से आया। उतरते ही दुकानदार से बोला, “चिकन पैक करके रखा है या नहीं? कल मैं तुझे बोलकर गया था कि तैयार रखना। कहां है मेरा चिकन? जल्दी दे। मेरे मेहमान आ चुके हैं।”

इंस्पेक्टर का व्यंग्य:

इतने में उसकी नजर कनिका मेहरा पर पड़ी। वह हल्के व्यंग्य में हंसते हुए बोला, “अरे यह लड़की आज फिर यहां क्या कर रही है? कहीं दुकानदार के साथ तेरा?” इतना कहकर वह रुक गया और फिर बोला, “अच्छा, वैसे यह दुकानदार तेरा कौन लगता है? जो तू आज फिर यहां बैठी हुई है।”

कनिका ने शांत स्वर में जवाब दिया, “दुकानदार मेरा भाई है और फालतू की बातें मत कीजिए। अपना काम कीजिए।” इतने में दुकानदार ने चिकन पैक करके इंस्पेक्टर को थमा दिया।

इंस्पेक्टर की धमकी:

इंस्पेक्टर जैसे ही चिकन लेकर मोटरसाइकिल की तरफ बढ़ा, दुकानदार ने कहा, “सर, चिकन के पैसे?” यह सुनते ही इंस्पेक्टर का पारा चढ़ गया। वह लाल हो उठा और चिल्लाया, “अबे, तुझे कितनी बार समझाना पड़ेगा? फिर मुझसे पैसे मांग रहा है। मैंने कल भी कहा था, मैं पैसे वैसे नहीं दूंगा। मैं यहां का इंस्पेक्टर हूं और तू मुझसे पैसे मांगेगा? तुझे डर नहीं लगता? अभी चाहूंगा तो तेरा यह दुकान उठा दूंगा और साथ में तुझे जेल में भी डाल दूंगा।”

दुकानदार की अपील:

“इसलिए अपनी जुबान बंद रख। बिना वजह मेरा दिमाग मत खराब कर।” दुकानदार ने घबरा कर कहा, “इंस्पेक्टर साहब, आप सुबह-सुबह बिना पैसे दिए चिकन ले जाकर चले जाते हैं। दिन भर मेरे अच्छे कस्टमर नहीं आते। मेरा नुकसान हो जाता है। प्लीज कम से कम आधे पैसे तो दे दीजिए। रोज ऐसा करेंगे तो मेरा घर कैसे चलेगा? हमें कितनी मेहनत से यह सब करना पड़ता है। हमें भी अपने परिवार को चलाना है। आप हमारे पेट पर चोट कर रहे हैं साहब। प्लीज पैसे दे दीजिए।”

कनिका का गुस्सा:

इतना सुनते ही इंस्पेक्टर और भी गर्माया। उसने झट से दुकानदार के गाल पर थप्पड़ दे मारा और गुस्से में बोला, “तुझे अक्ल नहीं है क्या? कितनी बार समझाऊं कि मुझसे बहस मत किया कर। मेरा समय बर्बाद कर रहा है। मेरे घर में मेहमान है और तू यहां मेरा मूड खराब कर रहा है। मैं तुम्हें कभी पैसे नहीं दूंगा। चाहे तू कितना भी बोले। अगली बार ऐसा कुछ कहा तो मैं इतना मारूंगा कि तेरे हाथ पैर तक नहीं बचेगा।”

कनिका का प्रतिरोध:

यह देखकर कनिका मेहरा खुद पर काबू ना रख सकी। वह गुस्से से चिल्लाई, “इंस्पेक्टर साहब, आपको पैसे देने ही पड़ेंगे। आप यहां चिकन लेकर जा रहे हैं। चिकन फ्री में नहीं मिलता। इसे खरीद कर लाना पड़ता है। इससे दुकानदार का नुकसान होता है। यह उनका रोज का धंधा है। आप धमका कर वर्दी के दम पर लेकर चले जाते हैं और कभी पैसे नहीं देते। यह कानून का उल्लंघन है। वर्दी पहनकर खुद को कानून का रक्षक समझना कहीं आप पर हक नहीं बनाता।”

इंस्पेक्टर का आक्रोश:

जनता के साथ ऐसा व्यवहार नहीं होना चाहिए।” इंस्पेक्टर का गुस्सा और भड़क उठा। वह अचानक कणिका मेहरा के चेहरे पर भी एक थप्पड़ जड़ दिया और क्रोध में बोला, “तू खुद को क्या समझती है? मुझे जुबान लड़ा कर बैठी है। तू मुझे जानती नहीं, तेरी अक्ल ठिकाने नहीं है क्या? मेरे से पंगा मत ले। वरना मैं ऐसा मारूंगा कि तू घर तक चलकर नहीं जा पाएगी। और हां, यह दुकान तेरा नहीं है तो यहां दिमाग मत लगाया कर। हमारे बीच में मत बोल। वरना फिर थप्पड़ पड़ेगा। समझी?”

कनिका का संकल्प:

कनिका मन ही मन सोच रही थी। अब तो यह इंस्पेक्टर बचने योग्य नहीं है। कैमरे में सारी रिकॉर्डिंग हो रही है। इंस्पेक्टर जो भी कर रहा है, सब कुछ लोगों के सामने आएगा और उसे इस तरह बेनकाब किया जाएगा कि वह शर्म के मारे मुंह तक नहीं दिखा पाएगा और सस्पेंड तो होगा ही।

वह इंस्पेक्टर की ओर देखकर बोली, “देखिए, इंस्पेक्टर साहब, आप अपनी हद में रहें। यह एक आम जनता की दुकान है और आप यहां मुफ्त में सामान नहीं ले सकते। आपको पैसे देने होंगे। कहीं भी कानून में यह नहीं लिखा कि आप अधिकारी होने के नाते किसी दुकान से बिना पैसे के सामान ले सकते हैं। आप गरीबों के पेट पर लात मार रहे हैं। यह अन्याय है और किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं है।”

इंस्पेक्टर का अपमान:

दुकानदार चुपचाप खड़ा रहा। कुछ बोल नहीं पाया। फिर इंस्पेक्टर ने दुकानदार की तरफ देखा और धमकाते हुए कहा, “अब समझा यह कौन है बे? और यहां मुझसे जुबान लड़ रही है। तुझे डर नहीं लगता? तू यहां से भाग ले। वरना तेरे साथ-साथ तू भी जेल जाएगा। समझा?” इतना कहकर इंस्पेक्टर चिकन हाथ में लेकर मोटरसाइकिल पर बैठ गया और चला गया।

कनिका की योजना:

इंस्पेक्टर के जाने के बाद कनिका मेहरा ने कहा, “अब वह सीसीटीवी कैमरा निकाल लीजिए।” दुकानदार ने कैमरा निकाल दिया। कनिका ने कहा, “कल मैं इस मामले को कोर्ट तक लेकर जाऊंगी।” आज का काम यह है कि मैं ऑफिस जाऊंगी और आईपीएस मैडम से बात करके इस इंस्पेक्टर को सस्पेंड करवाने की तैयारी करूंगी।

आप गवाही के लिए तैयार रहिए। ठीक है। मैं अभी चलती हूं। दुकानदार ने टेप पर हाथ रखकर कहा, “हां बहन। ठीक है। जब आप कॉल करेंगी, मैं आ जाऊंगा गवाही देने के लिए। आप बेफिक्र रहिए।”

ऑफिस में कार्रवाई:

कनिका सीधे घर पहुंची। थोड़ी दावत खुराक करके ऑफिस निकल पड़ी। ऑफिस पहुंचकर उन्होंने वीडियो रिकॉर्डिंग देखी। मन ही मन उनका गुस्सा और बढ़ गया। उन्होंने तुरंत एएसपी ऑफिस में कॉल किया और एएसपी मैडम नेहा शर्मा को डीएम ऑफिस बुलाया।

कुछ ही मिनटों में नेहा शर्मा डीएम ऑफिस पहुंच गईं। कनिका मेहरा ने दुकान पर हुई सारी घटनाएं नेहा शर्मा को बताई। यह सुनकर नेहा भी क्रोधित हो गईं। कनिका ने वीडियो रिकॉर्डिंग दिखाई। दुकान पर हुई सारी वारदात कैमरे में रिकॉर्ड थी।

नेहा का समर्थन:

यह देखकर नेहा शर्मा बोली, “यह तो इंस्पेक्टर ने बहुत गलत किया है। इस दुकानदार के साथ इतना गलत व्यवहार और इतना ही नहीं, उन्होंने एक महिला अधिकारी पर भी हाथ उठाया। यह कानूनी अपराध है। किसी लड़की पर हाथ उठाना कानून के खिलाफ है। मैंने कभी नहीं सोचा कि हमारे थाने में ऐसे इंस्पेक्टर होंगे। वरना मैंने इसे कब का सस्पेंड कर दिया होता। खैर, आपने सही किया कि आपने सबूत इकट्ठा किए हैं। अब मैं इसे सस्पेंड कराऊंगी।”

नेहा शर्मा ने आदेश दिया और एक इंस्पेक्टर को यह रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि सस्पेंड का लेटर और शिकायत का प्रपत्र तुरंत तैयार किया जाए। कनिका ने कहा, “ठीक है, पर अभी आप इंस्पेक्टर के खिलाफ तुरंत रिपोर्ट और सस्पेंड का लेटर तैयार कर दीजिए। कल ही मैं इस मामले को कोर्ट तक ले जाऊंगी और उसे पूरे शहर के सामने सस्पेंड करवाऊंगी।”

तत्काल कार्रवाई:

नेहा शर्मा ने आश्वस्त स्वर में कहा, “हां, ठीक है।” यह कहकर उन्होंने तुरंत कार्रवाई शुरू करवा दी और इंस्पेक्टर आदित्य रंजन के खिलाफ रिपोर्ट तैयार करवाई।

कोर्ट में सुनवाई:

दूसरे दिन यहां मामला कोर्ट तक पहुंच गया। अगले दिन सुबह से ही कोर्ट में भीड़ लगी थी। पूरे शहर में चर्चा थी कि आज उस इंस्पेक्टर का केस है जिसने एक गरीब दुकानदार और डीएम कनिका मेहरा के साथ बदसलूकी की थी। कोर्ट के बाहर मीडिया वाले कैमरे लिए खड़े थे और अंदर सब अपनी-अपनी जगह ले रहे थे। जज साहब भी आ चुके थे।

कनिका मेहरा सादा कुर्ता पहनकर अपने वकील के साथ आईं। उनका चेहरा शांत था लेकिन आंखों में गुस्सा और हिम्मत दोनों दिख रहे थे। वह दुकानदार भी वहीं था जिसने सब देखा था। थोड़ा डर तो था पर अब वह सच्चाई बोलने के लिए तैयार था।

इंस्पेक्टर की स्थिति:

उधर इंस्पेक्टर आदित्य रंजन जो पहले बहुत रब में घूमता था, आज कोर्ट में नीचे झुका हुआ बैठा था। चेहरे पर घबराहट साफ नजर आ रही थी। जज ने कहा, “आज हम यह तय करेंगे कि इंस्पेक्टर ने वाकई अपने पद का गलत इस्तेमाल किया या नहीं और अगर किया है तो उसे क्या सजा दी जाए।”

फिर केस शुरू हुआ। सबसे पहले अभियोजन सरकारी वकील ने वह सीसीटीवी वीडियो दिखाया जो कनिका ने दुकान से निकलवाया था। वीडियो कोर्ट की बड़ी स्क्रीन पर चला। सब खामोश होकर देखने लगे। वीडियो में साफ दिख रहा था। इंस्पेक्टर कैसे दुकान में गया। दुकानदार से चिकन उठा लिया। पैसे नहीं दिए। फिर गुस्से में धमकाने लगा। जब कनिका ने टोक दिया तो उसने उसे भी डांट दिया और हाथ उठाने की कोशिश की।

कोर्ट में सन्नाटा:

वीडियो खत्म हुआ तो कोर्ट में सन्नाटा छा गया। जज ने गहरी सांस ली और बोले, “जो देखा गया है वह बहुत गंभीर है। अब कणिका मेहरा को गवाह के तौर पर बुलाया गया।”

कणिका ने शांत आवाज में कहा, “माननीय जज साहब, मैंने सब अपनी आंखों से देखा। इंस्पेक्टर ने ना सिर्फ दुकानदार को धमकाया बल्कि मुझ पर भी हाथ उठाया। अगर ऐसे अफसरों को नहीं रोका गया तो आम जनता पर अत्याचार बढ़ते रहेंगे।”

दुकानदार की गवाही:

इसके बाद दुकानदार की बारी आई। वो थोड़ा कांपते हुए बोला, “साहब, मैं गरीब आदमी हूं। उस दिन बस यही कहा था कि पैसे दे दीजिए तो उसने गुस्से में थप्पड़ मार दिया। डर के मारे कुछ नहीं बोला। लेकिन जब मैडम ने वीडियो निकाल लिया तो हिम्मत आई।”

अभियोजन पक्ष का तर्क:

अभियोजन पक्ष ने कहा, “माननीय अदालत, यह मामला सिर्फ एक थप्पड़ का नहीं है। यह मामला सत्ता के दुरुपयोग का है। जिसने कानून की रक्षा करनी थी वही कानून तोड़ बैठा।”

बचाव पक्ष का तर्क:

अब बचाव पक्ष इंस्पेक्टर का वकील खड़ा हुआ। उसने कहा, “मेरे मुवकिल ने जानबूझकर कुछ नहीं किया। वो उस दिन बहुत तनाव में था। भीड़ जमा हो गई थी। बस गुस्से में गलती हो गई। इसे अपराध नहीं कहा जा सकता।”

जज ने बीच में रोक कर पूछा, “क्या गुस्सा आने पर कोई भी इंस्पेक्टर किसी को थप्पड़ मार सकता है? क्या कानून का रखवाला ही कानून तोड़ेगा?” बचाव वकील चुप हो गया।

फॉरेंसिक रिपोर्ट:

अभियोजन ने फिर से सीसीटीवी की फॉरेंसिक रिपोर्ट दिखाई। रिपोर्ट में लिखा था कि वीडियो असली है। उसमें कोई एडिटिंग नहीं है। साथ ही मेडिकल रिपोर्ट में दुकानदार की चोट का जिक्र भी था।

फैसला सुनाना:

अब अदालत में फैसला सुनाने का वक्त आ गया था। जज ने कहा, “अदालत के सामने सारे सबूत साफ हैं। इंस्पेक्टर आदित्य रंजन ने अपने पद का दुरुपयोग किया है। उसने आम नागरिक को धमकाया, मारा और सरकारी पद की गरिमा को ठेस पहुंचाई। यह सिर्फ बदसलूकी नहीं बल्कि कानून के खिलाफ अपराध है।”

समानता का सिद्धांत:

जज ने आगे कहा, “कानून सबके लिए बराबर है। चाहे वह आम आदमी हो या पुलिस अफसर। अगर कोई अपने पद का इस्तेमाल गलत काम के लिए करता है तो उसे सजा जरूर मिलेगी।” इसके बाद उन्होंने आदेश सुनाया, “इंस्पेक्टर आदित्य रंजन को उसके पद से तुरंत सस्पेंड किया जाता है। साथ ही अदालत उसे 3 साल की सजा और जुर्माना सुनाती है। विभाग को आदेश है कि उसे हिरासत में लेकर जेल भेजा जाए और उसके खिलाफ आगे भी जांच जारी रखी जाए।”

कोर्ट में सन्नाटा:

यह सुनते ही कोर्ट हॉल में सन्नाटा छा गया। इंस्पेक्टर का चेहरा उतर गया। पुलिस के दो सिपाही आगे आए। उन्होंने उसे हाथड़ी लगाई। कनिका मेहरा ने नीचे झुकी आंखों से राहत की सांस ली। दुकानदार की आंखों में आंसू थे, लेकिन वह खुशी के आंसू थे।

मीडिया का सवाल:

बाहर मीडिया ने कनिका से पूछा, “मैडम, अब आप क्या कहेंगी?” कनिका बोली, “मैं बस इतना कहना चाहती हूं कि अब किसी गरीब को डरने की जरूरत नहीं है। कानून सबके लिए एक जैसा है। अगर कोई अधिकारी गलत करेगा तो उसके खिलाफ भी कार्यवाही होगी।”

नेहा शर्मा का समर्थन:

एसएपी नेहा शर्मा भी बाहर आईं और बोलीं, “आज हमने साबित कर दिया कि पुलिस सिर्फ वर्दी नहीं, जिम्मेदारी भी है।” शहर में यह खबर आग की तरह फैल गई। लोगों ने कहा, “अब सिस्टम में भी कुछ लोग हैं जो सच के साथ खड़े हैं।”

निष्कर्ष:

कोर्ट का फैसला उस दिन सिर्फ एक आदमी के लिए नहीं बल्कि पूरे शहर के लिए मिसाल बन गया। कनिका मेहरा और दुकानदार दोनों के चेहरे पर सुकून था क्योंकि उन्होंने डर के खिलाफ लड़कर न्याय पाया था।

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अंत

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि अगर हम सच्चाई के साथ खड़े रहें और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएं, तो हम समाज में बदलाव ला सकते हैं। कनिका मेहरा की तरह हमें भी अपने अधिकारों के लिए लड़ना चाहिए और दूसरों के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए।