IPS अधिकारी को पानीपुरी वाली समझकर इंस्पेक्टर ने मारा थप्पड़, फिर जो हुआ वो हैरान कर देने वाला था

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रविवार की सुबह थी। आईपीएस अंजलि सिंह छुट्टी पर थीं। उन्होंने साधारण लाल रंग का सलवार-सूट पहना था, जिससे कोई भी यह पहचान न सके कि वे जिले की प्रमुख पुलिस अधिकारी हैं। वे बाजार की ओर चल रही थीं, मन में सुकून और सामान्य जीवन का आनंद लेने की इच्छा लिए। रास्ते में उनकी नजर एक छोटे से ठेले पर पड़ी, जहाँ 50 वर्ष के एक बुजुर्ग अंकल पानी पूरी बेच रहे थे। ठेले पर लगी प्लेटें, तली हुई गोलगप्पे, मसालेदार पानी और चटपटी चटनी देखकर अंजलि के मुंह में पानी आ गया।

वे मुस्कुराते हुए ठेले के पास पहुंचीं और बोलीं, “अंकल, मेरे लिए ₹20 की पानी पूरी लगा दीजिए।” अंकल ने तुरंत प्लेट तैयार की और उन्हें पानी पूरी खिलाने लगे। अंजलि ने स्वाद लेकर पानी पूरी खाई, और मन ही मन उस सादगी और मेहनत की तारीफ की जो अंकल अपनी रोजी-रोटी के लिए कर रहे थे। तभी अचानक एक मोटरसाइकिल उनके पास रुकी। मोटरसाइकिल पर इंस्पेक्टर विक्रम सिंह बैठे थे। वे अपनी वर्दी के बावजूद एक घमंडी और भ्रष्ट अफसर के रूप में जाने जाते थे।

विक्रम सिंह ने ठेले वाले अंकल से कहा, “बुड्ढे, मुझे भी पानी पूरी दो, एक प्लेट लगा दो।” अंकल ने उन्हें भी एक प्लेट तुरंत दे दी। पानी पूरी हाथ में लेते ही इंस्पेक्टर ने अंजलि की ओर देखते हुए कहा, “क्या मैडम, बड़े मजे से खा रही हो? हमें भी अपने हाथों से खिलाओ, स्वाद ही कुछ और होगा।” अंजलि ने उनकी बातों को अनसुना करते हुए चुपचाप पानी पूरी खाई। लेकिन इंस्पेक्टर ने हार नहीं मानी, “अरे मैडम, इतने नखरे क्यों? चलो, कहो तो दूसरी प्लेट लगवा दूं, पैसे की चिंता मत करो, जितना चाहो खा सकती हो।”

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इंस्पेक्टर को यह अंदाजा तक नहीं था कि जिस लड़की को वह छेड़ रहा है, वह कोई आम लड़की नहीं बल्कि जिले की आईपीएस मैडम अंजलि सिंह हैं। उसने फिर मजाक में कहा, “पागल हो गया हूँ आपको देखकर, अपने आशिक को तड़पाया ना करो मेरी जान।” जब इंस्पेक्टर की प्लेट खत्म हुई, तो उसने कहा, “एक प्लेट पैक कर दो मेरी बीवी के लिए। उसे पानी पूरी बहुत पसंद है, बिल्कुल मैडम की तरह।” अंकल ने पानी पूरी पैक की, और इंस्पेक्टर बाइक स्टार्ट करते हुए चल दिए।

जैसे ही वे जाने लगे, अंकल ने हिम्मत जुटाकर कहा, “सर, पैसे तो दीजिए, आज सुबह की पहली कमाई है। प्लीज पैसे दे दीजिए।” यह सुनकर इंस्पेक्टर गुस्से में आग बबूला हो गया। उसने गरजते हुए कहा, “तेरी इतनी हिम्मत कि मुझसे पैसे मांगता है? भूल गया क्या कि मैं इंस्पेक्टर हूँ? ज्यादा बकवास करोगे तो तेरा ठेला उठा दूंगा। बच कर रहना, वरना जेल में डाल दूंगा।” इतना कहकर वह बाइक स्टार्ट करके चला गया। पास में खड़ी आईपीएस अंजलि ने यह सब ध्यान से सुना। मन में आग सी भड़क उठी।

अंजलि ने अंकल से धीरे से पूछा, “अंकल, क्या यह इंस्पेक्टर बिना पैसे दिए चला गया? क्या यह रोज ऐसा करता है? क्या कभी आपको पैसे देता है?” अंकल की आंखें भर आईं। उन्होंने रोते हुए कहा, “हाँ बेटा, यह इंस्पेक्टर रोज यहाँ से पानी पूरी खाकर चला जाता है। कभी ₹20, कभी ₹40 की, पर पैसे कभी नहीं देता। मैं कुछ नहीं कर पाता, डर जाता हूँ। अगर कुछ कहूँ तो धमकाता है, मारता है। कहता है पैसे मांगे तो ठेला उठा दूंगा। तेरे घर वालों का क्या होगा? इसलिए मैं चुप रहता हूँ।” यह सुनकर अंजलि का गुस्सा और बढ़ गया।

उन्होंने कटु स्वर में कहा, “अब बहुत हो गया अंकल। अब से वह इंस्पेक्टर हर बार पैसे देगा और किसी गरीब को सताने की हिम्मत नहीं करेगा। मैं उसे उसकी जगह दिखाऊंगी। वह खुद को कानून का रक्षक समझता है, मगर असल में गरीबों की रोजी-रोटी छीन रहा है। मैं उसे छोड़ूंगी नहीं।” अंकल डर गए और बोले, “नहीं बेटा, तुम कुछ मत करना। वह थाने का इंस्पेक्टर है, कुछ भी कर सकता है। मेरे वजह से उसे कुछ मत कहना। रहने दो।” अंजलि ने दृढ़ता से कहा, “अंकल, मैं कोई आम लड़की नहीं हूं। मैं इस जिले की आईपीएस अंजलि हूं। मैं अपने अधिकार से इस इंस्पेक्टर को सस्पेंड करवा सकती हूं। आप चिंता मत कीजिए, मैं आपके साथ हूं। कोई भी आपको लूट नहीं पाएगा।” फिर उन्होंने अपने पर्स से ₹500 निकालकर अंकल को थमाए। अंकल पैसे लेने में हिचक रहे थे, पर अंजलि ने जोर देकर पैसे दे दिए और कहा, “इन्हें रख लो, काम आएंगे।” फिर वे घर चली गईं।

अगले दिन अंजलि ने लाल सलवार सूट पहनकर ठेले पर खड़े होने का नाटक किया। उन्होंने अंकल को घर भेज दिया और अकेले ही पानी पूरी का ठेला संभाला। लगभग दोपहर 12 बजे इंस्पेक्टर विक्रम सिंह वहां आए। उन्होंने ठेले को देखा और हँसते हुए पूछा, “वह बूढ़ा कहां गया? तुम यहां क्या कर रही हो?” अंजलि ने शांति से कहा, “सर, मैं यहां पानी पूरी बेच रही हूं। जो अंकल थे वे मेरे पिताजी हैं। आज उनकी तबीयत ठीक नहीं थी, इसलिए मैं आई हूं। बताइए, आपको क्या चाहिए?” इंस्पेक्टर ने हंसते हुए कहा, “अच्छा, तुम्हारे पिता थे और आज उनकी जगह तुम ठेले पर खड़ी हो। अच्छा, छोड़ो, मुझे एक प्लेट पानी पूरी दो। तुम्हारे हाथ की पानी पूरी अच्छी होगी।”

अंजलि ने तुरंत एक प्लेट तैयार की और इंस्पेक्टर को दी। इंस्पेक्टर पानी पूरी खाते हुए बोले, “मैडम, पानी पूरी के साथ मजा आ गया। वैसे तुम भी बहुत खूबसूरत हो। मन करता है तुम्हें भी खा लिया जाए।” इंस्पेक्टर जाने लगे, तब अंजलि ने ठहराकर कहा, “सर, अब पानी पूरी के पैसे दीजिए।” इंस्पेक्टर गुस्से में बोले, “मैडम, कल मैंने तुम्हारे पापा से पानी पूरी खाई थी और पैसे नहीं दिए। वे मुझसे पैसे नहीं मांगते और अब तुम मुझसे पैसे मांग रही हो। मेरे पास पैसे नहीं हैं।” वह चलने ही लगे। अंजलि ने बार-बार कहा कि बिना पैसे दिए वे नहीं जाएंगे।

इंस्पेक्टर ने कहा, “देखिए सर, आपको पैसे देने ही होंगे। चाहे आप मेरे पिताजी से कैसे भी लेते रहे हों। मैं आपको बिना पैसे दिए नहीं जाने दूंगी। पानी पूरी मुफ्त नहीं मिलती। हमारे पास खर्च आते हैं और हम उसी मेहनूली कमाई से घर चलाते हैं। अगर आप पैसे नहीं देंगे तो हमें और हमारे परिवार को भूखा रहना पड़ेगा।” यह सुनकर इंस्पेक्टर भड़क उठा। उसने जोरदार थप्पड़ अंजलि के गाल पर मारा और गरजते हुए कहा, “बहुत ज्यादा जुबान चलने लगी है तेरी? तू मुझे जानती नहीं है। मैं चाहूं तो अभी तुझे जेल के अंदर डाल सकता हूं। तेरे पापा तो डर के मारे मुझे कुछ नहीं कहते और तू बहस कर रही है। ज्यादा अकड़ मत दिखा, वरना तेरा ठेला भी उठा दूंगा।”

अंजलि का गुस्सा अब और बढ़ गया। वह कांपते हुए बोलीं, “आपको पैसे देने ही होंगे। चाहे आप पुलिस हो या कोई नेता, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। मुझे मेरे पैसे चाहिए। आप बिना पैसे दिए कहीं नहीं जा सकते। आप गरीबों के पेट पर लात मार रहे हैं। आपने मुझ पर हाथ उठाया है। अब मैं आपको छोड़ूंगी नहीं। आपको सस्पेंड करवा कर रहूंगी। आप जानते नहीं कि मैं कौन हूं।” यह सुनकर इंस्पेक्टर और भड़क गया। उसने ठेले पर लात मार दी, जिससे सारा पानी पूरी बिखर गई। फिर ताना मारते हुए बोला, “देख लिया, बहुत अकड़ दिखा रही थी पैसे के लिए। अब ले अपने पैसे। कल से अगर यहां ठेला लगाया तो तेरी खैर नहीं। अपने बाप से कह देना कि यह जगह छोड़ दे।” इतना कहकर वह वहां से चला गया।

इंस्पेक्टर को यह पता नहीं था कि जिस लड़की को उसने थप्पड़ मारकर अपमानित किया था, वह कोई आम लड़की नहीं बल्कि जिले की आईपीएस अंजलि सिंह थी। अंजलि गुस्से से कांप रही थीं। उन्होंने अंकल को बुलाया, ठेला सीधा किया और गिरी हुई पानी पूरी समेटी। फिर अंकल से बोलीं, “अंकल, इंस्पेक्टर ने बहुत गलत किया है। मैं उसकी तरफ से आपसे माफी मांगती हूं। उसने आपका सामान खराब कर दिया, इसलिए ₹2000 रख लीजिए।” अंकल पैसे लेने में झिझक रहे थे, पर अंजलि ने जबरदस्ती पैसे दे दिए। फिर दृढ़ स्वर में बोलीं, “चिंता मत कीजिए अंकल। मैंने आपके ठेले में पहले से ही एक छुपा हुआ सीसीटीवी कैमरा लगाया था। इंस्पेक्टर की सारी हरकतें रिकॉर्ड हो चुकी हैं। कल इसी फुटेज के सहारे मैं उसे सस्पेंड कराऊंगी और पूरे शहर के सामने उसकी औकात दिखाऊंगी। अब उसका बचना नामुमकिन है। कल आपको कोर्ट में गवाही देनी होगी।” अंकल ने हामी भरी और कहा, “ठीक है बेटा, आप जो कहोगी वही करूंगा। बस मुझे बता देना कि कब आना है।”

इसके बाद अंजलि सीधे अपने घर गईं और वहां से जिले के डीएम आशीष सिंह से मिलने पहुंचीं। उन्होंने डीएम को सारी बातें बताईं और सीसीटीवी रिकॉर्डिंग दिखाई। यह देखकर डीएम भी गुस्से में भर गए और बोले, “अब वह इंस्पेक्टर नहीं बचेगा। मैं उसे बिल्कुल नहीं छोड़ूंगा। आप तुरंत उसके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराइए और कार्यवाही शुरू कीजिए। कल ही यह मामला कोर्ट जाएगा और इंस्पेक्टर सबके सामने सस्पेंड होगा, जेल भी जाएगा।” अंजलि ने तुरंत इंस्पेक्टर के खिलाफ रिपोर्ट तैयार की और सभी सबूत इकट्ठे किए। फिर अगले दिन का इंतजार करने लगीं।

अगले दिन मामला सीधे कोर्ट पहुंचा। कोर्ट के बाहर गाड़ियों की लंबी कतार लगी हुई थी। बड़ी संख्या में जनता, मीडिया, रिपोर्टर, पुलिस अफसर और कई बड़े नेता मौजूद थे। कोर्ट के अंदर भी भीड़ उमड़ी हुई थी। सभी लोग जज साहब और उनके फैसले का इंतजार कर रहे थे। एक तरफ अंजलि सिंह, डीएम आशीष सिंह और पानी पूरी वाला अंकल बैठे थे। दूसरी तरफ अपराधी इंस्पेक्टर विक्रम सिंह बैठा था। उसके चेहरे की हवाइयां उड़ चुकी थीं और वह डर से कांप रहा था।

जज ने गवाही शुरू करने का आदेश दिया। पहली गवाही पानी पूरी वाले अंकल की थी। अंकल खड़े होकर बोले, “मिलॉर्ड, यह इंस्पेक्टर रोज मेरे ठेले से पानी पूरी खाता था। मैंने कई बार पैसे मांगे, मगर यह इंस्पेक्टर कभी पैसे नहीं देता था। और मुझे बार-बार धमकाता था कि ठेला उठा दूंगा, तुझे जेल में डाल दूंगा, तेरा घर बर्बाद कर दूंगा। कल इसने सच में मेरा ठेला गिरा दिया। मेरा सारा सामान बर्बाद कर दिया। और जब मेरी मदद के लिए अंजलि आई, यह सब मैंने अपनी आंखों से देखा है। इस इंस्पेक्टर ने जो भी किया है, वह कानूनन अपराध है। मुझे बस इंसाफ चाहिए।”

कोर्ट में सन्नाटा छा गया। सब एक-दूसरे की तरफ देखने लगे। भीड़ में फुसफुसाहट शुरू हो गई। अब अंजलि खड़ी हुईं और आत्मविश्वास से बोलीं, “मिलॉर्ड, मैं इस जिले की आईपीएस ऑफिसर अंजलि सिंह हूं। इस इंस्पेक्टर ने ना सिर्फ गरीब को लूटा बल्कि एक गरीब के ऊपर अत्याचार किया। उनका ठेला गिराया, गालियां और धमकियां दीं, और जब मैंने विरोध किया तो मुझ पर हाथ उठाया। सिर्फ इतना ही नहीं, इसने सड़क पर मुझे आम लड़की समझकर छेड़ा। यह कानूनन अपराध है और इसे सजा मिलनी चाहिए। मेरे पास इसका सबूत भी है।” उन्होंने कोर्ट में वीडियो रिकॉर्डिंग सबके सामने चला दी।

आम लड़की समझकर इंस्पेक्टर ने SP मैडम को थप्पड़ मार दिया || फिर जो हुआ उसने  पूरा थाना हिला दिया! - YouTube

स्क्रीन पर साफ दिख रहा था कि इंस्पेक्टर ठेला गिराता है, थप्पड़ मारता है और गाली-गलौज करता है। मीडिया वाले भी जोर-जोर से वीडियो कैप्चर करने लगे। डीएम आशीष सिंह खड़े होकर बोले, “मिलॉर्ड, यह इंस्पेक्टर जनता की सेवा करने की बजाय जनता को लूट रहा था। अगर ऐसे अफसर को सख्त सजा नहीं मिलेगी तो पूरे सिस्टम में गड़बड़ी फैल जाएगी। कानून सबके लिए बराबर है। हम चाहते हैं कि इस पर सख्त कार्रवाई हो।”

फिर इंस्पेक्टर के बचाव पक्ष का वकील खड़ा हुआ और बोला, “मिलॉर्ड, मेरा मुवक्किल निर्दोष है। यह सब साजिश है। वीडियो एडिट किया गया है। इंस्पेक्टर विक्रम सिंह ने ऐसा कुछ नहीं किया है। यह सब साजिश रची जा रही है इंस्पेक्टर विक्रम सिंह के खिलाफ।” लेकिन तभी जज ने वीडियो को दोबारा चलवाया और कहा, “यह फुटेज साफ और बिना एडिट के है। गवाह भी घटना की पुष्टि कर रहे हैं। बचाव की कोई गुंजाइश नहीं बचती।”

कोर्ट में सब खामोश थे। इंस्पेक्टर पसीने-पसीने हो गया। वह शर्मिंदगी में मुंह नीचे करके खड़ा था। जज साहब ने थोड़ी देर सोचकर फैसला सुनाया, “गवाह और सबूत साबित करते हैं कि इंस्पेक्टर विक्रम सिंह ने गरीब से वसूली की, महिला अधिकारी पर हाथ उठाया, गाली-गलौज की, लड़की को छेड़ा और अपनी ड्यूटी का गलत इस्तेमाल किया। यह गंभीर अपराध है। अदालत का आदेश है कि विक्रम सिंह को तुरंत सस्पेंड किया जाता है और आगे की जांच पूरी होने तक उसे जेल भेजा जाए।”

जैसे ही यह फैसला सुनाया गया, कोर्ट में तालियां गूंज उठीं। मीडिया वाले दौड़-दौड़ कर बाहर खबर देने लगे। भ्रष्ट इंस्पेक्टर जेल भेजा गया। पानी पूरी वाले अंकल की आंखों में खुशी के आंसू आ गए। उन्होंने हाथ जोड़कर अंजलि सिंह से कहा, “बिटिया, आज तुम्हारी वजह से मुझे इंसाफ मिला। वरना मैं अकेला कुछ नहीं कर पाता।” अंजलि ने मुस्कुराते हुए कहा, “अंकल, अब किसी गरीब को डरने की जरूरत नहीं। कानून सबके लिए बराबर है।”

डीएम साहब ने भी अंजलि सिंह की पीठ थपथपाई और कहा, “बहुत अच्छा काम किया। तुम्हारे जैसे अफसर ही जनता के असली रक्षक हैं।” उधर पुलिस वाले इंस्पेक्टर विक्रम सिंह को हथकड़ी लगाकर ले गए। उसका सिर झुका हुआ था। मीडिया कैमरों की रोशनी में वह शर्मिंदा नजर आ रहा था। इस तरह एक भ्रष्ट इंस्पेक्टर की कहानी यहीं खत्म हुई।

यह कहानी हमें सिखाती है कि चाहे कोई कितना भी बड़ा अधिकारी हो, अगर वह गलत करता है तो कानून के सामने बराबर है। साहस और ईमानदारी से काम करने वाले अधिकारी न केवल अपराधियों को सजा दिला सकते हैं, बल्कि समाज में न्याय और विश्वास की भावना भी जगा सकते हैं। आईपीएस अंजलि सिंह की तरह अगर हर अधिकारी अपने कर्तव्यों का निर्वहन निडरता और ईमानदारी से करे, तो भ्रष्टाचार और अन्याय को जड़ से खत्म किया जा सकता है।