IPS अधिकारी पूजा शर्मा की सच्ची कहानी | भ्रष्ट पुलिस बेनक़ाब

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दिन के करीब 10:00 बज रहे थे। शहर की सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ था। हवा में एक अजीब सी खामोशी थी, मानो सब कुछ थम सा गया हो। इसी सन्नाटे में लाल रंग का सलवार सूट और पीला दुपट्टा पहने एक जवान और खूबसूरत लड़की धीरे-धीरे सड़क के किनारे-किनारे चल रही थी। उसका नाम पूजा शर्मा था, और वह एक आईपीएस ऑफिसर थी। पूजा उस दिन अपनी मां की दवा लेने के लिए एक डॉक्टर के घर जा रही थी। उसकी चाल में आत्मविश्वास था, लेकिन चेहरे पर मां की तबीयत की चिंता साफ झलक रही थी।

सड़क के एक मोड़ पर पहुंचते ही उसकी नजर सड़क के किनारे बैठे कुछ पुलिस वालों पर पड़ी। वहां तीन-चार हवलदार और थाने का इंस्पेक्टर मल्होत्रा शराब के नशे में चूर होकर बैठे थे। वे खुलेआम सड़क पर शराब पी रहे थे, गंदे गाने बजा रहे थे और बेहूदा हंसी-ठिठोली कर रहे थे। इंस्पेक्टर मल्होत्रा की नजर जैसे ही पूजा पर पड़ी, उसकी आंखें चमक उठीं। उसने बगल में बैठे हवलदार को ठोकर मारते हुए कहा, “ओए देखो तो, इतने दिन को कौन सी हसीन परी चली आ रही है। चलो थोड़ा मजा लेते हैं।” बाकी हवलदार भी कुटिल हंसने लगे।

पूजा ने यह सब देखा तो वह कुछ पल के लिए ठिठक गई। उसने गहरी सांस ली और सीधे उनके पास बढ़ते हुए कहा, “तुम लोग पुलिस होकर यह सब कर रहे हो? खुलेआम सड़क पर बैठकर शराब पी रहे हो? गंदे गाने बजा रहे हो? सरकार ने शराबबंदी लागू की है और तुम खुद ही कानून तोड़ रहे हो। अगर तुम लोग ही ऐसी हरकतें करोगे तो जनता से क्या उम्मीद की जा सकती है?” उसकी आवाज में सख्ती थी, और उसके सुर में ऐसी दृढ़ता कि बाकी हवलदार एक पल के लिए खामोश हो गए।

IPS Officer Pooja Sharma ki Sacchi Kahani | Corrupt Police Be Naqab | Urdu  Story || Alert Stories

मगर मल्होत्रा पर इसका कोई असर नहीं हुआ। वह लड़खड़ाते हुए उठा और पूजा के सामने आकर खड़ा हो गया। उसकी आंखों में नशा और हवस दोनों झलक रहे थे। उसने बेहूदा हंसी के साथ कहा, “अरे मैडम, आप कहां जा रही हो इतने दिन को? बड़ी खूबसूरत लग रही हो। जरा हम पर भी अपनी नजरें डालो ना, हम भी तो तुम्हारे दीवाने हो सकते हैं।” वह पूजा का हाथ पकड़ने की कोशिश करने लगा।

पूजा का गुस्सा उबल पड़ा। उसने अपना हाथ झटकते हुए कहा, “देखिए इंस्पेक्टर, मैं आपको इज्जत देती हूं इसलिए चुप हूं। लेकिन आप लोग बहुत बड़ी गलती कर रहे हैं। मैं इस पूरे मामले की रिपोर्ट दर्ज कराऊंगी।” मल्होत्रा ठठाका मारकर हंस पड़ा, “रिपोर्ट? अरे पूरा थाना मेरा है। मैं ही इस थाने का मालिक हूं। और अगर मैं चाहूं तो तुम्हें अभी गिरफ्तार करवा सकता हूं। तुम क्या कर लोगी? समझी ना?” इतना कहकर उसने जोर से पूजा का हाथ पकड़ लिया और पास खींचने लगा। “ज्यादा जुबान चलाएगी तो अभी जुबान खींच लूंगा।”

पूजा के पैरों तले जमीन खिसक गई। उसने सोचा भी नहीं था कि एक थाने का इंस्पेक्टर इतना गिर सकता है। मगर अगले ही पल उसने खुद को संभाला और दर्द भरे सुर में कहा, “आप हद पार कर रहे हैं। सुधर जाइए, वरना मैं आप सबको निलंबित करवा दूंगी। मुझे कमजोर मत समझिए। आप लोगों को पता नहीं कि मैं कौन हूं, इसलिए मुझे टक्कर मत दीजिए।” लेकिन मल्होत्रा ने उसकी बातों पर जरा भी गौर नहीं किया। उल्टा उसने पूजा को और कसकर अपनी बाहों में खींच लिया। “तुम हमें सस्पेंड करवा सकती हो? तुम अपने आप को क्या समझ रही हो?” झर उगलते हुए कहा।

पूजा का धैर्य जवाब दे गया। उसने पूरे जोर से मल्होत्रा के गाल पर एक जोरदार थप्पड़ जड़ दिया। थप्पड़ इतना भारी था कि मल्होत्रा लड़खड़ा गया। गुस्से में तिलमिलाते हुए उसने पास पड़ी शराब की बोतल उठाई और पूरी ताकत से पूजा के हाथ पर दे मारी। बोतल के टुकड़े पूजा के हाथ में धंस गए। खून बहने लगा। दर्द के मारे उसकी सांसें तेज हो गईं। मगर मल्होत्रा यहीं नहीं रुका। उसने पूजा को धक्का देकर पास खड़ी मोटरसाइकिल के किनारे पटक दिया।

पूजा दर्द से कराह उठी। उसके दिमाग में सिर्फ एक बात घूम रही थी – अगर उसने अभी कदम पीछे खींचे तो ये दरिंदे और आगे बढ़ेंगे। वह जमीन पर गिरते हुए भी संभली। आंखों में गुस्से और इरादों की आग लिए उसने अपने फोन की तरफ हाथ बढ़ाया, मगर तभी मल्होत्रा ने उसका फोन झटक कर फेंक दिया। अब माहौल और खतरनाक हो चुका था। बाकी हवलदार भी खड़े हो गए। पूजा समझ गई कि अब यह मामला सिर्फ बहस का नहीं बल्कि जान की बाजी लग सकती है।

दिन की इस घटना के बाद पूजा शर्मा का पूरा शरीर दर्द से कराह रहा था। हाथ से खून अब भी रुक-रुक कर बह रहा था। लेकिन उसके मन में गुस्सा और आक्रोश किसी भी दर्द से ज्यादा तेज था। वह बमुश्किल खुद को संभालती हुई तेजी से वहां से भागी और सीधे अपने घर पहुंची। दरवाजा बंद करते ही वह बिस्तर पर बैठ गई। उसके कानों में मल्होत्रा की गंदी बातें गूंज रही थीं। उसकी आंखों में गुस्से के साथ-साथ बेबसी भी थी। “हमारे जिले के थाने में ऐसी हरकतें हो रही हैं और कोई आवाज तक नहीं उठाता। ना जाने ये लोग कितनी लड़कियों को इस तरह परेशान करते होंगे। पब्लिक अगर शराब पी ले तो उसे पीट-पीट कर लॉकअप में डाल दिया जाता है, लेकिन जब पुलिस वाले खुद नशे में सड़क पर दरिंदों की तरह घूम रहे हों तो उन्हें कौन रोकेगा? लेकिन नहीं, अब मैं चुप नहीं रहूंगी। इन लोगों को सबक सिखाकर रहूंगी।” पूजा की आंखों में दृढ़ता झलक रही थी।

उसने मन ही मन कसम खाई कि इन्हें सस्पेंड करवा कर रहेगी। हर उस लड़की को इंसाफ दिलाएगी जो इनकी दरिंदगी का शिकार हुई होगी। पूरा दिन वह नींद की एक भी झलक ना ले सकी। सुबह होते ही उसने एक प्लान बनाया। उसने अपनी बचपन की सहेली रेशमा को फोन लगाया। रेशमा से उसकी गहरी दोस्ती थी और वह पूजा की बात मानने में कभी पीछे नहीं रहती थी। पूजा ने पूरी घटना और अपने प्लान के बारे में रेशमा को विस्तार से बताया। रेशमा ने बिना एक पल घमंड किए उसकी मदद के लिए हां कर दी।

अगले दिन योजना के मुताबिक रेशमा को बिल्कुल आम लड़की की तरह तैयार किया गया। साधा सा सलवार सूट पहनकर वह धीरे-धीरे सड़क के उसी रास्ते पर चलने लगी जहां पिछले दिन मल्होत्रा और उसके हवलदार शराब पी रहे थे। पूजा भी वहां मौजूद थी, लेकिन इस बार वह दूर एक पेड़ के पीछे छुप कर खड़ी थी। उसके हाथ में मोबाइल था जो रिकॉर्डिंग मोड में चल रहा था। जैसा अंदाजा था वैसा ही हुआ। सड़क किनारे वही मंजर दोबारा था। इंस्पेक्टर मल्होत्रा और उसके हवलदार शराब की बोतलें खोल बैठे थे। मोबाइल पर गाने बज रहे थे और उनके बीच बेहूदा हंसी-ठिठोली जारी थी।

एक हवलदार ने रेशमा को देखा और मल्होत्रा से कहा, “सर देखिए, आज फिर एक लड़की सड़क से जा रही है।” मल्होत्रा ने आंखें तरेरी और मुस्कुराया, “ओ लगता है आज किस्मत हमारे साथ है। चलो आज इसे नहीं छोड़ेंगे, मजा लेंगे।” वे सब उठकर रेशमा के पास पहुंचे। रेशमा घबराई सी खड़ी हो गई। मल्होत्रा नशे में लड़खड़ाता हुआ उसके करीब आया और गंदी मुस्कान के साथ बोला, “क्या बात है मैडम? नाम क्या है तुम्हारा? इतने दिन को कहां निकल पड़ी हो? चलो हमारे ऊपर भी ध्यान दो। तुम्हारे चेहरे ने तो हमें दीवाना कर दिया।” इतना कहते हुए मल्होत्रा बेसुरी आवाज में गाना गाने लगा।

रेशमा ने डरने का नाटक किया। तभी एक हवलदार ने उसका हाथ पकड़ लिया और जबरदस्ती खींचने लगा। रेशमा जोर से चीखी और हाथ छुड़ाने लगी। उधर दूर खड़ी पूजा सब कुछ अपने मोबाइल में रिकॉर्ड कर रही थी। उसकी उंगलियां मोबाइल को कसकर पकड़े थीं ताकि कोई सबूत छूट न जाए। जब हद पार होने लगी तो रेशमा ने प्लान के मुताबिक इंस्पेक्टर का हाथ जोर से काट लिया और झटके से छुड़ाकर भाग निकली। मल्होत्रा गुस्से में चीखा, “अरे पकड़ो इसे!” मगर नशे में धुत होने के कारण कोई भी उसके पीछे तेजी से भाग नहीं पाया।

रेशमा भागते हुए सीधी पूजा के पास पहुंची। दोनों तेजी से वहां से निकल गईं और अपने-अपने घर चली गईं। अब पूजा के पास मल्होत्रा और उसके हवलदारों के खिलाफ एक ठोस सबूत था। लेकिन वह जानती थी कि सिर्फ एक सबूत से इतना बड़ा इंस्पेक्टर नहीं झुकेगा। उसे और सबूत चाहिए थे ताकि यह साबित हो सके कि ये लोग सिर्फ नशे में हरकतें नहीं करते बल्कि बार-बार ऐसी घिनौनी हरकतों को अंजाम देते हैं।

पूजा ने सोचा, “अगर मुझे इन्हें गिराना है तो इनके हर अपराध का पूरा सबूत चाहिए। मैं पीछे नहीं हटूंगी।” दूसरी तरफ इंस्पेक्टर मल्होत्रा और उसके हवलदार बेखबर थे। उन्हें जरा भी अंदाजा नहीं था कि उनके खिलाफ एक बहुत बड़ा जाल बिछ चुका है। आने वाले दिनों में उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा तूफान उन पर टूटने वाला था और यह तूफान खुद उनकी ही करतूतों से पैदा हुआ था।

दिन का सन्नाटा फिर से लौट आया था। वही जगह, वही सड़क, वही हवाएं। लेकिन इस बार पूजा शर्मा का इरादा और भी मजबूत था। वह जान चुकी थी कि सिर्फ एक-दो सबूत से इंस्पेक्टर मल्होत्रा जैसे दरिंदे को गिराना आसान नहीं होगा। उसे ऐसा सबूत चाहिए था जो न सिर्फ अदालत में काम आए बल्कि पूरी जनता को हिला कर रख दे।

तीसरे दिन पूजा ने लाल रंग की हल्की साड़ी पहनी, बालों को दुपट्टे से ढका और हाथ में मोबाइल कसकर पकड़े दूर से ही देख रही थी। वही मंजर था। इंस्पेक्टर मल्होत्रा और उसके हवलदार सड़क किनारे बनी टूटी-फूटी झोपड़ी के पास शराब की बोतलें खोल बैठे थे। मोबाइल पर गाने बज रहे थे और उनके बीच बेहूदा हंसी-ठिठोली जारी थी। पूजा ने गहरी सांस ली और झाड़ियों के पीछे छुपते हुए मोबाइल का कैमरा ऑन किया। वीडियो रिकॉर्डिंग शुरू हो गई।

करीब दो मिनट तक उसने हर चीज कैद की – बोतलें, हंसी, गालियां और इंस्पेक्टर मल्होत्रा का शराब में चूर गिरा हुआ चेहरा। जब उसे लगा कि सबूत काफी है तो वह फौरन घर लौट आई। पहुंचकर उसने मोबाइल को अपने सामने रखा और इस वीडियो को कई बार देखा। हर बार उसका गुस्सा और बढ़ता जा रहा था। “यह लोग पुलिस की वर्दी में दाग हैं। इन्हें बचाने वाला कोई नहीं होगा। अब यह सबूत इन्हें बर्बाद कर देगा,” उसने खुद से कहा।

लेकिन पूजा को पता था कि सिर्फ वीडियो रिकॉर्डिंग से काम नहीं बनेगा। मल्होत्रा के रसूख बड़े थे। थाने के कई लोग उसके इशारों पर चलते थे। उसे सस्पेंड कराने के लिए सिर्फ सबूत ही नहीं बल्कि जनता की मदद और अफसरों का सहारा भी जरूरी था। अगले दिन सुबह पूजा ने अपने पड़ोस की कुछ भरोसेमंद औरतों और बुजुर्गों को घर बुलाया। उसने उन्हें वीडियो दिखाया। वीडियो देखकर सबका खून खौल उठा।

एक बुजुर्ग बोले, “मैडम, अगर हमारे जिले के पुलिस वाले ऐसे काम करेंगे तो जनता कहां जाएगी? आप बिल्कुल सही कर रही हैं। हम गवाही देने को तैयार हैं।” वहीं एक औरत ने कहा, “मैडम, आप जैसे लोग ही हमारी उम्मीद हैं। आप जो कहेंगी हम करेंगे।” पूजा के चेहरे पर हल्की मुस्कान आई। उसे समझ आ गया कि आवामी सहारा मिल चुका है।

अब बारी थी अगला कदम बढ़ाने की – बड़े अफसरों तक पहुंचने की। पूजा जानती थी कि मल्होत्रा को सीधे पकड़वाना आसान नहीं। अगर वह सीधे थाने जाती और शिकायत करती तो मामला दबा दिया जाता। इसीलिए उसने तय किया कि वह सीधे जिले के डीएसपी, फिर एसपी और जरूरत पड़ी तो डीएम तक जाएगी। सबूत तैयार करके वह सबसे पहले डीएसपी विकास सिंह के ऑफिस पहुंची।

विकास सिंह एक सख्त और ईमानदार अफसर माने जाते थे। पूजा ने उन्हें पूरा वीडियो दिखाया और पूरी घटना तफसील से सुनाई। वीडियो देखकर डीएसपी हैरान रह गए। “मैडम, यह मामला बहुत बड़ा है। मल्होत्रा का नाम कई बार सामने आया है, लेकिन आज तक कोई ठोस सबूत नहीं था। आपने कमाल कर दिया,” उन्होंने गंभीर लहजे में कहा। “सर, मैं चाहती हूं कि इस मामले को दबाया ना जाए। मैं खुद गवाही दूंगी,” पूजा ने दृढ़ लहजे में कहा।

डीएसपी ने हामी भरी, “आपको मेरी पूरी मदद मिलेगी, लेकिन हमें और सबूत चाहिए ताकि कोई लूप हो ना बचे।” यह सुनकर पूजा ने अपने अगले कदम के बारे में बताया, “सर, मैं एक और रिकॉर्डिंग करूंगी। इस बार ऑडियो भी साथ ही कुछ स्थानीय लोगों को साथ लेकर स्टिंग ऑपरेशन करूंगी ताकि अदालत में मामला मजबूती से टिक सके।” डीएसपी ने पूजा की योजना पर सहमति जताई और कहा, “आपको सुरक्षा भी दी जाएगी और हां, इस मामले को मैं खुद एसपी साहब तक पहुंचाऊंगा।”

उस दिन पूजा ने एक और योजना बनाई। इस बार उसने पड़ोस के दो भरोसेमंद लड़कों और एक औरत को अपने साथ लिया। तय हुआ कि औरत आम राहगीर बनकर वहां से गुजरेगी और बाकी दो लड़के थोड़ी दूरी पर खड़े रहेंगे। पूजा खुद कैमरे के साथ तैयार रही। जैसा अंदाजा था, मल्होत्रा और उसके हवलदार फिर वहीं हरकतें करते दिखे। उन्होंने उस औरत को रोकने की कोशिश की, गंदी बातें कीं और हाथ पकड़ने की कोशिश भी की। यह सब कुछ कैमरे में रिकॉर्ड हो गया।

इस बार पूजा के पास वीडियो के साथ-साथ ऑडियो के सबूत भी थे। अगली सुबह पूजा सीधे एसपी संदीप चौहान के पास पहुंची। उसने सारे सबूत और आवामी गवाहों की फहरिस्त दिखाई। वीडियो देखते ही एसपी ने गुस्से में मेज पर हाथ मारा, “यह लोग पुलिस कहलाने के लायक नहीं हैं। मैडम, आपने बहुत हिम्मत दिखाई है। मैं इसे फौरन डीएम मैडम तक पहुंचाता हूं।”

उसके बाद पूजा और एसपी खुद डीएम श्रुति वर्मा के दफ्तर पहुंचे। श्रुति वर्मा अपने खड़े फैसलों के लिए जानी जाती थीं। उन्होंने वीडियो देखा और कड़क आवाज में कहा, “यह शर्मनाक है। ऐसे लोग पुलिस की वर्दी पर कलंक हैं। मैडम, मैं आपके साथ हूं।” डीएम ने फौरन हुक्म दिया कि पूरे मामले की जांच के लिए एक स्पेशल टीम बनाई जाए। साथ ही मल्होत्रा और उसके हवलदारों को फौरन ड्यूटी से निलंबित करने का प्रस्ताव तैयार किया जाए।

पूजा की मेहनत रंग ला रही थी। मल्होत्रा और उसके आदमी अब भी बेखबर थे कि उनकी गिनती की घड़ियां शुरू हो चुकी हैं। पूजा ने आवामी गवाहों से लिखित बयान लिए और सभी सबूत एक फाइल में इकट्ठा कर दिए। डीएम ने अगले ही दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाने का हुक्म दिया। “पूजा मैडम, कल का दिन आपकी जीत का पहला दिन होगा। हम जनता के सामने इन दरिंदों का चेहरा बेनकाब करेंगे,” पूजा की आंखों में चमक थी। उसने सोचा अब ये लोग सिर्फ सस्पेंड नहीं होंगे, बल्कि यह सबक सीखेंगे कि कानून से बड़ा कोई नहीं।

अगली सुबह शहर में हलचल मच चुकी थी। पूजा शर्मा ने जैसे ही डीएम के हुक्म पर सारे सबूत सौंपे, मामला रफ्तार पकड़ गया। डीएम श्रुति वर्मा ने उसी दिन सुबह झिल्ले के सबसे बड़े कॉन्फ्रेंस हॉल में प्रेस मीटिंग बुलाई। खबर फैलते ही मीडिया, जनता और तमाम पुलिस अफसर वहां इकट्ठे हो गए। पूजा ने अपने हाथ में वह फाइल कसकर पकड़ी हुई थी जिसमें पिछले तीन दिनों में जुटाए गए सारे वीडियो, ऑडियो रिकॉर्डिंग्स और आवामी लिखित बयान थे। यह फाइल अब इंस्पेक्टर मल्होत्रा और उसके साथियों के करियर को खत्म करने वाली थी।

डीएम श्रुति वर्मा हॉल में पहुंचीं। उनके चेहरे पर सख्ती थी और आवाज में गुस्सा साफ झलक रहा था। “हम सब यहां इसलिए जमा हुए हैं क्योंकि हमारी पुलिस फोर्स में कुछ ऐसे लोग हैं जो वर्दी का नहीं बल्कि दरिंदगी का काम कर रहे हैं।” पूजा ने माइक उठाया और सबको संबोधित करते हुए कहा, “तीन दिन पहले मैंने देखा कि हमारे ही जिले के थाने में तैनात इंस्पेक्टर मल्होत्रा और उसके हवलदार खुलेआम शराब पी रहे थे और औरतों को परेशान कर रहे थे। मैंने उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने मुझ पर हाथ उठाया। यही नहीं, उन्होंने मेरे साथ बदसलूकी भी की। अगर मैं चुप रहती तो ये दरिंदे ना जाने और कितनी लड़कियों को शिकार बनाते। इसलिए मैंने इनके खिलाफ सबूत इकट्ठे किए।” इसके बाद पूजा ने वीडियो मीडिया और जनता के सामने चला दिए।

IPS Officer Pooja Sharma ki Sacchi Kahani | Corrupt Police Be Naqab | Urdu  Story || Old History

स्क्रीन पर साफ दिख रहा था कि मल्होत्रा और उसके हवलदार शराब के नशे में धुत होकर सड़क पर औरतों को परेशान कर रहे थे। गंदी बातें कर रहे थे और खुलेआम शराब पी रहे थे। वीडियो देखते ही हॉल में बैठे लोग भड़क उठे। मीडिया के कैमरे लगातार फ्लैश कर रहे थे। जनता चीख रही थी, “सस्पेंड करो इन्हें! जेल भेजो इनको!” डीएम ने हाथ उठाकर सबको खामोश किया और कहा, “इन मुजरिमों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। कानून से बड़ा कोई नहीं, चाहे वह इंस्पेक्टर हो या हवालदार।”

इसी दौरान जब मल्होत्रा और उसके हवलदारों को खबर मिली कि उनके खिलाफ सबूत के साथ डीएम और मीडिया के सामने खुलासा हो चुका है, तो थाने में हड़कंप मच गया। मल्होत्रा गुस्से और डर से बौखलाकर चिल्लाया, “यह सब पूजा शर्मा की साजिश है। लेकिन मैं देखता हूं, मुझे कौन सस्पेंड करता है।” इतने में डीएसपी विकास सिंह और एसपी संदीप चौहान पुलिस फोर्स के साथ थाने पहुंचे।

इंस्पेक्टर मल्होत्रा को एसपी ने कड़क आवाज में पुकारा। मल्होत्रा ने अकड़ दिखाने की कोशिश की, “सर यह सब झूठ है, मुझे फंसाया जा रहा है।” लेकिन एसपी ने एक ना सुनी। उन्होंने कहा, “तुम्हारे खिलाफ सबूत पुख्ता है। तुमने कानून और पुलिस वर्दी दोनों का अपमान किया है। डीएम मैडम के आदेश पर तुम्हें और तुम्हारे सभी साथी हवलदारों को फौरन निलंबित किया जाता है। जांच के बाद तुम्हारे खिलाफ मुकदमा भी दर्ज होगा।”

यह सुनते ही मल्होत्रा के चेहरे का रंग उड़ गया। पूजा भी वहां मौजूद थी। जैसे ही मल्होत्रा की नजर उस पर पड़ी तो वह गुस्से से बड़बड़ाया, “तुमने मुझे बर्बाद कर दिया।” पूजा ने शांत लेकिन सख्त आवाज में कहा, “नहीं मल्होत्रा, तुमने खुद को बर्बाद किया है। कानून से ऊपर कोई नहीं।” एसपी ने हुक्म दिया, “हथकड़ी लगाओ।” मल्होत्रा और उसके हवलदारों के हाथों में हथकड़ियां डाल दी गईं। थाने के बाकी पुलिस अधिकारी यह सब देखकर शर्म से सर झुका लिए।

उस दिन के बाद थाने में बहुत सुधार हुए। अब सभी पुलिसकर्मियों को समझ आ चुका था कि यह वर्दी क्यों बनी है और इसका असली मकसद क्या है। उस दिन के बाद ना सिर्फ थाना सुधरा बल्कि पूरा शहर बदल गया। लोगों का पुलिस पर विश्वास लौट आया। जहां पहले डर और असुरक्षा थी, वहां अब सुरक्षा और न्याय की भावना जागी। पूजा शर्मा की हिम्मत और दृढ़ता ने साबित कर दिया कि सही इंसान और सही इरादे के साथ कोई भी बुराई को हराया जा सकता है।