IPS मैडम को आम लड़की समझ कर Inspector ने बीच सड़क पर छेड़ा फिर Inspector के साथ जो हुआ।

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जब आईपीएस मैडम को आम लड़की समझ लिया गया – इंस्पेक्टर कैलाश राठौर की शर्मनाक हार

प्रस्तावना

भारत के एक छोटे जिले में एक घटना घटी जिसने पूरे शहर को झकझोर दिया। यह कहानी है एक ईमानदार, निडर और कर्मठ आईपीएस अफसर वैशाली सिंह की, जिन्होंने अपनी वर्दी की असली ताकत दिखाकर भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मिसाल पेश की। यह घटना सिर्फ एक अधिकारी की नहीं, बल्कि उस आम जनता की है जो अक्सर सिस्टम के शोषण का शिकार होती है।

वैशाली सिंह – एक आम महिला की तरह

सुबह का समय था। जिले की आईपीएस अफसर वैशाली सिंह ने साधारण काले रंग की साड़ी पहन रखी थी। वह अपनी छोटी बहन की शादी में शामिल होने के लिए छुट्टी लेकर घर जा रही थीं। पहचान छुपाने के लिए उन्होंने वर्दी नहीं पहनी थी, ताकि वह आम लोगों के बीच रहकर उनकी समस्याओं को समझ सकें। वैशाली एक ऑटो में बैठी थीं। ऑटो ड्राइवर को यह बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि उसकी सवारी कोई आला अधिकारी है।

ऑटो ड्राइवर ने बातचीत शुरू की, “मैडम, आपकी वजह से मैं इस रास्ते से जा रहा हूं। लेकिन डर है कहीं पुलिस ना हो। हमारे जिले का इंस्पेक्टर कैलाश राठौर बिना वजह चालान काटता है, पैसे ऐंठता है। ऊपर वाला करे कि आज पुलिस ना हो।” वैशाली सिंह मन ही मन सोच रही थीं कि क्या सच में यहां के थाने का इंस्पेक्टर ऐसा करता है? क्या सिस्टम इतना भ्रष्ट हो चुका है?

इंस्पेक्टर कैलाश राठौर की दबंगई

ऑटो थोड़ा आगे बढ़ा, तो सामने इंस्पेक्टर कैलाश राठौर सिपाहियों के साथ खड़ा था। वह सड़क पर चेकिंग कर रहा था। जैसे ही ऑटो उसके सामने आया, उसने लाठी से इशारा कर ऑटो रोका। ड्राइवर डरते-डरते ऑटो रोकता है। इंस्पेक्टर गुस्से में बोला, “नीचे उतरो! अपने बाप की सड़क है क्या? इतनी स्पीड में ऑटो चला रहे हो। जल्दी से 5000 का चालान भरो।”

ड्राइवर ने डरते हुए कहा, “सर, मैंने कोई नियम नहीं तोड़े। आप किस चीज का चालान काट रहे हैं?” इंस्पेक्टर भड़क उठा, “ज्यादा जुबान मत चलाना। पैसे नहीं है तो ऑटो क्यों चलाता है? जल्दी से कागज निकालो।” ड्राइवर ने फटाफट कागज दिखाए, सब ठीक थे। फिर भी इंस्पेक्टर बोला, “कागज तो है, लेकिन चालान तो भरना ही पड़ेगा। अब 5000 नहीं तो 3000 दो वरना ऑटो सीज होगी।”

पास में खड़ी वैशाली सिंह सब कुछ देख-सुन रही थीं। गरीबों को लूटा जा रहा था, बिना वजह चालान काटा जा रहा था। ऑटो ड्राइवर गिड़गिड़ा रहा था, “साहब, मेरे छोटे-छोटे बच्चे हैं। मैं कमाई नहीं करूंगा तो वह क्या खाएंगे?” मगर इंस्पेक्टर को जरा भी दया नहीं आई। उसने गुस्से में ऑटो ड्राइवर के गाल पर थप्पड़ जड़ दिया।

आईपीएस मैडम का हस्तक्षेप

इतना सुनकर वैशाली सिंह खुद को रोक नहीं पाईं। वह आगे आईं और बोलीं, “इंस्पेक्टर, आप बिल्कुल गलत कर रहे हैं। जब ड्राइवर की कोई गलती नहीं है तो आप बिना वजह चालान क्यों काट रहे हैं? थप्पड़ मारना कानून का उल्लंघन है। आपको कोई हक नहीं है गरीब पर अत्याचार करने का।”

इंस्पेक्टर पहले से ही गुस्से में था। वैशाली सिंह की बात सुनकर और भड़क उठा, “अच्छा, तू मुझे सिखाएगा कि कानून क्या होता है? लगता है तुझे भी जेल की हवा चखानी पड़ेगी। चल दोनों एक साथ जेल में मजा लेते रहना।”

वैशाली सिंह गुस्से से लाल हो चुकी थीं, मगर खुद को काबू कर रही थीं। वह देखना चाहती थीं कि इंस्पेक्टर किस हद तक गिर सकता है। इंस्पेक्टर ने दो हवलदारों को आदेश दिया, “चलो, इन दोनों को थाने में मजा चखाएंगे।” दोनों को थाने ले जाया गया।

थाने में कैद

थाने पहुंचते ही इंस्पेक्टर ने कहा, “इन दोनों को यहीं बैठा दो। अब यहीं देखते हैं इनकी औकात।” हवलदारों ने दोनों को बैठा दिया। इंस्पेक्टर कैलाश राठौर कुर्सी पर बैठा, हंसते हुए बोला, “रामू, चाय लेकर आओ।” चाय पीते-पीते उसका मोबाइल बज उठा। वह बात करने लगा, “हां, सब काम हो जाएगा। बस मेरे पैसे तैयार रखना।”

वैशाली सिंह और ऑटो ड्राइवर दोनों उसकी बातें सुन रहे थे। वैशाली मन ही मन सोच रही थीं कि यह इंस्पेक्टर सिर्फ बाहर ही नहीं, थाने के अंदर भी गलत काम करता है। वह शांत थीं, क्योंकि उन्हें पता था कि वह जो करने वाली हैं, वह पूरे शहर को दिखेगा।

ऑटो ड्राइवर डर से कांप रहा था। उसकी आंखों में आंसू थे। वैशाली सिंह ने उसे भरोसा दिलाया, “आप टेंशन मत लीजिए। मैं आपके साथ हूं, इसे दिखाऊंगी कि कानून की ताकत क्या होती है।”

सच्चाई सामने लाना

कुछ देर बाद इंस्पेक्टर ने हवलदार को बुलाया, “जाकर ऑटो ड्राइवर को बुलाकर लाओ।” ड्राइवर घबरा गया, मगर वैशाली सिंह ने उसे हिम्मत दी। ड्राइवर इंस्पेक्टर के पास गया। इंस्पेक्टर पैर के ऊपर पैर रखकर सिगरेट पी रहा था। उसने ड्राइवर को धमकाया, “अगर ऑटो बचाना है तो 5000 देने होंगे। वरना ऑटो सीज हो जाएगी।”

ड्राइवर रोते हुए बोला, “सर, ऐसा मत कीजिए। मेरे घर में छोटे बच्चे हैं।” इंस्पेक्टर ने उसकी एक ना सुनी। ड्राइवर ने मजबूरी में 2000 रुपये निकालकर दे दिए। इंस्पेक्टर ने पैसे लेते हुए कहा, “ठीक है, जा बाहर बैठ।”

फिर हवलदार को आदेश दिया, “उस औरत को यहां बुलाओ।” वैशाली सिंह अंदर गई। इंस्पेक्टर ने नाम पूछा। वैशाली सिंह ने आत्मविश्वास के साथ जवाब दिया, “नाम से आपको क्या मतलब? आप बताइए आप कहना क्या चाहते हैं?”

इंस्पेक्टर भड़क गया, “ज्यादा अकड़ मत दिखाओ, अभी दो डंडे पड़ेंगे।” उसने धमकी दी, “जल्दी से 2000 निकालो वरना जेल।”

वैशाली सिंह ने बिना डरे जवाब दिया, “मैं आपको एक भी रुपया नहीं दूंगी। मैंने कोई गलती नहीं की है। आप कानून तोड़ रहे हैं।”

इंस्पेक्टर ने गुस्से में हवलदार को बुलाया, “इस औरत को जेल में बंद कर दो।” वैशाली सिंह को लॉकअप में डाल दिया गया।

सिस्टम का सामना

कुछ देर बाद थाने के बाहर एक गाड़ी आकर रुकी। उसमें से इंस्पेक्टर विकास मल्होत्रा निकले। उन्होंने पूछा, “किसी औरत को लॉकअप में क्यों डाला है?” इंस्पेक्टर कैलाश राठौर ने कहा, “चलिए दिखाते हैं।” उन्होंने विकास मल्होत्रा को लॉकअप के पास ले गए। लॉकअप में बंद महिला को देखकर विकास मल्होत्रा गुस्से से चिल्ला उठे, “यह हमारे जिले की आईपीएस मैडम है। आपने इसे लॉकअप में क्यों डाला है?”

इंस्पेक्टर कैलाश राठौर के पैरों तले जमीन खिसक गई। वह हकलाते हुए बोला, “मुझे बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि यह आईपीएस मैडम है।” तुरंत हवलदार को इशारा किया, लॉकअप खोल दिया गया। बाहर निकलकर वैशाली सिंह ने सारी बात इंस्पेक्टर विकास मल्होत्रा को बताई।

डीएम की एंट्री और प्रेस मीटिंग

इंस्पेक्टर विकास मल्होत्रा ने तुरंत जिले के डीएम सुधीर सक्सेना को कॉल किया। कुछ ही देर में डीएम थाने पहुंचे। उन्होंने मामला देखा और इंस्पेक्टर से कहा, “आपने जो किया है, वह कानून का उल्लंघन है। गरीबों को लूटा है। अब आपका बचना नामुमकिन है।”

वैशाली सिंह ने कहा, “इस इंस्पेक्टर ने ना जाने कितनों को लूटा है, कितनों का जीवन छीना है। मैं उसकी हर चाल को देखकर चुप रही ताकि इसे बेनकाब कर सकूं। यह इंस्पेक्टर वर्दी पहनने के योग्य नहीं है।”

डीएम ने कहा, “कल सुबह प्रेस मीटिंग होगी। फैसला वहीं होगा। मैडम अपनी गवाही देंगी और ऑटो ड्राइवर भी मौजूद रहेगा।”

यह खबर पूरे शहर में फैल गई। लोग चर्चा करने लगे कि इंस्पेक्टर ऐसी हरकतें कर रहा था। अब आईपीएस मैडम की नजरों में आ चुका है। सब लोग खुश थे कि इंस्पेक्टर को सजा मिलेगी।

फैसले की घड़ी

सुबह प्रेस मीटिंग शुरू हुई। मीडिया की भीड़ थी। जनता भ्रष्टाचार खत्म करने के नारे लगा रही थी। हॉल के अंदर डीएम, आईपीएस मैडम वैशाली सिंह, इंस्पेक्टर विकास मल्होत्रा और सामने शर्म से सिर झुकाए इंस्पेक्टर कैलाश राठौर बैठे थे।

डीएम ने प्रेस मीटिंग शुरू की। सबसे पहले वैशाली सिंह ने गवाही दी। उन्होंने कहा, “कल जो हुआ, वह सिर्फ मेरे साथ नहीं, बल्कि इस जिले की हर गरीब जनता के साथ हुआ है। इंस्पेक्टर ने वर्दी का गलत इस्तेमाल किया। मैंने सबकुछ अपनी आंखों से देखा। ड्राइवर को धमकाया, पैसे ऐंठे, थप्पड़ मारा, मुझे भी पैसे मांगे और जेल में डाल दिया।”

पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा।

फिर ड्राइवर लखन को बुलाया गया। उसने कहा, “मैं पिछले 10 साल से ऑटो चला रहा हूं। इंस्पेक्टर कैलाश राठौर हमें बार-बार रोकता है, पैसे मांगता है। अगर ना दें तो ऑटो सीज कर देता है। कल मुझे 2000 रुपये देने पड़े। अगर मैडम ना होती तो हम गरीब ऐसे ही लूटते रहते।”

जनता भावुक हो गई। कई पत्रकारों ने बयान रिकॉर्ड किए।

न्याय की जीत

डीएम ने कहा, “गवाही से साफ है कि इंस्पेक्टर कैलाश राठौर ने अपनी सीमा लांघी है। उसने गरीबों का शोषण किया, कानून का गलत इस्तेमाल किया। इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।” उन्होंने आदेश पढ़ा, “इंस्पेक्टर कैलाश राठौर को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है। आपराधिक मामला दर्ज होगा, आज ही हिरासत में लेकर जेल भेजा जाएगा।”

हॉल तालियों और नारों से गूंज उठा। जनता चिल्लाने लगी, “न्याय मिला, न्याय मिला।” कैलाश राठौर का चेहरा पीला पड़ गया। पुलिसकर्मियों ने उसे घेर लिया, हथकड़ी लगाई और मीडिया के सामने बाहर ले जाया गया। भीड़ चिल्ला रही थी, “भ्रष्टाचार का अंत हो। वैशाली मैडम जिंदाबाद।”

वैशाली सिंह ने कहा, “आज का फैसला सिर्फ कैलाश राठौर की हार नहीं, बल्कि इस बात का सबूत है कि अगर हम सब मिलकर अन्याय के खिलाफ खड़े हों तो कोई भी भ्रष्टाचार हम पर हावी नहीं हो सकता। वर्दी का मतलब सेवा और सुरक्षा है, ना कि डर और लूट।”

निष्कर्ष

यह घटना सिर्फ एक आईपीएस अफसर की बहादुरी की नहीं, बल्कि उस हर आम आदमी की है जो सिस्टम के शोषण से पीड़ित है। वैशाली सिंह ने साबित कर दिया कि अगर इरादा मजबूत हो, तो भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाया जा सकता है। उन्होंने वर्दी की असली ताकत दिखाकर समाज को संदेश दिया – कानून सबके लिए बराबर है। जनता को चाहिए कि वह अन्याय के खिलाफ आवाज उठाए, क्योंकि बदलाव तभी संभव है जब हम सब मिलकर लड़ें।