Police ने सोचा के आम लड़की है, पर वह निकली हाईकोर्ट की वकील ! फिर जो हुआ…

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सुबह का समय था, ठीक 9:00 बजे। सुबीता दास, जो कि एक प्रतिष्ठित हाईकोर्ट की वकील थीं, अपने घर से स्कूटर निकाल रही थीं। उन्होंने लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी, जो उनकी सादगी और आत्मविश्वास को दर्शा रही थी। उनका चेहरा शांत और गंभीर था, लेकिन उनके भीतर एक आग जल रही थी। कोई भी उन्हें देखकर यह नहीं सोच सकता था कि वे सिर्फ एक आम महिला नहीं, बल्कि न्याय की लड़ाई लड़ने वाली एक साहसी और ईमानदार वकील हैं।

सुबीता ने स्कूटर पर बैठकर ऑफिस की ओर रुख किया। बाजार पार करते हुए उन्होंने एक पुलिस नाका देखा, जहां कुछ पुलिसकर्मी वाहनों की जांच कर रहे थे। उसी नाके पर इंस्पेक्टर अर्नव सेन तैनात थे। जैसे ही सुबीता नाके के पास पहुंचीं, इंस्पेक्टर अर्नव ने अपनी लाठी उठाकर उन्हें रोक लिया। उनका चेहरा गुस्से से लबालब था।

“अरे मैडम, कहां जा रही हो? हेलमेट भी नहीं पहना और स्कूटर इतनी तेज चला रही हो। अब चालान काटना पड़ेगा,” अर्नव ने गुस्से में कहा।

सुबीता ने शांति से जवाब दिया, “सर, मैंने कोई नियम नहीं तोड़ा। मैं सिर्फ 20 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से जा रही थी। हेलमेट पहनना भूल गई थी, ये मेरी गलती है, लेकिन उसके लिए इतना बड़ा मामला बनाना सही नहीं।”

 

Police ने सोचा के आम लड़की है, पर वह निकली हाईकोर्ट की वकील ! फिर जो हुआ... - YouTube

सुबीता ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने कहा, “सर, हेलमेट का चालान तो ₹1000 का होता है, आप ₹5000 कैसे मांग रहे हैं? कानून मत तोड़िए। मैं भी कानून जानती हूं।”

इस पर अर्नव का गुस्सा और बढ़ गया। उसने कहा, “तू मुझे कानून सिखाएगी? चुपचाप वही कर जो मैं कह रहा हूं, वरना तेरी जान मुश्किल में पड़ जाएगी।”

मजबूरी में सुबिता ने ₹5000 दे दिए और वहां से चली गईं। लेकिन उनके मन में एक ही बात थी कि इस भ्रष्ट इंस्पेक्टर को सस्पेंड कराना होगा। अगले दिन उन्होंने काला बुर्का पहनकर और अपनी स्कूटर पर छिपा कैमरा लगाकर फिर उसी नाके पर जाना तय किया।

जैसे ही वे नाके पर पहुंचीं, अर्नव ने फिर हाथ उठाकर उन्हें रोक लिया। “इतनी स्पीड से कहां जा रही हो? ट्रैफिक नियम तोड़े हो। अब ₹2000 दो, चालान काट रहा हूं।”

सुबिता ने कागजात दिखाते हुए कहा, “सर, मैं नियमों का पालन कर रही हूं। हेलमेट पहना है और कागजात भी पूरे हैं।”

अर्नव ने फिर थप्पड़ मारा और धमकाया, “₹2000 दो, नहीं तो जेल जाना पड़ेगा।”

सुबीता ने मन ही मन सोचा, अब सबूत तो मेरे पास हैं, इसे बेनकाब करना आसान होगा।

वे तुरंत एएसपी देवबाशीष चट्टोपाध्याय के ऑफिस पहुंचीं और सारी रिकॉर्डिंग दिखाई। एएसपी ने वीडियो देखकर कहा, “यह इंस्पेक्टर भ्रष्ट है, इसे सस्पेंड करना होगा।”

सुबिता ने फिर थाने जाकर रिपोर्ट दर्ज करवाने की कोशिश की, लेकिन अर्नव ने ₹5000 रिश्वत मांगी। जब सुबिता ने इसका विरोध किया, तो अर्नव ने फिर थप्पड़ मार दिया। सुबिता ने संयम बनाए रखा और कहा, “आपका काम नागरिकों को न्याय देना है, डराना नहीं।”

अर्नव ने गुस्से में कहा, “तू मुझे कानून सिखाएगी? अभी तुझे बाहर निकाल दूंगा।”

सुबिता ने कहा, “मैं आपके खिलाफ कार्रवाई करूंगी।”

अगले दिन अदालत में मामला शुरू हुआ। सुबिता ने अदालत में तीन वीडियो प्रस्तुत किए: एक सड़क पर बिना वजह चालान काटने और थप्पड़ मारने का, दूसरा हेलमेट सही होने पर भी ₹2000 मांगने और थप्पड़ मारने का, और तीसरा थाने के अंदर रिश्वत मांगने और मारपीट करने का।

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इंस्पेक्टर अर्नव का गुस्सा और बढ़ गया। उन्होंने अचानक सुबीता के गाल पर जोरदार थप्पड़ मार दिया। सुबीता थोड़ी लड़खड़ा गईं, लेकिन तुरंत खुद को संभाल लिया। अर्नव ने धमकी भरे स्वर में कहा, “सड़क क्या तेरे बाप की है? जब मन किया स्कूटर निकाल लिया। हेलमेट नहीं है और ऊपर से मुझे बुद्धू बना रही हो। ज्यादा नाटक करोगी तो अभी तुझे अंदर ठूंस दूंगा। तू मुझे नहीं जानती?”

सुबीता ने गहरी सांस ली और फिर नम्रता से बोली, “सर, मुझे माफ करें। हेलमेट न पहनना मेरी गलती है, मैं स्वीकार करती हूं। अगली बार जरूर पहनूंगी। कृपया मुझे जाने दें, मेरे ऑफिस में बहुत जरूरी काम है।”

लेकिन इंस्पेक्टर अर्नव का गुस्सा कम होने का नाम नहीं ले रहा था। उन्होंने कहा, “तुम ज्यादा एटीट्यूड दिखा रही हो। कह रही हो ऑफिस जा रही हो, लेकिन तुझे देखकर ऐसा नहीं लगता कि तू कोई बड़ा काम करने वाली है। शायद किसी के घर काम करने जा रही हो और हमारे सामने नाटक कर रही हो। ज्यादा उड़ मत वरना तुझे दो-चार थप्पड़ मारकर लॉकअप में भर दूंगा। जल्दी ₹5,000 दे वरना स्कूटर भी जाएगा और तू भी।”

सुबीता हैरान रह गईं। उन्होंने कहा, “सर, हेलमेट का चालान तो ₹1,000 का होता है, उससे ज्यादा कैसे मांग रहे हैं? आप कानून मत तोड़िए, मैं भी कानून जानती हूं।”

इंस्पेक्टर अर्नव और ज्यादा भड़क गया। उसने कहा, “तू मुझे कानून सिखाएगी? चुपचाप वही कर जो मैं कह रहा हूं, वरना तेरी जान मुश्किल में पड़ जाएगी।”

मजबूर होकर सुबीता ने ₹5,000 दे दिए और वहां से चली गईं। लेकिन उनके मन में एक ही बात घूम रही थी कि यह इंस्पेक्टर उन्हें मारा, अपमानित किया और गैरकानूनी चालान किया। उन्होंने ठाना कि इसे सस्पेंड कराना जरूरी है।

अगले दिन सुबीता ने इंस्पेक्टर अर्नव सेन का पर्दाफाश करने की योजना बनाई। उन्होंने काला बुर्का पहनकर अपनी स्कूटर पर एक छिपा हुआ कैमरा लगा लिया और फिर उसी नाके की ओर बढ़ीं। जैसे ही अर्नव ने उन्हें देखा, उसने फिर से हाथ उठाकर रोक लिया।

“ओह मैडम, इतनी स्पीड से कहां जा रही हो? तुमने ट्रैफिक नियम तोड़े हैं। अब जल्दी ₹2,000 निकालो, चालान काट रहा हूं,” उसने कहा।

सुबीता ने शांति से कहा, “सर, मैं तेज नहीं चला रही थी, सिर्फ 20 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से जा रही थी। हेलमेट भी पहना है और मेरे सारे कागजात पूरे हैं। आप किस आधार पर चालान काटेंगे?”

उन्होंने अपने कागजात दिखाए, जिनमें कोई गलती नहीं थी। फिर भी इंस्पेक्टर ने धमकी दी, “ज्यादा बुद्धि मत दिखाओ, जल्दी ₹2,000 दो वरना जेल जाना पड़ेगा।”

और फिर उसने एक बार फिर सुबीता के गाल पर थप्पड़ मार दिया। सुबीता ने मन ही मन सोचा कि अब इसे सस्पेंड कराना आसान होगा क्योंकि सब कुछ कैमरे में कैद हो चुका था।

वे उस वीडियो को लेकर एएसपी देवबाशीष चट्टोपाध्याय के ऑफिस पहुंचीं। वीडियो देखकर एएसपी गुस्से से लाल हो गए और कहा, “इस इंस्पेक्टर को तुरंत सस्पेंड करना होगा। यह सीधा अपराध है और हमारे विभाग के लिए कलंक। लेकिन सस्पेंड करने के लिए मजबूत सबूत चाहिए।”

सुबीता ने सोचा कि लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई। अगले दिन वे फिर स्कूटर पर छिपा कैमरा लगाकर थाने गईं। इंस्पेक्टर अर्नव सेन डेस्क पर बैठा था। सुबीता ने रिपोर्ट दर्ज करने की मांग की, लेकिन अर्नव ने ₹5,000 रिश्वत मांगी। सुबीता ने साफ कहा कि यह रिश्वत है और वह इसके खिलाफ कार्रवाई करेंगी।

इंस्पेक्टर ने फिर थप्पड़ मारा, लेकिन सुबीता संयमित रहीं और कहा, “आपने जो किया है, वह कानूनी अपराध है, इसकी सजा आपको मिलेगी।”

सुबीता के पास अब तीन पक्के सबूत थे: सड़क पर बेवजह चालान और थप्पड़ मारने का वीडियो, दूसरी बार ₹2,000 वसूली और दुर्व्यवहार का सबूत, और थाने के अंदर रिश्वत की मांग और थप्पड़ मारने की रिकॉर्डिंग।

वे सीधे एसपी देवबाशीष के ऑफिस पहुंचीं और सारी रिकॉर्डिंग दिखाई। एसपी ने तुरंत इंस्पेक्टर अर्नव सेन के सस्पेंशन का आदेश दिया। अदालत में मामला पहुंचा, जहां सुबीता ने सबूत पेश किए। न्यायालय ने इंस्पेक्टर के भ्रष्टाचार और दुर्व्यवहार को स्वीकार किया और उसे सस्पेंड कर दिया।

यह लड़ाई सिर्फ सुबीता की नहीं थी, बल्कि हर उस नागरिक की थी जो पुलिस की छत्रछाया में अन्याय सहता है। अदालत से बाहर निकलते समय एक बुजुर्ग महिला ने उनका हाथ पकड़कर कहा, “बेटी, ईश्वर तुझे आशीर्वाद दे, तूने हम सबके लिए न्याय दिलाया।”

सुबीता ने मन ही मन संकल्प लिया कि वह ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ हमेशा खड़ी रहेंगी। इंस्पेक्टर अर्नव सेन का सस्पेंशन जनता के अधिकार और न्याय की बड़ी जीत थी। सुबीता दास केवल एक वकील नहीं, सत्य और न्याय की प्रतीक बन गईं।