Police वाले स्कूल की लड़की समझकर DM मैडम को उठाकर ले आए फिर जो हुआ…

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डीएम आरोही वर्मा — न्याय की लड़ाई

उत्तर प्रदेश के एक छोटे से जिले में डीएम आरोही वर्मा तैनात थीं। वे एक कर्तव्यनिष्ठ, साहसी और न्यायप्रिय अधिकारी थीं, जिनका मानना था कि प्रशासन का असली मकसद जनता की सेवा और सुरक्षा है। लेकिन पिछले तीन महीनों से उनके जिले के मुख्य बाजार इलाके से लगातार शिकायतें आ रही थीं, जो उनके लिए चिंता का विषय बन गई थीं।

शिकायतें थीं कि वहां के दरोगा किशोर और उसके साथी राजेश तथा राघव लड़कियों को परेशान कर रहे थे। ये तीनों पुलिस वर्दी पहनकर स्कूल और कॉलेज जाने वाली लड़कियों को रोकते, उनसे फोन नंबर मांगते, अश्लील टिप्पणी करते और धमकाते थे। खास बात यह थी कि ये पुलिसकर्मी अपनी वर्दी का गलत इस्तेमाल कर रहे थे, जिससे लोग उनसे डरते थे और शिकायत करने से कतरा रहे थे।

डीएम आरोही वर्मा ने इस मामले को गंभीरता से लिया। उन्होंने कई बार थाने में फोन किया, लेकिन वहां के ड्यूटी अफसर ने शिकायतों को झूठा बताया। एक बार वे खुद थाने गईं, जहां इंस्पेक्टर मनोज ने उन्हें बताया कि किशोर एक अच्छा अफसर है, और शिकायतें गलतफहमी हैं। लेकिन डीएम को पता था कि पूरा सिस्टम भ्रष्ट है।

एक दिन एक 17 साल की लड़की सुनीता अपनी मां के साथ डीएम के पास आई और रोते हुए बताया कि दरोगा किशोर ने उसे धमकाया है। उसने कहा कि किशोर उसे अपने साथ चलने के लिए मजबूर करता है और अगर उसने शिकायत की तो उसके परिवार को झूठे नशे के केस में फंसाने की धमकी देता है। डीएम का दिल पसीज गया। अगले दिन एक और लड़की प्रिया आई, जिसने बताया कि राजेश और राघव ने उसे धमकाया है और उसके भाई को ड्रग्स के केस में फंसाने की धमकी दी है।

डीएम आरोही वर्मा ने ठाना कि वे इस अन्याय को खुद खत्म करेंगी। उन्होंने अपने कार्यालय से छुट्टी लेकर एक दिन सामान्य लड़की की तरह कपड़े पहने और कॉलेज की छात्रा का रूप धारण किया। उन्होंने हल्का गुलाबी सलवार कमीज पहना, बाल खुले छोड़े, बिना मेकअप और चश्मा लगाए स्कूल बैग लेकर मुख्य बाजार की ओर निकल पड़ीं।

मुख्य बाजार में पहुंचकर उन्होंने देखा कि दरोगा किशोर, राजेश और राघव वहीं खड़े थे। वे तीनों डीएम को देखकर खुश हुए और उसे रोक लिया। किशोर ने मजाकिया लहजे में कहा, “सुंदरी कहां जा रही है इतनी जल्दी में?” राजेश और राघव ने भी अश्लील टिप्पणी की। डीएम आरोही वर्मा ने धैर्य रखते हुए उनसे कहा कि वे कॉलेज जा रही हैं, लेकिन तीनों ने उनकी बात नहीं मानी और धमकी देने लगे।

डीएम ने अचानक ही किशोर के गाल पर जोरदार थप्पड़ मार दिया। यह आवाज पूरे बाजार में गूंजी और लोग चौक गए। किशोर गुस्से में आग बबूला हो गया और धमकी देने लगा कि वह डीएम को थाने ले जाएगा। भीड़ में कुछ लोग डर के मारे चुप थे, लेकिन एक बुजुर्ग दुकानदार ने कहा कि लड़की छोटी लग रही है, कृपया दया करें। किशोर ने झूठ बोला कि यह लड़की आतंकवादी है, जिससे भीड़ और डर गई।

डीएम आरोही वर्मा ने अपने पर्स से इमरजेंसी अलर्ट बटन दबा दिया, जिससे उनके ऑफिस में रेड अलर्ट बजने लगा। सुरक्षा टीम तुरंत सक्रिय हो गई। किशोर ने डीएम को पकड़कर पुलिस जीप की ओर ले जाने की कोशिश की, लेकिन डीएम ने विरोध किया। भीड़ में कुछ लोग खामोशी से देखते रहे।

पुलिस जीप में बैठाते समय डीएम ने भीड़ को देखा और महसूस किया कि लोग डर के मारे चुप हैं, यही कारण है कि अन्याय करने वालों को हिम्मत मिलती है। थाने पहुंचकर किशोर ने डीएम को लॉकअप में बंद कर दिया। लॉकअप एक गंदा कमरा था, जहां डीएम अकेले बैठीं।

इधर, डीएम के ऑफिस में सुरक्षा प्रमुख अमित कुमार ने तुरंत कलेक्टर राज मल्होत्रा और एसपी संजय शर्मा को सूचित किया। एसपी संजय शर्मा तुरंत थाने पहुंचे और किशोर से पूछताछ की। किशोर ने बड़ी लापरवाही से बताया कि एक लड़की को पकड़ा है जिसने उसे थप्पड़ मारा था। जब एसपी ने लॉकअप खोला तो डीएम आरोही वर्मा को देखा और हैरान रह गए।

डीएम ने एसपी को पूरी घटना बताई और कहा कि यह लड़ाई भ्रष्ट पुलिसकर्मियों के खिलाफ है। उन्होंने किशोर, राजेश और राघव के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। अमित कुमार की टीम ने पूरी घटना सोशल मीडिया पर अपलोड कर दी, जिससे पूरे जिले में हड़कंप मच गया। लोग थाने के बाहर जमा हो गए और न्याय की मांग करने लगे।

एसपी संजय शर्मा ने तुरंत तीनों पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई। मामला कोर्ट में पहुंचा और जज ने डीएम आरोही वर्मा के साहस की प्रशंसा की। तीनों पुलिसकर्मियों को सजा सुनाई गई — किशोर को दो साल, राजेश और राघव को एक-एक साल की जेल।

डीएम आरोही वर्मा की इस बहादुरी और न्यायप्रियता की पूरे देश में सराहना हुई। उन्होंने साबित कर दिया कि अगर प्रशासन ईमानदारी से काम करे और जनता के साथ खड़ा हो, तो भ्रष्टाचार और अन्याय को खत्म किया जा सकता है।

कहानी का संदेश:
यह कहानी हमें सिखाती है कि न्याय के लिए लड़ना जरूरी है, चाहे सामने कितनी भी मुश्किलें क्यों न हों। भ्रष्टाचार और अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने से ही समाज में बदलाव आता है। हमें भी अपने अधिकारों के लिए खड़ा होना चाहिए और अन्याय के खिलाफ लड़ना चाहिए।