SP मैडम को आम लड़की समझकर इंस्पेक्टर ने कर दी गलत हरकत फिर उसके साथ जो हुआ…

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शहर की सबसे महंगी गाड़ियों की कतार जहां खत्म होती थी, वहीं से एक चमचमाता हुआ रेस्टोरेंट शुरू होता था। उस रेस्टोरेंट का नाम था “द एलिट”। आज उस रेस्टोरेंट के बाहर एक काली-पीली ऑटो रिक्शा रुकी। ऑटो से एक लड़की उतरी, उसका नाम भारती था। वह हल्की गुलाबी कॉटन की कुर्ती और सादी नीली जींस पहने थी। उसके पैर में कोल्हापुरी चप्पल थी। उसके पीछे उसकी मां, शांति जी, उतरीं। उन्होंने हल्की नीली कॉटन की साड़ी पहनी थी, जिसका पल्लू उन्होंने करीने से कंधे पर पिन किया हुआ था।

शांति जी ने रेस्टोरेंट के बड़े सुनहरे बोर्ड को देखते हुए पूछा, “यहीं है?”

भारती मुस्कुराते हुए बोली, “हाँ मां, यही है। आज आपका बर्थडे है। आज तो सिर्फ बेस्ट ही होगा।”

दोनों मां-बेटी ऑटो रिक्शे से उतरकर रेस्टोरेंट की सीढ़ियां चढ़ीं। दरवाजे पर खड़ा लंबा चौड़ा गार्ड भारती की चप्पलों को देखकर उनकी ओर घूरने लगा। उसने दरवाजा खोला, लेकिन बिना मुस्कुराए, जैसे कोई एहसान कर रहा हो। अंदर का नजारा किसी दूसरी दुनिया जैसा था। नरम कालीन, धीमी आवाज में पियानो, और क्रिस्टल के झूमर से छनती पीली रोशनी ने माहौल को और भव्य बना दिया था।

जैसे ही वे अंदर आए, पियानो की आवाज थोड़ी दब गई। आसपास की टेबलों से बातें बंद हो गईं और सबकी नजरें उन पर टिक गईं। कुछ मेहमान फुसफुसाने लगे, “कैसे-कैसे लोग आ जाते हैं।”

एक वेटर, जिसकी सफेद शर्ट बहुत कड़क थी, बेमन होकर उनकी तरफ बढ़ा और बोला, “बोलिए क्या चाहिए आपको?”

भारती ने अपनी मां से कहा, “हमें दो लोगों के लिए टेबल चाहिए।”

वेटर ने रेस्टोरेंट में नजर दौड़ाई, जिसमें कई टेबल खाली थीं, फिर दोनों को घूरा और रूखेपन से कहा, “रिजर्वेशन है कि नहीं? रिजर्वेशन नहीं है तो वेट करना होगा।”

भारती ने कहा, “लेकिन यह टेबल खाली है।”

वेटर कुछ और बोलता इससे पहले, सफेद शर्ट, काली टाई और महंगे सूट में मैनेजर मिस्टर भाटिया वहां आ गए। उनके चेहरे पर एक नकली मुस्कान थी। उन्होंने वेटर से पूछा, “कोई प्रॉब्लम है, रोहन?”

वेटर ने कहा, “सर, इनके पास रिजर्वेशन नहीं है।”

मिस्टर भाटिया ने भारती और उसकी मां को देखा और कहा, “देखिए मैम, यह दलीत है। यहां लोग पहले से बुकिंग करा कर आते हैं।”

भारती ने शांत आवाज़ में कहा, “तो आप कह रहे हैं कि हमें टेबल नहीं देंगे?”

मिस्टर भाटिया ने थोड़ा झुककर कहा, “ठीक है, आप कोने वाली टेबल ले सकती हैं, लेकिन अगली बार ड्रेस कोड का ध्यान रखें। यह कोई रोडसाइड कैफे नहीं है।”

शांति जी का चेहरा उतर गया। उन्होंने भारती का हाथ पकड़कर कहा, “चलो बेटा, मुझे भूख नहीं है, घर चलते हैं।”

लेकिन भारती ने अपनी मां का हाथ कसकर पकड़ लिया और कहा, “शुक्रिया, हम वहीं बैठेंगे।”

दोनों कोने की टेबल की तरफ बढ़े। मैनेजर ने वेटर को आदेश दिया, “रोहन, इनका आर्डर लो।”

वेटर ने मेन्यू कार्ड टेबल पर फेंकते हुए रखा। शांति जी ने मेन्यू देखा और कीमतें देखकर उनकी आंखें फैल गईं। “अरे बाप रे! एक दाल के ₹500? ये लोग लूट रहे हैं।”

भारती ने मां को मनाया, “मां, प्लीज आज सिर्फ आज। आप जो पसंद करें, बोलिए।”

भारती ने वेटर से कहा, “एक दाल मखनी, एक शाही पनीर, चार बटर रोटी और दो लस्सी लाना।”

आसपास के लोग अभी भी उन्हें घूर रहे थे। पास की टेबल पर बैठी एक अमीर महिला मिसेज वर्मा ने अपने पति से कहा, “अनिल, पता नहीं मैनेजमेंट कैसे लोगों को अंदर आने देता है, पूरा एंबियंस खराब कर देते हैं।”

भारती ने सुना लेकिन नजरअंदाज किया। उसकी मां का चेहरा शर्म से लाल हो गया था। भारती ने मां का हाथ पकड़ते हुए कहा, “मां, आप उन लोगों को छोड़िए। सुबह पापा से बात हुई, उन्होंने विश किया।”

खाना आया, लेकिन तभी हॉल के दूसरे कोने में हंगामा मच गया। एक आदमी, मिस्टर कपूर, जो शहर के जाने-माने बिजनेसमैन थे, जोर से चिल्लाने लगे, “मेरा वॉलेट, मेरा बटुआ कहां गया?”

मैनेजर भाटिया दौड़कर वहां पहुंचे। उन्होंने तुरंत भारती और उसकी मां की तरफ शक की निगाहें दौड़ाईं। मिसेज वर्मा ने फुसफुसाया, “जब से ये दोनों आए हैं, मुझे ठीक नहीं लग रहा था।”

मिस्टर कपूर ने भी भारती की तरफ शक की निगाह से देखा। भारती ने जोर से कहा, “हम अपनी टेबल से उठे भी नहीं हैं।”

मैनेजर भाटिया ने वेटर रोहन को पुलिस बुलाने को कहा। पुलिस आई और भारती और उनकी मां से पूछताछ करने लगी। पुलिसकर्मी शर्मा और यादव ने भारती से बुरा बर्ताव किया। वे उन्हें चोर मान रहे थे और धमकियां दे रहे थे।

शांति जी की तबीयत खराब हो गई। उन्हें हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत थी और पुलिस की बर्बरता से उनकी हालत बिगड़ गई। भारती ने अपनी मां को संभाला और खुद पुलिस के सामने खड़ी हो गई। उसने अपना पुलिस आई कार्ड दिखाया और कहा, “मैं एसपी हूं। आप हमें इस तरह नहीं रख सकते।”

इंस्पेक्टर वर्मा, जो थाने के इंचार्ज थे, अचानक आए और स्थिति को संभाला। उन्होंने शर्मा और यादव को सस्पेंड कर दिया और भारती की मां को अस्पताल भेजा।

फिर भारती ने रेस्टोरेंट के मैनेजर भाटिया को भी थाने बुलाया और सीसीटीवी फुटेज मांगा। फुटेज में साफ देखा गया कि असली चोर वेटर रोहन था, जिसने मिस्टर कपूर का वॉलेट चुरा लिया था और भारती और उनकी मां पर झूठा इल्जाम लगाया था।

मिस्टर भाटिया ने शर्मिंदा होकर माफी मांगी। भारती ने कहा, “आपने मेरी मां को बेइज्जत किया, लेकिन मैं इसे बर्दाश्त नहीं करूंगी।”

पुलिस ने वेटर रोहन और मैनेजर भाटिया को गिरफ्तार कर लिया। भारती ने रामू काका की भी मदद की, जो पुलिसकर्मियों के अत्याचार का शिकार था।

अगले दिन भारती अपनी मां के साथ अस्पताल गईं। मां की तबीयत ठीक थी। शांति जी ने भारती को कहा, “तुमने आज सिर्फ मेरा नहीं, उन सभी आम लोगों का सम्मान किया है जिन्हें लोग उनके कपड़ों से तौलते हैं।”

दो दिन बाद “द एलिट” रेस्टोरेंट के बाहर अस्थाई रूप से बंद का बोर्ड लगा था। थाने में शर्मा और यादव के खिलाफ गंभीर कार्रवाई शुरू हो गई थी। वहीं, भारती शुक्ला अपने ऑफिस में बैठी थीं, जहां उनकी आंखें दृढ़ और शांत थीं।

यह कहानी एक बहादुर बेटी की थी, जिसने अपने अधिकार के लिए लड़ाई लड़ी, अपनी मां की इज्जत बचाई और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई। यह कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा थी, जो अन्याय के खिलाफ खड़ा होता है और सही के लिए लड़ता है।