तलाकशुदा प्रेग्नेंट पत्नी उसी अस्पताल में भर्ती हो गई जहाँ उसका पति डॉक्टर था | फिर पति ने जो किया..
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शहर के सबसे प्रतिष्ठित ‘जीवन रेखा’ अस्पताल की ऊंची, सफेद इमारत सूरज की रोशनी में चमक रही थी। इसके गलियारों में, एक नाम था जो सम्मान और विश्वास का पर्याय बन चुका था—डॉक्टर राजेश। अपने क्षेत्र के सबसे कुशल सर्जनों में से एक, डॉ. राजेश का जीवन बाहर से देखने में बिल्कुल व्यवस्थित और सफल लगता था। उनके दिन मरीजों, ऑपरेशनों और सहकर्मियों की प्रशंसा के बीच गुजरते थे। वह हर मरीज को अपने परिवार की तरह मानकर इलाज करते थे, उनकी आवाज में एक अनूठा अपनापन था और उनकी आँखों में दया का सागर।
लेकिन इस सफल और सम्मानित डॉक्टर के चेहरे पर हमेशा एक हल्की सी उदासी की परत छाई रहती थी, एक ऐसी कमी जो उनकी मुस्कान को कभी पूरा नहीं होने देती थी। अस्पताल की भागदौड़ खत्म होने के बाद, जब वह अपने बड़े, खाली घर में लौटते, तो दीवारों की खामोशी उन्हें काटने को दौड़ती। असल में, राजेश के जीवन में कुछ साल पहले एक बहुत बड़ा तूफान आ चुका था, जिसने उनकी दुनिया को तहस-नहस कर दिया था।
उन्होंने सीमा से शादी की थी, एक ऐसी लड़की जिसकी हँसी उनके जीवन की सबसे बड़ी खुशी थी। शादी के शुरुआती दिन सपनों की तरह सुंदर और खुशहाल थे। दोनों एक-दूसरे से बेपनाह प्यार करते थे। उनकी जोड़ी देखकर हर कोई कहता था कि वे सचमुच एक-दूसरे के लिए बने हैं। सीमा उनके जीवन का सहारा थी, उनकी प्रेरणा थी।
लेकिन कहते हैं ना कि किस्मत जब चाहती है, तो सबसे मजबूत रिश्तों की नींव को भी हिला देती है। राजेश अपने काम में इतने व्यस्त होते गए कि उन्हें पता ही नहीं चला कि कब उन्होंने सीमा को अनदेखा करना शुरू कर दिया। छोटी-छोटी बातों को लेकर झगड़े होने लगे। अहंकार और जिद ने उनके प्यार की मिठास छीन ली। सीमा को लगता था कि राजेश सिर्फ अपने काम और मरीजों में डूबे रहते हैं, उन्हें उसकी भावनाओं की कोई परवाह नहीं। वहीं, राजेश को लगता था कि सीमा उनकी मेहनत और संघर्ष को नहीं समझ रही, वह उनसे অযৌক্তিক उम्मीदें कर रही हैं। धीरे-धीरे यह दरार इतनी गहरी हो गई कि एक दिन, एक कड़वे झगड़े के बाद, दोनों का रिश्ता टूट गया। उन्होंने तलाक ले लिया।
तलाक के बाद, राजेश ने खुद को पूरी तरह से काम में झोंक दिया। वह दिन-रात मरीजों की सेवा करते, ताकि अपने भीतर के खालीपन को भूल सकें। लेकिन जब भी वह अकेले होते, तो सीमा की यादें उन्हें घेर लेतीं और उनकी आँखें भर आतीं। उन्हें हमेशा यही लगता कि उनका जीवन अधूरा है, क्योंकि सीमा उनके साथ नहीं है।
जिंदगी अक्सर हमें वहीं लाकर खड़ा कर देती है, जहाँ से हम सबसे ज्यादा भागना चाहते हैं। ऐसा ही कुछ राजेश के साथ भी हुआ।
एक दोपहर, अस्पताल में अचानक बहुत हड़कंप मच गया। एक एम्बुलेंस तेज सायरन बजाती हुई इमरजेंसी गेट पर आकर रुकी। नर्सें और वार्ड बॉय भागते हुए स्ट्रेचर की ओर दौड़े। राजेश, जो पास ही के वार्ड में राउंड पर थे, शोर सुनकर तुरंत वहां पहुँचे। उन्हें बताया गया कि एक गर्भवती महिला को गंभीर हालत में लाया गया है, जिसे तुरंत इलाज की जरूरत है।
राजेश तुरंत अपने स्टेथोस्कोप और उपकरण लेकर इमरजेंसी वार्ड में घुसे। लेकिन जैसे ही उन्होंने स्ट्रेचर पर लेटी मरीज का चेहरा देखा, उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। उनकी आँखें खुली की खुली रह गईं, दिल की धड़कन जैसे एक पल के लिए रुक गई और हाथ कांपने लगे।
उस स्ट्रेचर पर लेटी औरत और कोई नहीं, बल्कि उनकी तलाकशुदा पत्नी, सीमा थी।
उसका चेहरा दर्द और कमजोरी से पीला पड़ गया था, होंठ सूखे थे और आँखें बेहोशी में बंद थीं। कुछ पल के लिए राजेश को समझ ही नहीं आया कि वह क्या करें। यह वही सीमा थी, जिसे उन्होंने कभी अपना सब कुछ माना था, और यह वही सीमा थी, जिससे वह आज बिल्कुल अजनबी बन चुके थे।
राजेश का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। मन में सवालों का एक बवंडर उठने लगा। यह यहाँ कैसे? इस हाल में क्यों? और… उसके पेट में यह बच्चा किसका है? उसकी जिंदगी में आखिर पिछले सालों में क्या-क्या घटा है?
वह वहीं जड़वत खड़े रह गए। एक नर्स ने उनकी तंद्रा को तोड़ते हुए आवाज दी, “सर, मरीज की हालत बहुत खराब है। हमें तुरंत इलाज शुरू करना होगा।”
राजेश को जैसे किसी ने नींद से जगाया हो। उन्होंने एक गहरी साँस लेकर खुद को संभाला। अपने भीतर के टूटे हुए आदमी को पीछे धकेलकर, उन्होंने अपने डॉक्टर के पेशेवर मुखौटे को पहन लिया। लेकिन यह मुखौटा उनके दिल के दर्द को छिपा नहीं पा रहा था। यहीं से इस कहानी का असली मोड़ शुरू होता है। राजेश अब सिर्फ एक डॉक्टर नहीं थे; उनके सामने उनकी अपनी पत्नी थी, जो कभी उनका सब कुछ थी, और अब एक मरीज बनकर उनकी दया पर लेटी थी।
जिस औरत को उन्होंने अपनी जिंदगी से दूर कर दिया था, आज वही उनकी आँखों के सामने दर्द से कराह रही थी। राजेश ने जैसे ही अपना स्टेथोस्कोप उसके सीने पर लगाया, उनके कानों में सिर्फ मशीनों की ‘बीप-बीप’ की आवाज नहीं, बल्कि अतीत की गूँज सुनाई देने लगी। उन्हें वह दिन याद आ गया जब उन्होंने पहली बार सीमा का हाथ थामा था, उनकी शादी का वह पल जब दोनों ने साथ जीने-मरने की कसमें खाई थीं। लेकिन वही कसमें वक्त की आंधी में बिखर गईं।
राजेश का दिल रोना चाहता था, लेकिन डॉक्टर होने का फर्ज उसे मजबूत बनाए हुए था। उसने नर्स को आदेश दिया, “ब्लड प्रेशर चेक करो, ऑक्सीजन लगाओ!” फिर खुद जल्दी से उपकरण उठाकर सीमा का इलाज शुरू कर दिया।
सीमा की हालत बहुत नाजुक थी। वह बीच-बीच में आँखें खोलने की कोशिश करती, लेकिन उसका शरीर इतना कमजोर था कि वह कुछ बोल ही नहीं पा रही थी। उसके पेट पर हाथ रखते ही राजेश का दिल और भी भारी हो गया। यह बच्चा… यह किसका है? क्या सीमा ने किसी और से शादी कर ली है? यह सवाल उनके दिमाग में हथौड़े की तरह बज रहा था। लेकिन उन्होंने अपना सिर झटका और खुद से कहा, “नहीं राजेश, अभी इन सवालों का वक्त नहीं है। अभी तेरे सामने दो जानें हैं और तेरा फर्ज है इन्हें बचाना।”
लगभग आधे घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद, सीमा की धड़कन थोड़ी स्थिर हुई। कमरे में मौजूद हर किसी ने राहत की साँस ली, लेकिन राजेश के दिल की धड़कन अभी भी बहुत तेज थी।
उसने धीरे से सीमा का हाथ पकड़ा, जो बर्फ की तरह ठंडा था। सीमा ने बहुत मुश्किल से अपनी आँखें खोलीं। उसकी नजर जैसे ही राजेश पर पड़ी, उसकी कमजोर आँखों से आँसू की एक धारा बह निकली। होंठ कांपे और उसने बहुत धीमी, टूटी हुई आवाज में कहा, “तुम… राजेश?”
सालों बाद जब उसने अपनी पत्नी की आवाज सुनी, तो राजेश के भीतर का सारा गुस्सा, सारा अहंकार मोम की तरह पिघल गया। उनका गला भर आया। उन्होंने कांपती आवाज में कहा, “हाँ सीमा, मैं ही हूँ। तुम चिंता मत करो। मैं हूँ ना तुम्हारे साथ, कुछ नहीं होने दूँगा तुम्हें।”
सीमा की आँखों से लगातार आँसू बह रहे थे। वह कुछ कहना चाहती थी, लेकिन उसकी हालत इतनी नाजुक थी कि बोल नहीं पा रही थी। उसने बस इतना ही कहा, “बच्चा…”
राजेश ने उसका माथा सहलाया और कहा, “कुछ नहीं होगा। तुम और बच्चा, दोनों सुरक्षित रहोगे। मैं वादा करता हूँ।”
उस रात राजेश ने अस्पताल में एक पल भी चैन से नहीं बिताया। वह बार-बार सीमा के कमरे में जाते, उसकी हालत देखते, नर्सों से पूछते। हर बार जब वह सीमा को उस हालत में देखते, तो उन्हें अपने पुराने दिन याद आ जाते। उन्हें याद आया, जब सीमा पहली बार उनके लिए खाना लेकर अस्पताल आई थी और कैसे उन्होंने गुस्से में कहा था, “मुझे अपने काम में दखल पसंद नहीं,” और सीमा चुपचाप, उदास चेहरे के साथ लौट गई थी। उस दिन की कड़वाहट ने ही धीरे-धीरे उनके बीच एक ऐसी दीवार खड़ी कर दी थी, जिसे वे कभी तोड़ नहीं पाए।

राजेश को एहसास हो रहा था कि उन्होंने अपनी जिंदगी में कितनी बड़ी गलती की थी। काम और अहंकार के चक्कर में उन्होंने अपनी पत्नी को खो दिया, और अब वही पत्नी मौत और जिंदगी के बीच जूझ रही थी।
रात के लगभग दो बजे, सीमा की हालत अचानक फिर से बिगड़ गई। उसका ब्लड प्रेशर तेजी से गिरने लगा। नर्सें घबरा गईं। राजेश तुरंत हरकत में आए। उन्होंने खुद ऑपरेशन थिएटर तैयार करवाया। वह खुद अपनी पत्नी का ऑपरेशन करने जा रहे थे।
एक सीनियर नर्स ने हिचकिचाते हुए कहा, “सर, क्या आप यह कर पाएँगे? यह आपकी पत्नी हैं, आपका हाथ कांप सकता है।”
राजेश ने एक दृढ़, फौलादी आवाज में कहा, “हाँ, मैं ही करूँगा। क्योंकि अगर मैं नहीं करूँगा, तो कोई और शायद उतनी मेहनत और उतने दिल से न कर पाए। यह सिर्फ एक मरीज नहीं है, यह मेरी जिंदगी है।”
ऑपरेशन थिएटर की तेज रोशनी जल उठी। राजेश ने सर्जिकल गाउन पहना, मास्क लगाया और ऑपरेशन शुरू किया। उनका दिल बुरी तरह कांप रहा था, लेकिन उनके हाथ एक अनुभवी सर्जन की तरह बिल्कुल स्थिर थे। वह अपनी पूरी जान लगाकर सीमा और उसके बच्चे को बचाना चाहते थे।
घंटों तक संघर्ष चला। बाहर अस्पताल के गलियारे में गहरा सन्नाटा छाया हुआ था। हर कोई यही सोच रहा था कि क्या डॉक्टर राजेश अपनी पत्नी और बच्चे को बचा पाएँगे।
ऑपरेशन थिएटर की तेज रोशनी के नीचे, राजेश अपने जीवन की सबसे बड़ी परीक्षा दे रहे थे। उनके हाथ में स्केलपेल था और उनके सामने उनकी अपनी पत्नी लेटी थी। उनके कानों में मशीनों की आवाज लगातार गूंज रही थी, लेकिन उनके दिल में सिर्फ सीमा की आवाज गूंज रही थी, “राजेश, अगर मैं न रही, तो मेरे बच्चे को बचा लेना।” यह वाक्य बार-बार उनके दिमाग में हथौड़े की तरह बज रहा था।
समय जैसे थम गया था। एक-एक पल भारी लग रहा था। और आखिरकार, घंटों की अथक मेहनत के बाद, कमरे में एक नन्ही सी, जीवन से भरपूर किलकारी गूंज उठी।
वह आवाज सुनते ही राजेश की आँखों से आँसू फूट पड़े। उन्होंने पहली बार अपने बच्चे को देखा—नन्हा सा मासूम चेहरा, गोल-मटोल हाथ, और रोने की वह आवाज जो मानो पूरे कमरे को जीवन से भर रही थी। राजेश ने कांपते हाथों से बच्चे को गोद में उठाया। उनका दिल खुशी और दर्द, दोनों भावनाओं से अभिभूत था। उन्होंने नर्स को बच्चा थमाया और फिर तुरंत सीमा की ओर ध्यान दिया, क्योंकि उसकी धड़कन अभी भी कमजोर थी।
राजेश ने अपनी पूरी ताकत और अनुभव झोंक दिया। और अंत में, मॉनिटर पर स्थिर होती हुई रेखा ने संकेत दिया कि सीमा की जान अब सुरक्षित है। राजेश ने राहत की एक लंबी साँस ली। उन्होंने मास्क उतारा और वहीं जमीन पर बैठकर किसी बच्चे की तरह रो पड़े। आज उन्होंने सिर्फ एक मरीज की नहीं, बल्कि अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी जंग जीत ली थी।
कुछ देर बाद, जब सीमा को होश आया, तो उसने सबसे पहले अपने बच्चे को देखा, जो उसके पास लेटा था। उसकी आँखों से खुशी के आँसू बहने लगे। फिर उसने अपनी नजरें मोड़कर राजेश को देखा, जो पास ही खड़े थे, उनकी आँखें भी नम थीं।
सालों बाद, दोनों की नजरें मिलीं, और उन नजरों में सालों पुराना दर्द, गुस्सा और बिछड़न घुलकर मिट गया।
सीमा ने कांपती आवाज में कहा, “राजेश, तुमने मुझे और मेरे बच्चे को बचा लिया। मैं तुम्हारी आभारी हूँ।”
राजेश ने धीरे से उसका हाथ थामा और बोला, “सीमा, आभार मत जताओ। यह मेरा फर्ज था। लेकिन सच कहूँ, तो आज मुझे एहसास हुआ कि तुम मेरे जीवन का वह हिस्सा हो, जिसे मैं कभी खोना नहीं चाहता था। मैंने बहुत गलतियाँ कीं। अपने अहंकार में आकर तुम्हें खुद से दूर किया, तुम्हारे दर्द को नहीं समझा। लेकिन आज, जब तुम्हें मौत से जूझते देखा, तो समझ आया कि तुम्हारे बिना मेरी जिंदगी कितनी अधूरी और खोखली है।”
सीमा की आँखों से भी आँसू बह निकले। उसने धीरे से कहा, “राजेश, गलतियाँ सिर्फ तुम्हारी नहीं थीं। मैंने भी कई बार गुस्से में तुम्हें गलत समझा। तुम्हारे काम के बोझ को समझे बिना, खुद को अकेला महसूस किया और वह अकेलापन हमें यहाँ तक ले आया। लेकिन सच यह है कि मैं आज भी तुम्हें उसी तरह चाहती हूँ, जैसे पहले चाहती थी।”
दोनों की आँखों से बहते आँसू मानो सालों की दूरी और गलतफहमियों को बहाकर ले गए। नन्हा बच्चा उनके बीच मासूमियत से मुस्कुरा रहा था, मानो वह दोनों को फिर से जोड़ने के लिए ही इस दुनिया में आया हो।
राजेश ने अपने बेटे को गोद में लिया। उसके छोटे-छोटे हाथों ने जब उनकी उंगली पकड़ी, तो राजेश को लगा जैसे उस मासूम स्पर्श ने उनके टूटे हुए दिल को जोड़ दिया हो। उन्होंने मन ही मन भगवान का धन्यवाद किया कि जिंदगी ने उन्हें दूसरा मौका दिया है—अपने रिश्ते को संभालने का, अपनी गलतियों को सुधारने का।
सीमा धीरे-धीरे स्वस्थ होने लगी और राजेश हर पल उसके साथ रहा। वह दिन-रात उसके और बच्चे की देखभाल करता, उसे कभी अकेला नहीं छोड़ता। अस्पताल के लोग कहते थे कि उन्होंने डॉक्टर राजेश को पहले कभी इतना खुश और इतना संपूर्ण नहीं देखा। उसके चेहरे पर अब वही पुरानी, सच्ची मुस्कान लौट आई थी।
जिस दिन सीमा को अस्पताल से छुट्टी मिल रही थी, उसने राजेश का हाथ पकड़कर कहा, “राजेश, अगर तुम चाहो, तो हम… हम फिर से एक साथ रह सकते हैं? हमारे बेटे को एक पूरा परिवार मिल सकता है।”
राजेश ने बिना एक पल गँवाए, उसका हाथ कसकर थाम लिया और बोला, “सीमा, यही तो मैं चाहता हूँ। जिंदगी ने हमें यह दूसरा मौका दिया है, और मैं इसे कभी खोना नहीं चाहूँगा।”
दोनों ने आँसुओं के बीच मुस्कुराकर एक नया सफर शुरू करने का फैसला किया। उनके बेटे की मुस्कान उनकी नई दुनिया की पहली सुबह बन गई। राजेश और सीमा की कहानी हमें यही सिखाती है कि प्यार अगर सच्चा हो, तो चाहे कितनी भी दूरियाँ या गलतफहमियाँ आ जाएँ, वह फिर से जुड़ने का रास्ता खोज ही लेता है। कभी-कभी हालात हमें ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर देते हैं, जहाँ हमें अपने असली रिश्तों की कीमत समझ आती है।
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