धर्मेंद्र के बाद हेमा के घर जाकर सनी देओल ने क्या कियाआप भी देखें..

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धर्मेंद्र के बाद हेमा मालिनी के घर पहुंचे सनी देओल – 450 करोड़ की जायदाद या परिवार का प्यार?

बॉलीवुड में अक्सर परिवारों के टूटने, संपत्ति के बंटवारे और रिश्तों में आई दरारों की खबरें सुर्खियों में रहती हैं। लेकिन हाल ही में धर्मेंद्र के निधन के बाद देओल परिवार की कहानी ने सबका नजरिया बदल दिया है। 24 नवंबर 2025 को धर्मेंद्र जी के जाने के बाद, 1 दिसंबर की रात को सनी देओल ने वह कदम उठाया, जिसने चार दशकों की दूरी को मिटा दिया।

काली रात और अद्वैत का दरवाजा

पिता के निधन के छह दिन बाद, एक काली अंधेरी रात में सनी देओल अपनी सौतेली मां हेमा मालिनी के जूहू स्थित बंगले ‘अद्वैत’ पहुंचे। जिस घर में कभी उन्होंने कदम नहीं रखा था, उसी घर की दहलीज पर वे खड़े थे। साथ में थे भरत तख्तानी, जो ईशा देओल के पूर्व पति हैं। यह मुलाकात सिर्फ एक औपचारिकता नहीं थी, बल्कि एक बड़ा संदेश थी – रिश्ते कागजों के मोहताज नहीं होते, वे भावनाओं से बनते हैं।

पिछली रंजिशें और परिवार की दूरियाँ

धर्मेंद्र जी के दो परिवार थे – प्रकाश कौर और हेमा मालिनी का। वर्षों तक दोनों परिवारों के बीच दूरी रही। सनी और बॉबी देओल ने हमेशा हेमा मालिनी और उनकी बेटियों ईशा और अहाना से दूरी बनाए रखी। ईशा ने अपनी किताब में लिखा है कि उन्हें सनी भैया के घर जाने की इजाजत नहीं थी। लेकिन वक्त के साथ रिश्तों में बदलाव आया। 2015 में पहली बार ईशा ने अपने चाचा अजीत देओल से मिलने के लिए सनी की मदद ली थी। 2023 में ‘गदर 2’ की स्क्रीनिंग पर दोनों परिवारों की एक साथ तस्वीर ने पुरानी कड़वाहट को खत्म कर दिया।

धर्मेंद्र जी की अंतिम यात्रा और परिवार का मातम

धर्मेंद्र के निधन के बाद, पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। प्रार्थना सभा में सनी और बॉबी देओल ने अपने पिता को अंतिम विदाई दी, लेकिन हेमा मालिनी, ईशा और अहाना वहां नहीं दिखीं। इसी दौरान हेमा मालिनी ने अपने घर पर भजन संध्या रखी, जिसमें वे भावुक होकर रोती रहीं। सोशल मीडिया पर अफवाहें फैल गईं कि अब परिवार में संपत्ति को लेकर महाभारत होगी।

संपत्ति का सवाल – क्या 450 करोड़ की दौलत वजह थी?

धर्मेंद्र जी अपने पीछे लगभग 450 करोड़ की संपत्ति छोड़ गए हैं, जिसमें जूहू के दो बंगले, लोनावाला का फार्म हाउस, विंटेज कारों का कलेक्शन और रेस्टोरेंट बिजनेस शामिल है। बाजार में चर्चा थी कि सनी और बॉबी अपनी सौतेली बहनों को संपत्ति से बेदखल कर देंगे। लेकिन देओल परिवार के करीबी सूत्रों ने साफ किया कि सनी देओल के लिए पैसा नहीं, बल्कि परिवार का प्यार और एकता सबसे ऊपर है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ईशा और अहाना को उनका पूरा हक मिलेगा, सम्मान के साथ।

धर्मेंद्र जी की पुश्तैनी जमीन, जिसकी कीमत करोड़ों में है, उन्होंने अपने भतीजे बूटा सिंह को दे दी थी। क्योंकि वे जानते थे कि उनके बच्चे मुंबई में बस चुके हैं और गांव की मिट्टी की सेवा नहीं कर पाएंगे। यह फैसला धर्मेंद्र जी के दूरदर्शी और जमीन से जुड़े होने का प्रमाण है।

सनी देओल का हेमा मालिनी के घर जाना – एक भावुक मुलाकात

1 दिसंबर की रात जब सनी देओल अद्वैत पहुंचे, तो घर का माहौल बेहद गमगीन था। हेमा मालिनी, ईशा और अहाना के आंसू पोंछते हुए सनी ने साबित कर दिया कि अब वे पूरे परिवार के मुखिया हैं। भरत तख्तानी का वहां होना भी यह दिखाता है कि रिश्ते सिर्फ कानूनी दस्तावेजों से नहीं, बल्कि भावनाओं से बनते हैं। सनी ने साफ कर दिया कि कोई कोर्ट-कचहरी नहीं होगी, कोई झगड़ा नहीं होगा – सबको उनका हक मिलेगा।

धर्मेंद्र जी के संस्कार और विरासत

धर्मेंद्र जी ने अपने बच्चों को जो संस्कार दिए, वे आज परिवार को जोड़ने का काम कर रहे हैं। सनी और बॉबी ने साफ कर दिया है कि उनकी बहनों का संपत्ति पर उतना ही हक है जितना उनका। लोनावाला का फार्म हाउस, जहां धर्मेंद्र जी खेती करते थे, अब उनकी यादों का मंदिर बन जाएगा।

सनी देओल ने अपने पिता की वह इच्छा पूरी की, जो शायद वे जीते जी पूरी तरह नहीं कर पाए – दोनों परिवारों को एक छत के नीचे लाना। हेमा मालिनी ने भी स्वीकार किया कि धर्मेंद्र जी के जाने के बाद सनी का आना उनके लिए बहुत बड़ा सहारा था।

रिश्तों की गरिमा और नई शुरुआत

सनी देओल ने उस रात ना सिर्फ एक बेटे का फर्ज निभाया, बल्कि समाज को भी बड़ा संदेश दिया कि रिश्ते खून से ज्यादा भावनाओं से बनते हैं। उन्होंने आलोचकों का मुंह बंद कर दिया, जो मान बैठे थे कि धर्मेंद्र के जाने के बाद परिवार बिखर जाएगा। उल्टा, यह परिवार अब और मजबूती से जुड़ गया है।

घर के अंदर ईशा और अहाना ने अपने बड़े भाई का स्वागत किया। भरत तख्तानी भी परिवार के स्तंभ की तरह वहां मौजूद थे। तलाक के बाद भी रिश्तों की गरिमा बनाए रखना देओल परिवार से सीखा जा सकता है।

धर्मेंद्र जी के अंतिम दिनों की पीड़ा

हेमा मालिनी ने एक फिल्म मेकर को बताया कि धर्मेंद्र जी के आखिरी दिन बहुत कष्टदायक थे। वे दर्द में थे, लेकिन कभी किसी को अपना दर्द महसूस नहीं होने दिया। वे चाहते थे कि दुनिया उन्हें मुस्कुराते हुए हीरो के रूप में याद रखे। इसलिए उनका अंतिम संस्कार भी बहुत निजी रखा गया।

सनी देओल ने उस वक्त भी खुद को संभाला, लेकिन जब मीडिया ने उनकी निजता में दखल दिया, तो उनका गुस्सा फूट पड़ा। यह गुस्सा एक बेटे का था, जो पिता को खोने के डर और मीडिया के असंवेदनशील रवैये के बीच फंसा था।

संपत्ति से ऊपर परिवार का प्रेम

450 करोड़ की संपत्ति का क्या होगा, यह अब सवाल नहीं रह गया है। जिस परिवार में इतना प्रेम और सम्मान हो, वहां बंटवारे दिलों की रजामंदी से होते हैं। सनी और बॉबी ने साफ कर दिया है कि उनकी बहनों का हक उतना ही है जितना उनका।

भविष्य की उम्मीदें

अब भविष्य में शायद हम देखेंगे कि किसी त्यौहार या शादी में पूरा देओल परिवार एक साथ खड़ा होगा। प्रकाश कौर और हेमा मालिनी शायद कभी एक दूसरे के सामने ना आएं, लेकिन उनके बच्चे अब एक हैं। सनी देओल ने अपने पिता की जगह ले ली है और वे अब देओल खानदान के नए वटवृक्ष हैं, जिसकी छांव में ईशा और अहाना भी उतनी ही सुरक्षित हैं जितने कर्ण और राजवीर।

निष्कर्ष

1 दिसंबर की रात इतिहास में इसलिए याद रखी जाएगी क्योंकि उस रात एक बेटे ने पुरानी कसमों को तोड़कर नए रिश्तों की नींव रखी। सनी देओल ने साबित कर दिया कि वे सिर्फ पर्दे पर ही नहीं, असल जिंदगी में भी अपने पिता की परछाई हैं – नरम दिल, भावुक और परिवार के लिए कुछ भी कर गुजरने वाले।

यह थी उस रात की पूरी सच्चाई – कोई झगड़ा नहीं, कोई क्लेश नहीं, बस आंसू, यादें और एक नई शुरुआत। सनी देओल का हेमा मालिनी के घर जाना सिर्फ एक सरप्राइज विजिट नहीं था, बल्कि यह परिवार के एकजुट होने का ऐलान था। 450 करोड़ की संपत्ति तो आती-जाती रहेगी, लेकिन जो संपत्ति सनी देओल ने उस रात कमाई – अपनी बहनों का प्यार और सौतेली मां का आशीर्वाद – वो अनमोल है।

बॉलीवुड के इतिहास में यह कहानी एक अपवाद है, एक उम्मीद है। असली संस्कार और असली परिवार की मिसाल है देओल परिवार की यह एकता।

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