हरि प्रसाद: एक बस कंडक्टर की छोटी सी मदद ने बदल दी एक युवक की तकदीर
लखनऊ, उत्तर प्रदेश
क्या कभी आपने सोचा है कि बिना किसी स्वार्थ के की गई एक छोटी सी मदद, किसी की पूरी जिंदगी बदल सकती है? उत्तर प्रदेश रोडवेज के एक साधारण बस कंडक्टर हरि प्रसाद जी ने यह कर दिखाया। उनकी इंसानियत और दरियादिली की मिसाल आज भी लोगों के दिलों को छू जाती है।
₹50 का टिकट, जो बन गया जिंदगी का टर्निंग पॉइंट
आज से करीब दस साल पहले, बिसवा से लखनऊ जा रही एक खटारा बस में हरि प्रसाद जी रोज की तरह टिकट काट रहे थे। तभी उनकी नजर एक सहमे हुए, गरीब से लड़के पर पड़ी, जिसकी जेब से भीड़ में पैसे गायब हो गए थे। लड़का लखनऊ में यूपीएससी कोचिंग की प्रवेश परीक्षा देने जा रहा था। पैसे न होने पर वह रो पड़ा—उसकी आंखों में सपनों के टूटने का डर साफ दिख रहा था।
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हरि प्रसाद जी ने बिना कुछ सोचे-समझे अपनी जेब से ₹50 निकालकर उसका टिकट काटा, साथ ही चाय पीने के लिए ₹10 भी दिए और कहा, “बेटा, बड़े अफसर बनना, हमें भूल मत जाना।” उस दिन हरि प्रसाद जी ने अपना कर्तव्य ही नहीं, बल्कि इंसानियत का फर्ज भी निभाया।
समय का पहिया और सपनों की उड़ान
समय बीतता गया। वह लड़का—आकाश—हरि प्रसाद जी की मदद को कभी नहीं भूला। कठिन परिश्रम, संघर्ष और कई भूखी रातों के बाद उसने यूपीएससी परीक्षा पास की और एक दिन उसी जिले का जिलाधिकारी (कलेक्टर) बन गया। लेकिन उसने अपने जीवन की नींव में हरि प्रसाद जी के दिए हुए उस ₹50 को हमेशा याद रखा।
भावुक पुनर्मिलन: जब कलेक्टर ने कंडक्टर को पहचाना
एक दिन, आकाश ने आम नागरिक की तरह उसी बस में सफर किया और सामने टिकट काटते बूढ़े हरि प्रसाद जी को पहचान लिया। भावुकता से भरे आकाश ने सबके सामने कहा, “अंकल, आज से आपको कभी टिकट काटने की जरूरत नहीं पड़ेगी।” भीड़ के सामने आकाश ने घोषणा की कि वह जो कुछ भी है, उन्हीं की वजह से है।
सम्मान और बदलाव की शुरुआत
आकाश ने न सिर्फ हरि प्रसाद जी का कर्ज चुकाया, बल्कि उनके बेटे के इलाज और परिवार की देखभाल की जिम्मेदारी भी ली। गणतंत्र दिवस के मौके पर उन्होंने ‘हरि प्रसाद शैक्षिक सहायता योजना’ की शुरुआत की, जिससे जिले के गरीब बच्चों को पढ़ाई के लिए आर्थिक मदद मिलती है। साथ ही, परिवहन विभाग में हरि प्रसाद जी को प्रमोट कर डिपो सुपरवाइजर बना दिया गया।
कहानी की सीख
हरि प्रसाद जी की एक छोटी सी मदद ने एक गरीब छात्र की तकदीर बदल दी, और उस छात्र ने हजारों जिंदगियों को छूने का बीड़ा उठाया। यह कहानी बताती है कि इंसानियत का एक छोटा सा बीज, समय आने पर विशाल पेड़ बन जाता है।
अगर हरि प्रसाद जी की यह कहानी आपके दिल को छू गई हो, तो इसे जरूर साझा करें। शायद आपकी एक छोटी सी मदद भी किसी की पूरी दुनिया बदल दे।
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