Dharmendra Death News: धर्मेंद्र हुए पंचतत्व में विलीन, फुट – फुटकर रोती दिखीं Hema Malini!| Video
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धर्मेंद्र पंचतत्व में विलीन: हेमा मालिनी की आंखों में आंसू
मुंबई: भारतीय सिनेमा के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र देओल का निधन हो गया। 89 साल की उम्र में, उन्होंने अपने लाखों चाहने वालों को अलविदा कहा। उनके अंतिम संस्कार का दृश्य दिल को झकझोर देने वाला था, जिसमें उनकी पत्नी हेमा मालिनी और बेटी ईशा देओल फुट-फुटकर रोती नजर आईं। यह घटना न केवल उनके परिवार के लिए बल्कि पूरे फिल्म उद्योग और उनके प्रशंसकों के लिए एक बड़ा सदमा थी।
धर्मेंद्र का जीवन और करियर
धर्मेंद्र, जिन्हें भारतीय सिनेमा के ‘ही-मैन’ के रूप में जाना जाता है, ने अपने करियर में कई सफल फिल्मों में काम किया। उनका अभिनय, उनकी शैली और उनका व्यक्तित्व हमेशा से लोगों के दिलों में बसता रहा है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1960 के दशक में की थी और जल्द ही एक प्रमुख अभिनेता के रूप में उभरे। उनकी फिल्मों ने भारतीय सिनेमा में एक नया मुकाम स्थापित किया।
धर्मेंद्र की शादी हेमा मालिनी से 1980 में हुई थी, और उनकी जोड़ी को दर्शकों ने बहुत पसंद किया। हालांकि, धर्मेंद्र की पहली पत्नी प्रकाश कौर भी उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थीं। उनके निधन के बाद, धर्मेंद्र के अंतिम संस्कार में दोनों पत्नियों का सामना एक नाजुक स्थिति में हुआ।
अंतिम विदाई का दृश्य

धर्मेंद्र का अंतिम संस्कार एक भावुक और दिल तोड़ने वाला दृश्य था। हेमा मालिनी, जो हमेशा अपने पति के साथ खड़ी रहीं, अंतिम विदाई के समय टूट गईं। जब उन्होंने अपने पति को अंतिम बार देखा, तो उनकी आंखों में आंसू थे। यह दृश्य न केवल उनके लिए, बल्कि वहां मौजूद सभी लोगों के लिए भावुक था।
जब पंडित जी ने अंतिम रस्में शुरू कीं, तो हेमा मालिनी को प्रकाश कौर के परिवार के सामने खड़ा होना पड़ा। यह उनके लिए एक अपमानजनक स्थिति थी, क्योंकि वह अपने पति की अंतिम विदाई में सम्मान के साथ शामिल नहीं हो पाईं।
समाज में नाइंसाफी
यह घटना समाज में महिलाओं की स्थिति और उनके अधिकारों पर भी सवाल उठाती है। क्या एक पत्नी को अपने पति के अंतिम संस्कार में सम्मान के साथ शामिल होने का हक नहीं है? क्या समाज ने यह तय कर लिया है कि एक पत्नी की पहचान उसके पति की पहचान से अलग नहीं हो सकती?
हेमा मालिनी और ईशा देओल का वहां से निकल जाना, न केवल उनके व्यक्तिगत दर्द का प्रतीक था, बल्कि यह दर्शाता है कि समाज में भेदभाव और नाइंसाफी की भावना अभी भी मौजूद है।
परिवार का दर्द
ईशा देओल, जो अपनी माँ के साथ इस अपमान को सहन नहीं कर सकीं, ने तुरंत वहाँ से निकलने का फैसला किया। यह न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे परिवार के लिए एक कठिन समय था। धर्मेंद्र के निधन ने न केवल उनके परिवार को बल्कि उनके प्रशंसकों को भी गहरा दुख पहुंचाया।
धर्मेंद्र का जीवन और उनका संघर्ष हमेशा उनके परिवार के साथ जुड़ा रहा। उनकी पत्नी और बेटियों ने हमेशा उनका साथ दिया, लेकिन इस अंतिम विदाई ने उनके रिश्तों में एक नई परत जोड़ दी।
अंत में
धर्मेंद्र देओल के निधन ने सभी को यह सोचने पर मजबूर किया कि जीवन में क्या वास्तव में महत्वपूर्ण है। क्या धन, प्रसिद्धि और सामाजिक मान्यता हमारी पहचान को परिभाषित करते हैं, या हमारे रिश्ते, हमारे परिवार और हमारी मानवीयता?
इस नाइंसाफी ने यह साबित कर दिया कि प्यार और सम्मान की भावना हमेशा सबसे महत्वपूर्ण होती है।
(आप इस पर क्या कहेंगे? क्या हेमा मालिनी के साथ यह नाइंसाफी सही थी? क्या उन्हें पत्नी होने के नाते अंतिम रस्में निभाने का हक मिलना चाहिए था? कमेंट के थ्रू आप हमें यह बात ज़रूर बताएँ। और ज़्यादा अपडेट्स के लिए, चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें।)
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