सीमा और राजीव की कहानी: प्यार, त्याग और विश्वास

दिल्ली की तपती दोपहर थी। सीमा मल्होत्रा एयर कंडीशनर कार में बैठी थी, खरीदारी करके लौट रही थी। उसकी जिंदगी में कोई कमी नहीं थी—प्यार, पैसा, आराम। अचानक उसकी नजर सड़क किनारे मजदूरों पर पड़ी। उनमें से एक मजदूर को देखकर सीमा चौंक गई। वह राजीव था—उसका पति, जो एक मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर था। वह सीमेंट की बोरी उठाए पसीने में लथपथ था।

सीमा को यकीन नहीं हुआ। क्या राजीव की नौकरी चली गई है? क्या वह उससे कुछ छुपा रहा है? घर लौटकर सीमा बेचैन रही। शाम को जब राजीव घर आया, वह बिल्कुल सामान्य था। सीमा ने कोई सवाल नहीं पूछा, लेकिन रातभर उसकी नींद गायब रही। अगले दिन सीमा ने राजीव की कार का पीछा किया। राजीव ऑफिस गया, लेकिन दोपहर में सीमा फिर उस कंस्ट्रक्शन साइट पर गई। वहां के सुपरवाइजर ने बताया कि राजीव रोज कुछ घंटे मजदूरी करता है, बहुत मेहनती और स्वाभिमानी है।

सीमा का दिल टूट गया। घर आकर सीमा ने राजीव की अलमारी में एक पुराना बक्सा देखा। उसमें उनकी मेडिकल रिपोर्ट्स थीं—बच्चे के लिए डॉक्टरों से दिखवाई गईं, लेकिन हर बार निराशा मिली। बक्से में एक डायरी का पन्ना था, जिसमें राजीव ने देवी मां से मन्नत मांगी थी कि वह 41 दिन तक ऑफिस के बाद मजदूरी करेगा, उस कमाई से जागरण करवाएगा ताकि उनकी गोद भर जाए। राजीव ने यह बात सीमा से छुपाई थी ताकि वह दुखी न हो।

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सीमा की आंखों में आंसू आ गए—अब वह राजीव के त्याग को समझ गई थी। उसने राजीव की मन्नत का सम्मान करने का फैसला किया। अगले दिन से सीमा ने राजीव के लिए पौष्टिक खाना बनाया, उसकी देखभाल की, लेकिन राजीव को कुछ नहीं बताया। 41वें दिन राजीव घर लौटा, तो देखा पूरा घर सजाया गया है, जागरण की तैयारी हो चुकी है। सीमा ने राजीव की मेहनत की कमाई देवी मां के चरणों में रखी। राजीव समझ गया कि सीमा सब जानती है, लेकिन उसने उसकी आस्था का सम्मान किया।

राजीव की आंखों में आंसू थे। दोनों ने एक-दूसरे को गले लगा लिया। उनका रिश्ता अब सिर्फ प्यार नहीं, बल्कि त्याग और विश्वास का प्रतीक बन गया। घर में उम्मीद और भजनों की आवाज गूंज उठी।