रेलवे स्टेशन पर बैठी थी बेसहारा लड़की… अजनबी लड़के ने जो किया, इंसानियत रो पड़ी
लखनऊ रेलवे स्टेशन पर दिन का वक्त था। प्लेटफार्म पर अफरा-तफरी थी—कोई टिकट के लिए धक्के खा रहा था, कोई सामान खींचते हुए भाग रहा था, और कोई ट्रेन पकड़ने की जल्दी में दौड़ रहा था। शोर-गुल के बीच एक कोने में पुरानी बेंच पर एक युवती बैठी थी। चेहरा आंसुओं से भीगा, बाल बिखरे, कपड़े मैले, पैरों में टूटी सैंडल और हाथ में पुराना बैग। आंखों में डर और बेबसी साफ झलक रही थी।
वह बार-बार भीड़ में किसी को तलाशती, लेकिन हर कोई नजरें चुराकर आगे बढ़ जाता। इसी भीड़ में अर्जुन नाम का एक युवक भी था—थका-हारा, साधारण कपड़ों में, शायद नौकरी की तलाश में। उसकी नजर युवती पर पड़ी और कदम रुक गए। युवती का नाम आयशा था, जो कांपते होठों से सिर्फ यही कह पाई।
अर्जुन ने उसके दुख को महसूस किया और निश्चय किया कि अब उसे अकेला नहीं छोड़ेगा। वह आयशा को पास के थाने ले गया। पुलिस ने रूटीन पूछताछ की, लेकिन कोई परिजन मिलने नहीं आया। अर्जुन ने जिम्मेदारी ली और कहा, “आज से यह मेरी बहन है।” अफसर चौंके, समाज सवाल उठाने लगा, लेकिन अर्जुन अडिग रहा—“इंसानियत सबसे बड़ा मजहब है।”
वह आयशा को घर ले आया। शुरुआत आसान नहीं थी। मोहल्ले और रिश्तेदार ताने मारते—“अजनबी लड़की को घर क्यों लाया? शादी कौन करेगा तुझसे? ये बोझ है।” लेकिन अर्जुन डटा रहा। उसने मजदूरी, रिक्शा खींचकर, ईंट-भट्ठों पर काम करके अपनी बहन की पढ़ाई का खर्च उठाया। खुद भूखा सो जाता, फटे कपड़े पहनता, लेकिन आयशा की किताबें और थाली कभी खाली नहीं रहने देता।
आयशा ने भी भाई का सपना अपना लिया। वह दिन-रात पढ़ाई में जुट गई। लोग चाहे कुछ भी कहते, पर वह जानती थी कि भाई की हर कुर्बानी का जवाब उसे मेहनत से देना है। साल गुजरते गए और आखिरकार आयशा ने मेडिकल कॉलेज में प्रवेश पाया। आखिरी परीक्षा के दिन अर्जुन ने उसे बस इतना कहा, “तेरे पीछे तेरे भाई की दुआ है। तू हार नहीं सकती।”
और सचमुच, रिजल्ट के दिन उसका नाम टॉप पर था। आयशा डॉक्टर बन चुकी थी। वह दौड़कर अर्जुन को गले लगाते हुए बोली, “भैया, यह मेरी नहीं, आपकी जीत है। यह सफेद कोट आपकी कुर्बानियों का इनाम है।” उसने स्टेथोस्कोप अर्जुन के गले में डाल दिया।
अर्जुन की आंखों से आंसू बह निकले। मोहल्ले वाले, जो पहले ताने कसते थे, अब तारीफ कर रहे थे। लेकिन अर्जुन के लिए सबसे बड़ी खुशी बस यही थी कि उसकी बहन मुस्कुरा रही थी।
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