DM मैडम जिसके पास पंचर बनवाने पहुंची वहीं निकला उनका मरा हुआ पति, फिर DM ने

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कहानी: 15 साल बाद मिला अपना मरा हुआ पति

भोपाल शहर की एक लड़की थी दीपिका राठी, जिसकी जिंदगी संघर्षों से भरी थी। उसके माता-पिता मजदूरी करते थे और बड़ी मुश्किल से अपनी इकलौती बेटी को पढ़ा रहे थे। दीपिका का सपना था कि वह एक दिन डीएम अधिकारी बने, लेकिन हालात ऐसे थे कि यह सपना पूरा होना नामुमकिन सा लग रहा था। पढ़ाई के लिए पैसे नहीं थे, घर का खर्च चलाना मुश्किल था। ऐसे में एक दिन दीपिका के लिए रिश्ता आया। माता-पिता ने सोचा, अब बेटी को अच्छे घर भेज देना चाहिए।

दीपिका की शादी शुभम नाम के एक साधारण, कम पढ़े-लिखे युवक से हुई। शुभम ने शादी के बाद दीपिका से वादा किया कि वह उसके सपनों को पूरा होने देगा। दीपिका ने शर्त रखी कि वह शादी के बाद भी अपने माता-पिता का ध्यान रखेगी और पढ़ाई जारी रखेगी। शुभम मान गया। शुभम फैक्ट्री में मजदूरी करता था, ज्यादा पढ़ा-लिखा नहीं था, लेकिन दिल बहुत बड़ा था।

कुछ महीनों बाद दीपिका ने शुभम से कहा कि उसे डीएम बनने के लिए दिल्ली जाकर पढ़ाई करनी होगी, जिसमें लाखों का खर्च आएगा। शुभम ने बिना कुछ बताए अपना घर बेच दिया और सारा पैसा दीपिका को दे दिया। दीपिका दिल्ली गई, खूब मेहनत की, यूपीएससी पास किया और आखिरकार डीएम बन गई। शुभम ने सबकुछ कुर्बान कर दिया, लेकिन दीपिका को कभी ये बात नहीं बताई कि उसने घर बेचकर उसकी पढ़ाई के लिए पैसे दिए।

दीपिका की पहली पोस्टिंग बड़े शहर में हुई। बंगला, गाड़ी, स्टाफ—सबकुछ बदल गया। शुभम खुश था, लेकिन उसकी पढ़ाई-लिखाई कम होने के कारण कई बार दीपिका के ऑफिसर दोस्तों के बीच उसका मजाक बनता। एक पार्टी में दीपिका की सहेलियों ने कहा—”तुझे बुरा नहीं लगता, तू डीएम है और तेरा पति अनपढ़ है?” दीपिका ने सबके सामने कहा, “आज मैं जो भी हूं, सिर्फ अपने पति की वजह से हूं।”

शुभम को यह सब सुनकर बहुत बुरा लगा। उसने महसूस किया कि उसकी वजह से दीपिका को शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है। अगले ही दिन शुभम ने दीपिका से कहा—”चलो कहीं घूमने चलते हैं, शादी के बाद कभी साथ वक्त नहीं बिताया।” दोनों उत्तराखंड चले गए। वहां गंगा नदी में रिवर राफ्टिंग करते वक्त एक हादसा हुआ—नाव पलट गई, शुभम का लाइफ जैकेट खुल गया और वह गंगा के तेज बहाव में बह गया। घंटों सर्च ऑपरेशन चला, लेकिन शुभम नहीं मिला। सबने मान लिया कि शुभम डूब गया, उसका शव भी नहीं मिला।

दीपिका पूरी तरह टूट गई। सालों तक वह अकेली रही, किसी और से शादी नहीं की। अपने पति की तस्वीर ऑफिस में रखती, हर रोज उसकी याद में जीती रही। 15 साल बीत गए। इस बीच दीपिका का ट्रांसफर कोलकाता हो गया। एक दिन वह अपने रिश्तेदार की शादी में जा रही थी, तभी रास्ते में उसकी कार का टायर पंचर हो गया। ड्राइवर छुट्टी पर था, दीपिका खुद गाड़ी चला रही थी। पास ही एक पंचर की दुकान दिखी। दुकान पर एक बूढ़ा बैठा था, उसने कहा—”5 मिनट बैठिए, मेरा कारीगर आ रहा है।”

कुछ देर बाद एक मास्क पहने मजदूर आया, जिसने दीपिका की गाड़ी का टायर बनाना शुरू किया। दीपिका को उसे देखकर अजीब सा एहसास हुआ। उसने उससे कहा—”मास्क उतारो!” मजदूर मना करता रहा, लेकिन दीपिका ने सख्ती दिखाई तो उसने मास्क उतार दिया। दीपिका के पैरों तले जमीन खिसक गई—वह कोई और नहीं, उसका मरा हुआ पति शुभम था!

दीपिका हैरान रह गई—”तुम जिंदा हो? 15 साल तक कहां थे? मुझे क्यों छोड़ दिया?” शुभम फूट-फूटकर रोने लगा। बहुत पूछने पर उसने सच्चाई बताई—”जब मैं गंगा में बह गया था, मुझे एक बूढ़े चाचा ने बचा लिया। मैं बहुत दूर निकल गया था, होश आया तो खुद को कोलकाता में पाया। चाचा ने मुझे अपना बेटा बना लिया, मैंने उनसे कहा कि किसी को मत बताना। मैं तुम्हारे पास लौटना चाहता था, लेकिन तुम्हारे ऑफिसर दोस्तों की बातें, तुम्हारा बड़ा पद, मेरी अनपढ़ता—मुझे लगा मैं तुम्हारे काबिल नहीं हूं। मैं नहीं चाहता था कि मेरी वजह से तुम्हें कोई नीचा दिखाए।”

दीपिका की आंखों में आंसू थे—”तुम्हारे बिना मैं 15 साल कैसे जिंदा रही, तुम्हें पता है? तुम मेरे जीवन का आधार हो, तुम्हारे बिना सब अधूरा है। मुझे लोगों की बातों से फर्क नहीं पड़ता, मुझे सिर्फ तुम चाहिए थे।”

शुभम की आंखों से भी आंसू बह निकले। दोनों 15 साल बाद फिर मिल गए। दीपिका ने कहा—”अब एक पल के लिए भी मुझे छोड़कर मत जाना।” शुभम दीपिका के साथ रहने लगा। एक साल बाद दीपिका ने एक बेटे को जन्म दिया। दोनों की जिंदगी फिर खुशहाल हो गई।

सीख:
यह कहानी हमें सिखाती है कि असली प्यार और त्याग किसी डिग्री, पैसे या समाज की सोच से बड़ा होता है। सम्मान, आत्मसम्मान और रिश्तों की अहमियत वही जान सकता है, जिसने सच्चा प्रेम किया हो। दीपिका और शुभम की कहानी हर उस इंसान के लिए प्रेरणा है, जो अपने प्यार और रिश्ते को समाज की नजरों से मापते हैं।

समाप्त