तलाकशुदा पत्नी नई कार की पूजा करवाने मंदिर पहुँची ; तो पति मंदिर के बहार भीख मांगता मिला ….

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तलाकशुदा पत्नी और मंदिर की सीढ़ियों पर बैठा पति

नए साल की पहली सुबह थी। काशी के प्राचीन मंदिर में भीड़ लगी हुई थी। ठंडी हवाओं के बीच भक्त अपने-अपने तरीके से नए साल का आरंभ कर रहे थे। उसी भीड़ के बीच एक चमचमाती नई डिफेंडर कार मंदिर के बाहर आकर रुकती है। कार से उतरी एक सुंदर महिला, उम्र लगभग 28–30 वर्ष, जिसने हाल ही में यह महंगी गाड़ी खरीदी थी। उसका नाम था रेणुका

रेणुका ने ड्राइवर को पुजारी बुलाने भेजा और कार की पूजा करवाई। पूजा के बाद उसने गरीबों में कंबल और प्रसाद बाँटने का निश्चय किया। जनवरी की ठिठुरन भरी ठंड में मंदिर की सीढ़ियों पर बैठे भिखारी उत्साह से कंबल लेते जा रहे थे। रेणुका प्रसाद और कंबल बाँटते-बाँटते अचानक ठिठक गई। उसकी नज़र एक आदमी पर पड़ी—बाल बेतरतीब, दाढ़ी बढ़ी हुई, शरीर दुबला-पतला और चेहरा थकान से लटका हुआ। उसे देखकर किसी को भी लगे कि यह महीनों से न नहाया है न ठीक से खाना खाया है।

लेकिन जैसे ही रेणुका ने उस आदमी का चेहरा गौर से देखा, उसके कदम लड़खड़ा गए। वह उसका पूर्व पति राघव था—वही राघव जिसने पाँच साल पहले उसे मार-पीटकर घर से निकाल दिया था और तलाक दे दिया था।


राघव से शादी और टूटन

रेणुका उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के एक साधारण किसान परिवार से थी। पढ़ाई में उसका मन कभी नहीं लगा। दसवीं कक्षा पास करने के बाद उसने पढ़ाई छोड़ दी। उसके पिता राम सिंह जी चाहते थे कि बेटी आगे पढ़े, लेकिन माँ का कहना था—“गाँव की लड़की के लिए इतना ही काफ़ी है, अब शादी कर दो।”

इसी बीच एक रिश्ता आया। लड़का था राघव, उत्तर प्रदेश पुलिस में कांस्टेबल। लंबा-चौड़ा, सुंदर और सरकारी नौकरी वाला। सबको रिश्ता पसंद आया। रेणुका ने भी बिना झिझक हाँ कह दी। धूमधाम से शादी हुई और वह ससुराल पहुँच गई। शुरू के कुछ महीने बड़े सुखद बीते। सास-ससुर उसे बेटी की तरह मानते, पति भी ध्यान रखता।

लेकिन धीरे-धीरे रेणुका को राघव की असलियत पता चली। वह शराब पीने का आदी था, गलत संगत में रहता था और गैर-औरतों के साथ नाजायज संबंध रखता था। ड्यूटी के दौरान भी रिश्वत लेकर अपराधियों को बचाता था।

रेणुका ने कई बार समझाने की कोशिश की—
“राघव, यह गलत रास्ता छोड़ दो। ईमानदारी से नौकरी करो। बेईमानी का पैसा कभी सुख नहीं देता।”
लेकिन राघव उसकी बातें सुनने के बजाय उस पर गुस्सा करता, कई बार मारपीट भी कर बैठता।

स्थिति इतनी बिगड़ी कि एक दिन उसने रेणुका को धक्का देकर घर से बाहर निकाल दिया। चोटिल रेणुका ने अपने पिता को फोन किया। पिता ने समझाया—“बेटी, सह लो, पति ही जीवन है।” लेकिन रेणुका रोते हुए बोली—
“पिताजी, अगर मैं लौटी तो किसी दिन मेरी लाश ही मिलेगी। वह इंसान नहीं, जल्लाद है।”
आखिरकार वह मायके लौट आई। कुछ दिनों बाद राघव ने तलाक के कागज़ भेज दिए।


रेणुका की नई शुरुआत

तलाकशुदा होने के बाद रेणुका टूटी तो बहुत, लेकिन हार नहीं मानी। उसने सोचा—“पति ने मुझे घर से निकाला, पर ज़िंदगी तो मुझे ही जीनी है।”

पढ़ाई में कमजोर होने के बावजूद उसके पास हुनर था। उसे सिलाई-कढ़ाई, गाना-बजाना, नृत्य और खासकर खाना पकाने का शौक था। उसने छोटे से मोबाइल पर कुकिंग वीडियो बनाकर यूट्यूब पर डालना शुरू किया। शुरुआत में कुछ खास नहीं हुआ, लेकिन धीरे-धीरे उसके व्यंजन लोगों को पसंद आने लगे।

कुछ ही समय में वीडियो वायरल होने लगे। उसने सिंगिंग और डांस के वीडियो भी अपलोड करने शुरू किए। कई सोशल मीडिया प्लेटफार्मों से उसे अच्छी कमाई होने लगी। जो लड़की कभी दूसरों पर निर्भर थी, वही अब अपने माता-पिता की मदद करने लगी। उसने नया घर बनवाया, गाड़ियाँ खरीदीं और गरीबों की सेवा भी शुरू की।

रेणुका का नाम अब इलाके में मशहूर हो चुका था। वह आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर और मानसिक रूप से मजबूत हो चुकी थी।


मंदिर की सीढ़ियों पर पति

इसी दौरान नए साल पर उसने नई डिफेंडर कार खरीदी। काशी मंदिर में पूजा कराकर वह गरीबों को कंबल बाँट रही थी कि अचानक उसकी नज़र राघव पर पड़ी।

पहचानते ही उसकी आँखें भर आईं। राघव भी ऊपर देखकर चौंक गया। कुछ पल दोनों एक-दूसरे को देखते रहे। राघव रोने लगा और शर्म से सिर झुका लिया।

रेणुका ने आगे बढ़कर कहा—
“सिर उठाओ राघव, मैं ही हूँ, रेणुका। यह हाल कैसे हो गया तुम्हारा?”

राघव फूट-फूटकर रो पड़ा। बोला—
“सब मेरी गलती थी। मैंने तुम्हें धोखा दिया, तुम्हें मारा-पीटा और घर से निकाला। फिर मैंने रिश्वतखोरी और गलत काम जारी रखे। एक औरत ने मेरे साथ संबंध बनाकर मुझे ब्लैकमेल किया, सारा पैसा ले गई। ऊपर से केस खुल गए, नौकरी चली गई। माँ-बाप के सामने जाने की हिम्मत न हुई। भटकते-भटकते यहाँ काशी आ गया। अब भीख माँगकर जी रहा हूँ।”

रेणुका उसकी हालत देखकर द्रवित हो उठी। उसने उसे सहारा देकर खड़ा किया और कार में बैठा लिया।


नया मोड़

रेणुका की माँ, जो साथ आई थीं, विरोध करने लगीं—
“बेटी, इस आदमी ने तेरा जीवन बर्बाद किया। इसे मत अपनाओ।”

लेकिन रेणुका ने दृढ़ स्वर में कहा—
“माँ, पति चाहे जैसा भी हो, पति ही होता है। जब यह गलत रास्ते पर था, तब मैंने समझाने की कोशिश की थी। आज यह टूटा है, तो इसे छोड़ना पाप होगा। पैसा बहुत है मेरे पास, पर दिल को क्या जवाब दूँगी अगर इसे मरने के लिए छोड़ दूँ?”

वह राघव को घर ले आई। उसे साफ कपड़े पहनाए, दाढ़ी कटवाई। धीरे-धीरे उसका पुराना रूप लौटने लगा। राघव आँसुओं में कसम खाकर बोला—
“रेणुका, अब मैं कभी शराब, रिश्वत या ग़लत काम नहीं करूँगा। भगवान ने मुझे दूसरा मौका दिया है, इसे खोऊँगा नहीं।”

दोनों ने फिर से मंदिर जाकर विवाह किया।


पुनर्मिलन और सुखद अंत

रेणुका अपने पति को लेकर उसके ससुराल पहुँची। सास-ससुर बेटे को देखकर भावुक हो उठे। उन्होंने बहू को गले लगाते हुए कहा—
“बहू, तूने हमारे बेटे को नरक से खींचकर वापस ला दिया। हम तुझे आशीर्वाद देते हैं।”

अब रेणुका और राघव साथ रहने लगे। रेणुका का सोशल मीडिया काम जारी रहा। दोनों ने बिजनेस भी शुरू किया। एक साल बाद उनके घर नन्हा मेहमान आया।

राघव ने सबके सामने स्वीकारा—
“अगर रेणुका ने मुझे न अपनाया होता तो मैं आज भी मंदिर की सीढ़ियों पर भीख माँग रहा होता।”

परिवार फिर से हँसी-खुशी रहने लगा।


सीख

यह कहानी हमें बताती है कि इंसान से गलती हो सकती है, लेकिन जीवन दूसरा मौका देता है। यदि पत्नी जैसी कोई सच्ची साथी मिल जाए, तो टूटे हुए रिश्ते भी सँभल सकते हैं। और सबसे बड़ी बात—सच्चा प्रेम कभी हार नहीं मानता।

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