“साहब, मैं आपकी पत्नी की आंखें ठीक कर सकता हूं!” – करोड़पति स्तब्ध रह गया
भूमिका
मुंबई के शोर में भी कभी-कभी ऐसी आवाजें गूंज जाती हैं जो किसी की जिंदगी हमेशा के लिए बदल देती हैं। इसी शहर में, करोड़पति राजेश खन्ना अपनी पत्नी मीरा के साथ रहते थे। दौलत, शोहरत, आलीशान बंगला—सब कुछ था। लेकिन मीरा की आंखों की रोशनी अचानक चली गई थी। दुनिया के बड़े-बड़े डॉक्टर हार मान चुके थे। राजेश की जिंदगी में निराशा घुल चुकी थी।
एक दिन, उनकी कार के शीशे पर एक गरीब लड़का फटे कपड़ों में टकटकाता है। उसकी आंखों में अजीब आत्मविश्वास था।
“साहब, मैं आपकी पत्नी की आंखों की रोशनी वापस ला सकता हूं।”
राजेश को लगा—यह कोई मजाक है। लेकिन मीरा की आंखों में पहली बार उम्मीद की चमक थी। उन्होंने उस लड़के को अंदर बुलाया।
आरव का प्रवेश
लड़के ने अपना नाम बताया—आरव। वह धारावी की झुग्गी में अपनी दादी के साथ रहता था। उसकी दादी कभी आयुर्वेदिक वैद्य के पास काम करती थीं। आरव ने बताया, “मेरी दादी ने सिखाया है कि कई बीमारियाँ आत्मा से शुरू होती हैं, आंखों से नहीं।”
राजेश को विश्वास नहीं हुआ। लेकिन मीरा ने कहा, “मुझे एक मौका चाहिए। अगर 1% भी संभावना है, मैं उसे आजमाना चाहती हूं।”
राजेश ने हार मान ली। आरव को घर आने की अनुमति दी।
रहस्य की शुरुआत
आरव ने मीरा के घर आना शुरू किया। उसने मीरा के साथ समय बिताया, उसकी बातें सुनीं, उसकी तकलीफ समझी। उसने कहा, “आंटी, आपकी आंखें बीमारी से नहीं, किसी साजिश से गई हैं।”
राजेश चौंक गए। “क्या मतलब?”
आरव ने कहा, “आपकी पत्नी एक बीमारी से अंधी हुई या किसी के करने से?”
राजेश के पैरों तले जमीन खिसक गई। मीरा के अंधेपन की वजह डॉक्टरों ने ‘रेटिनल डीजनरेशन’ बताई थी। लेकिन अब शक पैदा हो गया था।
मीरा ने याद किया, “अचानक एक दिन मेरी नजर चली गई थी। कोई दर्द नहीं, कोई लक्षण नहीं। बस एक सुबह उठी तो सब अंधेरा था।”
अमित का संदेह
राजेश का चचेरा भाई अमित, जो हमेशा परिवार के करीब रहा था, मीरा की बीमारी के बाद हर डॉक्टर अपॉइंटमेंट में मौजूद रहता था। आरव ने धीरे-धीरे राजेश को बताया, “मेरी दादी डॉक्टर कपूर के क्लीनिक में नर्स थीं। उन्होंने कुछ देखा था, कुछ सुना था।”
राजेश ने अपने ऑफिस की फाइलें खंगालीं। उन्हें मीरा के ब्लड टेस्ट की एक रिपोर्ट मिली जिसमें एक अजीब कंपाउंड मिला था। रिपोर्ट के किनारे पर अमित की हैंडराइटिंग थी—“डॉक्टर के लिए, इसके बारे में सभी दस्तावेज हटा दें।”
सच्चाई का सामना
राजेश, मीरा और आरव डॉक्टर कपूर के पास पहुंचे। राजेश ने डॉक्टर से पूछा, “सभी रिपोर्ट्स दिखाइए।”
डॉक्टर कपूर घबरा गए। अंत में स्वीकार किया—“मुझे धमकी दी गई थी। आपकी पत्नी को धीरे-धीरे जहर दिया गया था, जिससे आंखों की नसें खराब हो गईं। अमित ने मुझे मजबूर किया।”
मीरा सदमे में थी। “क्यों अमित? मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा?”
राजेश ने गुस्से में कहा, “अमित मेरा भाई है, मेरा खून है। उसने ऐसा क्यों किया?”
डॉक्टर कपूर ने कहा, “अपने भाई से पूछिए।”
अमित से सामना
राजेश ने अमित को घर बुलाया। मीरा, राजेश और आरव सब तैयार थे। राजेश ने सबूत सामने रख दिए—ब्लड रिपोर्ट्स, डॉक्टर की गवाही, फाइलें।
अमित ने पहले इनकार किया, फिर टूट गया। “मैं हमेशा दूसरे नंबर पर रहा। पिताजी ने तुम्हें कंपनी दी, मीरा ने तुम्हें चुना। जब मुझे पता चला कि मीरा मेरी नहीं हो सकती, तो मैंने उसे अंधा कर दिया।”
मीरा रोने लगी। “प्यार कहते हो? तुमने मुझे परेशान किया। जब मैंने इंकार किया, तो बदला लिया।”
अमित ने एक शीशी निकाली। “यह एंटीडोट है। मीरा की आंखें ठीक हो सकती हैं, लेकिन कंपनी के 50% शेयर मुझे चाहिए।”
आरव का रहस्य
आरव ने कहा, “वो झूठ बोल रहा है। मेरी दादी ने बताया, कोई एंटीडोट नहीं है। विवेक, तुम्हारा साथी, असफल रहा। यह बस रंगीन पानी है।”
राजेश ने अमित से कहा, “अगर दवा सच है, तुम खुद पीकर दिखाओ।”
अमित घबरा गया, शीशी गिर गई।
“यह सिर्फ ब्लैकमेल था,” आरव ने कहा। “मेरी दादी ने सबूतों के साथ विवेक की डायरी दी थी।”
अंतिम संघर्ष
अमित ने अपनी जेब से चाकू निकाला। “अब तुम सब मेरे रास्ते में आ गए हो।”
राजेश ने मीरा को पीछे किया। आरव बहादुरी से बीच में आ गया। “रुक जाइए, आप यह नहीं करेंगे।”
राजेश और अमित के बीच संघर्ष हुआ। पुलिस सायरन गूंजा। पुलिस ने अमित को गिरफ्तार कर लिया। विवेक और डॉक्टर कपूर भी पकड़े गए।
नई शुरुआत
पुलिस अधिकारी ने कहा, “इस लड़के की गवाही के बिना हम कभी सच तक नहीं पहुंचते।”
राजेश ने आरव की ओर देखा। “तुमने हमारी बहुत मदद की है। तुम्हारी दादी को तुम पर गर्व होगा। अब तुम अकेले हो, तुम्हारा क्या होगा?”
आरव ने कहा, “मैं धारावी लौट जाऊंगा। वहां मेरे दोस्त हैं।”
मीरा ने कहा, “नहीं, तुम हमारे साथ रहो। परिवार खून से नहीं, प्यार से बनता है।”
राजेश ने भी कहा, “तुम हमारे परिवार का हिस्सा बनो।”
जीवन का नया अर्थ
कुछ हफ्तों बाद, राजेश ने मीरा के लिए नया डॉक्टर ढूंढा। डॉक्टर ने कहा, “दृष्टि लौटने की संभावना कम है।”
मीरा ने कहा, “अब मैं जानती हूं कि देखना सिर्फ आंखों से नहीं, दिल से होता है।”
राजेश ने अपनी पत्नी और आरव को देखा। “मैंने बहुत कुछ खोया, लेकिन तुम दोनों ने मुझे वह दिया जो सबसे कीमती है—प्यार, सच्चाई और परिवार।”
संदेश
आरव ने कहा, “मेरी दादी कहती थीं, सच्चे चमत्कार वे नहीं होते जो आंखें देखती हैं, बल्कि वे होते हैं जो दिल महसूस करता है।”
मीरा ने मुस्कुराते हुए कहा, “तुमने मेरी आंखों की रोशनी नहीं लौटाई, लेकिन मुझे सच्चा देखना सिखाया।”
राजेश ने कहा, “हम तीनों इतने अलग थे, लेकिन अब एक परिवार हैं।”
कहानी हमें सिखाती है—
असली चमत्कार दिल में होते हैं, आंखों में नहीं।
परिवार खून से नहीं, प्यार से बनता है।
सच्चाई और साहस हमेशा जीतते हैं।
सबसे बड़ा अंधापन आंखों का नहीं, दिल का होता है।
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