करोड़पति से गरीब बच्चे ने कहा,ये खाना मत खाए इसमें ज़हर है फिर जो हुआ… |

करोड़पति, जहर और गरीब बच्चे की सच्चाई: एक दिल छू लेने वाली कहानी

रात का वक्त था। दिल्ली के दक्षिणी हिस्से में बसे एक शानदार कॉलोनी में करोड़पति उद्योगपति विक्रम सिंह चौहान के आलीशान बंगले में डिनर का माहौल था। तीन मंजिला घर, सफेद संगमरमर की दीवारें, चमकते झाड़ और इटालियन टाइल्स से सजा घर किसी राजमहल जैसा लगता था। डाइनिंग हॉल में पीली रोशनी, क्रिस्टल के झूमर और महंगी क्रॉकरी से टेबल सजी थी।

विक्रम सिंह चौहान, 48 साल के, शहर के सबसे अमीर और रसूखदार लोगों में गिने जाते थे। उनकी कंपनी चौहान इंडस्ट्रीज का करोड़ों का कारोबार था। डाइनिंग टेबल पर उनके साथ बैठी थी उनकी खूबसूरत पत्नी रिया, जो सफेद सिल्क की साड़ी में किसी परी जैसी लग रही थी। रिया 35 साल की उम्र में भी बेहद आकर्षक थी—लंबे बाल, तीखे नैन-नक्श और मुस्कान से सजे होंठ।

लेकिन आज रिया की आंखों में कुछ अलग सा था… एक अजीब सी बेचैनी, जो विक्रम देख नहीं पा रहे थे। विक्रम ने मुस्कुराकर कहा, “आज खाना तो बहुत सुगंधित लग रहा है रिया। खास बिरयानी की खुशबू आ रही है।”

रिया ने मीठी आवाज में जवाब दिया, “आपके लिए ही तो बनाया है। आज मैंने खास तरीके से मसाले तैयार किए हैं।”

डाइनिंग हॉल के बाहर, रसोई के पास एक छोटा गरीब बच्चा आर्यन अपनी मां के साथ काम कर रहा था। आर्यन करीब 11 साल का था, फटे कपड़े, नंगे पैर, काले घुंघराले बाल और मासूम आंखें। उसकी मां सुनीता पिछले पांच सालों से चौहान परिवार में नौकरानी थी। पति की मौत के बाद सुनीता और आर्यन एक छोटी सी झुग्गी में रहते थे।

आज सुबह रिया ने कहा था, “सुनीता, आज अपने बेटे को भी साथ ले आना, मेहमान आने वाले हैं, बहुत काम है।” सुनीता ने खुशी से हां कर दी थी। आर्यन को भी अच्छा लगता था इतने बड़े घर में कुछ नया देखना।

शाम को आर्यन अपनी मां के साथ घर के काम में मदद कर रहा था। वह रसोई के बाहर झाड़ू लगा रहा था, बर्तन धो रहा था। अचानक उसे प्यास लगी, वह रसोई में पानी पीने गया। उसने देखा—रिया दो प्लेट में बिरयानी परोस रही थी। एक प्लेट विक्रम की थी, जिस पर वीएस के अक्षर लिखे थे। अचानक रिया ने चारों तरफ नजर दौड़ाई, अपने पर्स से एक छोटा सा प्लास्टिक पाउच निकाला। आर्यन दरवाजे के पीछे छुप गया और देखता रहा।

रिया ने चुपके से उस पाउच से सफेद पाउडर निकालकर विक्रम की प्लेट में बिरयानी के ऊपर छिड़क दिया। फिर चम्मच से मिला दिया ताकि कुछ दिखाई न दे। दूसरी प्लेट अपने लिए बिल्कुल साफ रखी, कोई पाउडर नहीं डाला। आर्यन की सांसें थम गईं। उसे मां ने कई बार समझाया था, “अगर कोई चुपके से खाने में कुछ डालता है, तो वह खतरनाक होता है।”

आर्यन कांपता हुआ अपनी मां के पास भागा—“अम्मा, अम्मा जल्दी आओ! साहब के खाने में कुछ डाला गया है!”
सुनीता डर गई। “क्या बकवास कर रहा है बेटा?”
“मैंने अपनी आंखों से देखा है, रिया आंटी ने साहब की प्लेट में सफेद पाउडर डाला है।”

सुनीता के हाथ कांपने लगे। वह जानती थी कि आर्यन झूठ नहीं बोलता, लेकिन वह यह भी जानती थी कि अगर वे गलत निकले तो नौकरी चली जाएगी। “बेटा, चुप रह। हमारा काम है यहां काम करना, बाकी चीजों में दखल नहीं देना।”

पर आर्यन का दिल नहीं मान रहा था। उसे लग रहा था अगर वह चुप रहा तो कुछ बुरा हो सकता है। वह बेचैनी से रसोई से डाइनिंग रूम तक का रास्ता देखता रहा। 15 मिनट बाद उसने देखा—रिया प्लेट लेकर डाइनिंग रूम जा रही है। विक्रम साहब कुर्सी पर बैठे थे, अखबार पढ़ रहे थे।

आर्यन का दिल जोर से धड़कने लगा। वह दौड़ता हुआ डाइनिंग हॉल में पहुंचा। ठीक उसी पल जब विक्रम चम्मच उठाकर खाना खाने ही वाले थे, उसने पूरी ताकत से प्लेट झटक दी। प्लेट जमीन पर गिरकर टूट गई। महंगी क्रॉकरी के टुकड़े पूरे हॉल में बिखर गए। बिरयानी, सब्जी, रायता सब कुछ फर्श पर फैल गया। कमरे में सन्नाटा छा गया।

विक्रम उछल पड़ा, रिया की आंखें फटी रह गईं। सुनीता रसोई से दौड़ती हुई आई। रिया सबसे पहले चिल्लाई, “पागल हो गया है क्या तू? मेरे पति का खाना फेंक दिया! कितनी महंगी प्लेट तोड़ी है!”

विक्रम गुस्से से आर्यन की तरफ बढ़ा, “तू कौन है बच्चा? यहां कैसे आया? तूने यह क्या बेहूदगी की है?”

आर्यन के पूरे शरीर में कंपकंपी थी, लेकिन उसने कांपते हुए कहा,
“साहब, मैंने देखा था… आपकी बीवी ने उस प्लेट में कुछ मिलाया था, सफेद पाउडर जैसा कुछ। मैं चाहता था आप वह खाना ना खाएं।”

विक्रम की आंखों में गुस्सा और शक दोनों थे। “चुप! तू एक नौकर का बेटा है और मेरी बीवी पर इल्जाम लगा रहा है? तेरी इतनी हिम्मत! निकल जा यहां से वरना पुलिस बुला दूंगा।”

रिया ने तुरंत आंसू बहाने शुरू कर दिए, “देखो विक्रम, यह कैसे झूठ बोल रहा है मेरे खिलाफ। मैं तो इसे और इसकी मां को दया में रखती थी, इनकी मदद करती थी और अब यह मुझे बदनाम कर रहा है। मैं कभी किसी के खाने में कुछ नहीं मिलाती।”

सुनीता आर्यन के पास आई, “साहब, बहुत माफी। यह बच्चा है, कुछ गलत समझ गया होगा। प्लीज माफ कर दीजिए।”

लेकिन आर्यन नहीं माना। उसने अपनी सारी हिम्मत जुटाई—“साहब, अगर मैंने झूठ बोला है तो फिर आप अपनी बीवी से कहिए वही खाना खा ले जो आपकी प्लेट में था। अगर उसमें कुछ नहीं था तो वह क्यों नहीं खा सकती?”

कमरे में गहरी खामोशी छा गई। रिया का चेहरा पीला पड़ गया। विक्रम अब ध्यान से रिया की आंखें पढ़ रहा था। रिया के माथे से पसीने की बूंदें लुढ़कने लगी थीं, जबकि कमरे में एसी चल रहा था।

विक्रम ने पूछा, “तूने ठीक-ठीक क्या देखा था? मुझे पूरी बात बता।”
आर्यन ने हिम्मत से कहा, “साहब, मैं रसोई में पानी पीने गया था। वहां आंटी दो प्लेट में खाना परोस रही थी। आपकी प्लेट में उन्होंने एक छोटे पाउच से सफेद पाउडर डाला और चम्मच से मिला दिया। अपनी प्लेट में कुछ नहीं डाला।”

विक्रम ने धीरे से कहा, “रिया, आर्यन जो कह रहा है, वह सच है क्या?”
रिया ने चुप्पी साध ली, कुछ नहीं बोली।

विक्रम ने जमीन पर बिखरा खाना देखा, फिर रिया की तरफ देखा, “अगर यह खाना सुरक्षित है, तो तुम इसे खा सकती हो। यहां जमीन पर थोड़ा सा बचा है, उसे खा लो।”

रिया पीछे हट गई, “मुझे भूख नहीं है और यह जमीन पर गिर गया है, गंदा हो गया है।”

“तो ठीक है, रसोई में जाकर अपनी प्लेट से खाना ले आओ और उसमें से यह खाना मिला दो, फिर खाओ।”

अब सब समझ चुके थे, वह बच्चा झूठ नहीं बोल रहा। विक्रम ने सिक्योरिटी गार्ड्स को फोन किया, “राजू, तुम और मनोज तुरंत ऊपर आ जाओ, इमरजेंसी है।”

दो मिनट में गार्ड्स डाइनिंग रूम में पहुंच गए। “रिया के कमरे की तलाशी लो। कोई छोटा सा पाउच या डब्बी हो तो लाना।”

रिया चिल्लाई, “तुम मेरे कमरे की तलाशी नहीं ले सकते! यह गलत है!”

“गलत तो यह है कि तुमने मेरे खाने में जहर मिलाया!”
विक्रम की आवाज में गुस्सा और दुख दोनों थे।

15 मिनट की तलाशी के बाद सिक्योरिटी गार्ड रिया की अलमारी से छोटा सा प्लास्टिक पाउच लेकर आया। उसमें सफेद पाउडर था। “साहब, यह मैडम के पर्स में छुपा हुआ था।”

विक्रम ने पाउच हाथ में लिया, बिल्कुल वैसा ही जैसा आर्यन ने बताया था। रिया की साजिश अब सबके सामने थी। अब वह रो रही थी, लेकिन यह पछतावे के नहीं, पकड़े जाने के आंसू थे।

विक्रम की आंखों से भी आंसू निकल आए। 12 साल की शादी, इतना प्यार, विश्वास, सब कुछ एक झटके में टूट गया। “क्यों किया तुमने यह रिया? मैंने तुम्हें क्या कमी दी थी? तुम्हारी हर इच्छा पूरी करता था, फिर क्यों?”

रिया ने सिर झुका लिया, टूटी आवाज में बोली, “क्योंकि मैं अब तुम्हारे साथ नहीं रहना चाहती थी। मैं और किसी के साथ नया जीवन शुरू करना चाहती थी—राहुल के साथ। अगर तुम जिंदा रहते तो मैं कभी आजाद नहीं हो पाती।”

विक्रम को याद आया—रिया का पुराना दोस्त राहुल, जो कुछ महीनों से अक्सर घर आने लगा था। विक्रम की आवाज कांप गई, “मैंने तुम्हें सब कुछ दिया था—पैसा, इज्जत, प्यार, सम्मान। तुम्हारे परिवार की भी मदद की। और बदले में तुमने मुझे जहर दिया, धोखा दिया।”

विक्रम ने बिना देर किए पुलिस को फोन किया। आधे घंटे में पुलिस आ गई। रिया को उसी वक्त गिरफ्तार कर लिया गया, हत्या के प्रयास का मामला दर्ज हुआ।

विक्रम ने सुनीता से हाथ जोड़कर कहा, “बहन जी, आपका बेटा मेरा जीवनदाता है। आप दोनों ने मेरी जान बचाई है। अब आप लोग इस झुग्गी में नहीं रहेंगे।”

वह आर्यन के पास बैठा, “बेटा, आज से तुम मेरे साथ पढ़ोगे। दिल्ली के सबसे अच्छे स्कूल में एडमिशन दिलवाऊंगा। तुम्हारी पढ़ाई, तुम्हारा भविष्य अब मेरी जिम्मेदारी है। तुम जो भी बनना चाहते हो, मैं तुम्हारी हर मदद करूंगा।”

सुनीता के आंसू नहीं रुक रहे थे। “साहब, हमने तो बस इंसानियत निभाई, यह हमारा फर्ज था।”

विक्रम ने मुस्कुराकर कहा, “बहन जी, आज मैं जिंदा हूं तो सिर्फ आपके बेटे के साहस की वजह से।”

उसी दिन विक्रम ने आर्यन और सुनीता के लिए एक अच्छा फ्लैट बुक कराया। सुनीता को अपनी कंपनी में बेहतर जॉब दी। आर्यन को दिल्ली के सबसे अच्छे स्कूल में दाखिला दिलवाया।

सीख

कभी-कभी सच्चाई और साहस किसी की जिंदगी बचा सकते हैं। गरीब बच्चे का साहस और मां की इंसानियत ने करोड़पति की जान बचाई, एक परिवार को नई जिंदगी दी।
नेकी का फल हमेशा मीठा होता है।
समाप्त