धर्मेंद्र जी की मृत्यु और अंतिम संस्कार में हेमा मालिनी के साथ हुई नाइंसाफी: एक विस्तृत विश्लेषण

प्रस्तावना
भारतीय सिनेमा के इतिहास में धर्मेंद्र जी का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाता है। उनकी अदाकारी, उनका व्यक्तित्व और उनका जीवन हमेशा चर्चा का विषय रहा है। 89 वर्ष की आयु में धर्मेंद्र जी ने अंतिम सांस ली और उनके निधन की खबर ने पूरे बॉलीवुड और उनके लाखों प्रशंसकों को शोक में डुबो दिया। लेकिन उनके अंतिम संस्कार के दौरान जो घटनाएँ घटीं, विशेष रूप से उनकी दूसरी पत्नी हेमा मालिनी के साथ जो व्यवहार हुआ, उसने समाज और मीडिया में एक नई बहस छेड़ दी है। इस लेख में हम विस्तार से चर्चा करेंगे कि धर्मेंद्र जी की मृत्यु के बाद उनके अंतिम संस्कार में क्या-क्या घटित हुआ, हेमा मालिनी के साथ क्या नाइंसाफी हुई, और इसके सामाजिक, पारिवारिक व भावनात्मक पहलुओं पर गहराई से विचार करेंगे।
धर्मेंद्र जी का जीवन और परिवार
धर्मेंद्र जी का जन्म 8 दिसंबर 1935 को पंजाब के फगवाड़ा में हुआ था। उन्होंने अपने अभिनय करियर की शुरुआत 1960 के दशक में की थी और जल्द ही वे बॉलीवुड के ‘ही-मैन’ के नाम से प्रसिद्ध हो गए। धर्मेंद्र जी ने दो शादियाँ की थीं। पहली शादी प्रकाश कौर से हुई थी, जिनसे उनके चार बच्चे हैं – सनी देओल, बॉबी देओल, अजीता देओल और विजेता देओल। दूसरी शादी 1980 में हेमा मालिनी से हुई, जिनसे उनकी दो बेटियाँ हैं – ईशा देओल और अहना देओल।
धर्मेंद्र जी का पारिवारिक जीवन हमेशा विवादों में रहा है। प्रकाश कौर और हेमा मालिनी के बीच संबंध कभी सामान्य नहीं रहे। हेमा मालिनी ने धर्मेंद्र जी से शादी करने के लिए समाज के विरोध का सामना किया था और हमेशा अपने आत्मसम्मान को बनाए रखा।
अंतिम संस्कार का दृश्य
धर्मेंद्र जी के निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार मुंबई के एक प्रसिद्ध शमशान घाट पर पंजाबी रीति-रिवाजों के अनुसार किया गया। इस मौके पर बॉलीवुड के कई बड़े सितारे, परिवार के सदस्य और मीडिया उपस्थित थे। धर्मेंद्र जी की पहली पत्नी प्रकाश कौर पूरे परिवार के साथ मौजूद थीं। वहीं, हेमा मालिनी अपनी बेटी ईशा देओल के साथ वहाँ पहुँचीं।
यहाँ पर सबसे बड़ी नाइंसाफी तब हुई जब हेमा मालिनी और उनकी बेटी को अंतिम संस्कार की रस्मों में शामिल नहीं होने दिया गया। पंडित जी ने जब अंतिम रिचुअल्स के लिए ‘पत्नी’ को बुलाया, तो देओल परिवार ने प्रकाश कौर को आगे कर दिया। हेमा मालिनी को दूर से ही धर्मेंद्र जी का अंतिम दर्शन करने दिया गया, लेकिन उन्हें पास आने या रस्मों में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई। हेमा मालिनी और ईशा देओल वहाँ से मात्र दो मिनट में ही लौट गईं, उनका दिल टूट चुका था।
हेमा मालिनी की भावनाएँ और संघर्ष
हेमा मालिनी का जीवन संघर्षों से भरा रहा है। धर्मेंद्र जी से शादी करना उनके लिए आसान नहीं था। समाज, परिवार और मीडिया – सभी ने उनकी आलोचना की थी। लेकिन हेमा मालिनी ने हमेशा अपने आत्मसम्मान और धर्मेंद्र जी के प्रति अपने प्रेम को सर्वोपरि रखा।
अंतिम संस्कार के दौरान हेमा मालिनी की आँखों में आँसू थे। वे फूट-फूट कर रो रही थीं, लेकिन उन्हें सांत्वना देने वाला कोई नहीं था। मीडिया की आँखें उन पर टिकी थीं, लेकिन परिवार ने उन्हें पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया। यह दृश्य हर उस महिला के लिए एक सीख है, जिसने अपने जीवन में कठिन फैसले लिए हैं और समाज के विरोध का सामना किया है।
देओल परिवार का रवैया
धर्मेंद्र जी के पहले परिवार – प्रकाश कौर, सनी देओल, बॉबी देओल – ने हमेशा हेमा मालिनी को बाहरी व्यक्ति की तरह देखा। भले ही प्रकाश कौर ने सार्वजनिक रूप से धर्मेंद्र जी और हेमा मालिनी को माफ कर दिया हो, लेकिन परिवार के बाकी सदस्यों ने हेमा मालिनी को कभी स्वीकार नहीं किया। यही वजह है कि अंतिम संस्कार के दौरान भी हेमा मालिनी को सम्मान नहीं दिया गया। यह पारिवारिक टकराव भारतीय समाज में बहुपत्नी प्रथा और उसके सामाजिक प्रभावों की ओर भी संकेत करता है।
समाज और मीडिया की प्रतिक्रिया
धर्मेंद्र जी के अंतिम संस्कार के दौरान हेमा मालिनी के साथ हुई नाइंसाफी ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी। कई लोगों ने देओल परिवार की आलोचना की, तो कई ने हेमा मालिनी के प्रति सहानुभूति जताई। मीडिया ने इस घटना को प्रमुखता से दिखाया और सवाल उठाया कि क्या यह सही था कि धर्मेंद्र जी की दूसरी पत्नी को अंतिम संस्कार की रस्मों में शामिल नहीं किया गया?
बॉलीवुड का समर्थन
इस घटना के बाद बॉलीवुड के कई कलाकारों ने हेमा मालिनी का समर्थन किया। कई लोगों ने कहा कि हेमा मालिनी ने धर्मेंद्र जी के साथ जीवन बिताया, उनके बच्चों की परवरिश की, तो उन्हें भी अंतिम संस्कार की रस्मों में बराबर का अधिकार मिलना चाहिए था। वहीं, कुछ लोगों ने पारिवारिक परंपराओं और रीति-रिवाजों का हवाला देकर देओल परिवार का समर्थन किया।
सामाजिक और सांस्कृतिक पहलू
भारतीय समाज में बहुपत्नी प्रथा को लेकर हमेशा विवाद रहा है। एक पत्नी को दूसरी पत्नी के सामने सम्मान देना या न देना, यह समाज की सोच पर निर्भर करता है। धर्मेंद्र जी के मामले में भी यही देखने को मिला। पहली पत्नी को परिवार और समाज ने हमेशा प्राथमिकता दी, जबकि दूसरी पत्नी को बाहरी व्यक्ति की तरह देखा गया।
यह घटना बताती है कि सामाजिक रीति-रिवाज कई बार इंसानियत और भावनाओं से ऊपर हो जाते हैं। हेमा मालिनी जैसी प्रतिष्ठित अभिनेत्री को भी अपने पति के अंतिम संस्कार में सम्मान नहीं मिला, यह हमारे समाज की सोच को दर्शाता है।
धर्मेंद्र जी की विरासत
धर्मेंद्र जी ने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे। उन्होंने बॉलीवुड को कई यादगार फिल्में दीं, जैसे ‘शोले’, ‘चुपके चुपके’, ‘सत्यकाम’, ‘यादों की बारात’ आदि। उनके अभिनय की गहराई और संवाद अदायगी आज भी लोगों के दिलों में बसी है। धर्मेंद्र जी का जीवन सिखाता है कि संघर्ष और मेहनत से हर मंजिल हासिल की जा सकती है।
हेमा मालिनी का भविष्य
इस घटना के बाद हेमा मालिनी ने कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया। वे हमेशा अपने आत्मसम्मान को प्राथमिकता देती आई हैं। धर्मेंद्र जी के निधन के बाद उनका जीवन एक नए मोड़ पर आ गया है। ईशा देओल और अहना देओल उनकी ताकत हैं। हेमा मालिनी ने अपने अभिनय और नृत्य के जरिए हमेशा समाज को प्रेरित किया है, और आगे भी करेंगी।
निष्कर्ष
धर्मेंद्र जी के अंतिम संस्कार के दौरान हेमा मालिनी के साथ जो नाइंसाफी हुई, वह केवल एक परिवार की कहानी नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज का आईना है। यह घटना दिखाती है कि सामाजिक रीति-रिवाज, पारिवारिक टकराव और भावनाएँ किस तरह एक इंसान को अंदर से तोड़ सकती हैं। हेमा मालिनी ने हमेशा अपने आत्मसम्मान को बनाए रखा है और आगे भी रखेंगी। धर्मेंद्र जी की विरासत हमेशा जीवित रहेगी और हेमा मालिनी का संघर्ष भी लोगों को प्रेरित करता रहेगा।
पाठकों से सवाल
आप इस घटना पर क्या सोचते हैं? क्या हेमा मालिनी के साथ सही व्यवहार हुआ? क्या समाज को अपनी सोच बदलनी चाहिए? अपने विचार कमेंट में जरूर साझा करें।
News
स्मृति मंधाना और पलाश मुच्छल की शादी टली: मुश्किलों के दौर में दुआओं की जरूरत
स्मृति मंधाना और पलाश मुच्छल की शादी टली: मुश्किलों के दौर में दुआओं की जरूरत प्रस्तावना भारतीय क्रिकेट जगत की…
आरव: इज्जत का असली मतलब
आरव: इज्जत का असली मतलब अध्याय 1: एक साधारण सुबह सुबह की हल्की धूप शोरूम के शीशों से छनकर अंदर…
अर्जुन की रहस्यमयी दास्तान
अर्जुन की रहस्यमयी दास्तान अध्याय 1: दर्द की शुरुआत सर्दियों की एक सुस्त सुबह थी। अस्पताल के गलियारे में हल्की…
सम्मान की कहानी: विजा कुलश्रेष्ठ
सम्मान की कहानी: विजा कुलश्रेष्ठ प्रस्तावना मुंबई की दोपहर, गर्मी में तपती सड़कें, और शहर का एक कोना—आर्यवन बैंक। यह…
हेलीकॉप्टर में बम: अमन की ईमानदारी और इंसानियत की जीत
हेलीकॉप्टर में बम: अमन की ईमानदारी और इंसानियत की जीत प्रस्तावना मुंबई शहर की सुबह हमेशा व्यस्त होती है, लेकिन…
किन्नर की विरासत: इंसानियत का असली अर्थ
किन्नर की विरासत: इंसानियत का असली अर्थ प्रस्तावना मुंबई की एक बरसात भरी रात। सरकारी अस्पताल के गलियारों में रोशनी…
End of content
No more pages to load






