10 CRORE Ka Bail (Bull) Allah ki Qudrat ka Mojza | Islamic Story in Hindi Urdu | Sabaq Amoz Qissa

गांव के छोर पर मिट्टी और पुआल से बने एक छोटे से घर में इमरान रहता था। उसका नाम सुनते ही गांव वालों के चेहरों पर व्यंग्य और हंसी तैर जाती थी। लोग कहते—“इमरान? वो तो जन्म से ही मनहूस है। जहां जाता है, वहां बर्बादी साथ ले आता है।” इमरान गरीब किसान था। हाथ में कुछ बंजर ज़मीन, जिस पर साल में मुश्किल से एक फसल उगती। घर में पत्नी जरीना और दो छोटे बच्चे। रोज़-रोज़ के ताने, भूख और जिल्लत ने उसकी ज़िंदगी को जैसे बोझ बना दिया था। लेकिन इन सबसे ज़्यादा दर्द उसे तब होता, जब उसका छोटा भाई अकमल उसके सामने अकड़ कर खड़ा हो जाता। अकमल चालाक था, किस्मत का धनी भी। उसके पास खेत, पशु और धन सब था। वह अक्सर लोगों के सामने इमरान की गरीबी का मजाक उड़ाता—“देखो मेरा भाई, जमीन तो है पर पेट भरने को अन्न नहीं। किस्मत हो तो अकमल जैसी, वरना इमरान जैसी।”

जरीना अक्सर पति को समझाती, “लोग चाहे कुछ भी कहें, हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। अल्लाह सब देखता है।” लेकिन रात को जब बच्चे भूख से रोते, तो जरीना की आंखें भीग जातीं और इमरान चुपचाप आसमान की ओर देखता, मानो वहां से किसी जवाब की तलाश कर रहा हो।

एक दिन अकमल ने जैसे मजाक ही करने के लिए इमरान को एक कमजोर, दुबला-पतला बैल दे दिया। बैल की हड्डियां साफ दिखाई देती थीं, उसकी आंखों में जैसे जान ही न बची हो। गांव के लोग हंसी उड़ाने लगे—“इमरान की किस्मत देखो, बैल भी उसी जैसा निकला—कमजोर और बेकार।” लेकिन इमरान ने उस बैल को हाथ फेरकर कहा, “तू मेरे पास आया है, अब तेरी देखभाल मेरी जिम्मेदारी है।” उस दिन से इमरान ने बैल को अपना साथी बना लिया। वह हर रोज़ उसे जंगल ले जाता, वहां से जड़ी-बूटियां ढूंढ़ता, साफ पानी पिलाता। खुद भूखा रह जाता लेकिन बैल के लिए घास और दाना जुटाता। धीरे-धीरे बैल की आंखों में चमक लौट आई, उसके शरीर में जान आने लगी। कुछ ही महीनों में वह बैल इतना मजबूत और ताकतवर हो गया कि गांव वाले दंग रह गए। अब वही लोग, जो कभी हंसी उड़ाते थे, चुपचाप कहते, “यह बैल तो सोने का खजाना है। इमरान वाकई बदल गया है।”

ईद का त्योहार करीब आया तो बाजार में चहल-पहल बढ़ गई। दूर-दूर से व्यापारी आए और बैलों की कीमत लगाने लगे। इमरान का बैल गांव का सबसे सुंदर और ताकतवर जानवर माना गया। व्यापारी लाखों की पेशकश करने लगे। अकमल भी जलन से भर उठा—“किस्मत देखो इस मनहूस की। जो बैल मैंने मजाक में दिया था, आज उसी से यह अमीर बनने वाला है।” लेकिन इमरान के मन में कुछ और ही था। उसने बैल को सहलाते हुए सोचा, “यह सिर्फ मेरे लिए नहीं है। यह तो अल्लाह का तोहफ़ा है। और अल्लाह का तोहफ़ा उसी को लौटाना चाहिए।”

जरीना ने रोते हुए कहा, “इमरान, हम इतने साल से भूखे हैं। बच्चों के लिए सोचना चाहिए।” लेकिन इमरान ने नम्र स्वर में कहा, “जरीना, यह बैल मेरी मेहनत का नतीजा है। अगर मैं इसे अल्लाह के नाम पर कुर्बान करूंगा, तो शायद हमारी किस्मत भी बदल जाएगी।”

ईद की सुबह पूरे गांव की नज़रें इमरान के घर पर थीं। लोग सोच रहे थे कि वह बैल बेच देगा और अमीर बन जाएगा। लेकिन जब इमरान ने सबके सामने बैल को अल्लाह के नाम पर कुर्बान कर दिया, तो पूरे गांव में सन्नाटा छा गया। किसी ने सोचा भी नहीं था कि वह इतने बड़े मौके को यूं ही छोड़ देगा। लेकिन असली चमत्कार तो अभी होना बाकी था। जैसे ही बैल की कुर्बानी हुई, अचानक उसका पेट फट गया और भीतर से कीमती रत्न, सोने के सिक्के और हीरे निकलने लगे। लोग अवाक रह गए। किसी को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ। औरतें दुपट्टे से मुंह ढककर फुसफुसाईं—“यह तो अल्लाह की रहमत है!” बच्चे उछलने लगे, बूढ़े लोग दुआएं देने लगे। अकमल वहीं खड़ा रह गया, उसका चेहरा सफेद पड़ गया। उसे समझ आ गया कि ईर्ष्या और घमंड से कुछ नहीं मिलता।

कुछ ही दिनों में इमरान सबसे अमीर आदमी बन गया। लेकिन उसने धन को सिर्फ अपने लिए नहीं रखा। उसने अपने टूटे हुए घर को तो ठीक कराया, लेकिन सबसे पहले गांव के गरीबों के लिए अनाज का गोदाम बनवाया। अनाथ बच्चों की पढ़ाई का इंतज़ाम किया। उसने गांव की मस्जिद की छत की मरम्मत करवाई और हर घर में खाना पहुंचाने की व्यवस्था की। गांव वाले, जो कभी उसे मनहूस कहते थे, अब उसके दरवाजे पर आकर सलाम करते। बच्चे उसे “इमरान चाचा” कहकर पुकारते और उसकी दुआ लेते।

इमरान अक्सर कहता, “धन का असली मजा बांटने में है। अगर मैंने उस बैल को बेच दिया होता, तो शायद मेरे पास पैसा तो आता, लेकिन अल्लाह की रहमत नहीं।” उसकी आंखों में चमक और चेहरे पर संतोष था। उसके लिए असली दौलत अब गरीब बच्चों की हंसी और गांववालों की दुआ थी।

गांव के बुजुर्ग अकसर कहते, “इमरान की तरह बनो। मुश्किलें चाहे कितनी भी हों, हिम्मत मत हारो। अल्लाह देर करता है, लेकिन अंधेर नहीं करता।” और सचमुच, जिस इमरान को कभी मनहूस कहा जाता था, वह अब “गांव की रहमत” कहलाने लगा। उसकी कहानी दूर-दूर तक फैली और लोग अपने बच्चों को यह किस्सा सुनाकर समझाते कि मेहनत, ईमानदारी और सब्र से किस्मत के ताले भी खुल जाते हैं।

यह कहानी सिर्फ एक गरीब किसान की नहीं थी, बल्कि हर उस इंसान की थी जिसे समाज ने ठुकराया, जिसे किस्मत का मारा कहा गया। इमरान ने साबित कर दिया कि अल्लाह पर भरोसा और अपने कर्मों पर विश्वास, इंसान को वहां पहुंचा देता है जहां लोग सिर्फ ख्वाब देख पाते हैं। उसकी कुर्बानी और उसका सब्र हमेशा याद दिलाता रहेगा कि सबसे अंधेरी रात के बाद भी सुबह ज़रूर आती है।