महिला CEO ने सिंगल डैड जनिटर का मज़ाक उड़ाया – बोली, ‘इंजन ठीक करो तो शादी करूंगी!’ और फिर उसने कर
मुंबई के बांद्रा इलाके में स्थित रॉयल इंजंस प्राइवेट लिमिटेड शहर की सबसे चर्चित ऑटोमोबाइल कंपनियों में से एक थी। सुबह के 9:00 बजते ही ऑफिस की कांच की दीवारों के भीतर भागदौड़ शुरू हो जाती थी। किसी के हाथ में लैपटॉप, किसी के कान में ब्लूटूथ, हर किसी के चेहरे पर वही तनाव भरी चमक। लेकिन इन सबके बीच एक आदमी था जो हर सुबह झाड़ू लगाते हुए धीरे-धीरे गुनगुनाता था। उसका नाम अरमान शेख था, जिसकी उम्र लगभग 32 साल थी। चेहरे पर थकान के बावजूद एक अजीब सी सुकून भरी मुस्कान रहती थी।
अरमान ने अपनी पत्नी को एक साल पहले बीमारी में खो दिया था। अब उसकी जिंदगी सिर्फ उसकी 6 साल की बेटी जोया थी। जोया ही उसकी दुनिया थी, और वह अपनी बेटी के लिए हर संभव प्रयास करता था।
डेमो का दिन
उस दिन कंपनी में एक बड़ा डेमो होना था। देश भर के निवेशक आने वाले थे ताकि नए इंजन मॉडल का प्रदर्शन देखा जा सके। पूरा स्टाफ नर्वस था क्योंकि यह प्रोजेक्ट खुद कंपनी की सीईओ आर्या कपूर की निगरानी में तैयार हुआ था। आर्या 29 साल की तेजतर्रार और बेहद परफेक्शनिस्ट महिला थी, जिसे अपने काम के आगे किसी का बहाना या गलती बर्दाश्त नहीं थी।
टेस्टिंग शुरू हुई। सबकी निगाहें इंजन पर थीं। एक इंजीनियर ने स्टार्ट बटन दबाया। पहले इंजन गरजा, फिर अचानक धुआं निकला और मशीन बंद हो गई। माहौल में सन्नाटा छा गया। आर्या का चेहरा सख्त हो गया। उसने ठंडी नजर से सबको देखा और बोली, “3 महीने, करोड़ों रुपए और नतीजा यह कबाड़! किसी के पास कोई जवाब नहीं।” सबकी निगाहें झुकी हुई थीं।
अरमान की चुनौती
तभी पीछे से एक शांत मगर दृढ़ आवाज आई, “अगर आप इजाजत दें तो मैं कोशिश कर सकता हूं।” सबने मुड़कर देखा। वो अरमान था, सफाई करने वाला। उसके हाथ में झाड़ू थी और आंखों में भरोसा। आर्या ने ताना मारा, “क्या कहा तुमने? तुम इसे ठीक करोगे? यह कोई साइकिल नहीं है, जनरेटर साहब।”
अरमान ने बिना झिझक के जवाब दिया, “मैडम, पहले मैं एक मैकेनिकल इंजीनियर था। हादसे के बाद नौकरी चली गई। फिर बेटी को पालने के लिए जो काम मिला वही करने लगा। लेकिन मशीनों की भाषा अभी भी समझता हूं।” कमरे में खुसरफुसर शुरू हो गई।
एक इंजीनियर बुदबुदाया, “यह मजाक कर रहा है क्या?” दूसरा बोला, “सीईओ को इंप्रेस करना चाहता है शायद।” आर्या के होठों पर हल्की हंसी आई। “ठीक है,” उसने कहा, “अगर तुम इस इंजन को ठीक कर दो, तो मैं तुमसे शादी कर लूंगी।” कमरे में हंसी गूंज उठी। किसी ने ताली बजाई, किसी ने कैमरा ऑन किया, लेकिन अरमान के चेहरे पर कोई बदलाव नहीं था। उसने शांत स्वर में कहा, “डील मंजूर है, मैडम।”
चुनौती का सामना
उसकी इस बात पर सबकी हंसी थम गई। आर्या ने चुनौती भरी नजर से कहा, “ठीक है। तुम्हारे पास 24 घंटे हैं।” उस रात ऑफिस खाली हो गया। बाकी सब चले गए। बस अरमान वहीं रहा। उसने अपना पुराना बैग खोला जिसमें एक जंग लगी रिंच रखी थी। वो उसके पिता की निशानी थी। उसी रिंच से उसने पहला इंजन खोला था जब वह कॉलेज में था।
धीरे-धीरे मशीन के पुरजों को छुआ मानो उनसे बातें कर रहा हो। कुछ देर बाद उसकी बेटी जोया भी आ गई। उसके हाथ में दूध का कप था। “पापा, आप फिर से मशीन ठीक कर रहे हैं?” उसने पूछा। “हां बेटा,” उसने मुस्कुराते हुए कहा, “अगर यह इंजन चल गया, तो शायद हमारी जिंदगी भी चल पड़े।” जोया उसकी गोद में बैठ गई और बोली, “फिर आप शादी करेंगे।”
अरमान ने मुस्कुराकर जवाब दिया, “शादी नहीं, बेटा। बस लोगों को दिखाऊंगा कि पापा अभी भी कुछ कर सकते हैं।” रात गहरी होती गई, बाहर बारिश की बूंदें गिरने लगीं। मगर वर्कशॉप में मशीनों की ठक-ठक, बिजली की चिंगारियां और एक सिंगल पिता की ज़िद सब मिलकर एक नई शुरुआत की कहानी लिख रहे थे।
सुबह का उजाला
सुबह की पहली किरण के साथ वर्कशॉप की हवा में धुएं और तेल की गंध घुली हुई थी। अरमान की आंखों के नीचे नींद की कमी के गहरे निशान थे, लेकिन उसके चेहरे पर एक अद्भुत संतुलन और शांति थी। पूरी रात उसने इंजन को खोलकर हर पुरजे को साफ किया। जले हुए तार बदले, टूटे सेंसर को नए सिरे से जोड़ा। वह मशीन से ऐसे बात कर रहा था जैसे कोई पुराने दोस्त को समझा रहा हो, “तू बस थोड़ा भरोसा कर। मैं तुझे फिर से चला दूंगा।”
आर्या कपूर अपने ऑफिस की खिड़की से यह सब देख रही थी। उसकी आंखों में एक अनहद सा सवाल था। “क्या वाकई यह आदमी कुछ कर पाएगा?” उसने खुद से कहा। “एक जनरेटर मेरी कंपनी का इंजन ठीक करेगा। पागलपन है यह।” लेकिन फिर भी उसके अंदर एक अजीब सी बेचैनी थी जो उसे उस जगह से हटा नहीं पा रही थी।
सुबह के 7:00 बज चुके थे। बाकी इंजीनियर भी ऑफिस लौटने लगे। सबको जिज्ञासा थी कि रात भर जनरेटर ने क्या किया? वर्कशॉप में घुसते ही सबका ध्यान उस मशीन पर गया जो अब पूरी तरह अलग दिख रही थी। साफ, चमकदार और एक नई जान से भरी हुई।
इंजन का परीक्षण
अरमान ने अपने माथे से पसीना पोंछा और गहरी सांस लेते हुए बोला, “अब देखते हैं कि यह चलती है या नहीं।” उसने इंजन के पास जाकर बटन दबाया। पहले कुछ सेकंड तक इंजन ने अजीब सी खांसने जैसी आवाज निकाली। फिर अचानक एक गूंजदार भर की आवाज के साथ वह चल पड़ा। पूरा वर्कशॉप जैसे थम गया। हर कोई उसी गूंज को सुन रहा था।
आर्या नीचे आई। उसके कदम धीमे थे, पर आंखों में आश्चर्य झलक रहा था। उसने धीरे से कहा, “यह सच में चल गया।” अरमान ने मुस्कुरा कर कहा, “हां, मैडम। क्योंकि इसमें कोई खराब मशीन नहीं थी। बस इसे गलत तरीके से समझा गया था। हर इंजन की अपनी भाषा होती है। और जब कोई उसे समझता है, वो बोल उठता है।”
एक इंजीनियर बोला, “लेकिन सर, इसमें तो तीन चिप्स जल गए थे। सेंसर रिप्लेस करने पड़ते।” अरमान ने मुस्कुरा कर कहा, “जरूरत नहीं थी। समस्या सेंसर में नहीं, कोड में थी। मैंने उसे फिर से लिखा, थोड़ा पुरानी स्टाइल में।” सभी हैरान थे। कोई विश्वास नहीं कर पा रहा था कि जिस आदमी को वे हर दिन झाड़ू लगाते देखते थे, वो असल में एक बेहतरीन दिमाग था।
सम्मान की शुरुआत
आर्या ने कहा, “तुमने जो किया वो हमारी पूरी टीम नहीं कर सकी। मैं मानती हूं, मैं गलत थी।” अरमान बोला, “गलत तो हम सब होते हैं, मैडम। फर्क बस इतना है कि कोई गलती से सीखता है और कोई अहंकार से हारता है।” उसकी बात सुनकर आर्या कुछ पल के लिए चुप रह गई। उसकी आंखों में पहली बार उस आदमी के लिए इज्जत झलकी।
“तो डील याद है ना?” उसने हल्की मुस्कान के साथ कहा। “मैंने कहा था अगर तुम इंजन ठीक कर दोगे तो मैं तुमसे शादी कर लूंगी।” पूरा स्टाफ हक्का बक्का रह गया। किसी ने धीरे से कहा, “क्या सीईओ सच में सीरियस है?” लेकिन इस बार आर्या के चेहरे पर मजाक नहीं था। उसमें सम्मान और आकर्षण दोनों थे।
अरमान ने शांत स्वर में कहा, “मैडम, मैं शादी किसी डील पर नहीं करता। मैं तब शादी करूंगा जब आप मुझे बराबरी से देखें।” आर्या के होठों पर हल्की मुस्कान आई। “शायद तुम सही हो, मिस्टर शेख। मुझे बराबरी देखना भी सीखना है।” वह मुड़ी और धीरे-धीरे चली गई। सभी को लगा जैसे ऑफिस में कोई नई शुरुआत हो गई हो। जहां अब रैंक नहीं, काबिलियत मायने रखेगी।
एक नई दिशा
अरमान ने इंजन को एक आखिरी बार देखा और जोया की तरफ मुस्कुरा कर कहा, “देखा बेटा, यह सिर्फ मशीन नहीं थी, यह हमारी किस्मत थी और अब यह चल पड़ी है।” सुबह की ठंडी हवा में वर्कशॉप से इंजन की गूंज उठी। पूरी रात मेहनत करने के बाद अरमान ने आखिरकार मशीन को जिंदा कर दिया था। जब उसने स्टार्ट बटन दबाया तो पहले इंजन ने हल्की आवाज की। फिर अचानक एक जोश भरी गर्जना के साथ चल पड़ा। इतना साफ और मजबूत कि सबकी आंखें फटी की फटी रह गईं।
आर्या नीचे आई। उसके चेहरे पर हैरानी थी। उसने कहा, “तुमने यह कैसे किया?” अरमान ने मुस्कुराकर जवाब दिया, “मैडम, मशीनें भी इंसानों जैसी होती हैं। उन्हें बस सही तरह से समझने की जरूरत होती है।”
संभावनाओं का नया अध्याय
पूरी टीम चुप थी। हर कोई उसी जनरेटर को देख रहा था जिसे वह अब तक मामूली समझते थे। आर्या ने धीमे स्वर में कहा, “तुमने जो किया वह हमारे किसी इंजीनियर ने नहीं कर दिखाया।” फिर उसने मुस्कुरा कर पूछा, “तो डील याद है? इंजन ठीक हुआ। अब शादी?”
अरमान ने सिर उठाकर कहा, “मैं शादी किसी चुनौती पर नहीं करता। मैडम, मैं तब करूंगा जब आप मुझे बराबरी से देखें।” आर्या कुछ पल उसे देखती रही। फिर बोली, “शायद अब मैं देखना शुरू कर रही हूं।” वह पल दोनों की जिंदगी का मोड़ बन गया। जहां सम्मान ने पहली बार प्यार का रूप लिया।
समापन
इस घटना ने रॉयल इंजंस प्राइवेट लिमिटेड में एक नई संस्कृति का आरंभ किया। अरमान की मेहनत और दृढ़ता ने न केवल उसकी जिंदगी बदल दी, बल्कि आर्या को भी यह सिखाया कि असली प्रतिभा कभी भी छिपी नहीं रहती। उसकी कहानी ने सभी को प्रेरित किया कि किसी भी स्थिति में हार नहीं माननी चाहिए।
अरमान ने साबित कर दिया कि स्थिति चाहे जैसी भी हो, अगर मेहनत और लगन हो तो सफलता अवश्य मिलती है। और आर्या ने यह समझा कि असली ताकत किसी की सामाजिक स्थिति नहीं, बल्कि उसके कौशल और मेहनत में होती है।
इस तरह, एक सामान्य सफाई कर्मचारी ने अपनी मेहनत और प्रतिभा से एक नई शुरुआत की, और उसकी कहानी आज भी उन सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो जीवन में संघर्ष कर रहे हैं।
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