💔 ‘ड्रीम गर्ल’ का वो अनकहा दर्द: Hema Malini क्यों चाहती थीं Dharmendra से तलाक? 50 साल बाद टूटा राज़!
(शीर्षक: Hema Malini wanted to divorce Dharmendra: प्यार के लिए लड़ी दुनिया से, फिर क्यों आया रिश्ते में इतना बड़ा मोड़?)
मुंबई: बॉलीवुड की सबसे प्रतिष्ठित जोड़ियों में से एक, हेमा मालिनी और धर्मेंद्र, का रिश्ता दशकों से प्यार, बलिदान और संघर्ष की मिसाल रहा है। लेकिन अब, जब धर्मेंद्र इस दुनिया में नहीं हैं, तो यह बात खुलकर सामने आ रही है कि जिस हेमा ने इस प्यार के लिए पूरे समाज से लड़ाई लड़ी, वही एक वक्त इस रिश्ते से पूरी तरह दूर हो जाने का फैसला कर चुकी थीं। बात यहाँ तक पहुँच गई थी कि ‘ड्रीम गर्ल’ तलाक लेने पर गंभीरता से विचार करने लगी थीं।
यह कहानी केवल दो सितारों के बीच के प्यार की नहीं, बल्कि उस दर्द, समझौता और अकेलेपन की है जिसने एक मजबूत रिश्ते को भी अंदर से दरकाना शुरू कर दिया था।
1. संघर्ष से शिखर तक: एक हीरो की कहानी
धर्मेंद्र का जीवन संघर्ष की पराकाष्ठा था। पंजाब के एक साधारण लड़के ने बिना किसी गॉडफादर के मुंबई आकर ‘ही-मैन’ का खिताब जीता। उनकी मासूमियत, दमदार आवाज और गहरे अभिनय ने उन्हें रातों-रात स्टार बना दिया। निजी जीवन में भी वह अपनी पहली पत्नी प्रकाश कौर और चार बच्चों—सनी, बॉबी और दो बेटियों—के साथ एक ‘परफेक्ट’ पारिवारिक जीवन जी रहे थे।
लेकिन, जैसे ही उनकी मुलाकात हेमा मालिनी से हुई, यह परफेक्ट तस्वीर बिखरने लगी। परदे पर उनकी केमिस्ट्री जल्द ही वास्तविक जीवन के प्यार में बदल गई।
2. प्यार के लिए धर्म बदला, पर मिला ‘अधूरापन’
धर्मेंद्र का पहले से शादीशुदा होना इस रिश्ते की सबसे बड़ी बाधा थी। प्रकाश कौर ने उन्हें तलाक देने से साफ इनकार कर दिया, जिसके बाद परिवार, समाज और यहाँ तक कि हेमा के पिता का कड़ा विरोध शुरू हो गया।
हेमा ने अपने दिल की सुनी और विरोध के बावजूद धर्मेंद्र के साथ रहने का फैसला किया। जब हिंदू रीति-रिवाजों से शादी संभव नहीं हुई, तो दोनों ने एक ऐसा कदम उठाया जिसने पूरे देश में हंगामा मचा दिया: 1980 में, इस्लाम धर्म कबूल कर दोनों ने निकाह किया। धर्मेंद्र ‘दिलावर खान’ और हेमा ‘आयशा’ बन गईं।
लेकिन यह फैसला उनके लिए सुकून की बजाय, अधूरेपन की शुरुआत बन गया।
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3. तलाक का ख्याल: ‘दो घरों’ के बीच झूलता पति
शादी के बाद, दोनों की दो बेटियाँ—ईशा और अहाना—हुईं। हेमा ने कई बार धर्मेंद्र को प्यार करने वाला पति और पिता बताया। लेकिन अंदर ही अंदर, एक नई चुनौती जन्म ले चुकी थी।
समस्या थी धर्मेंद्र का दो परिवारों के बीच संतुलन बनाना। एक तरफ हेमा और बेटियाँ थीं, तो दूसरी तरफ प्रकाश कौर और उनके बच्चे। धर्मेंद्र को दोनों की जिम्मेदारियों के बीच झूलना पड़ता था।
हेमा का दर्द: हेमा को यह बात बहुत चुभती थी कि धर्मेंद्र उनके साथ पूरा समय नहीं बिता पाते थे। कई-कई दिनों तक धर्मेंद्र काम या अपने पहले परिवार के साथ व्यस्त रहते, जिस कारण हेमा को लगने लगा कि उन्होंने सब कुछ दांव पर लगाकर जो रिश्ता चुना, बदले में उन्हें पूरा प्यार और साथ नहीं मिल रहा।
धीरे-धीरे, इस खींचतान और अकेलेपन ने दोनों के बीच दूरी पैदा कर दी। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि दोनों ने अलग-अलग घरों में रहना शुरू कर दिया। धर्मेंद्र अपने पुराने घर में लौट गए, और हेमा अपनी बेटियों के साथ जूहू के अलग घर में रहने लगीं।

करीबी सूत्रों का खुलासा है कि इसी दौरान, हेमा मालिनी इतनी टूट चुकी थीं कि तलाक का ख्याल उनके दिमाग में स्पष्ट रूप से आ चुका था। उन्हें लगता था कि उन्होंने अपने पिता की इच्छा के विरुद्ध जाकर, समाज के ताने सुनकर सब कुछ सहा, और इसके बावजूद उन्हें एक अधूरी जिंदगी जीनी पड़ रही है। धर्मेंद्र का यह दोहरी जीवन जीना उन्हें अंदर से चीर रहा था।
4. बेटियाँ और प्यार: जिसने रोका तलाक
तलाक लेने का विचार मजबूत होने के बावजूद, हेमा मालिनी ने यह अंतिम कदम नहीं उठाया। दो प्रमुख कारण थे जिन्होंने उन्हें रोका:
बेटियों का भविष्य: उनकी दो बेटियाँ थीं, जिनका भविष्य इस बड़े फैसले से प्रभावित होता।
अमिट प्यार: दिल के बहुत अंदर, धर्मेंद्र के लिए वह पुराना प्यार आज भी जिंदा था जो कभी मिटा ही नहीं। हेमा ने अपने दिमाग से तलाक लेने की सोची, लेकिन उनके दिल ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया।
5. अंतिम क्षणों का मेल: जब सारा गुस्सा पिघल गया
समय बीतने के साथ, धर्मेंद्र की सेहत बिगड़ने लगी। जब उनकी हालत गंभीर हुई और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, तब दोनों परिवार एक ही कमरे में इकट्ठा हुए। यह वह क्षण था जब बरसों की कड़वाहट पिघल गई।
हेमा मालिनी ने जब धर्मेंद्र को कमजोर हालत में देखा, तो उनके मन का सारा गुस्सा और नाराजगी बह गई। उन्हें एहसास हुआ कि अगर उन्होंने कभी तलाक ले लिया होता, तो शायद आज इस दुख की घड़ी में उनके पास पास खड़े होने का हक भी न होता।
अस्पताल के उस कमरे में, हेमा ने धर्मेंद्र का हाथ पकड़कर उनसे कहा, “आप ठीक हो जाओ, हम फिर साथ होंगे।” उस पल, दोनों ने अपनी शिकायतें, दर्द और बीते साल सब कुछ पीछे छोड़ दिया। सिर्फ प्यार बचा था—वही प्यार जिसके लिए हेमा ने कभी पूरी दुनिया से लड़ाई की थी।
धर्मेंद्र के अंतिम दिनों में, हेमा मालिनी हर वक्त उनके पास मौजूद रहीं, क्योंकि वह उनके लिए केवल पति नहीं, बल्कि उनकी पूरी जिंदगी का सबसे बड़ा अध्याय थे। उनका रिश्ता हमें सिखाता है कि रिश्ते दूरी से नहीं टूटते, बल्कि प्यार से जुड़े रहते हैं, भले ही वह प्यार कितना भी अधूरा क्यों न रहा हो।
नोट: इस लेख में ‘तलाक’ और ‘अलग रहने’ से जुड़ी बातें मीडिया रिपोर्ट्स, चर्चाओं और करीबी सूत्रों पर आधारित हैं, जिनकी कोई आधिकारिक पुष्टि हेमा मालिनी या धर्मेंद्र ने कभी सार्वजनिक रूप से नहीं की। यह एक पक्षीय कथन या सार्वजनिक धारणाओं के रूप में ही देखा जाना चाहिए।
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