Supreme Court on Waqf Amendment Act: कोर्ट ने मान ली मुसलमानों की दलील, क्या बोले Imran Pratapgarhi

सुप्रीम कोर्ट का वक्फ एक्ट पर अहम फैसला: जमीन दान करने वालों को मिली राहत

हाल ही में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ एक्ट से जुड़े कई विवादास्पद प्रावधानों पर अंतरिम आदेश जारी किया है, जिससे देशभर में धार्मिक और सामाजिक कार्यों के लिए जमीन दान करने वाले लोगों को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने सरकार की मंशा और साजिश पर रोक लगाते हुए कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर स्पष्टता दी है।

सबसे बड़ा फैसला यह रहा कि “प्रैक्टिसिंग मुस्लिम” होने की 5 साल की शर्त पर कोर्ट ने स्टे लगा दिया है। इसका मतलब है कि अब वक्फ प्रॉपर्टी दान करने के लिए पांच साल से मुस्लिम होने की अनिवार्यता नहीं रहेगी। इससे उन दानदाताओं को राहत मिली है जो अपनी जमीनें धार्मिक या सामाजिक कार्यों के लिए देना चाहते हैं।

कोर्ट ने यह भी कहा है कि सरकार या वक्फ बोर्ड अब किसी की जमीन जब्त करने से पहले उचित न्यायिक प्रक्रिया का पालन करेगी। पहले जिला मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट के आधार पर जमीनें छीनी जा सकती थीं, लेकिन अब अपीलेट ट्राइब्यूनल और कोर्ट की प्रक्रिया जरूरी होगी। इससे न्याय का दरवाजा खुल गया है।

नॉन मुस्लिम मेंबर्स को लेकर भी कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वक्फ बोर्ड में तीन से ज्यादा नॉन मुस्लिम सदस्य नहीं हो सकते। साथ ही, रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पर स्टे नहीं लगाया गया, लेकिन टाइम लिमिट बढ़ा दी गई है जिससे दानदाताओं को समय मिल सके।

इस फैसले को वक्फ प्रॉपर्टी के संरक्षण के लिहाज से लैंडमार्क ऑर्डर माना जा रहा है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि कानून के तहत ही किसी को वक्फ प्रॉपर्टी से बेदखल किया जा सकता है। राजस्व अधिकारियों की अतिरिक्त शक्तियों को भी सीमित किया गया है।

कुल मिलाकर, सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश ने वक्फ एक्ट के विवादित हिस्सों पर संतुलित राहत दी है और दानदाताओं के अधिकारों की रक्षा की है। अब आगे फाइनल सुनवाई में और स्पष्टता आने की उम्मीद है।