स्कूल पिकनिक में लड़के ने वो कर दिखाया जो 30 इंजीनियर नहीं कर पाए! आर्यन की सच्ची प्रेरणादायक कहानी
सुबह का सूरज खिलखिला रहा था। हवा में बच्चों की हंसी घुली हुई थी। सेंट जोसेफ हाई स्कूल की बसें आज कुछ ज्यादा ही रौनक से भरी थीं क्योंकि आज थी स्कूल की वार्षिक पिकनिक नेशनल टेक्नो पार्क में। बच्चे उत्साह में झूम रहे थे। कोई गाना गा रहा था तो कोई अपने दोस्तों के साथ स्नैक्स शेयर कर रहा था। लेकिन एक कोने में खिड़की के पास बैठा आर्यन चुपचाप बाहर झांक रहा था। उसकी आंखों में जिज्ञासा की एक अलग ही चमक थी।
आर्यन का परिचय
आर्यन एक छोटे से गांव से था। उसकी मां गांव की सरकारी स्कूल में शिक्षिका थी और पिता बिजली मिस्त्री। आर्यन को बचपन से ही तारों और मशीनों से लगाव था। जहां बाकी बच्चे खिलौनों को तोड़ने से डरते थे, वहीं आर्यन उन्हें खोलकर यह समझने की कोशिश करता कि यह चलता कैसे है। उसकी जिज्ञासा और मशीनों के प्रति प्रेम ने उसे हमेशा अलग रखा।
पिकनिक का दिन
जैसे ही बस टेक्नो पार्क पहुंची, बच्चों ने उत्साह में उछल कूद मचा दी। विशाल इमारतें, चमचमाते रोबोट, उड़ने वाले ड्रोन और ऑटोमेटिक गेट देखकर सब दंग रह गए। गाइड ने बच्चों को बताया कि यहां देश के बेहतरीन वैज्ञानिक और इंजीनियर काम करते हैं और यहां ऐसी मशीनें बनती हैं जो भविष्य बदल सकती हैं। सब बच्चे अलग-अलग हिस्सों में घूमने लगे। किसी को रोबोटिक आर्म ने चौका दिया तो किसी को 3D प्रिंटर देखकर यकीन नहीं हुआ।
वाटर कन्वर्शन मशीन
लेकिन तभी गाइड ने उन्हें एक बड़े हॉल में ले जाकर कहा, “बच्चों, अब मैं तुम्हें वह मशीन दिखाने वाला हूं जिस पर देश के 30 इंजीनियर 3 महीने से काम कर रहे हैं। लेकिन अब तक यह मशीन ठीक से नहीं चल रही।” हॉल के बीच में रखी थी एक बड़ी धातु की मशीन जिसके चारों ओर कंप्यूटर स्क्रीन, तार और टूल्स बिखरे थे। एक बोर्ड पर लिखा था “वाटर कन्वर्शन प्रोजेक्ट: टर्निंग साल्ट वाटर इनटू ड्रिंकिंग वाटर।”
इंजीनियरों की थकान
इंजीनियरों की टीम थकी हुई लग रही थी। एक उम्रदराज इंजीनियर श्री मेहता बच्चों से बोले, “हमने इसे सैकड़ों बार टेस्ट किया, पर हर बार मशीन शुरू होते ही शॉर्ट सर्किट हो जाता है। शायद कुछ कोड या सर्किट गड़बड़ है।” बच्चे आश्चर्य से मशीन को देख रहे थे। लेकिन आर्यन के चेहरे पर एक अलग सी एकाग्रता थी। वह मशीन के चारों ओर घूमते हुए हर तार और बोर्ड को गौर से देखने लगा।
आर्यन का साहस
मेहता ने मुस्कुराते हुए कहा, “क्या हुआ बेटा? जिज्ञासा ज्यादा हो गई?” आर्यन धीरे से बोला, “सर, क्या मैं देख सकता हूं?” बस एक बार। सभी बच्चे हंस पड़े। “अरे आर्यन, तू तो क्लास में पंखा ठीक नहीं कर पाता। अब यह बड़ी मशीन चला देगा,” एक दोस्त ने मजाक किया। लेकिन आर्यन ने किसी की परवाह नहीं की। उसने मशीन के नीचे झुककर एक वायर की तरफ इशारा किया। “सर, यह रेड वायर सेंसर सर्किट के पॉजिटिव से जुड़ा है, पर यह ग्राउंड से जुड़ना चाहिए था। यही ओवरलोड कर रहा है।”
इंजीनियरों का आश्चर्य
इंजीनियर एकदम चौंक गए। मेहता ने भौंहें चढ़ाई। “तुम्हें कैसे पता?” आर्यन बोला, “हमारे गांव में मोटर भी इसी वजह से जल गई थी। मैंने खुद सर्किट बदला था।” कुछ पल के लिए पूरा हॉल शांत हो गया। एक बच्चे ने हंसते हुए कहा, “सर, इसे कोशिश करने दीजिए। अगर ठीक हो गया तो पिकनिक की आइसक्रीम इसकी तरफ से!” सभी हंस पड़े। माहौल हल्का हो गया।
आर्यन की कोशिश
मेहता ने कहा, “ठीक है बेटा, कर लो कोशिश। लेकिन ध्यान रखना, कुछ खराब मत कर देना।” आर्यन ने धीरे-धीरे टूल उठाया, स्क्रू खोले और तार को सही जगह जोड़ दिया। उसने कुछ मिनट तक सर्किट देखा। फिर बोला, “अब इसे चालू करिए।” इंजीनियरों ने एक दूसरे की ओर देखा। फिर मेहता ने स्विच ऑन किया। मशीन से हल्की सी गुनगुनाहट आई। लाइटें टिमटिमाई। सब ने सांस रोक ली। तभी एक हरे रंग की लाइट जल उठी। आर्यन की आंखों में चमक आई। “अब देखिए सर, पानी आना चाहिए।”
सफलता का क्षण
और अगले ही पल मशीन के आउटलेट से पारदर्शी साफ पानी निकलने लगा। सन्नाटा टूटा तो पूरे हॉल में तालियों की गूंज फैल गई। मेहता ने आर्यन के सिर पर हाथ रखकर कहा, “बेटा, तुमने वह कर दिखाया जो 30 इंजीनियर नहीं कर पाए।” आर्यन बस मुस्कुरा दिया। “सर, बस गलती छोटी थी। ध्यान देने वाला चाहिए था।” उस पल एक साधारण गांव के लड़के ने साबित कर दिया था कि असली टैलेंट डिग्री नहीं, जुनून से बनता है।
आर्यन की विनम्रता
पूरा हॉल अभी भी तालियों से गूंज रहा था। हर कोई उस छोटे से लड़के की तरफ देख रहा था जिसने एक पल में सबकी सोच बदल दी थी। आर्यन के चेहरे पर हल्की मुस्कान थी, पर उसके भीतर एक तूफान चल रहा था। क्या उसने सच में वह कर दिखाया जो इतने अनुभवी लोग नहीं कर पाए? श्री मेहता ने उसे अपने पास बुलाया। “बेटा, तुमने कैसे समझ लिया कि दिक्कत उस वायर में थी?” आर्यन ने झिझकते हुए कहा, “सर, जब मशीन का फैन चालू हुआ, तो उसकी आवाज थोड़ी भारी थी। इसका मतलब सर्किट में ओवरलोड हो रहा था। मैंने वही आवाज गांव में मोटर ठीक करते वक्त सुनी थी, इसलिए मुझे शक हुआ।”

श्री मेहता की प्रशंसा
मेहता कुछ क्षणों तक उसे देखता रहा। फिर धीरे से बोला, “तुम्हारे पास दिमाग के साथ दिल भी है। बेटा, मशीन को महसूस करना यही असली इंजीनियरिंग है।” इतने में वहां मीडिया टीम और पार्क के डायरेक्टर डो सुहास आ गए। कैमरे चमक उठे। पत्रकार सवालों की बौछार करने लगे। “बेटा, तुम्हारा नाम क्या है?” “आर्यन यादव।” “तुम किस क्लास में पढ़ते हो?” “नवीन में।” “तुम्हारे पापा इंजीनियर हैं?” “नहीं सर, वो बिजली ठीक करते हैं।”
आश्चर्य का क्षण
हर किसी के चेहरे पर आश्चर्य था। एक बच्चा जिसके पिता गांव में तार जोड़ते हैं, उसने वो कर दिखाया जो देश के 30 इंजीनियर महीनों में नहीं कर पाए। डो सुहास ने मशीन की ओर देखा। फिर आर्यन की ओर बढ़े और कहा, “बेटा, क्या तुम जानते हो तुमने क्या किया है? यह मशीन अब लाखों लोगों को पीने का साफ पानी दे सकती है। तुमने देश की सबसे बड़ी समस्या का हल ढूंढ लिया है।” आर्यन कुछ नहीं बोला। उसके चेहरे पर विनम्रता थी। “सर, मैंने तो बस एक गलती ठीक की है। असली काम तो आप लोगों ने किया है।”
इंजीनियरों की सराहना
इंजीनियरों ने एक साथ ताली बजाई। एक ने कहा, “इतना विनम्र और समझदार बच्चा आज के जमाने में दुर्लभ है।” दूसरा बोला, “अगर इसे मौका दिया जाए तो यह अगला अब्दुल कलाम बन सकता है।” डो सुहास ने तुरंत घोषणा की, “आर्यन, तुम्हारे लिए हमारे टेक्नो लैब में एक विशेष छात्रवृत्ति होगी। तुम्हें हमारे मेंटरशिप प्रोग्राम में शामिल किया जाएगा, जहां तुम असली वैज्ञानिकों के साथ काम करोगे। तुम्हारा सारा खर्च हमारा होगा।”
आर्यन की खुशी
आर्यन की आंखें भर आईं। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि जो लड़का गांव के स्कूल में अक्सर बिजली जाने से परेशान होकर लालटेन की रोशनी में पढ़ता था, आज वही वैज्ञानिकों के बीच खड़ा था। उसके दोस्त भागते हुए अंदर आए। “अरे यार, तूने सच में कर दिखाया। हमने तो सोचा था तू मजाक कर रहा है।” आर्यन हंस पड़ा। “देखा, पिकनिक में भी कुछ सीखने को मिल गया।”
पिकनिक का माहौल
बाहर पार्क के बगीचे में पेड़ों की छांव के नीचे सबने खाना खाया। बच्चे बातें कर रहे थे। पर आज सबकी चर्चा आर्यन के बारे में थी। एक लड़की बोली, “आर्यन, तू बड़ा होकर क्या बनेगा?” वो मुस्कुराया। “मुझे नहीं पता मैं क्या बनूंगा। लेकिन मैं इतना जरूर जानता हूं कि मैं चीजें ठीक करता रहूंगा। चाहे वो मशीनें हों या लोगों की जिंदगी।”
मेहता सर की सलाह
मेहता सर उसके पास आए। “बेटा, आज से तुम हमारे छोटे इंजीनियर हो। पर याद रखना, सबसे बड़ी मशीन इंसान का दिल है। अगर वह ठीक काम करे, तो सब ठीक चलता है।” आर्यन ने सिर झुका दिया। उस पल उसके भीतर एक नई दिशा जन्म ले चुकी थी। अब वह सिर्फ एक गांव का लड़का नहीं था। वह भारत की नई उम्मीद बन चुका था।
पिकनिक का अंत
पिकनिक खत्म होने लगी। बसें फिर से स्कूल की ओर चल पड़ीं। लेकिन इस बार बच्चों के शोर में एक नाम सबसे ज्यादा गूंज रहा था। “आर्यन, द बॉय इंजीनियर।”
विज्ञान सम्मेलन
छह महीने बाद दिल्ली में एक बड़ा विज्ञान सम्मेलन हो रहा था। मंच पर बड़ी-बड़ी हस्तियां बैठी थीं और उसी मंच पर एक छोटा सा लड़का खड़ा था। “आर्यन यादव,” उसके पीछे स्क्रीन पर लिखा था “यंग इनोवेटर ऑफ द ईयर: वाटर कन्वर्शन मशीन।” तालियों की गड़गड़ाहट में आर्यन की आंखें भीग गईं। उसने माइक पकड़ा और बोला, “मैं कोई बड़ा वैज्ञानिक नहीं हूं। मैं बस इतना जानता हूं कि हर गलती में एक सीख छिपी होती है। अगर हम उसे ध्यान से देखें, तो दुनिया बदल सकती है।”
आर्यन का योगदान
टीवी चैनलों पर खबर चल रही थी। “गांव के बच्चे ने बनाया उपकरण जो लाखों लोगों की प्यास बुझाएगा।” उसका गांव भी अब उस मशीन से साफ पानी पी रहा था। मां के चेहरे पर गर्व था। पिता ने आंसू पोंछते हुए कहा, “मेरे बेटे ने तो वाकई दुनिया ठीक कर दी।” आर्यन मुस्कुराया, आसमान की ओर देखा और मन ही मन कहा, “अब बस शुरुआत है।”
अंतिम संदेश
वो लड़का जिसने एक स्कूल पिकनिक में एक छोटी सी मशीन ठीक की थी, अब लाखों जिंदगियों में उम्मीद का नाम बन चुका था। “आर्यन, द बॉय हु फिक्स्ड फ्यूचर।” उसकी कहानी ने यह साबित कर दिया कि असली प्रतिभा कभी भी किसी भी जगह से उभर सकती है, बस जरूरत है उसे पहचानने की और उसे मौका देने की। आर्यन ने सबको दिखा दिया कि जुनून, मेहनत और सही दिशा से कुछ भी संभव है।
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