इंस्पेक्टर पत्नी ने रिश्ता तोड़ा… सालों बाद पति SP बनकर लौटा, फिर जो हुआ..

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रमेश और सोनम की कहानी: एक टूटे रिश्ते की नई शुरुआत

यह कहानी है रमेश और सोनम की, जो एक आम परिवार से थे, लेकिन जिनकी ज़िंदगी में प्यार, संघर्ष, अहंकार और माफी की ऐसी दास्ताँ छिपी थी, जो हर किसी के दिल को छू जाती है।

रमेश एक सामान्य नौकरी करता था, प्राइवेट कंपनी में। उसकी तनख्वाह उतनी थी कि रोज़मर्रा की ज़रूरतें पूरी हो सकें, लेकिन उसके दिल में एक बड़ा सपना था। वह चाहता था कि उसकी पत्नी सोनम पुलिस की वर्दी पहने, एक अधिकारी बने और समाज में अपनी अलग पहचान बनाए। सोनम बचपन से ही पुलिस ऑफिसर बनने का सपना देखती थी। रमेश ने अपनी तमाम इच्छाओं को पीछे छोड़कर सोनम की पढ़ाई और कोचिंग में हर संभव मदद की।

समय बदला, मेहनत रंग लाई और सोनम ने सब इंस्पेक्टर की नौकरी पा ली। रमेश की खुशी का ठिकाना न रहा। उसे लगा जैसे सोनम की सफलता उसकी भी जीत है। लेकिन वह नहीं जानता था कि यह सफलता उनके रिश्ते में दरार की शुरुआत भी थी।

शुरुआत में सब ठीक था। लेकिन जैसे-जैसे सोनम का नाम थाने और शहर में फैलने लगा, घर का माहौल बदलने लगा। अब डिनर टेबल पर फाइलों की चर्चा होती, हंसी-ठिठोली कम हो गई। रमेश जो पहले सोनम का साथी था, अब घर की दीवारों में दबा एक पुराना फर्नीचर बनता जा रहा था। समाज में भी लोगों की सोच बदल गई। लोग कहते, “इंस्पेक्टर की पत्नी और पति वही पुराना क्लर्क।” यह बातें जब सोनम तक पहुंचीं, तो वह गुस्सा रमेश पर करती, न कि समाज पर।

सोनम को अब रमेश का साधारण जीवन पसंद नहीं था। जब वह पुलिस की जीप से उतरती और रमेश को पुराने स्कूटर पर सब्जी लाते देखती, तो उसे शर्मिंदगी होती। वह भूल गई थी कि उसी स्कूटर के पेट्रोल ने उसे वर्दी तक पहुँचाया था।

फिर एक दिन शहर के एक बड़े होटल में पुलिस विभाग की पार्टी हुई। सोनम अपने परिवार के साथ गई। रमेश ने अपनी पुरानी लेकिन साफ-सुथरी शर्ट पहन रखी थी। पार्टी में बड़े अधिकारी और रसूखदार लोग थे। सोनम की साड़ी की चमक और चेहरे की सफलता की झलक सबको दिख रही थी। तभी एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोनम से पूछा, “यह सज्जन कौन हैं?” सोनम के सामने दो रास्ते थे: या तो वह गर्व से कहे कि यह उसका पति है जिसने उसे यहाँ तक पहुँचाया, या झूठ बोले। उसने झूठ बोलना चुना और कहा, “यह हमारे परिवार के कामकाज देखते हैं, फैमिली फ्रेंड हैं।”

रमेश को यह सुनते ही ऐसा लगा जैसे उसके दिल में टूटन हो रही हो। उसने कोई हल्ला नहीं किया, बस चुपचाप पार्टी छोड़ दी। उस रात घर में खामोशी थी। सोनम ने रमेश को दोष दिया, कहा कि वह अब उनके बीच नहीं था। उसने कहा, “मुझे लगता है हमें अलग हो जाना चाहिए। मैं अब उस राह पर चल रही हूँ जहाँ तुम मेरी तरक्की के रास्ते में बाधा हो।”

रमेश ने कहा, “अगर मैं बोझ हूँ, तो मैं तुम्हारी उड़ान आसान कर देता हूँ।” और उसी रात उसने अपना सामान पैक किया, घर की चाबियां और शादी की अंगूठी मेज पर रख दी। बाहर बारिश हो रही थी, जैसे आसमान भी इस रिश्ते के टूटने पर रो रहा हो।

रमेश ने दिल्ली की ट्रेन ली, अपने सपनों के पीछे। उसके पास सिर्फ एक छोटा बैग और कुछ रुपए थे, लेकिन दिल में उम्मीद थी। उसने नाइट शिफ्ट की नौकरी की, दिन-रात पढ़ाई की। कई बार बीमारी और गरीबी ने उसे घेर लिया, लेकिन उसने हार नहीं मानी।

सालों की मेहनत के बाद रमेश ने यूपीएससी की परीक्षा पास की और आईपीएस अधिकारी बन गया। उसकी ट्रेनिंग में उसने नेतृत्व और कानून की गहराई से समझ हासिल की। जब उसे पोस्टिंग मिली, तो नियति ने उसे उसी जिले में भेजा जहाँ उसकी पुरानी ज़िंदगी दफन थी।

एक दिन थाने में अफवाहें फैलने लगीं कि नए एसपी बहुत सख्त हैं। सोनम ने सोचा कि वह उन्हें आसानी से मैनेज कर लेगी। लेकिन जब रमेश एसपी के रूप में थाने पहुँचा, तो सोनम की दुनिया हिल गई। वह वही रमेश था, लेकिन अब एक सख्त, अनुशासित अधिकारी।

रमेश ने सोनम से कभी पुरानी बातें नहीं कीं, न ही ताने मारे। लेकिन उनकी खामोशी सोनम को अंदर तक खा रही थी। वह अपनी काबिलियत साबित करना चाहती थी और एक दिन उसने बिना रमेश को बताए एक रेड ऑपरेशन किया। लेकिन वह फंस गई। एंटी करप्शन ब्यूरो ने उसकी जीप से रिश्वत के नोट बरामद किए। सोनम को सस्पेंड कर दिया गया।

सोनम डर गई कि रमेश उसे बर्बाद कर देगा। लेकिन जब वह एसपी ऑफिस गई, तो रमेश ने उसे सख्त लहजे में सबूत दिखाए और कहा कि वह उसे बचाने आया है। रमेश ने साइबर सेल की मदद से सीसीटीवी फुटेज निकाली जिसमें साफ दिख रहा था कि बिल्डर का आदमी ही पैसे जीप में रख रहा था। रमेश ने बिल्डर और उसके साथियों को गिरफ्तार कर दिया।

सोनम की आंखों में आंसू थे। रमेश ने कहा, “मैंने यह इसलिए किया क्योंकि एक ईमानदार पुलिस ऑफिसर को साजिश का शिकार होते देखना इस वर्दी की तौहीन है। अगली बार गलती की गुंजाइश नहीं होगी।”

सोनम ने रमेश से माफी मांगी, और रमेश ने उसे समझाया कि प्यार में अहंकार नहीं होना चाहिए।

लेकिन फिर रमेश ने बताया कि वह आरती से शादी करने वाला है। सोनम टूट गई। उसने कहा, “मैं तुम्हारे पुराने रमेश से माफी मांगने आई हूँ, जो मेरे लिए टिफिन लाता था। अगर तुम उस पुराने स्कूटर पर आ जाओ तो मैं फिर से तुम्हारे पीछे बैठने को तैयार हूँ।”

रमेश ने कहा, “हम पुरानी जगह वापस नहीं जा सकते, लेकिन नई शुरुआत कर सकते हैं। जहाँ हम सिर्फ रमेश और सोनम होंगे, अफसर नहीं।”

दोनों ने मिलकर गंगा में दीप जलाया, अहंकार को छोड़ प्रेम को अपनाया। सोनम ने कहा, “जब तक तुम साथ हो, हर रास्ता मंजिल है।”

यह कहानी हमें सिखाती है कि रिश्तों में अहंकार सबसे बड़ा दुश्मन है, और माफी से हर टूटे हुए रिश्ते को नया जीवन मिलता है। पद, रुतबा और पैसा अस्थायी हैं, लेकिन सच्चा साथी वही है जो बुरे वक्त में साथ दे।

क्या आप रमेश की तरह माफ कर सकते हैं या सोनम की तरह अपनी गलतियों को स्वीकार कर नई शुरुआत कर पाएंगे? सोचिए, क्योंकि यही जिंदगी का असली सबक है।