बेटे के इलाज के लिए भीख मांग रहा था… डॉक्टर निकली तलाकशुदा पत्नी, फिर जो हुआ…

दिल्ली के एक प्रसिद्ध अस्पताल के मुख्य गेट पर सुबह की धूप में एक अजीब सा नजारा देखने को मिल रहा था। गेट के पास ही एक फटी हुई दरी पर बैठा था राज। उसके सामने रखी थी एक पुरानी प्लेट जिसमें कुछ सिक्के पड़े हुए थे। उसके बगल में लेटा था उसका छोटा सा बेटा अमन जिसकी हालत देखकर किसी का भी दिल पिघल जाता। बच्चे का चेहरा बुखार से तप रहा था। सांसे बहुत तेज चल रही थी और वह बार-बार कराह रहा था। राज की आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे।

हर आने जाने वाले से वह हाथ जोड़कर विनती करता, “साहब जी मेरे बच्चे की मदद करो। कुछ भी दे दो। इसका इलाज करवाना है।” कुछ लोग दया दिखाकर कुछ पैसे डाल देते तो कुछ गुस्से से कहते, “यहां क्यों भीख मांग रहे हो? कहीं काम धंधा करो।” लेकिन राज की मजबूरी उन तानों से कहीं ज्यादा गहरी थी। उसका इकलौता बेटा मौत के मुंह में जा रहा था और उसके पास इलाज के लिए एक पैसा भी नहीं था।

तभी अस्पताल के पार्किंग एरिया में एक सफेद कार आकर रुकी। कार से एक महिला डॉक्टर उतरी, सफेद कोट, गले में स्टेथोस्कोप और चेहरे पर गंभीरता। उनके चलने के अंदाज से ही पता चल रहा था कि वे कोई साधारण डॉक्टर नहीं बल्कि इस अस्पताल की वरिष्ठ चिकित्सक हैं। वे तेज कदमों से गेट की तरफ आ रही थीं। लेकिन अचानक उनकी नजर फटी दरी पर लेटे बच्चे और उसके पास बैठे आदमी पर पड़ी। एक क्षण को उन्होंने अपने कदम रोके और ध्यान से देखा। बच्चा बेहोशी की हालत में था। उसका बाप रो रहा था।

डॉक्टर का चेहरा अचानक सफेद हो गया। उनकी आंखें तेजी से फैल गईं। वो चेहरा, वो आवाज… यह कोई अजनबी नहीं था। यह वही इंसान था जिसके साथ उन्होंने कभी सुख-दुख बांटे थे, सपने देखे थे। “राज” नाम उनके मुंह से अनायास निकल गया। राज ने सिर उठाकर देखा। उसके चेहरे पर थकान की लकीरें थीं, आंखों में उदासी और होंठ कांप रहे थे। जब उसकी नजर सामने खड़ी डॉक्टर पर पड़ी तो उसका दिल जोर से धड़कने लगा। सामने खड़ी थी सुमन, उसकी पूर्व पत्नी जिससे उसने तलाक ले लिया था।

सुमन का चेहरा कुछ पलों के लिए भावनाओं से भर गया। फिर वे तुरंत अपने पेशेवर रूप में वापस आ गईं। बिना कुछ कहे वे सीधे बच्चे के पास झुकीं। “यह कौन है?” उन्होंने बिना राज की तरफ देखे पूछा। राज की आवाज में कम्पन था, “यह… यह मेरा बेटा है सुमन। दूसरी शादी से उसकी मां अब इस दुनिया में नहीं है। डॉक्टर साहिबा प्लीज इसे बचा लीजिए। यह मेरा सब कुछ है।”

सुमन के दिल में एक अजीब सा दर्द उठा। सामने वही आदमी था जिसने कभी उनके सपनों का मजाक उड़ाया था, उन्हें घर में बैठने को कहा था और अंततः तलाक दे दिया था। आज वही आदमी अपने बच्चे के लिए सड़क पर भीख मांग रहा था। लेकिन इस वक्त उनके सामने कोई पूर्व पति नहीं था बल्कि एक मरते हुए बच्चे का बाप था। और वे कोई पूर्व पत्नी नहीं थीं बल्कि एक डॉक्टर थीं।

सुमन ने तुरंत नर्स को आवाज लगाई, “स्ट्रेचर लाओ जल्दी। इमरजेंसी में ले चलो।” कुछ ही मिनटों में अमन को स्ट्रेचर पर लिटाकर अंदर ले जाया गया। राज उनके पीछे दौड़ा लेकिन रिसेप्शन पर एक कर्मचारी ने उसे रोक दिया, “पहले एडवांस जमा करना होगा। बिना पेमेंट के इलाज नहीं हो सकता।”

राज की आंखों से फिर आंसू बहने लगे, “भैया मेरे पास कुछ नहीं है। जो भी था दवाइयों में खर्च हो गया। प्लीज मेरे बेटे को मरने मत दो।” सुमन ने यह सब सुना। उन्होंने कड़क आवाज में कर्मचारी से कहा, “यह मेरा केस है। पेमेंट की फिक्र बाद में करना। पहले बच्चे का इलाज शुरू करो।” उनकी आवाज में इतना अधिकार था कि कर्मचारी चुपचाप हट गया।

सुमन खुद आगे बढ़ीं और बच्चे की जांच शुरू की
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