अदालत में पति मुजरिम बनकर खड़ा था… जज थी तलाकशुदा पत्नी, फिर जो हुआ

एक साधारण पत्नी से जज बनने तक की प्रेरणादायक कहानी — अनुराधा शर्मा की जुबानी

उत्तर प्रदेश के छोटे शहर बस्ती में रहने वाली अनुराधा शर्मा एक साधारण परिवार की बड़ी बेटी थी। पिता स्कूल के अध्यापक, मां बीमार और छोटी बहन कॉलेज में पढ़ाई करती थी। अनुराधा का सपना था — वकील बनना और एक दिन जज की कुर्सी पर बैठना। लेकिन घर की जिम्मेदारियों और मां की बीमारी के बीच उसके पिता की चिंता थी — बेटी की शादी।

इसी बीच अनुराधा के लिए रिश्ता आया। राहुल वर्मा — एक बड़ा कारोबारी, पैसे और प्रतिष्ठा से भरपूर। शुरू में अनुराधा ने मना किया, लेकिन राहुल के परिवार ने वादा किया कि वे उसकी पढ़ाई का पूरा समर्थन करेंगे। शादी हो गई। सबको लगा, अब अनुराधा की जिंदगी खुशियों से भर जाएगी।

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शादी के बाद अनुराधा ने पढ़ाई जारी रखी और एलएलबी की परीक्षा शानदार ढंग से पास की। इसी दौरान वह मां बनने वाली थी। लेकिन पति राहुल के व्यवहार में बदलाव आने लगा। बिजनेस ट्रिप के बहाने घर से दूर रहना, फोन पर बातें करना — और फिर एक रात, अनुराधा ने अपने पति को दूसरी महिला शालिनी के साथ रंगे हाथों पकड़ लिया। रिश्ते में दरार आ गई।

एक दिन बहस के दौरान राहुल ने गुस्से में अनुराधा को धक्का दे दिया। वह गर्भवती थी, जमीन पर गिर पड़ी। अस्पताल में डॉक्टर ने बताया — बच्चा नहीं बच सका। इस हादसे ने अनुराधा को अंदर तक तोड़ दिया। उसने फैसला लिया — अब वह इस रिश्ते को खत्म करेगी। मायके लौटकर उसने तलाक की अर्जी दे दी। राहुल ने लाख मिन्नतें कीं, लेकिन अनुराधा ने आत्मसम्मान को चुना।

अब अनुराधा के सामने थी — जिम्मेदारियां और सपने। उसने ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया, कोचिंग क्लास में काम किया और सिविल जज की तैयारी में जुट गई। दो साल तक दिन-रात मेहनत की। आखिरकार यूपी पीसीएस-जे की परीक्षा में टॉप किया। घर में जश्न था, पिता की आंखों में गर्व के आंसू थे। समाज ने उस लड़की को सलाम किया जिसे पति ने ठुकरा दिया था।

अनुराधा की पोस्टिंग बतौर सिविल जज हो गई। उसने हर केस में ईमानदारी और निष्पक्षता से न्याय किया। एक दिन उसकी अदालत में एक केस आया — बुजुर्ग दंपत्ति की जमीन पर कब्जा। आरोपी कोई और नहीं, उसका पूर्व पति राहुल वर्मा था। अनुराधा ने भावनाओं को किनारे रखकर न्याय किया। जांच में साबित हुआ कि राहुल ने बुजुर्गों की जमीन जबरन छीनी थी। अनुराधा ने आदेश दिया — अवैध बिल्डिंग गिराई जाए, जमीन वापस लौटाई जाए और जुर्माना लगाया जाए।

राहुल गिड़गिड़ाया, रहम की भीख मांगी। लेकिन अनुराधा ने कहा — “अब मैं तुम्हारी पत्नी नहीं, एक जज हूं। तुम्हारे कर्मों का फल तुम्हें मिलेगा।” कोर्ट रूम तालियों से गूंज उठा। बुजुर्ग दंपत्ति ने अनुराधा को भगवान का वरदान बताया।

राहुल ने आखिरी बार अनुराधा से कहा — “जिसे कमजोर समझा था, वही आज मेरी किस्मत का फैसला सुना रही है।” अनुराधा ने जवाब दिया — “कमजोर वही है जो अपने आत्मसम्मान को छोड़ दे। औरत का अपमान करने वाला कभी इज्जत नहीं पा सकता।”

इस कहानी ने साबित कर दिया — प्यार के बिना जीवन चल सकता है, लेकिन आत्मसम्मान के बिना नहीं। अनुराधा सिर्फ एक जज नहीं, समाज के लिए मिसाल बन गई। उसकी कहानी हर उस महिला की आवाज है जिसे कभी कमजोर समझा गया, लेकिन जिसने हालात बदल कर दिखा दिए।

तो सोचिए, अगर आपके सामने भी रिश्ता और आत्मसम्मान के बीच चुनाव हो, तो क्या आप भी अनुराधा की तरह आत्मसम्मान को चुनेंगे?

अगर यह कहानी आपके दिल को छू गई हो, तो इसे शेयर करें। सम्मान की कीमत करोड़ों से नहीं, हिम्मत और आत्मसम्मान से बनती है।