अमीर बाप की बिगड़ी हुई बेटी गरीब समझ मजाक उड़ाती थी लेकीन जब सच सामने आया

एक अमीर बाप की बिगड़ी हुई बेटी और एक गरीब लड़के की कहानी

प्रस्तावना

पैसा, पावर, शोहरत… श्रद्धा के लिए यही सबकुछ था। वह शहर के सबसे बड़े रियल एस्टेट व्यापारी की इकलौती बेटी थी। आलीशान बंगला, महंगी गाड़ियाँ, ब्रांडेड कपड़े, और कॉलेज में उसकी अपनी एक अलग पहचान। लेकिन पहचान सिर्फ पैसे की थी, इंसानियत की नहीं। श्रद्धा के लिए कॉलेज एक फैशन शो था, जहाँ वह अपनी अमीरी और रुतबे का प्रदर्शन करती थी।

कॉलेज के पहले दिन श्रद्धा अपने दोस्तों के साथ हँसी-ठहाके करती, महंगे फोन और स्टाइलिश बैग के साथ कैंपस में दाखिल हुई। उसी क्लास में एक लड़का था – विवान। सादा नीला कुर्ता, फटा हुआ बैग, पैरों में चप्पलें। देखने में बिल्कुल साधारण, बल्कि गरीब सा लगता था। शायद किसी स्कॉलरशिप से पढ़ता होगा।

पहला सामना

पहली ही क्लास में श्रद्धा की नजर विवान पर पड़ी। उसके चेहरे पर नाक-भौं सिकुड़ गईं।
“हे भगवान, ये क्या बला है?” उसने अपनी सहेली से कहा, “यह भिखारी कहाँ से आ गया क्लास में? मुझे लगा था ये कॉलेज सिर्फ स्टैंडर्ड स्टूडेंट्स के लिए है।”

क्लास खत्म होते ही श्रद्धा सीधा विवान के पास गई, ताना मारा,
“तुम्हें एडमिशन कैसे मिल गया? शायद कॉलेज ने चैरिटी शुरू कर दी है।”

विवान ने कोई जवाब नहीं दिया। बस हल्की मुस्कान के साथ उठकर बाहर चला गया। श्रद्धा को उसकी मुस्कान और चुभ गई।
अगले दिन कैंटीन में विवान एक कोने में बैठा अपनी टिफिन से रोटी-सब्जी खा रहा था। श्रद्धा अपने दोस्तों के साथ वहाँ पहुँची और तेज आवाज में बोली,
“इतनी गंध आ रही है! कोई सड़ी हुई सब्जी खा रहा है। भाई, इसे कोई कहो कि यह कॉलेज है, लंगर नहीं। थोड़ा सिविलाइज हो जाओ मैन!”

सभी हँसने लगे। विवान ने चुपचाप खाना समेटा और उठ गया।

अपमान की आदत

उस दिन के बाद श्रद्धा के लिए विवान की बेइज्जती एक आदत बन गई।
कभी क्लास में –
“सर, मुझे विवान से दूर बैठना है, मुझे गरीबों से एलर्जी है।”
कभी ग्रुप प्रोजेक्ट में –
“सर, प्लीज इस लड़के को हमारे ग्रुप से हटाइए, इसकी वजह से प्रेजेंटेशन खराब हो जाएगी।”
कभी लाइब्रेरी में –
“इतनी पुरानी किताबें पढ़ रहा है, लगता है भिखारियों का कॉलेज है।”

कई बार श्रद्धा ने अपने दोस्तों के साथ विवान की सीट पर च्यूइंग गम चिपका दी, उसकी किताबों पर पेन चला दिया, और एक बार तो उसके बैग में चुपचाप एक कागज डाल दिया – “भिखारियों का कॉलेज में स्वागत नहीं है।”

विवान ने सब कुछ चुपचाप सहा। न प्रिंसिपल से शिकायत की, न क्लास में शोर मचाया। बस पढ़ाई करता रहा, शांत रहा।